पांच किलो free ration जैसी योजनाएं देश में कमजोर वर्गों के लिए जीवनरेखा साबित हो रही हैं। हालांकि, इस सुविधा के फायदे के साथ-साथ बहुत बड़ा नुकसान भी हैं जो व्यापक अर्थव्यवस्था और समाज पर प्रभाव डालते हैं। आइए, इस विश्लेषणात्मक लेखनी में- भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी द्वारा गहराई से समझते हैं।
मुफ़्त राशन योजना के फायदे
मुफ़्त राशन योजना के नुकसान
मुफ़्त राशन योजना के फायदे
1. गरीब और निम्न आय वर्ग को राहत
2. कोविड और आपदाओं में सहारा
3. शहरी व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहायता
4. सामाजिक सुरक्षा का एहसास
मुफ़्त राशन योजना के नुकसान
1. आत्मनिर्भरता में कमी
2. राजनीतिक उपयोग
3. सरकारी वित्तीय भार
4. स्थानीय बाजारों पर असर
5. भ्रष्टाचार और बर्बादी
6. पोषण और विविधता की कमी
free ration मुफ़्त राशन योजना के फायदे
गरीब और निम्न आय वर्ग को राहत
भोजन की गारंटी योजना के अंतर्गत गरीब परिवार, खासकर दिहाड़ी मजदूर और ग्रामीण वर्ग, को भोजन के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता है।
महंगाई का सामना करने में मुफ़्त की रेवड़ी युक्त राशन से मदद मिल रही है। जब अनाज मुफ्त मिलता है, तो परिवार की अन्य जरूरतों जैसे कपड़ा, शिक्षा, दवा पर खर्च करने के लिए पैसे बचते हैं।
मुफ़्त राशन से भुखमरी पर रोक लगी हुई है। यह योजना भुखमरी और कुपोषण जैसी गंभीर समस्याओं को कम करने में सहायक है।
कोविड और आपदाओं में सहारा
कोविड-19 के दौरान, जब लोग बेरोजगार हो गए थे, कर-कारखाने बंद हो गए। राशन कार्ड धारकों को मुफ़्त राशन योजना ने लाखों परिवारों को भूखा मरने से बचाया।
प्राकृतिक आपदाओं के समय मुफ़्त राशन योजना गरीबों के लिए बड़ी राहत है।
शहरी व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहायता
शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जहां जिन परिवारों की आय सीमित है, वहां राशन जैसी योजनाएं सामाजिक संतुलन बनाए रखी है। किन्तु यह स्थाई समाधान नही है न ही यह मुफ्त राशन योजना जन हित में लाभकारी है न ही देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में। मुफ़्त की राशन से देश का विकास संभव नहीं है न ही रोजगार गारंटी योजना को पूरा करने में मदद मिलेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के मुफ़्त राशन के जगह रोजगार की आवश्यकता है।
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सामाजिक सुरक्षा का एहसास
यह योजना गरीब जनता को विश्वास दिला रही है कि सरकार उनके साथ है और उनकी मूलभूत जरूरतों का ध्यान रख रही है। इस योजना के दूरगामी परिणाम का गरीब बेरोजगार जनता को अंदाजा नही है। आज इस लेख में वो बताने जा रहे हैं जिसे जानकर इस मुफ़्त राशन योजना पर आश्रित लोगों के पैर तले जमीन खिसक जायेगी। अंत तक बने रहिए निस्पक्ष कलम के साथ और विचार किजिए यह मुफ्त राशन योजना कहाँ तक आप व देश हित में फायदेमंद है। जानिए अब मुफ़्त राशन योजना के नुकसान।
free ration मुफ़्त राशन योजना के नुकसान

free ration: जनता पर प्रभाव, फायदे और नुकसान
free ration आत्मनिर्भरता में कमी
मुफ्त राशन पर निर्भरता ने तमाम लोगों को मेहनत करने की प्रवृत्ति से दूर कर दिया है। लोग रोजगार के बजाय मुफ्त राशन को प्राथमिकता देने लगे हैं, जिससे आर्थिक उत्पादन घटता है। रुपये और डाॅलर में बढ़ता अंतर जीता जागता उदाहरण है। अगर मुफ़्त का राशन देने की जगह सरकार रोजगार का सृजन कि होती तो न लोग बेरोजगार हुए होते न दूसरे देशों पर निर्भरता होती आवश्यकता से अधिक उतपादक वस्तुओं को अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में बेचने का अवसर होता और देश में बिदेशी मुद्रा का आगमन बना होता जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती।
