संभोग, सेक्सी कहानी – भाग तीन – बड़े घराने, परदेशी, बीजी या नपुंसक पतियों की पत्नियाँ कैसे पाती यौनसुख – प्लेबॉय जिगोलो

Amit Srivastav

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संभोग, सेक्सी कहानी - भाग तीन - बड़े घराने, परदेशी, बीजी या नपुंसक पतियों की पत्नियाँ कैसे पाती यौनसुख - प्लेबॉय जिगोलो

सुप्रिया भी अपने कपड़े उतार दी, सौम्या और सुप्रिया ने कहा तुम्हें शर्म आ रही है क्या? जानेमन! कपड़े निकालना पड़ेगा या निकाल लोगे। अभी कुछ कहने ही जा रहा था कि दोनों ने मिलकर कपड़े उतारना शुरू कर दी।

अमित ने कहा अभी जी नही भरा है क्या? दोनों एक साथ कहीं, नही जान तुम्हारे होते अतृप्त क्यूँ रहूँगी। जब तुम हो तो तृप्ति ही तृप्ति है आज मौसम सुहानी है और छूट्टी भी ले ली गई है तो छूट्टी का फायदा तो उठाया जाए। जवानी ढल जाने के बाद क्या फायदा उठाया जायेगा। रंगीन जवानी है मौसम भी सुहानी है। तृप्त अंगों को सटाकर सोने में भी बहुत मजा आता है बस तन-मन को मिलाकर सोया जायेगा राजा जी। अमित के दोनों तरफ़ दोनों सो कर अपनी अपनी जंघे को अमित के एक एक जंघे से लिपट एक दूसरे पर अपनी हाथों को रखकर सहलाने लगी।

Sexual intercourse

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आपस में बातें करते हुए सुप्रिया व सौम्या ने कहा अमित घर जाने की कभी मत सोचना, अब अपने मित्र के यहां नही बल्कि हम दोनों का घर तुम्हारा है, हम दोनों का सबकुछ बस तुम्हारा ही है। तुम्हारे अलावा अब हम दोनों को किसी की जरूरत नहीं है। हम दोनों तुमसे खुश होकर अपने-अपने पति से रिस्ता तोड़ने का फैसला भी कर लिया है। अमित ने कहा तुम दोनों मुझसे तृप्त होकर पागल हो गई हो और तुम नहीं, तुम दोनों का पागलपन बोल रहा है। जानती भी हो इस रिश्ते का पता किसी को चला तो सिर्फ बेइज्जती ही होगी। तुम दोनों अच्छी-खासी नौकरी में हो तुम्हारे स्टाफ में लोग क्या कहेंगे, सोची भी हो ? दोनों कह पड़ी सारी चिंता तुम्हें ही क्यूं रहती है? बस हां कहो, आगे का सब हम दोनों कि जिम्मेदारी है। किसकी मजाल है, जो आंख उठा या सोच भी सके। सुप्रिया ने कहा जानते नही! यहां कि मानी-जानी विधायिका मंत्री मेरी बुआ हैं, मै कोलकात्ता कि सबसे बड़े आदमी एस के वनर्जी की बेटी हूं। करोड़ों का फ्लैट पापा ने मुझे गिफ्ट दिया है। अमित चौक कर बोला हां सुप्रिया मंत्री जी की भतीजी हो तुम्हारे पापा का भी बहुत नाम है मै जानता हूं। बहुत बड़े घराने का परिचय जान अमित घबराएं हुए कहा अगर उन लोगों को पता चला तो मेरी जान ले लेगें लोग। सुप्रिया ने कहा यार तू हम दोनों कि जान हो तुम्हें छूने की भी हिम्मत किसके अंदर पैदा हो सकता है। परेशान कभी भी न होना तुम्हारे तरफ़ आंख उठाने की हिम्मत भी किसी ने कि तो उसकि मौत निश्चित है। हमारे पापा तो मुझे इतना मानते हैं अपनी खुशी तुम्हारे साथ दिखा कह दूं तो वो तुम्हें दुनिया से छिनकर मुझे दे देगें मुझे सदैव तुम्हारे साथ कि जरुरत है बस, बहुत जल्द तुम्हें अपने पापा और बुआ जी से मिलाने ले चलूँगी, अमित चुप्पी साध सून रहा था कि ऐसा ही कुछ परिचय सौम्या भट्टाचार्या ने भी दिया और कही देखो किसी कि इतनी मजाल नही, जो हम बड़े घराने की बेटियों को कुछ कह सके। बस हां कहो और हम दोनों के पति बनकर रहो… ओके! इस नवरात्रि ही कालीघाट मंदिर मां को साक्षी मानकर हम दोनों कि मांग अपनी हाथों से भर दो, तुम्हारे साथ दिल से बना रिस्ता है अब जीवन भर हम दोनों तुम्हारे साथ बने रिश्ते को पवित्रता के साथ निभा दूंगी इस नवरात्रि से अब तुम्हारे नाम कि सिन्दूर हम दोनों लगा तुम्हारी सदा सदा के लिए हो जाऊँ। हम दोनों सरकारी जाब में हैं, तुम्हें कभी कोई नौकरी करने कि जरुरत नहीं पड़ेगी! बस हम दोनों के दिल पर जीवन भर राज करना।

