उत्तर प्रदेश देवरिया। BIOGRAPHY OF JANNAT विधानसभा भाटपार रानी के ग्राम सभा भठवा तिवारी की बेटी जन्नत jannat ने अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत से वह कर दिखाया है, जो कई लोगों का सपना होता है। जन्नत ने साउथ कजाकिस्तान से एम.बी.बी.एस. की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद भारत में आयोजित FMGE (Foreign Medical Graduate Examination) पास कर चिकित्सा क्षेत्र में अपना नाम दर्ज कर लिया। यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि पूरे गांव और क्षेत्र के लिए भी प्रेरणा है।

BIOGRAPHY OF JANNAT
JANNAT जन्नत की पारिवारिक पृष्ठभूमि
साधारण परिवार से असाधारण सफलता तक का सफर।
डॉ. जन्नत का संबंध एक साधारण लेकिन सम्मानित परिवार से है। उनके पिता मैनुद्दीन अंसारी भठवा तिवारी गांव के एक प्रतिष्ठित नागरिक हैं, जो अपनी ईमानदारी और मेहनत के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी बेटी की शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया, भले ही इसके लिए उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा हो।
उनकी माता एक गृहिणी हैं, जो अपने परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते हुए हमेशा अपनी बेटी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहीं। जन्नत के माता-पिता ने अपनी सीमित आय और संसाधनों के बावजूद, यह सुनिश्चित किया कि उनकी बेटी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और वह अपने सपनों को पूरा कर सके।
भाई-बहनों और परिवार का सहयोग –
जन्नत अपने परिवार में सबसे छोटी हैं। उनके बड़े भाई-बहन भी पढ़ाई और अपने क्षेत्रों में सक्रिय हैं। पूरा परिवार हमेशा से एकजुट रहा है और जन्नत की शिक्षा और करियर में उनका हर कदम पर समर्थन किया है।
उनके बड़े भाई, जो गांव में सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं, ने जन्नत की पढ़ाई के लिए मार्गदर्शन किया। वहीं, उनकी बहनें भी परिवार की प्रेरणा का स्त्रोत बनीं और जन्नत के लिए प्रेरणादायक साबित हुईं।
गांव और समाज का प्रभाव – jannat का परिवार भठवा तिवारी गांव में सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करता है। ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी जन्नत ने अपनी मेहनत और लगन से यह दिखा दिया कि साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले लोग भी असाधारण सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
उनके पिता ने बताया कि जन्नत को बचपन से ही पढ़ाई में गहरी रुचि थी। वह हमेशा से एक डॉक्टर बनने का सपना देखती थीं और इसके लिए उन्होंने पूरी निष्ठा से मेहनत की। जन्नत की इस उपलब्धि ने उनके परिवार और गांव को गर्व से भर दिया है।
परिवार का योगदान: सफलता की नींव
जन्नत की सफलता के पीछे उनके परिवार का बड़ा योगदान रहा है। उनके माता-पिता ने अपनी सीमित आय में भी कभी जन्नत की शिक्षा में कोई कमी नहीं आने दी। उन्होंने बताया कि जन्नत की मेहनत और लगन को देखकर उन्होंने हमेशा उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
उनके पिता ने कहा, “हमने अपनी बेटी के सपनों को कभी छोटा नहीं समझा। हमें गर्व है कि हमारी बेटी ने जो सोचा, वह कर दिखाया। वह आज हमारी नहीं, बल्कि पूरे गांव और समाज की बेटी बन गई है।”
सामाजिक प्रेरणा का केंद्र – जन्नत की सफलता ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे गांव को प्रेरित किया है। अब गांव के अन्य बच्चों और उनके माता-पिता में यह विश्वास जगा है कि मेहनत और शिक्षा के बल पर हर सपना साकार किया जा सकता है।
जन्नत का यह सफर एक साधारण पृष्ठभूमि से असाधारण सफलता तक का प्रतीक है। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि सपने किसी भी परिस्थिति में देखे जा सकते हैं और उन्हें पूरा करने का जुनून ही असली सफलता की कुंजी है।
FMGE: एक चुनौतीपूर्ण परीक्षा
FMGE (विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा) भारत में उन छात्रों के लिए अनिवार्य है, जिन्होंने विदेश से चिकित्सा की पढ़ाई की है। यह परीक्षा बेहद कठिन मानी जाती है, और इसे पास करना बड़ी उपलब्धि होती है। जन्नत ने इस परीक्षा को अपने पहले ही प्रयास में पास किया, जो उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिभा को दर्शाता है।
परिवार में खुशी का माहौल है, जन्नत की इस उपलब्धि से उनके परिवार में उत्साह और गर्व का माहौल है।
उनके पिता मैनुद्दीन अंसारी ने कहा, “हमारी बेटी ने जो हासिल किया है, वह पूरे परिवार और गांव के लिए गर्व की बात है। यह उसकी मेहनत और लगन का नतीजा है।” जन्नत के माता-पिता ने हमेशा उसकी पढ़ाई को प्राथमिकता दी और हर संभव सहयोग प्रदान किया।
क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों ने दी बधाई –
जन्नत की इस उपलब्धि पर क्षेत्र के लोग भी उत्साहित हैं। बधाई देने वालों में कई प्रमुख नाम शामिल हैं, पूर्व विधायक डॉ. आशुतोष उपाध्याय (बबलू), पूर्व ब्लाक प्रमुख ब्यास यादव, फजले मसूद, मो. आरिफ, डॉ. जावेद, डॉ. सेराज, मोनू सिंह, सहाबुद्दीन, ऐकूफ आलम, ऐनुल्लाह अंसारी (देवरिया), खुर्शीद आलम, धीरेन्द्र चौबे, सेराज आलम, विनोद आदि लोगों ने जन्नत को बधाई दी और उनकी उपलब्धि को क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा बताया।

