आर्टिफिशियल वर्षा से खाड़ी देशों सहित विश्व के तमाम देश हुए तबाह

Amit Srivastav

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दुबई में नकली बारिश, मचा हाहाकार, ग्लोबल वार्मिंग से घबराये वैज्ञानिक, कुदरत के साथ इंसानी छेड़छाड़, नकली बारिश के चक्कर में कर दिया इंसानों ने क्लाइमेट चेंज।

खाड़ी देशों में आई बाढ़ की वजह कुछ एक्सपर्ट्स क्लाउड सीडिंग यानी आर्टिफिशियल बारिश को बता रहे हैं। एसोसिएट प्रेस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि दुबई में हुई क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने के लिए एक विमान उड़ाया था।

इसके कुछ देर बाद ही खाड़ी देशों को भारी बारिश होने लगी और बाढ़ का सामना करना पड़ा है। आइये जानते हैं भगवान चित्रगुप्त वंशज अमित श्रीवास्तव की कलम से प्रकृति के साथ खिलवाड़ आर्टिफिशियल बारिश पर एक नज़र। आर्टिफिशियल बारिश कराने के लिए क्लाउड सीडिंग नाम की तकनीक का उपयोग किया जाता है। कृत्रिम बादल बनाना पड़ता है, जिस पर सिल्वर आयोडाइड और क्लोराइड जैसे नमक के कण का छिड़काव सूखी बर्फ जैसे ठंठा करने वाली रसायन का उपयोग किया जाता है। इन सभी पदार्थों को मिलाकर यांत्रिक विमान के द्वारा बादल के अंदर फैलाया जाता है, जिससे बादल के भीतर सूक्ष्म भौतिक प्रतिक्रिया होने लगती है जिससे कृत्रिम या आर्टिफिशियल बर्षा होती है। यह प्रकृति के साथ वैज्ञानिक खिलवाड़ कहा जा सकता है। आज इसी खिलवाड से खाड़ी देशों सहित विश्व भर असमय तूफानी वर्षा हो रही है। खाड़ी देशों की स्थिति मूसलाधार वर्षा से इतनी बिगड़ गयी कि लोगों का घर से निकल पाना भी मुस्किल हो गया बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई, चारों तरफ जल ही जल नज़र आने लगा रोड़ और घर पर खड़ी गाडिय़ां पानी में तैरने लगीं। असमय आर्टिफिशियल वर्षा खाड़ी देशों के बाद विश्व भर में फैल रहा है, प्राकृतिक आपदाओं से भरा दृश्य दिखाई दे रहा है।आर्टिफिशियल बारिश कोई खास नया तकनीकी नही है इस तरह की आर्टिफिशियल बारिश भारतीय वैज्ञानिकों ने भी कराई है। डालते हैं एक नजर – भारतीय वैज्ञानिकों ने महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आर्टिफिशियल बारिश कराई थी। दिल्ली में वर्ष 2002-03 में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आर्टिफिशियल बारिश कराने की तैयारी कर ली गयी थी। संयुक्त अरब अमीरात ने तपती गर्मी से निजात पाने के लिए द्रोन के माध्यम से बादलों को इलेक्ट्रिक चार्ज करके अपने यहां आर्टिफिशियल बारिश कराई थी। आर्टिफिशियल बारिश कराने के लिए वैज्ञानिकों की नयी तकनीकी बादलों को बिजली का झटका देकर बारिश कराई जाती है। इलेक्ट्रिक चार्ज से बादलों में घर्षण होती है जो प्रकृति के साथ खिलवाड़ ही होता है किन्तु बारिश होती है। विश्व के धनी देशों की लिस्ट में एक नाम आता है संयुक्त अरब अमीरात का। यहां के लोग गर्मी से परेशान रहते हैं। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि संयुक्त राज्य अरब अमीरात, ओमान और बहरीन में भारी बारिश हो गई। ‌आरोप लगाया जा रहा है कि नकली बारिश करने से बाढ़ और तबाही का सामना करना पड़ा है। ‌

