ऑनलाइन, ऑफलाइन शिक्षा एक दूसरे के पूरक!

Amit Srivastav

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परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन
विद्यालय सहित कामर्शियल शिक्षा ज्यादातर ऑनलाइन चल रही है। कोरोना-संक्रमण के समय यह वैकल्पिक व्यवस्था है। 100% शिक्षा ऑनलाइन तरीके से नहीं दी जा सकती है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि ऑफलाइन माध्यम से शिक्षा महत्वपूर्ण है। शिक्षक और छात्र जब ऑफलाइन कक्षा में आमने-सामने होते हैं तो अध्यापक छात्र की अनेक कठिनाइयों को बेहतर तरीके से समझता है। छात्र की कठिनाइयों का समाधान उसी समय शिक्षक कर सकता है। ऑनलाइन व्यवस्था में इतना कारगर नहीं हो पाता है। खास तौर पर छोटे बच्चों को शिक्षा देने में कठिनाइयां आती हैं, जो ऑनलाइन-शिक्षा में स्वयं को असहज महसूस करते हैं। लेकिन ऑफलाइन-शिक्षा के  दौरान बच्चे कक्षा में जब अपने शिक्षक से जुड़ते हैं तो शिक्षक का व्यक्तित्व बच्चों को प्रभावित करता है। बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित करता है। कक्षा में दूसरे सहपाठियों के साथ पढ़ाई करने से सामाजिक शिष्टाचार भी बच्चों में आता है।
ऑनलाइन, ऑफलाइन शिक्षा एक दूसरे के पूरक!
हमें इस बात को समझना चाहिए कि पढ़ाई केवल इंफॉर्मेशन ही नहीं है। बच्चे को केवल जानकारी दे दी और शिक्षा समाप्त हो गया। ‘शिक्षा’ शब्द का अर्थ है कि बच्चे को अनुशासन सिखाना और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने की उसकी क्षमता का विकास करना भी होता है। इसी में प्रोफेशनल शिक्षा और स्किल वाली शिक्षा भी दी जाती है। नए जमाने का अनुसार शिक्षा का तरीका और पाठ्यक्रम भी बदलता रहता है। जैसे आज संचार क्रांति का युग है। न्यू ज्ञान हासिल करने का समय है। लेकिन शिक्षा की जो बुनियादी उद्देश्य सभ्य नागरिक बनाना उसको भी हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। स्कूलों में ऑफलाइन-शिक्षा पारंपरिक तरीके से दी जाती रही है और उसमें समय-समय पर अत्याधुनिक तकनीक द्वारा बदलाव होता रहा है। लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद जब ऑफलाइन कक्षाएं स्कूलों में चल नहीं सकती थी तो इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि ऑनलाइन शिक्षा रीढ़ की हड्डी की तरह शिक्षा की व्यवस्था को बनाए रखी है। लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि केवल ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से हम बच्चों को पूरी तरीके से शिक्षित नहीं कर सकते हैं। हां यदि हमें कुछ सीखना है या कोई जानकारी प्राप्त करना है तो ऑनलाइन माध्यम से हम ट्यूटोरियल के जरिए सीख सकते हैं। जैसा कि आजकल यूट्यूब के माध्यम से यह चलन बढ़ गया है, लोग नई-नई तरीके की जानकारियां और स्किल भी सीख रहे हैं। डिजिटल मार्केटिंग, ई कॉमर्स, बैंकिंग, ऑनलाइन लेखन आदि की जानकारी से संबंधित स्किल ऑनलाइन अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से लोग सीख भी रहे हैं और कमाई भी कर रहे हैं।
ऑनलाइन, ऑफलाइन शिक्षा एक दूसरे के पूरक!

ऑफलाइन शिक्षा महत्वपूर्ण क्यों?

ऑफलाइन शिक्षा के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। गुरु अपने शिष्य को भावी जीवन के संघर्ष के लिए तैयार करता है। गुरु एक मेंटर की भूमिका में होकर बच्चे के व्यक्तित्व को विकसित करने में बड़ी भूमिका निभाता है। जिस तरह से एक मनोवैज्ञानिक जब तक किसी व्यक्ति से मिलता नहीं तब तक उसके मन की बात को नहीं समझ सकता, बिलकुल उसी तरह से गंभीर बीमारी से पीड़ित रोगी का इलाज डॉक्टर के उपस्थिति में ही हो पाता है। ठीक उसी तरीके से एक अध्यापक भी बच्चों को बेहतर तरीके से उसके संपूर्ण व्यक्तित्व को उसके साथ रहकर ही निखार सकता है। इसके लिए स्कूल में पढ़ाई व्यवस्था यानी ऑफलाइन शिक्षा जरूरी होती है।