जन्नत का सफर: मेहनत और लगन का प्रतीक
जन्नत का सफर साधारण पृष्ठभूमि से शुरू हुआ। एक छोटे से गांव में पली-बढ़ी जन्नत ने अपने सपनों को साकार करने के लिए कठिन परिश्रम किया। सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई में पूरी लगन से जुटी रहीं।
साउथ कजाकिस्तान में एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए लगातार मेहनत की। उनकी यह सफलता यह संदेश देती है कि अगर किसी के पास मजबूत इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।
जन्नत का संदेश: हर सपना संभव है
जन्नत ने अपनी सफलता पर खुशी जताते हुए कहा, “यह सफलता केवल मेरी नहीं है, यह मेरे माता-पिता, शिक्षकों और उन सभी लोगों की है, जिन्होंने मुझे प्रेरित किया। मेरा मानना है कि सपने देखना और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करना सबसे जरूरी है। मैं अपने क्षेत्र के युवाओं को यही संदेश देना चाहती हूं कि खुद पर विश्वास करें और कभी हार न मानें।”

आगे की योजना: चिकित्सा सेवा में योगदान
जन्नत का कहना है कि उनकी इस सफलता का असली उद्देश्य लोगों की सेवा करना है। वह चाहती हैं कि भारत के गांवों और दूर-दराज के इलाकों में बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। उन्होंने कहा, “मेरी प्राथमिकता जरूरतमंदों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की है। मैं अपने गांव और क्षेत्र के लिए भी कुछ ऐसा करना चाहती हूं, जिससे यहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।”
परिवार और गांव के लिए गर्व का क्षण
जन्नत के इस सफर ने उनके परिवार को गर्व से भर दिया है। उनके माता-पिता ने कहा कि यह उनकी बेटी की मेहनत और ईमानदारी का परिणाम है। पूरे गांव के लोग जन्नत की इस उपलब्धि को गर्व के साथ देख रहे हैं।
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सपनों को साकार करने की प्रेरणा
जन्नत की कहानी यह बताती है कि बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना जरूरी है। उनके इस सफर से क्षेत्र के युवा सीख सकते हैं कि कैसे मुश्किल परिस्थितियों में भी मेहनत और लगन से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
जन्नत का यह सफर प्रेरणा का प्रतीक है। उनकी सफलता न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे समाज के लिए एक मिसाल है।
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