नाव की तली ‘नीचे हिस्से’ में जामुन की लकड़ी क्यों लगाते हैं? जबकि हम सबको पता है जामुन की लकड़ी बहुत कमजोर होती है। क्या आप जानते हैं भारत की विभिन्न नदियों में यात्रियों को एक किनारे से दूसरे किनारे पर ले जाने वाली नाव की तली में जामुन की लकड़ी क्यों लगाई जाती है? सवाल यह भी है जो जामुन पेट के रोगियों के लिए एक घरेलू आयुर्वेदिक औषधि है, जिसकी लकड़ी से दांतो को कीटाणु रहित और मजबूत बनाने वाली दातुन बनती है, उसी जामुन की लकड़ी को नाव की निचली सतह पर क्यों लगाया जाता है? वह भी यह जानते हुए जामुन की लकड़ी बहुत कमजोर होती है। मोटी से मोटी लकड़ी को हाथ से तोड़ा जा सकता है। नदियों का पानी पीने योग्य कैसे बनी रहती है? बहुत कम लोग जानते हैं कि जामुन की लकड़ी एक चमत्कारी लकड़ी है। यह पानी के अंदर रहते हुए सड़कर खराब नहीं होती बल्कि इसमें एक चमत्कारी गुण भी होता है। यदि इसे पानी में डूबा दिया जाए तो यह पानी का शुद्धिकरण करती है और पानी में कचरा जमा होने से रोकती है। कितना आश्चर्यजनक है कि हम जिन पूर्वजों को अनपढ़ मानते हैं उन्होंने नदियों को स्वच्छ बनाए रखने और नाव को मजबूत बनाए रखने का कितना असरकारी समाधान निकाला।
आपके घर में जामुन की लकड़ी का उपयोग- यदि आप अपनी छत पर पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी डाल देते हैं तो आप के पानी में कभी काई नहीं जमेगी। 700 साल तक पानी का शुद्धिकरण होता रहेगा। आपके पानी में एक्स्ट्रा मिनरल्स मिलेंगे और उसका टीडीएस बैलेंस बना रहेगा। यानी कि जामुन हमारे खून को साफ करने के साथ-साथ नदी के पानी को भी साफ करता है और प्रकृति को भी साफ रखता है। हमेशा याद रखिएगा कि दुनियाभर के तमाम राजे रजवाड़े और वर्तमान में अरबपति रईस जो अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंता करते हैं। जामुन की लकड़ी के बने गिलास में पानी पीते हैं। इस पृथ्वी पर ही वो सारे दृब्य औषधियों की खान है जो हमारे ऋषि मुनियों को हजारों-हजार साल स्वस्थ और प्रगतिशील रखा आज हम से कहीं अधिक बुद्धिमान हमें पूर्वज नज़र आज भी आ रहे हैं जिन्हें इस सब औषधियों के गुण दोष का ज्ञान था। हमारे पूर्वजों द्वारा दिया गया ज्ञान आज भी गुणकारी है। हमारा दायित्व है पूर्वजों से पायीं गई जानकारी को पीढ़ी दर पीढ़ी बताएं और उसका लाभ स्वयं के साथ-साथ आगे पीढ़ी को भी प्रदान करें।