free ration राजनीतिक उपयोग
मुफ्त राशन जैसी योजनाओं का कई बार राजनीतिक दल चुनाव जीतने के साधन के रूप में उपयोग करते हैं, जिससे विकास और सशक्तिकरण के दीर्घकालिक समाधान पर ध्यान नहीं जाता। राशन योजना पुरानी व्यवस्था है पहले की सरकारें जरूरत मंदो को सस्ते दर पर राशन उपलब्ध करा रही थी जिससे सरकारी कोष पर ज्यादा भार नहीं पड़ता था। अब किसानों से खरीदी गई फसल को सरकार मुफ़्त में दे रही है जिससे सरकारी कोष का मोटा रकम मुफ़्त में खर्च होता है।
जरुरतमंद तो उपयोग करते हैं किन्तु जिन लोगों के पास घरेलू राशन उपलब्ध है वो आधे-टूके दामों पर बाजार में बेच रहे हैं जिससे किसानों को अपने फसल का उचित मूल्य दिलाने में सरकार नाकाम साबित हुए है।
free ration सरकारी वित्तीय भार
मुफ्त राशन योजनाएं सरकार पर भारी वित्तीय बोझ डालती हैं। इन योजनाओं के कारण अन्य क्षेत्रों, जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर खर्च कम हो रहा है। वोट बैंक की राजनीति में कोविड 19 के दौरान लागू की गई मुफ़्त राशन योजना सरकार के वित्तीय बोझ को बढ़ा रही है। सरकार महंगाई पर नियंत्रण करने में इस योजना को संचालित करते हुए कभी भी सफल नहीं हो पायेगी।
आपको बता दें कि जब सरकार मुफ़्त राशन के साथ मुफ़्त नमक का वितरण शुरू की उससे पहले दसों साल से नमक का रेट लगभग 15 – 17 चल रहा है जो नही बढ़ाया गया था। मुफ़्त राशन में नमक को देने के बाद नमक का आज तीस रुपये पहुंच गया है। अंदरूनी डील को सार्वजनिक करना उचित नहीं है समझदार ब्यक्ति यहां समझ सकते हैं।
स्थानीय बाजारों पर असर
स्थानीय व्यापारियों और किराना दुकानदारों की बिक्री घट जाती है, क्योंकि लोग फ्री राशन पर निर्भर हो जाते हैं। इसका परिणाम छोटे और मझोले व्यापारों पर नकारात्मक असर के रूप में होता है। किसानों को अपने फसल में मुख्य रूप से गेहूं धान का उचित मूल्य नही मिल पा रहा है। जब सरकार तमाम टेक्स से प्राप्त धन को गेहूं धान की खरीद में लगाकर मुफ़्त में बांटने का काम करेगी तो किसानों को अपने पैदावार का उचित मूल्य कैसे मिलेगा।
भ्रष्टाचार और बर्बादी free ration
मुफ्त राशन वितरण में अक्सर गड़बड़ी, कालाबाजारी और भ्रष्टाचार होता है। कोटेदार घटतौली का हवाला देते हुए पांच किलो के जगह चार किलो तक राशन कार्ड धारकों को खुलेआम या घटतौली के माध्यम से देता है। सरकार चोरी रोकने की कोशिश तो करती है लेकिन उसका काट साथ मे ही तैयार हो जाता है।
राशन पास मशीन से पास कराने के लिए अलग-अलग बोरी या डिब्बों में राशन तौल कर कार्डधारियों का राशन पास किया जा रहा है उसके बाद घटतौली के साथ तौल कर दिया जा रहा है। कुछ लोग जरूरत से ज्यादा राशन ले लेते हैं, मतलब जिन्हें राशन की आवश्यकता नहीं वो कम दामों पर बेच रहे हैं जिससे अन्य जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता जो वास्तव में मुफ़्त राशन के हकदार हैं।
पोषण और विविधता की कमी
free ration में केवल अनाज (चावल और गेहूं) मिलता है, जबकि प्रोटीन, विटामिन, और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की कमी रहती है। इससे कुपोषण जैसी समस्याएं बनी रहती हैं। अन्य आवश्यकता की पूर्ति के लिए उन मुफ़्त की राशन पर निर्भर लोगों को बड़ी मस्कट करनी पड़ रही है क्योंकि रोजी-रोजगार का कोई अवसर नही रह गया है।
क्या यह दीर्घकालिक समाधान है?