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अमित ने कहा, बस करो अब सो भी जाओ! मुझे नींद आ रही है। ठीक है हम दोनों के राजा सो जाओ लेकिन सदैव ऐसे ही सुलाना हम दोनों को… ओके! कहकर, दोनों तरफ से दबा कर लिपट सोने लगी। दोपहर बीत रहा था सोये सोये भूख भी लगने लगी थी! किन्तु किसी को अलग होने की इच्छा नही थी। सौम्या ने कहा ये जन्नत बहुत नशीब से हम दोनों को मिला है, किचन में कौन जाए, मै खाना बुकिंग कर दे रही हूं। सुप्रिया ने कहा अमित कि पसंद खाना बुकिंग करना आज हम तीनों एक तरह का ही खाना एक दूसरे के हाथों खाएंगे। सौम्या ने कनक होटल को फोन कर तीन थाली नानवेज तंदूरी पोलाव आर्डर की, थोड़ी देर में खाने का पैकिंग डिलेवरी मैन लेकर आया दरवाजे का बेल बजाया सौम्या एक मैक्सी ऊपर से डाल गले मे चुनरी लपेट दरवाजे की कुंडी खोल, खाने का पैकिंग ले दरवाजा बंद कर ली। अब तीनों फ्रेस होकर एक दूसरे के हाथों से भोजन किया। अमित ने कहा यार, अब मुझे जाने भी दो दोनों ने कहा आज हम लोगों का अवकाश क्यूं बेकार करना चाहते हो। सुप्रिया ने कहा कल सुबह चलना मै छोड़कर उधर से ही निकल जाऊँगी। तुम बेकार का जिद्द कर रहे हो, साथ रहने में परेशानी है क्या ? जो भी अब होगा बस तुम्हारी मर्जी से ओके! अब तो इतना मिल गया कि एहसास के साथ जिन्दगी ही गुजर जाए। दोनों की जिद्द से अमित रुक गया। साम को दोनों मिलजुलकर नास्ता बनाईं एक साथ मिलकर चाय नास्ता हुआ। सौम्या ने कहा, अमित आज कुछ और पसंद बताओं जो बनाया जाए। अमित ने कहा जो मर्जी बनाओ मुझे आज तुम दोनों का पसंदीदा ही खाना है। सौम्या ने कहा ठीक है पती देव, टहलने चलोगे! अमित ने कहा नही, लेकर साथ जाओगी दिखाने क्या कि मेरा यही है? अमित मजाकिया लिहाज में कहा, तब तक सुप्रिया अमित कि गले में बाहें डाल कह पड़ी परेशानी क्या है अब पती देव ? फिर सौम्या ने कहा, ठीक है मेरी सहेली को लेकर सो जाओ, तब तक आती हूं। सौम्या दरवाजा खोल बोली सुप्रिया बंद कर मजा ले, तब तक आती हूं। सुप्रिया ने दरवाजा बंद किया सोफ़े पर बैठे अमित के जंधे पर बैठ अपनी अर्ध नग्न शरीर से कपड़े निकाल फेक, बाहों में भर अपनी निप्पल को होठों से सटा कह पड़ी उतार लो जान, अपनी थकान! नहीं तो जंग लग जायेगी हमारे पिया की मशीन में। बाहों में भर बेड पर ले चली गई। अमित ने कहा तुम्हें तो थोड़ा शर्म भी नहीं आ रही। सुप्रिया- तुम्हें जब अपना सबकुछ समर्पित कर दी ये तन-मन तुम्हारे लिए ही है, तो फिर शर्म किस बात कि सईया जी! सुप्रिया इतना मस्त हो गई थी कि बिना तैयार किए ही तैयार थी, अमृत कलश लबालब गीला हो चुका था।

