वाराणसी में पांच साल में बढ़ गए 100 मदिरालय, मीट की दुकानें हुईं दोगुनी लोकल मीडिया की इन खबरों का नहीं हो रहा प्रशासन पर असर, लोगों की मांग बंद हो शराब।
धर्म और अध्यात्म की नगरी वाराणसी दुनिया भर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। काशी विश्वनाथ की नगरी में आध्यात्मिक और भारतीय रीति-रिवाज संस्कृति की झलक मिलती है। मोक्ष की इस नगरी में इतनी तेजी से आधुनिकता अपना पैर जमाए जा रही है। काशी में अक्सर शराब बंदी करने की मांग उठती रही है। इस नगरी में शराब की बढ़ती दुकानें और मीट मछली का खुले आम इधर-उधर बिकना आने वाले नागरिकों के लिए परेशानी का सबक बनता जा रहा है, तो वहीं स्थानीय लोग इससे परेशान हैं।
इस तरह धार्मिक स्थलों के आसपास शराब खाने खोला जाना उचित नहीं है। आबकारी विभाग को इस बात का ध्यान रखना चाहिए की दुकान धार्मिक स्थलों से दूर आवंटित करना चाहिए। हो सके तो यहां पर शराब और मांसाहार बेचने पर पाबंदी लगा देना चाहिए।
धर्म और आध्यात्मिक की नगरी बनारस हिंदू संस्कृति की बड़ी पहचान है। इस संस्कृति को बचाए रखने की जिम्मेदारी सभी भारतीयों की है।
लेकिन मार्च की एक रिपोर्ट बहुत चौंकाने वाली है। आबकारी विभाग की इस रिपोर्ट पर नजर डालें यह तो मार्च 2024 में इस नगरी में शराब और मीट की दुकानों का बोल बाला है।
वाराणसी के एक लोकल रिपोर्ट अखबार में छपा है जिसके अनुसार साल 2023-2024 में 381 देसी शराब की दुकानें, 184 अंग्रेजी शराब की दुकानें, 164 बीयर की दुकानें, 13 मॉडल शॉप और 93 भांग की दुकानें चल रही है।

इन आंकड़ों पर अगर गौर करें तो इन 5 सालों में इस धर्म नगरी मे 100 से ज्यादा शराब की दुकानें बढ़ गई है। बात करें मीट मछली की तो सबसे अधिक पंजीकृत दुकानें बढ़ गई है। मीट और शराब की दुकानों को बढ़ाने की होड़ इस कदर देखी गई है कि स्कूल और मंदिरों से दूरी के नियम कानून का धड़ल्ले से मजाक बनाया जा रहा है। जबकि एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 5 साल में रोड को चौड़ीकरण करने के नाम पर मुख्य मार्ग पर स्थित कई छोटे मंदिरों को वहां से शिफ्ट कराया जा चुका है।
आबकारी विभाग की एक सूचना के मुताबिक बनारस में सन् 2018 में देसी शराब की दुकानों की संख्या 308 थी। जबकि इसी साल अंग्रेजी शराब की दुकानों की संख्या 167 थी। वहीं 145 बियर की दुकान पंजीकृत थीं। सन 2018 में मॉडल शराब की दुकानों की संख्या 6 से 7 तक रही है। जबकि इसकी इसकी तुलना 2023 और 24 के व्रत से की जाए तो यह संख्या धड़ल्ले से बहुत तेजी से बढ़ गई है। स्कूल और धार्मिक स्थलों के सामने की कुछ दूरी पर शराब की दुकानों का ठेका परोसा गया है। स्कूल और कॉलेज धार्मिक स्थलों से दूरी के मानक को अनदेखा करके शराब की दुकान खोली जा रही है। इस पर कई बार स्थानी मीडिया ने खबर भी छापा लेकिन उस पर कार्रवाई न के बराबर हुई है।
amitsrivastav.in की टीम ने जब इस बात का पता लगाया तो सच्चाई सामने निकल कर आई। धार्मिक स्थलों से कुछ दूरी के पास सरकारी शराब के ठेके खुले हुए हैं। मोहन प्रशासन इस पर चुप्पी साधे हुए है। जबकि इस पर कई मीडिया रिपोर्ट स्थानी अखबारों ने करीब मार्च के महीने में प्रकाशित किया है। उसे पर किसी तरह की ठोस कार्रवाई होते हुए नजर नहीं आ रही है।
चलिए आपको जानकारी दे दे कि बनारस में 2023-2024 मैं शराब के कितने ठेके हैं। हम जो आंकड़े आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं। वह आबकारी विभाग की ओर से मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार है। सन 2023-24 के समय में देसी शराब के ठेकों की संख्या 381 जो देसी शराब की दुकानें हैं। 184 अंग्रेजी शराब की दुकानें हैं तो वहीं 164 बीयर की दुकानें जबकि 13 मॉडल शॉप और 93 भांग की दुकानें संचालित की जा रही है। जबकि धर्म स्थलों और स्कूल कॉलेज के पास शराब के ठेकों की दुकान भी खुली हुई है।
एक जानकारी के मुताबिक वाराणसी जिले में कुल 900 मी मछली की दुकान खुली हुई है। इन मीट मछली के दुकानों में किसी तरह के नियमों का पालन नहीं होता है। इसके अलावा एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि मोहल्ले और गलियों में ठेले पर नॉनवेज खूब बिकता है।
एक जानकारी के मुताबिक कैंट रेलवे स्टेशन के आसपास सबसे अधिक नॉनवेज बेचने वाले होटल और ढाबे की दुकानें हैं। कैंट रेलवे स्टेशन के सामने विजया मार्केट, परेड कोठी और इंग्लिशया लाइन पर ठेले में खुलेआम नॉनवेज व्यंजन बिकते हुए नजर आता है। जानकारी के मुताबिक भेलपुरी और रविंद्रपुरी मार्ग पर मांसाहारी व्यंजनों की दुकानें लगती हैं। तो वहीं लंका चौराहे के पास भी मांसाहारी दुकानों की संख्या इन दो वर्षों में दुगनी हो गई है।