सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। ये उद्यम न केवल बड़े पैमाने पर रोजगार प्रदान करते हैं बल्कि राष्ट्रीय आय और निर्यात में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। MSME सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने विभिन्न योजनाओं और नीतियों का संचालन किया है।
जानिए भिन्न-भिन्न सरकारी योजनाओं को amitsrivastav.in टीम के साथ भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के वंशज संपादक अमित श्रीवास्तव की कलम से।
MSME की परिभाषा:

भारत में MSME की परिभाषा को समय-समय पर संशोधित किया गया है। वर्तमान में MSME को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है:-
सूक्ष्म उद्यम (Micro Enterprises):
जिनका निवेश 1 करोड़ रुपये से कम और वार्षिक कारोबार 5 करोड़ रुपये से कम होता है।
लघु उद्यम (Small Enterprises):
जिनका निवेश 10 करोड़ रुपये से कम और वार्षिक कारोबार 50 करोड़ रुपये से कम होता है।
मध्यम उद्यम (Medium Enterprises):
जिनका निवेश 50 करोड़ रुपये से कम और वार्षिक कारोबार 250 करोड़ रुपये से कम होता है।
MSME का महत्व:
रोजगार सृजन:
MSME सेक्टर लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है। यह विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करता है।
आर्थिक विकास:
MSME राष्ट्रीय आय में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। ये क्षेत्रीय विकास को भी प्रोत्साहित करते हैं।
नवाचार और प्रतिस्पर्धा:
MSME नए विचारों और उत्पादों को लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है।
निर्यात में योगदान:
MSME सेक्टर का भारतीय निर्यात में भी बड़ा हिस्सा है। कई सूक्ष्म और लघु उद्यम विभिन्न प्रकार के उत्पादों का निर्यात करते हैं।
MSME के लिए सरकारी योजनाएं और नीतियां:
भारत सरकार ने MSME को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और नीतियां शुरू की हैं। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं निम्नलिखित हैं:-
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY):
इस योजना के तहत सूक्ष्म उद्यमों को कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाता है।
क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE):
इस योजना के तहत MSME को बिना गारंटी के ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम (MSMED Act):
इस अधिनियम के तहत MSME के पंजीकरण, प्रमाणीकरण और समर्थन के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए हैं।
प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (TUFS):
इस योजना का उद्देश्य MSME को आधुनिक तकनीक अपनाने में मदद करना है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC):
यह आयोग खादी और ग्रामोद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित करता है।
उद्यम पंजीकरण:
उद्यमियों को एक सरल और ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया के माध्यम से MSME के रूप में पंजीकरण करने की सुविधा प्रदान की जाती है।
चुनौतियाँ और समस्याएँ:
हालांकि MSME सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, इसे कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:-
1. वित्त की कमी: कई MSME को उचित वित्तीय सहायता नहीं मिल पाती, जिससे उनकी वृद्धि में बाधा आती है।
2. तकनीकी अधुनिकीकरण: MSME में तकनीकी उन्नयन की कमी होती है, जिससे वे प्रतिस्पर्धा में पीछे रह जाते हैं।
3. बाजार की पहुँच: MSME को अपने उत्पादों के लिए उपयुक्त बाजार नहीं मिल पाता, जिससे उनकी बिक्री प्रभावित होती है।
4. MSME: को दिए जाने वाले ऋण पर ब्याज दरें उच्च होती हैं, जिससे उनके लिए वित्तीय प्रबंधन कठिन हो जाता है।
MSME योजना का निष्कर्ष:
MSME सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह रोजगार सृजन, आर्थिक विकास और निर्यात में योगदान देने के साथ-साथ नवाचार और प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा देता है। हालांकि, इस सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं और नीतियां बनाई हैं, फिर भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। इन चुनौतियों का समाधान करके MSME को और अधिक सशक्त और प्रभावी बनाया जा सकता है।
भारत के समग्र विकास के लिए MSME सेक्टर का सतत विकास और समर्थन आवश्यक है। सरकार, उद्योग और समाज को मिलकर कार्य करना चाहिए ताकि MSME सेक्टर को और अधिक बढ़ावा दिया जा सके और यह राष्ट्रीय विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।
विश्वकर्मा योजना:

विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहित करना और उनके कौशल को और अधिक निखारना है। इस योजना के तहत सरकार विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और आधुनिक उपकरण प्रदान करती है, जिससे ये कारीगर अपने व्यवसाय को और अधिक प्रभावी ढंग से चला सकें।
योजना की मुख्य विशेषताएं:
1- प्रशिक्षण कार्यक्रम: कारीगरों को आधुनिक तकनीक और उपकरणों का उपयोग सिखाने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
2- वित्तीय सहायता: कारीगरों को सस्ती ब्याज दरों पर ऋण प्रदान किया जाता है ताकि वे अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें।
3- उपकरण और मशीनरी: योजना के तहत आधुनिक उपकरण और मशीनरी प्रदान की जाती है जिससे कारीगर अपने काम को और अधिक कुशलता से कर सकें।
किसानों के लिए योजना:
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के कल्याण और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि करना, कृषि उत्पादकता बढ़ाना और उनकी समस्याओं का समाधान करना है।
योजना की मुख्य विशेषताएं:

कृषि ऋण माफी योजना:
इस योजना के तहत किसानों के ऋण माफ किए जाते हैं, जिससे वे आर्थिक संकट से उबर सकें।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN):
इस योजना के तहत किसानों को वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे वे कृषि कार्यों में सुधार कर सकें।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना:
इस योजना के तहत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किए जाते हैं, जिससे वे अपनी भूमि की उर्वरता को समझ सकें और उचित खाद और उर्वरक का उपयोग कर सकें।
महिलाओं के लिए योजना:
महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें समान अवसर प्रदान करना है।
योजना की मुख्य विशेषताएं:
मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना:
इस योजना के तहत बालिकाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ताकि उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार हो सके।
महिला सुरक्षा योजना:
इस योजना के तहत महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष पुलिस बल और हेल्पलाइन नंबर स्थापित किए गए हैं।
स्वयं सहायता समूह (SHG):
इस योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जाता है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY 3.0)

युवाओं को रोजगार और कौशलता की नई दिशा।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) का तीसरा संस्करण, PMKVY 3.0, भारत के युवाओं को रोजगार और कौशलता की नई दिशा में अग्रसर करने के लिए लॉन्च किया गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य युवाओं को आवश्यक कौशल और प्रशिक्षण प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
योजना का उद्देश्य और महत्व:
PMKVY 3.0 का उद्देश्य युवाओं को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार कौशल प्रदान करना है, जिससे वे रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त कर सकें। यह योजना युवाओं को उनकी रुचि और योग्यता के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करती है। इसके माध्यम से न केवल युवाओं को रोजगार मिलता है, बल्कि वे स्वरोजगार के माध्यम से भी अपनी आजीविका चला सकते हैं।
योजना के प्रमुख तत्व:

कौशल प्रशिक्षण:
युवाओं को विभिन्न ट्रेडों और सेक्टर्स में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इस प्रशिक्षण में उद्योगों की मांग को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं।
प्रमाणन और मान्यता:
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद युवाओं को प्रमाणपत्र दिया जाता है, जो उनकी कौशलता का प्रमाण होता है। यह प्रमाणपत्र उन्हें विभिन्न नौकरियों में आवेदन करने में मदद करता है।
रोजगार सहायता:
योजना के अंतर्गत रोजगार मेलों का आयोजन किया जाता है, जहां नियोक्ता और प्रशिक्षित युवा एक-दूसरे से मिल सकते हैं और रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकते हैं।
स्वरोजगार प्रोत्साहन:
योजना के तहत युवाओं को स्वरोजगार के लिए भी प्रेरित किया जाता है। उन्हें छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए आवश्यक ज्ञान और सहायता प्रदान की जाती है।
योजना की विशेषताएं:
1- राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वयन: PMKVY 3.0 को पूरे भारत में लागू किया गया है, जिससे देश के हर कोने के युवा लाभान्वित हो सकें।
2- अनुकूल पाठ्यक्रम: योजना के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में अनुकूल पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं, जो युवाओं की रुचि और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं।
3- सुविधाजनक प्रशिक्षण केंद्र: देश भर में कई प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां पर युवाओं को उनके निकटतम स्थान पर प्रशिक्षण प्राप्त होता है।
4- समान अवसर: योजना के अंतर्गत सभी वर्गों के युवाओं को समान अवसर प्रदान किए जाते हैं, जिससे वे अपनी क्षमताओं का पूर्ण उपयोग कर सकें।
Pmkvy 3.0 योजना के लाभ:
PMKVY 3.0 के तहत अब तक लाखों युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। यह योजना न केवल बेरोजगारी की समस्या को कम करने में मददगार है, बल्कि युवाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में भी सहायक है। योजना के अंतर्गत प्राप्त प्रशिक्षण और प्रमाणन से युवा बेहतर नौकरी के अवसर प्राप्त कर सकते हैं और देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
निष्कर्ष – प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना:
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY 3.0) युवाओं को कौशल और रोजगार की दिशा में नई उड़ान देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के माध्यम से सरकार देश के युवाओं को सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। योजना का व्यापक प्रभाव देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के साथ-साथ समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
लड़कियों के लिए योजना:
लड़कियों के शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा में सुधार के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य लड़कियों को समान अवसर प्रदान करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
योजना की मुख्य विशेषताएं:

बालिका शिक्षा योजना:
इस योजना के तहत लड़कियों को मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है ताकि वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।
सुकन्या समृद्धि योजना:
इस योजना के तहत माता-पिता को बालिकाओं के लिए बचत खाता खोलने और उनकी भविष्य की जरूरतों के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना:
इस योजना के तहत लड़कियों के जन्म दर में सुधार, उनकी शिक्षा और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
इन योजनाओं के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार ने विभिन्न वर्गों के लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास किया है। ये योजनाएं न केवल लोगों को आत्मनिर्भर बनाती हैं, बल्कि राज्य के समग्र विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘स्वरोजगार योजना’ का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। यह योजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आरंभ की गई है और इसका मकसद प्रदेश में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है। इस योजना के अंतर्गत सरकार विभिन्न प्रकार के स्वरोजगार के अवसर प्रदान करती है, जिससे युवाओं को अपने स्वयं के व्यवसाय या उद्योग शुरू करने में मदद मिलती है।
योजना की मुख्य विशेषताएं:
1. वित्तीय सहायता: स्वरोजगार योजना के तहत सरकार युवाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। यह सहायता ऋण के रूप में होती है, जिसे युवा अपने व्यवसाय के प्रारंभिक चरण में उपयोग कर सकते हैं। इस ऋण पर ब्याज दर भी न्यूनतम रखी जाती है ताकि युवा आसानी से इसे चुका सकें।
2. प्रशिक्षण और कौशल विकास: इस योजना के अंतर्गत युवाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम भी प्रदान किए जाते हैं। यह प्रशिक्षण उन्हें अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक चलाने में मदद करता है और उन्हें आवश्यक तकनीकी ज्ञान भी प्रदान करता है।
3. विभिन्न व्यवसायिक क्षेत्रों में अवसर: इस योजना के अंतर्गत कृषि, हस्तशिल्प, मछली पालन, पशुपालन, बागवानी, कुटीर उद्योग, और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहित किया जाता है। इससे युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर मिलते हैं और वे अपनी रुचि के अनुसार व्यवसाय चुन सकते हैं।
4. सरकारी योजनाओं से समन्वय: स्वरोजगार योजना अन्य सरकारी योजनाओं के साथ भी समन्वय में कार्य करती है, जिससे युवाओं को विभिन्न योजनाओं का संयुक्त लाभ मिल सके। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया योजना आदि।
योजना का लाभ कैसे उठाएं:
1. ऑनलाइन आवेदन: युवा इस योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए सरकारी पोर्टल पर आवेदन फॉर्म भरना होता है और आवश्यक दस्तावेज़ जमा करने होते हैं।
2. दस्तावेज़: आवेदन के लिए पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र, व्यवसाय योजना, बैंक खाता विवरण आदि की आवश्यकता होती है।
3. चयन प्रक्रिया: सभी आवेदनों की समीक्षा के बाद योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाता है और उन्हें योजना के तहत ऋण प्रदान किया जाता है।
योजना का प्रभाव:
स्वरोजगार योजना के माध्यम से उत्तर प्रदेश के युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हुए हैं। इससे न केवल बेरोजगारी की समस्या का समाधान हुआ है, बल्कि युवाओं में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास भी बढ़ा है। योजना के तहत शुरू किए गए व्यवसायों से राज्य की अर्थव्यवस्था में भी सुधार हुआ है और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है।
स्वरोजगार योजना का निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश सरकार की स्वरोजगार योजना एक महत्वपूर्ण कदम है जो युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सहायक है। इस योजना के माध्यम से सरकार युवाओं को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है।
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