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सुप्रिया की यौन जिज्ञासा देखकर अमित सेक्स के लिए तैयार हो, अंगो पर अपनी होठों से प्रहार करने लगा! थोड़े ही देर में सुप्रिया अपनी कामाग्नि की ज्वालामुखी में जलने लगी। अमित इस बार और ज्यादा जलाने की इच्छा लिए कामाग्नि को भड़काने का तरह-तरह का तरीका अपनाने लगा, बेचैन सुप्रिया अमित के प्राइवेट पार्ट को बार बार अपने में डालने का प्रयास करती की अमित ने कहा पिघल रही हो बिना डाले ही, इतनी ही बेग है तो क्या जरूरत है, मेरे सामने अपनी ज्वालामुखी विस्फोट की? सुप्रिया बेचैनी भरे शब्दों में डालने दो जान हिलोरें मारने में और ज्यादा मजा आता है। जबरजस्ती दिखाते हुए सांप को अपने मे डाल उसी पर बैठे तेजी से हिलोरें मारने लगी, अमित ने इशारा किया क्यूं तेजी दिखा रही, जल्दी ही पिघलना चाहती हो क्या? धीरे-धीरे ही लो, उसी पर दबा कर बैठे अमित के मुख में अपनी जीभ डाल, मदमस्त हो, चरमसुख भोगने लगी। धीरे-धीरे एक लगभग घंटे बित गया था। कमरे में बेल की आवाज आने लगी सुप्रिया ने आवाज लगाई, कौन? दरवाजे से सौम्या का आवाज आया मै हूं, सुप्रिया! वैसे ही नग्न जाकर दरवाजा खोली सौम्या को अंदर आते ही दरवाजा बंद कर सौम्या को गले लगा बोल पड़ी अमित कि ठकान उतार रही हूं। अपनी सहेली कि आंखो में खुशी की झलक देख सौम्या बहुत खुश थी। कही उतारो, तब तक मै किचन का काम निपटा लूं, फिर रात में एक साथ होगा। अमित बेड पर नंगे लेटा था, सुप्रिया सौम्या दोनों अमित के गालों को चूम, सौम्या कही मेरी जान को अच्छा से तृप्त करना पतीदेव। मै किचन में चल रही हूं। सुप्रिया ने कहा जान चलो अब मुझे तृप्त करो सुनें हो न मेरी सहेली का आदेश, पुनः सुप्रिया ने कहा। कोई और नया तरीका से करो, अब तुम तो अलग अलग तरीका जानते हो कल हम दोनों सोच रही थी! अमित एक साथ हम दोनों को तृप्त कर ही नहीं पाया तो क्या होगा? लेकिन अपनी जीभ से ही अमृत कलश से रस धार बहा दिए। सच मे जान तुम्हारे जैसा दुनिया में दूसरा कोई हो ही नहीं सकता। ऊगली के तरफ़ इशारा कर कही, जब बहुत परेशान होती तो इसे ही डाल सहलाया करती थी। अमित ने कहा ऐसा भूलकर भी न करना रस धार जब निकलता है तब खुले द्वार से आक्सीजन प्रवेश करता है, जो नपुंसकता का कारण बन जाता है। सुप्रिया ने कहा तुम तो इसके बहुत बड़े ज्ञानी हो जी! मुझे तो पता ही नहीं था। तब हस्तमैथुन से होने वाली नुकसान को बताते हुए कहा, अभी तक देखी तीब्र उत्तेजना में कभी तुम्हारे अंदर ऊगली लगाया, नही न! सुप्रिया आंखें झूका कही तुम्हारे साथ होने मात्र से ही उत्तेजित हो जा रही हूं। अमित ने कहा ज्यादातर पुरुष घोडी बना मतलब जैसे मुस्लिम नमाज पढ़ते, वैसी स्थिति में सम्बन्ध बनाने की इच्छा रखते! वैसे कभी भी सेक्स नहीं करना चाहिए। वैसे स्थिति में यौन भाग ऊपर अंदर का पार्ट नीचे झूकाव में हो जाता है, झटका लगा तो बच्चेदानी अपने जगह से खिसक जाती है, धीरे-धीरे नीचे यौनी भाग के तरफ भी बच्चेदानी आने लगती है या उलट जाती है। फिर तो बच्चेदानी में समस्या ही समस्या आने लगती है। उसी वजह से बच्चेदानी में सूजन इन्फेक्शन हो गांठ बनने लगता है। जो महिलाएं भोलीभाली कामकला से अनभिज्ञ होती हैं, वो नासमझ अज्ञानी पुरुषों की बातों में आ विरोध भी नहीं कर पातीं या अपने नासमझ पार्टनर को समझा भी नही पातीं। उन्हें आने वाले समय में थोड़ी यौन सुख के बदले यौन दुख भोगना पड़ता है। अमित ने कहा अच्छा तरीका सही ज्ञान हो तो तृप्ति भी मिलती है और कोई बिमारी भी नही होती। सेक्स कला की सही ज्ञान से गम्भीर से गंभीर बीमारियों को बिना कोई बाहरी दवा खाएं ठीक किया जा सकता है। अब इतना सब जानकर सुप्रिया के मन में अमित के लिए और भी जगह बनता गया। सुप्रिया ने कहा तुम्हारे कामकला के ज्ञान को देखकर ही तो हम दोनों सहेलियाँ तुम्हारे ही साथ जीवन सुखमय बनाने की सोची हूं। फिर अमित चुप्पी साध गया, सुप्रिया अपने सुडौल स्तन को अमित कि गालों से सटा अपने हाथों से सर को लगा अमित कि आंखों में आंखें डाल चेहरे पर मुस्कान बिखेर रही थी। कही चलो मुझे एक बार जल्दी तृप्त कर दो, सौम्या के साथ किचन में जाऊँ, छेड़छाड़ शुरू कर दी अमित ने सुप्रिया की कामाग्नि को भड़का एक साथ चरमसुख का दर्शन किया फिर थोड़ा देर बाद शांत हो शरीर स्थिर होने पर अलग हुआ।