निर्भरता बनाम सशक्तिकरण
मुफ्त राशन तत्काल राहत देता है, लेकिन यह आत्मनिर्भरता और रोजगार के अवसर पैदा नहीं करता। दीर्घकालिक समाधान के लिए कौशल विकास, रोजगार सृजन, और आय वृद्धि पर ध्यान देना होगा। जब तक सरकार रोजी-रोजगार पर ध्यान नहीं दे रही है देश की आर्थिक स्थिति चिंताजनक हालात और भगवान भरोसे ही चलता रहेगा।
जिस समय सरकार अपने कोष से गेहूं धान की खरीदारी कर राशन मुफ़्त में बाटना बंद कर देगी, बेरोजगारी की इस हालात में मुफ़्त के राशन पर निर्भर भारतीयों की स्थिति श्रीलंका से कम नज़र नहीं आयेगी। तब किसान अपने लागत का उचित मूल्य लेकर बाजार में बेचेगा और बेरोजगारी के आलम में लोग खरीद पाने में असमर्थ होगें क्योंकि आय का श्रोत नही बन पा रहा है।
सरकारी वित्तीय संसाधनों का उपयोग
फ्री राशन पर खर्च किए गए भारी धन को अगर ग्रामीण विकास, कृषि सुधार, और छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने में लगाया जाए, तो गरीबों को स्थायी समाधान मिल सकता है। लेकिन सरकार गरीब लोगों को अपंग बनाते हुए मुफ़्त का राशन दे अपने पर निर्भर करती जा रही है ताकि मुफ़्त में राशन के नाम पर गरीबों का वोट मिलता रहे।
पोषण में सुधार की जरूरत
जब मुफ़्त की रेवड़ी ही बांटनी है और लोगों को अपंग ही बनाने पर सरकार तूली हुई है तो राशन में सिर्फ अनाज के बजाय दाल, तेल, और पोषक तत्वों को भी शामिल किया जाना चाहिए। ताकि समुचित आहार लोगों को उपलब्ध हो सके और कुपोषण से बचाया जा सके।
फायदे और नुकसान का संतुलन
मुफ़्त राशन योजना उन गरीबों के लिए जीवनदायिनी है, जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। यह भुखमरी और गरीबी को कम करने में प्रभावी है। लेकिन, दीर्घकालिक दृष्टि से यह आत्मनिर्भरता को हानि पहुंचा रही है और सरकारी वित्तीय संसाधनों पर बोझ बढ़ा रही है। देश में महंगाई का एक अहम कारण भी है और देश की आर्थिक स्थिति चिंताजनक हालात में पहुचाने का एक जरिया भी है।
इसलिए, सरकार को मुफ़्त राशन के साथ-साथ रोजगार सृजन, कौशल विकास और पोषण सुधार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि समाज आत्मनिर्भर बन सके और अर्थव्यवस्था मजबूत हो।
मुफ़्त राशन लेखनी पर आपका विचार क्या है
क्या आपको लगता है कि मुफ़्त राशन योजना को और बेहतर तरीके से लागू किया जा सकता है? या आने वाले समय में बंद कर भारत मे भी श्रीलंका वाली स्थिति पैदा की जा सकती है ताकि लोग गृह युद्ध में फंसे और खाने बगैर मृत्यु को प्राप्त हों। अपने सुझाव हवाटएप्स 7379622843 पर या नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हमारे साथ साझा करें। समाज और सरकार के हित में विचारणीय यह लेखनी अच्छी लगी हो तो अधिक से अधिक पढ़िए शेयर किजिये। ताकि समय रहते स्थाई समाधान के रास्ते पर सरकार को चलने के लिए मजबूर होना पडे़।
मुफ़्त राशन योजना के फायदे 1. गरीब और निम्न आय वर्ग को राहत 2. कोविड और आपदाओं में सहारा 3. शहरी व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहायता 4. सामाजिक सुरक्षा का एहसास | मुफ़्त राशन योजना के नुकसान 1. आत्मनिर्भरता में कमी 2. राजनीतिक उपयोग 3. सरकारी वित्तीय भार 4. स्थानीय बाजारों पर असर 5. भ्रष्टाचार और बर्बादी 6. पोषण और विविधता की कमी |
क्या यह दीर्घकालिक समाधान है? 1. निर्भरता बनाम सशक्तिकरण 2. सरकारी वित्तीय संसाधनों का उपयोग 3. पोषण में सुधार की जरूरत | फायदे और नुकसान का संतुलन मुफ़्त राशन लेखनी पर आपका विचार क्या है: |