24 जून 2024 को 18वीं लोकसभा का पहला दिन था, जिसमें एनडीए की गठबंधन सरकार ने सत्ता की बागडोर संभाली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, जबकि विपक्ष के नेता राहुल गांधी अपने तेवर में दिखे। राहुल गांधी ने संविधान की पुस्तक दिखाते हुए सरकार पर सवाल उठाए, खासकर नीट परीक्षा में धांधली को लेकर। मीडिया में इस घटना की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ ने राहुल की आलोचना की, जबकि अन्य ने विपक्ष के इस कदम को लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण बताया।
बीजेपी को इस बार अकेले बहुमत नहीं मिला और एनडीए के सहयोग से सरकार बना रही है, जिससे विपक्ष की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। मीडिया का एक धड़ा सत्ता पक्ष के समर्थन में है, जबकि दूसरा धड़ा निष्पक्षता का दावा कर रहा है और विपक्ष के सवालों को प्रमुखता दे रहा है। पिछले 10 साल में मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं, जिसमें पूंजीपतियों के प्रभाव की चर्चा होती रही है।
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संसद के पहले दिन की घटनाओं ने यह दिखाया कि विपक्ष अब और भी मजबूती से सरकार से सवाल पूछने के लिए तैयार है। राहुल गांधी ने स्पष्ट कर दिया कि संविधान से बड़ा कोई नहीं है, और विपक्ष सरकार को जवाबदेही के लिए मजबूर करेगा। आने वाले समय में मीडिया और विपक्ष मिलकर सरकार की समीक्षा करेंगे और जनता के सवालों को संसद में उठाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान हुई घटनाओं का जिक्र किया, लेकिन विपक्ष ने इसे अधिक महत्व नहीं दिया। नीट परीक्षा के पर्चा लीक होने के मामले में विपक्ष ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर सवाल उठाए और संसद में ‘नीट-नीट’ के नारे लगाए। संसद में विपक्ष ने संविधान की प्रतियां दिखाईं, जिससे सत्ता पक्ष को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने की जरूरत महसूस हुई।
संसद के पहले दिन की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि आने वाला समय सत्ता पक्ष के लिए चुनौतियों से भरा होगा। विपक्ष और मीडिया की नजरें सरकार के हर कदम पर होंगी, और जनता के सवालों का जवाब देना अब सरकार के लिए और भी जरूरी हो गया है।