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मधुर सुगंधित रस धार सुप्रिया के अमृत कलश से हलाहल बाहर आने लगा। दोनों फ्रेस होने बाथरूम गये फ्रेस हो नाइट सूट पहन दोनों सौम्या के पास किचन में हाथ बटाने लगे। हंसी मजाक होते-होते समय का पता भी नहीं चला और भोजन तैयार हो गया। डाइनिंग टेबल पर तीनों भोजन रख एक साथ बैठकर एक दूसरे को खिलाते खाते बातें करते रहे। फिर फ्रेस होकर बेड पर तीनों लेट कुछ समय अपनी अपनी बातें कही। रात्रि का दस बज चुका था। अमित ने कहा ठीक है बातें करती रहो, मै सो जाता हूं! दोनों सखियाँ ब्यंग मारते कहीं पतीदेव जी अपनी पत्नियों को भूखे रखने का विचार है क्या? हम दोनों कि भूख तो तूं ही मिटा सकते हो, चलो ठीक है जल्दी जल्दी भूख शांत कर दो, लिपट हम लोग सो जाएं। अब छेड़छाड़ शुरू हुआ सौम्या ने कहा पहले हमारी जान को खिला दो वर्षों से भूखे रह रही थी। अब तुम्हें पाकर अपना ब्रत तोड़ी है, फिर मुझे खिलाकर सोना। अमित ने कहा ठीक है जो पहले ज्यादा गिली होगी उसे ही पहले खिलाऊगा सुप्रिया तो घंटे भर पहले ही तृप्ति का एहसास कि थी, ने कहा नही जान! सौम्या पहले अपनी शांत कर लो तब तक मेरी भूख भी बढ़ जाती है। अमित ने दोनों के गुप्तांगों पर उंगली रख एहसास किया दोनों कि कामाग्नि प्रज्वलित थी कहा चलो दोनों को एक साथ ही पिघला देते हैं। सौम्या ने कहा सुप्रिया तुम मुख से लोगी या फन पे सुप्रिया ने मुख का इशारा कर कहा जान तूं फन पर ले मै मुख से हो लेती हूं। दोनों एक साथ चरम सुख लगभग घंटों तक ली सौम्या का अमृत कलश छलाछल निकलने लगा तो अमित ने कहा मेरा तो निकला ही नही अब क्या होगा? सौम्या ने कहा, है न मेरी जान! इसके में डाल निकाल लो, सुप्रिया ने कहा मै भी बहनें वाली हूं अब रोक पाना मुश्किल है, अमित ने अपनी होठों और जीभ को धीरे धीरे नियंत्रित किया सौम्या शांत हो हटी की सुप्रिया को फन से लेने का इशारा किया। अमित के स्तन को सौम्या अपनी होठों की जकड़ में ले चूसने लगी उधर अमित सुप्रिया के निप्पल को चूसते हिलोरें मार रहा था। सुप्रिया की चिचकार से कमरा गूंजने लगा, अमित ने कहा अब और नहीं लोगी क्या? मेरा निकालें बगैर अपना बहा दी तो ठीक नही होगा, सौम्या ने कहा इतना तो किसी औरत में दम नहीं कि तुम खुद न चाहो तो तुम्हारे सांप की फुफकार को कोई शांत कर सके। सुप्रिया ने कहा मेरी हालत देखो जान एक साथ रस धार को छोड़ा जाए, नस-नस तृप्त हो जाए, जब तुम अंदर अपनी फुफकार से प्यार कि वर्षा करते हो… बातें काटते अमित ने कहा चलो फिर आधे घंटे मारों हिलोरें। सुप्रिया ने कहा अब मै हारने वाली हूं, तुम अतृप्त रहे तो हम दोनों का दोष नहीं! कह पिघलने का एहसास कराने लगी। अमित लम्बा स्ट्रोक मार छलाछल अपनी रस धार एक दूसरे के साथ बहा दिया। दोनों का बहते रस धार के साथ चिंखे तेज़ तेज़ निकलने लगी, धीरे-धीरे शांति का अनुभव होने लगा! प्यास तेज लगी हुई थी वही थर्मस में रखी दूध एक ही ग्लास से निकाल तीनों वैसे ही पी झपकी लेने लगे। सुप्रिया के ऊपर वैसे ही अमित था, अब तीनों एक दूसरे से वैसे ही लिपटे सोने लगे। करीब घंटे भर बाद जाकर नींदे खुली बिस्तर का चादर ज्यादा दूर तक रस धार से गिला हो चुका था। जब दोनों एक दूसरे से अलग हुए, कमल रुपी कलश से गाढ़ा मिश्रित रस हलाहल बाहर निकलने लगा तौलिये से रोक पोछ तीनों उठकर फ्रेस हुए बेड का चादर बदल काजू बादाम मिश्रित दूध पिया फिर लिपट सो गए। सुबह नास्ता के बाद सौम्या ने कहा अमित हम सुप्रिया एक ही कार से आफिस निकल रहे हैं, तुम आराम करना मन करेगा तो एक कार रह रही है, कही जाकर टहल आना। अमित अपने रुम जाने की जिद्द पर था। दोनों कह पड़ी जो मर्जी करना ये फ्लैट और कार कि चाभी तुम्हारे पास है। आने पर यहां नही मिले तो हम दोनों तुम्हारे कमरें पर ही आकर रहूँगी।

