वाराणसी में विराजमान हैं मां संकटा देवी, भक्तों के साथ-साथ देवताओं के भी संकट को करती है दूर, पांडवों ने एक पैर पर खड़े होकर की पूजा कौरवों को युद्ध में किया परास्त, शिव ने किया आराधना तो दूर हुई थी उनकी व्याकुलता
Mata sankata Devi Varanasi :
वाराणसी के मणिकर्णिका घाट के पास स्थित संकटा देवी का सिद्ध पीठ स्थान है। संकटा देवी की अलौकिक मूर्ति मंदिर में विराजमान है। माता संकटा देवी के दर्शन करने से सभी दुख खत्म हो जाते हैं।
काशी की मान्यता की बात करें तो यहां के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर स्वयं भगवान शिव भक्तों को तारण मंत्र देकर जन्मों के बंधन से मुक्त करते हैं। यही से कुछ दूरी पर मां संकटा देवी का मंदिर है। यहां दर्शन करने से भक्तों के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
Varanasi Ganga Ghat near sankata Devi temple:
वाराणसी के गंगा घाट के किनारे मां संकटा देवी का यह सिद्ध पीठ मंदिर है। यहां पर माता संकटा देवी की अलौकिक मूर्ति स्थापित है। माता संकटा देवी के दर्शन करने से ही जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
यहां हर दिन दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है। शुक्रवार को यहां पर अपनी मनोकामना लिए पूजा पाठ करने के लिए दूर दराज से भक्त आते हैं। कष्ट हरने वाली मां संकटा देवी अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न होती है। इस मंदिर के संबंध में कई अद्भुत कथाएं हैं। आईए इसके बारे में amitsrivastav.in की टीम से AK Pandey की लेखनी से जानिए-
धार्मिक मान्यता के अनुसार जब मां सती ने आत्मदाह किया था तो भगवान शिव माता सती के विछोह में बहुत व्याकुल हो गए थे। तब भगवान शिव ने स्वयं मां संकटा की पूजा की थी। इसके पश्चात भगवान शिव की व्याकुलता समाप्त हो गई।
पांडवों के संकट को भी मां ने दूर किया
एक और धार्मिक मान्यता सामने आती है। अज्ञातवास के समय पांडव आनंद वन आए थे। आपको बता दे कि काशी को उस समय आनंद वन कहा जाता था। यहां पर पांडवों ने मां संकटा की भव्य प्रतिमा स्थापित किया।
पांचो पांडवों भाइयों ने यहां पर अन्न और जल बिना ग्रहण किये एक पैर पर खड़े होकर पूजा अर्चना किया था। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर मां संकटा देवी ने साक्षात प्रकट होकर आशीर्वाद दिया। उन्होंने पांडवों को धन और वैभव प्राप्त करने के लिए गो माता की सेवा करने के लिए कहा, माता ने यह भी कहा कि ऐसा करने से उनके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
मां संकटा देवी के आशीर्वाद के कारण महाभारत के युद्ध में पांडवों को जीत प्राप्त हुई। उनका खोया हुआ वैभव तथा राजपाठ मिला। मां संकटा देवी के आशीर्वाद से पांडवों के जीवन के सभी संकट दूर हो गए।
इस सिद्धपीठ में जो भक्त श्रद्धा से आता है, उनके सभी कष्ट संकटा देवी दूर कर देती हैं।
नारियल और चुनरी का प्रसाद चढ़ाने से खुश हो जाती है मां संकटा देवी।
संकट को हरने वाली संकटा देवी को नारियल व चुनरी का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद को चढ़ाने से मन खुश हो जाता है। प्रसाद को ग्रहण करने से लगता है कि जैसे किसी सिद्ध पीठ स्थान का दर्शन किया। मां की अलौकिक शक्ति का एहसास यहां पर आपको मिलता है।
काशी में विराजमान मां संकटा देवी भक्तों की ही नहीं देवताओं के भी संकट को करती है दूर

मां संकटा देवी के मंदिर में आने वाले सभी भक्तों के संकट दूर हो जाता है और उनके जीवन में खुशहाली आ जाती है। यहां आने वाले भक्त मां को हृदय से पुकारते हैं, उनके जीवन के बड़ा सा बड़ा कष्ट दूर हो जाता है। मां के चमत्कार के कारण सारे दुख मुसीबत गायब हो जाते हैं। यहां पर आने वाले भक्तों को माता की अद्भुत दर्शन होती है और उनकी ऊर्जा का एहसास होता है।
माता बहुत दयालु है। भक्तों के साथ ही देवताओं के संकट को भी दूर करती है। मान्यता के अनुसार पार्वती के रूप में माने जाने वाली संकटा देवी भक्तों के दुखों को दूर करती है और जीवन में सुख समृद्धि प्रदान करती है। शुक्रवार के दिन यहां दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर दराज से आते हैं। यहां आने वाले भक्त के जीवन के हर संकट को माता क्षण में दूर कर देती हैं।