आर्टिफिशियल बारिश पर एक विशेष रिपोर्ट नकली या कहें आर्टिफिशियल बारिश से मचा हाहाकार चारों तरफ बाढ़, कहीं ग्लोबल वार्मिंग के खतरे की अंतिम घंटी जलवायु परिवर्तन के कारण चारों ओर तेज गर्मी से इंसान और धरती झुलस रही है। रेगिस्तान में भी झमाझम बारिश और फिर बाढ़ जैसा मंजर बिते दिनों देखकर कांप गए लोग। क्या यह जलवायु परिवर्तन का भयावह रूप है! मनुष्य अब करने लगा है, प्रकृति के साथ छेड़छाड़! आने वाले समय में क्या दुनियां में गंभीर जलवायु परिवर्तन का सामना करना पड़ेगा। बढ़ती गर्मी और रेगिस्तान में बारिश का मंजर कहीं सूखा तो कहीं बाढ़। प्रकृति के साथ इंसान कर रहा है खिलवाड़। इसका क्या होगा परिणाम? इस विशेष रिपोर्ट में हम आपके सामने रखने जा रहे हैं।‌ दुबई में हुई बारिश, फिर बाढ़ जैसा भयावह दृश्य, जिसे पूरी दुनिया ने देखा, आखिर ऐसा कैसे हुआ? इस पर खास रिपोर्ट। मई का महीना चल रहा है और पूरी दुनिया में गर्मी तेजी से बढ़ रही है। संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, बहरीन में मौसम के बारे में, यहां साल भर गर्मी बनी रहती है लेकिन अप्रैल महीने में तेज बारिश के कारण चारों तरफ बाढ़ जैसा मंजर देखने को मिल चुका। इसके पीछे क्या वजह रही है जिससे पूरी दुनिया चौंक गई है। ‌दुबई की बड़ी-बड़ी इमारतें और चौड़ी चौड़ी सड़कें, यहां पर दौड़ती हुई कारें आखिरकार कैसे डूब गई बाढ़ में। इन शहरों में अचानक बारिश होने से पूरी सड़क और पूरा इलाका पानी से लबालब भर गया। सैलाब का यह सिलसिला आखिरकार इस रेगिस्तान शहर को पानी के शहर में बदल दिया। ‌संयुक्त अरब अमीरात में अप्रैल महीने भीषण बाढ़ से कुछ दिनों बाद 2 मई तड़के अबू धाबी और दुबई में फिर से भारी बारिश और तूफान ने दस्तक दी।‌ वैज्ञानिकों की माने तो यह सिलसिला अभी जारी रहेगा। ‌भारी बारिश के कारण उड़ाने रद्द कर दी गई। ‌एयरपोर्ट सर्विस बंद कर दी गई। दुबई प्रशासन की तरफ से सतर्क होने की एडवाइजरी जारी कर दी गई। रेगिस्तान के शहर में बारिश वाले भूरे बादल अचानक फिर से अपना कोहराम मचाना शुरू कर दिया और पूरा दुबई बाढ़ के गिरफ्त में आ गया। ‌ऊंची ऊंची बिल्डिंगें और चौड़ी चौडी़ सड़कें पानी से भर गई। चारों तरफ हाहाकार मच गया।

कहीं दुबई तो नहीं कर रहा है कुदरत के साथ खिलवाड़

आर्टिफिशियल वर्षा से खाड़ी देशों सहित विश्व के तमाम देश हुए तबाह

रेगिस्तान में बसा हुआ दुबई जैसा शहर जहां पिछले दिनों बारिश के कारण बाढ़ से कोहराम मच गया इसके पीछे कहीं प्रकृति के साथ खिलवाड़ तो नहीं है। बड़े-बड़े अमीर देश कुदरत के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूकते हैं। कहीं दुबई में ऐसा तो नहीं हुआ है कि कृत्रिम बारिश करा कर पूरी प्रकृति विनाश के कगार पर खड़ा कर दिया है। खबरें मिल रही है कि दुबई जैसे शहर में गर्मी से बचने के लिए कृत्रिम बारिश कराया गया है, जिसे क्लाउड सीडिंग कहा जाता है। आसमान में विमान द्वारा रासायनिक पदार्थ छोड़े जाते हैं। जिससे बादलों में नमी पैदा होती है और तेज बारिश होना शुरू हो जाती है। जिसका खौफनाक मंजर बाढ़ के रूप में दुबई जैसे शहरों में देखने को मिल रहा है। ‌आपको सबसे पहले बता दे कि दुबई की हालत इन दिनों बाढ़ से ग्रसित इलाके की तरह हो गया है। ‌अप्रैल महीने में बारिश होने के कारण चारों तरफ बाढ़ का मंजर पहले ही दिख चुका है। अब 2 मई को भी भारी बारिश हुई है। ‌मंगलवार यानी 2 मई को 142 मिली मीटर बारिश दुबई में दर्ज की गई है। जी हां एक दिन में 142 मिली मीटर बारिश दर्ज की गई है लेकिन ध्यान रहे कि पूरे साल भर में दुबई में 95 मिली मीटर बारिश भी बड़ी मुश्किल से हो पाती है। ‌ अचानक इतनी तगड़ी बारिश के पीछे क्या कारण है? कहीं कुदरत के साथ खिलवाड़ तो नहीं है! इसके बारे में पूरा खुलासा इस रिपोर्ट में हम करने जा रहे हैं।इसके साथ आपको यह जानकारी देना उचित समझते हैं कि UAE के अल-आइन अमीरात में तो सबसे ज़्यादा 250 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। अब आप इसी बात के अंदाजा लगा सकते हैं कि पिछले महीने से अब तक दुबई में इतनी बारिश हुई कैसे? कि पूरी दुबई डूब गई। अचानक बारिश होने के कारण हम खुलासा करने जा रहे हैं।