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देखती हूं कैसे छोड़कर जाते हो… एक-एक किस लेते हुए ओके! बाय बोल दोनों कमरे से निकल चलीं। रास्ते में पहले सौम्या का आफिस आया सौम्या कार से उतर कार कि स्टेयरिंग सुप्रिया को दे बोली अब तुम जाओ आने से पहले फोन कर देना। दोनों एक दूसरे को बाय कर बिदा हुईं। इधर अमित दरवाजे का कुंडी लगा बेड पर लेट गया। कुछ समझ नहीं आ रहा था! सोचते सोचते सो गया। एक बजते ही सुप्रिया का फोन आया, अमित के बिना कुछ बोले ही सुप्रिया बोलती जा रही थी! डार्लिंग प्लीज खाना खा लो मजबूर हूं, इस समय अपनी हाथों से नही खिला पा रही हूं। मेरे ही हाथों का एहसास कर खा लो, आवाज में अथाह प्यार भरा हुआ था! अमित कुछ बोले बगैर फोन काट रख दिया। फिर फोन आया डार्लिंग अपनी पत्नी से नाखुश हो, ठीक है मै ड्यूटी से आ रही हूं! खिलाकर फिर लौट आऊंगी इस बार भी अमित कुछ बोल नहीं रहा था, सुप्रिया फोन काट सौम्या को फोन कर बताई और बोली जान आ रही हूं, चलो! अमित गुस्सा है बोल भी नहीं रहा है। तुरंत सौम्या ने फोन लगाया फोन उठा लेकिन अमित बोल नहीं रहा था। सौम्या सिसक उठी, कही ठीक है हम दोनों आ रही हूं, बहुत नाराज हो गए हो न! थोड़ी देर में सुप्रिया सौम्या की आफिस आ गई दोनों एक साथ फ्लैट पर आकर बेल बजाया तो अमित बोल पडा क्या है? जाइये मै घर रखाने के लिए हूं न। सुप्रिया सौम्या ने बोला प्लीज डार्लिंग दरवाजा खोलो इतनी गुस्सा का वजह क्या है? अमित ने दरवाजा खोला दोनों अमित से लिपट कहने लगी अकेले मन नहीं लग रहा था, तो कहीं जाकर टहल लिए होते! खाने से कैसी गुस्सा चलो फ्रेस होकर भोजन करो। प्लेट में खाना लगा दोनों अपनी हाथों से अमित को खिलाने लगी। सुप्रिया कही डार्लिंग कल से साथ ही चलना जहां मर्जी घुमना-फिरना तब तक हम दोनों कि ड्यूटी भी हो जायेगी फिर कल हमारे फ्लैट रुकना। अब एक भी पल दोनों अमित को छोड़कर रहना नही चाह रही थी। अमित ने कहा ठीक है मुझे ऐसे ही कमरे से लापता रखा करो, जब खबर घर चली जाती है, तो जल्द ही घर वापसी हो जायेगी। दोनों अमित से लिपट कर बोल पड़ी। अगर दो कि जान का परवाह नहीं होगा तो छोडकर चले जाना! फिर पता कर लेना हम दोनों कि लाश यहां गंगा में ही मिलेगी। अमित अब धीरे धीरे सांप