आनलाईन और आफलाइन शिक्षा एक सिक्के के दो पहलू 

ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा एक दूसरे के पूरक हो सकते हैं लेकिन आज के समय में यदि मान ले कि केवल ऑनलाइन शिक्षा के बलबूते पर ही बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था को खड़ा किया जा सकता है तो यह सबसे बड़ी भूल होगी क्योंकि ऑफलाइन शिक्षा का भी महत्व है। इंसान सामाजिक प्राणी है, उसे ऑनलाइन तरीके से पूरा जीवन नही बिताना है। जब ऑनलाइन तरीके से रहकर पूरा जीवन नहीं बिता सकता है तो केवल ऑनलाइन शिक्षा के बल पर वह समाज में कैसे एक अच्छा नागरिक बन सकता है, यह सोचने वाली बात है?
यहां एक बात स्पष्ट कर दूं कि आफलाइन शिक्षा में भी कुछ कमियां हो सकती हैं, जिसे डिजिटल लर्निंग के द्वारा दूर किया जा सकता है। लेकिन केवल ऑनलाइन शिक्षा संपूर्ण शिक्षा नहीं होती है, यह भी जानना जरूरी है। ऑफलाइन शिक्षा के माध्यम से छात्र एक ऐसे सामाजिक वातावरण में आता है, जहां पर व अन्य बच्चों के साथ समय बिताता है। कक्षा में छात्र जब दूसरे छात्रों के साथ होता है तो कई ऐसे मानवीय गुण उसमें विकसित होते हैं जिसे ऑनलाइन कक्षा कभी भी विकसित नहीं कर सकता। मित्रता करना, किसी चीज को साझा करना, दया करुणा जैसी भावनाओं का विकास भी बच्चों में तेजी से होता है। अलग-अलग परिवेश और समाज से आए हुए बच्चों के बीच आपसी सामंजस्य और मित्रता जैसे गुणों का विकास होता है। हमारा देश अलग-अलग संस्कृति रीति-रिवाजों का देश है, विद्यालय पहली सीढ़ी होती है, जहां पर परिवार से अलग हटकर बच्चे सामाजिकता सीखते हैं।
ऑफलाइन और ऑनलाइन लर्निंग 
विद्यालयी शिक्षा में एक पूरे सत्र में ई-लर्निंग तभी कारगर है, जब 75% कक्षाएं ऑफलाइन स्कूल में संचालित हो। स्मार्ट क्लास कक्षा होनी जरूरी है। 25% पढ़ाई  आनलाइन लर्निंग के माध्यम से भी की जा सकती है।
 

प्रोजेक्ट वर्क क्रियात्मक शिक्षा 

प्रोजेक्ट वर्क, क्रियात्मक शिक्षा का महत्व केवल परीक्षा में पूछे गए प्रश्न का उत्तर लिख देने भर से पास और फेल वाली प्रणाली भी खत्म हो जानी चाहिए। लिखित परीक्षा का अधिभार 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। स्कूली शिक्षा में प्रैक्टिकल, असाइनमेंट, प्रेजेंटेशन मौखिक मूल्यांकन, सब्जेक्ट स्किल आदि की एक्टिविटी एजुकेशन यानी क्रियात्मक शिक्षा होनी चाहिए और इसके आधार पर 50% मूल्यांकन ईमानदारी के साथ होना चाहिए।
असल में शिक्षा व्यवस्था केवल ऑनलाइन कर समस्या का समाधान नहीं मिल जाता है। जब तक नए जमाने के अनुसार शिक्षा मूल्यांकन प्रणाली को विकसित नहीं किया जाएगा तब तक उस पुरानी मूल्यांकन पद्धति में ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था और ऑफलाइन शिक्षण-व्यवस्था कारगर नहीं हो पाएगी क्योंकि स्थितियां  कोरोना-संक्रमण के कारण ऑनलाइन शिक्षा के बाद बहुत बदल गई हैं। लेकिन शिक्षा व्यवस्था स्वयं को व्यवस्थित भी नहीं कर पाई है।
क्योंकि शिक्षा, रोजगार जैसे मुद्दे राजनीति में हाशिए पर रख दिए जाते हैं। तो निश्चित ही इस पर आम लोग चर्चा ही नहीं कर पाते हैं। नई शिक्षा-नीति से बहुत उम्मीदें हैं परंतु जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराना और तीव्र गति से काम होना बाकी है। नए पाठ्यक्रम तैयार करना और एक देश एक पाठ्यक्रम लागू करने की योजना भी बनाना जरूरी है। बेहतरीन शिक्षा सभी बच्चों को समान रूप से मिलना चाहिए। इसलिए एक बड़े बदलाव के लिए शिक्षा प्रणाली के साथ ऑनलाइन शिक्षा की जरूरतों के साथ ऑफलाइन शिक्षा के महत्व को भी रेखांकित करना जरूरी है। 

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