दुबई में हुई बारिश से क्या ग्लोबल वार्मिंग खतरे की घंटी

संयुक्त राज्य अरब अमीरात, ओमान और बहरीन तेज बारिश का कारण ग्लोबल वार्मिंग की खतरे की घंटी तो नहीं है। इन जगहों पर इतनी बारिश से कैसे हुई। जहां पानी की किल्लत और तेज गर्मी से लोग सहमे और डरे रहते हैं, जहां तेल से ज्यादा कीमती पानी है वहां इतनी बारिश होना हैरान करने वाली बात है।इतना अधिक भयानक खौफनाक बारिश का कारण एक तूफान है। ‌इसकी वजह एक बड़ा तूफ़ान है। जी हां आपने सही सुना वैज्ञानिक बताते हैं कि इस भारी बारिश का कारण एक बड़ा तूफान है।‌ लेकिन सवाल उठता है, क्या यह तूफान रेगिस्तान जैसे इलाके में अकेले तबाही मचा सकता है या फिर इंसानी दिमाग का कमाल है, नकली बारिश के कारण तूफान ने अपना विकराल रूप धारण कर लिया। इस रिपोर्ट में पूरी जानकारी हम सिलसिलेवार देते जा रहे हैं। यह तूफान अरब पेनिनसुला यानी अरब प्रायद्वीप से ओमान की खाड़ी की ओर जा रहा था। इस मौसमी चक्र की वजह से हवाओं में नमी आ गई।‌ इन बादलों ने अपना रास्ता बदल लिया और ओमान और दक्षिण पूर्व ईरान की ओर चली गई।जहां पर बारिश होना शुरू हुआ। ‌आपको बता दें कि मौसम के जानकार मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग की यह एक चेतावनी वाली अंतिम चरण की घटना है।‌ लेकिन हमारा फिर भी एक बड़ा सवाल है कि इस तूफान को उकसाने का काम नकली बारिश ने किया है। क्या दुबई और उसके आसपास के क्षेत्र में नकली बारिश इस तूफान को उकसाने का कारण बना है, आगे की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया जा रहा है। वैज्ञानिक भी मानते हैं दुबई में अचानक भारी बारिश और बाढ़ प्रकृति के साथ खिलवाड़ की खतरे की अंतिम घंटी है। ‌यानी कि यह घटना यह सबक सिखाती है कि अगर इसी तरह से प्रकृति के साथ खिलवाड़ होता रहा। तो यह भयानक रूप पूरे संसार को तबाही में बदल देगी। ‌ मौसम वैज्ञानिकों की माने तो यह घटना आने वाले समय में और परेशान करने वाली है। तेज तूफान के साथ तेज बारिश और फिर बाढ़ का मंजर इन देश में फिर देखने को मिल सकता है। ‌यह बदलते हुए मौसम यानी ग्लोबल वार्मिंग की एक बड़ी चेतावनी है। दुनिया के दूसरे वैज्ञानिक मानते हैं कि अरब कंट्री में इस तरह की बारिश प्रकृति के साथ जानबूझकर किया गया खिलवाड़ है। संयुक्त राज्य अरब अमीरात, ओमान और बहरीन के प्रशासन द्वारा कहीं नकली बारिश करा कर। पूरे प्रकृति को खतरे में तो नही डाल दिया है। क्योंकि पूरे जन जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। ‌इस महत्वपूर्ण पहलू पर हम आपके सामने अगले चरण में यह बात रखने जा रहे हैं।