छछूंदर के तरह फंस गया था, लगता भी था! इश्क़ में पागल ये दोनों जान भी दे सकती हैं। दोनों के मुख पर अपनी हाथ रखते हुए कहा ऐसा न कहा करो। अब मुझे कुछ सोचने का मौका भी दो। अमित के दिमाग में आया अगर कोई छोटा मोटा काम पकड़ लिया जाए, इधर ही! तो अपने पिता जी के मित्र के यहां से हटने का बहाना भी हो जायेगा। हनुमान जूट मिल सलकिया बंधा घाट से यहां कि दूरी 15 किलोमीटर लगभग है वहां रहकर काम करने के लिए जिद्द भी लोग नही करेगें। और इन दोनों कि इच्छा पूरी भी होती रहेगी। रात्रि में बातों-बातों में अमित कहा सोच रहा हूँ कोई काम इधर पकड़, कह दूं! यहां नौकरी कर रहे हैं। दूरी के वजह से इधर ही रह लूँगा। दोनों के चेहरे पर मुस्कान बिखर आई लेकिन दोनों ने कहा नही जान बहाना कर दो काम नहीं करना है, तुम्हें! हम दोनों कि कमाई आखिर तुम्हारे लिए ही तो है। जब मर्जी जितना पैसा घर भेज देना ताकि यकीन हो जाएगा अमित नौकरी में है। वही हुआ अगले सुबह अमित अपने रुम पर गया तो पापा के मित्र ने पूछा तीन दिनों से कहा थे। नम्बर भी नही लग रहा था, फोन भी नही किए। झट से अमित ने कहा बहू बाजार के आगे वाली इंडस्ट्रीयल एरिया में मुझे अच्छा काम मिल गया है, मन भी लग रहा है! अब वही रुम देखकर आया हूं, कहिए! तो कल से वही रह जाऊंगा। पिता के मित्र ने कहा ठीक है, अच्छा काम है! मन लग रहा है तो मन लगाकर करो। अपना ख्याल रखना किसी चक्कर में न फंसना। अमित ने कहा जी ठीक है, कल से रह लूँगा रुम देख लिया हूं। अपने फोन को चेक किया तो देखा कुछ नम्बर फोन में ब्लाक था। हंस पड़ा कितनी पागलपन है, दोनों में! अमित ने सुप्रिया सौम्या को फोन कर बताया, आइडिया सफल हो गया है! दोनों उछल पड़ी कहीं….

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आगे की कहानी भाग चार मे क्लिक किजिये पढ़िए ऐसे रोचक ज्ञानवर्धक कामकला के प्रदर्शन को ठीक करने आवश्यक जानकारी पाते हुए रोमांटिक कहानी पढ़ते रहने के लिए भगवान चित्रगुप्त वंशज अमित श्रीवास्तव संपादक कि मनोबल को बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक शेयर किजिये और भारतीय हवाटएप्स +917379622843 पर कहानी अगर मनपसंद लगे तो बढ़ाई दिजिये।
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