प्रयागराज। सनातन संस्कृति में Mauni Amavasya मौनी अमावस्या को विशेष माना जाता है। हर वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मौनी अमावस्या मनाई जाती है। इस बार 144 वर्ष के पश्चात संयोग पूर्ण महाकुंभ का है। इसलिए मौनी अमावस्या का महत्त्व लाखों-करोड़ों गुना बढ़ जाता है। इसलिए इस दिन ध्यान, मौन, स्नान और दान का महत्व है। इस दिन भक्ति, व्रत, दान-स्नान-ध्यान करने से भगवान विष्णु एवं भगवान शिव की अनुपम कृपा प्राप्त होती है और जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
मौनी अमावस्या को मोक्ष प्राप्ति, आत्मशुद्धि और पितरों की शांति के लिए विशेष दिन माना जाता है। 2025 के महाकुंभ के इस अवसर पर मौनी अमावस्या का महत्व क्या है? इसके आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के बारे में इस विशेष लेख के द्वारा अभिषेक कांत पांडेय बताने जा रहे हैं।

Mauni Amavasya का महत्व
अत्यंत शुभकारी इस बार की मौनी अमावस्या स्नान है। महाकुंभ के अमृत पर्व के इस समय ग्रहों-नक्षत्रों के अद्भुत सहयोग के कारण गंगा, जमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना करोडो गुना पुण्य देने वाली है।
मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज महाकुंभ में संगम पर अमृत स्नान से करोड़ों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
‘मौनी’ शब्द का मतलब होता है मौन अर्थात कुछ भी नहीं बोलना। अध्यात्म में मौन रहने का विशेष महत्व और लाभ होता है। मौन रहना एक आध्यात्मिक साधना की तरह है। इसलिए मौनी अमावस्या के दिन स्नान से पूर्व मौन रहने की सलाह दी जाती है। इस दिन मौन व्रत धारण करके आत्मा की शुद्धि और मन की शांति प्राप्त की जाती है। मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु और भगवान शिव की प्राप्ति भी इस दिन ध्यान और भक्ति के माध्यम से होती है।
इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और दान के बारे में भी धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है। ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
मौनी अमावस्या कब है
144 वर्षों के बाद पूर्ण महाकुंभ के इस अवसर पर मौनी अमावस्या का स्नान बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर शाही स्नान का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन यहां स्नान करने को अमृत स्नान कहा गया है। इस दिन प्रयागराज और कहीं भी यदि आप नदी, तालाब, जलाशय में स्नान करते हैं तो उसका पुण्य मिलता है। प्रयागराज में महाकुंभ के इस वर्ष में 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या का शाही स्नान होगा। मौनी अमावस्या के दिन चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में होते हैं इसलिए मौनी अमावस्या के स्नान का महत्व अधिक होता है।
अमावस्या की तिथि 28 जनवरी 2025 को शाम 7:35 बजे से शुरू हो जाएगी, यह तिथि 29 जनवरी 2025 को शाम 6:05 पर समाप्त होगी। पूरे भारत में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाया जा रहा है। मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान- दान करना अत्यंत शुभ फल देने वाला धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है।
स्नान की विशेष अत्यंत शुभ समय 29 जनवरी सुबह 5:25 बजे से 6:19 बजे तक रहेगा। इसके बाद भी स्नान का महत्व है। इसी दिन शाम 6:05 तक स्नान की तिथि है।
इस बार का मौनी अमावस्या अत्यंत शुभकारी
विद्वानों के अनुसार इस साल मौनी अमावस्या के दिन कई ग्रहों की शुभ स्थिति बन रही है। मकर राशि में चंद्रमा और सूर्य ग्रह है। जबकि गुरु वृषभ राशि में रहेंगे जिससे इस दिन का महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाता है।
मौनी अमावस्या पर धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर आध्यात्मिक साधना करने से आत्मा की शुद्धि होती है और मन को शांति मिलती है। आध्यात्मिक और धार्मिक रूप से यह दिन हर इंसान के जीवन में सुख-समृद्धि और उल्लास उमंग लेकर आता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन स्नान – दान करने से सभी पापों का नाश होता है।
महाकुंभ प्रयागराज में मौनी अमावस्या का महत्व
गंगा, यमुना और सरस्वती की मिलन स्थल प्रयागराज में महाकुंभ पर स्नान दान अत्यंत पुण्यदायी फल देने वाला है। इस दिन तिल, अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
मौनी अमावस्या में दान का महत्व
सनातन संस्कृति में दान का अत्यंत शुभकारी महत्व होता है। इस दिन दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मौनी अमावस्या को काला तिल दान करने से ग्रह दोष दूर होता है। नमक दान करने से समस्याओं से मुक्ति मिलती है। पुरोहित-ब्राह्मणों को दान करने का धार्मिक महत्व है। इस दिन अन्न, वस्त्र और धन का दान भी किया जाता है। जरूरतमंदों और गरीबों को धन उपयोग खाद्य पदार्थ और वस्तुएं दान करके पुण्य कमाया जाता है।