इस पर एक रिसर्च भी बताती है कि संयुक्त राज्य अरब अमीरात, ओमान और बहरीन पर कराई गई ‌नकली बारिश के कारण वेदर क्लाइमेट चेंज हो गया है। इंपीरियल कॉलेज लंदन के Grantham Institute for Climate Change के मौसम वैज्ञानिक फ्रैडरिक ओटो ने संभावना जताई है कि ओमान और दुबई में विनाशकारी बारिश के पीछे नकली बारिश की घटना है। ‌इसे सरल शब्दों में समझे कि नकली बारिश के कारण क्लाइमेट चेंज हुआ है।यानी इंसानों की लापरवाही के कारण इस जगह पर तेज बारिश और बाढ़ के कारण लोगों का जीना दुर्लभ हो गया है।‌ नकली बारिश के कारण क्लाइमेट चेंज की यह घटना दुबई को ही नहीं प्रभावित कर रही है बल्कि हजारों किलोमीटर दूर के दायरे में भी यहां क्लाइमेट चेंज लोगों को परेशान करेगा। ‌जी हां वैज्ञानिक मानते हैं कि नकली बारिश के कारण क्लाइमेट चेंज की यह घटना इस रेगिस्तान के लिए सबसे खतरनाक है। इसे मानव जनित क्लाइमेट चेंज कहा जाता है जिसे मनुष्यों की लापरवाही कहा जा रहा है यानी दुबई और इन क्षेत्रों में नकली बारिश के कारण क्लाइमेट चेंज हुआ है जो सबसे बड़ा खतरा धरती के लिए है। ‌

कुदरत के साथ खिलवाड़ नकली बारिश क्लाउड सीडिंग

आर्टिफिशियल वर्षा से खाड़ी देशों सहित विश्व के तमाम देश हुए तबाह

अब आपको बता दे कि इंसानों द्वारा नकली बारिश का यह मामला दुबई में देखने को पहली बार मिल रहा है जिस कारण से बहुत तेज बारिश बाढ़ के रूप में चारों तरफ तबाही मचा रही है। दरअसल इसके पीछे इंसानों की लापरवाही है। दुबई प्रशासन पर क्लाउड कद को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। अगर हजारों किलोमीटर दूर कहीं क्लाउड सीडिंग यानी नकली बारिश करने की घटना होती है तो इसका असर हजारों किलोमीटर दूर तक प्रकृति पर पड़ता है। जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ेगा।कई जानकार मानते हैं कि दुबई में हुई अचानक नकली बारिश यानी क्लाउड सीडिंग का ही परिणाम है। हालांकि दुबई प्रशासन इस बात से इनकार कर रहा है कि उन्होंने किसी तरह की क्लाउड सीडिंग करके बारिश कराई है। लेकिन इसी बीच हम आपको एक असलियत और बता दे मौसम विभाग के एक विशेषज्ञ अहमद हबीब ने ब्लूमबर्ग न्यूज़ को बताया कि क्लाउड सीडिंग के लिए बने विशेष विमानों ने बीते दो दिनों में संयुक्त अरब अमीरात के ऊपर क्लाउड सीडिंग के लिए छह बार उड़ान भरी थी।

आर्टिकल निष्कर्ष

क्लाउड सीडिंग का यह एक बड़ा सबूत सामने नजर आ रहा है।‌ बरहाल हम आपको यह बताना चाहते हैं कि दुनिया में क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी वजह नकली बारिश और कुदरत के साथ इंसानों का खिलवाड़ भी जिम्मेदार है। कहीं भी किसी तरह का नकली बारिश अधिक कार्बन उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग को उत्तेजित करने वाला खतरा बनेगा जो हजारों किलोमीटर की दायरे में लोगों को प्रभावित करेगा इसलिए दुनिया के देशों को एकजुट होकर ग्लोबल वार्मिंग के होने वाले करणों से लड़ने की पहल करनी होगी। तभी यह धरती भविष्य में बच पाएगी। वर्ना मौजूदा स्थिति क्या है कि चारों तरफ ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के कारण धरती विनाश की ओर बढ़ती जा रही है। इसे रोकने का प्रयास हर देश की सरकार को ईमानदारी से करना चाहिए।

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