अश्लील किताबें – व्यंगात्मक, हास्यास्पद रोमांटिक कहानी

Amit Srivastav

कुछ शहरी इलाकों में बहुत शोरगुल चल रहा था कि अश्लील साहित्य किताबों का बहुत प्रचार-प्रसार हो रहा है। अखबारों में खबरें आई सड़कों के किनारे सार्वजनिक प्लेस बुकस्टोर पर खुलेआम अश्लील किताबें बिक रही हैं। कुछ समाज सुधारक युवाओं ने एक टोली बनाई और यह तय किया कि जहां भी अश्लील किताबें बेचते हुए देखा जाएगा छीनकर उन किताबों को सार्वजनिक रूप से जला दिया जाएगा। कुछ युवा एक टोली बनाकर बुकस्टोर पर धावा बोल चालिस-पचास किताबों को लूट लिये सभी युवाओं के हाथ में दो चार किताबें आ गई। समाज सुधारक युवाओं का मुखिया ने कहा आज तो रात होने वाली है अब अखबारों में इस समय सूचना देने पर प्रकाशित नही हो पायेगी। चलो कल एक अप्रैल को अखबारों में सूचना प्रकाशित कराया जायेगा कि तीन अप्रैल को सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील किताबों को जलाया जायेगा। इस तरह के प्रचार-प्रसार से अन्य बुकस्टोरो को भय हो जाएगा और अश्लील किताबों की बिक्री बन्द कर देगें। मुखिया ने कहा इतना सारा किताब मै इकठ्ठा अपने घर नही ले जा सकता। इसलिए आप लोग सुरक्षित रुप से अपने अपने साथ ले जाईए और कल मै कुछ सामाजिक व्यस्तता के कारण बाहर जा रहा हूं दो अप्रैल के साम को रेलवे स्टेशन के पूर्वी ढाले पर अनजान भाई कि दुकान पर आईए वहीं आगे की रणनीति तय किया जाएगी। अब एक अप्रैल को अखबार में सूचना दे दी गई कि तीन अप्रैल को रेलवे स्टेशन परिसर में अश्लील किताबों को जलाया जायेगा। यह खबर दो अप्रैल की अखबार के माध्यम से जगह-जगह फैल गई।

अश्लील किताबें - व्यंगात्मक, हास्यास्पद रोमांटिक कहानी

दनादन बडे-बडे नेताओं का समाज सुधारक मुखिया कर्म मोचन भाई को फोन आने लगा कि कार्यक्रम में हम भी उपस्थित रहेंगे। दो अप्रैल कि साम सभी युवा अनजान भाई कि दुकान पर इकठ्ठा हुए। अब दल के मुखिया कर्म मोचन भाई द्वारा बात रखी गई कल समयानुसार आप लोग अपने-अपने साथ ले गए किताबों को लेकर रेलवे स्टेशन परिसर में आना। कुछ नेताओं का भी आगमन हो रहा है जिसमें प्रमुख रूप से फेकू भाई चंदलोक के प्रधानमंत्री, समाज-कल्याण विभाग मंत्री – मुहनोचुआ भाई और भोजपुरी जगत के माने-जाने कलाकार लखेदुआ सहित तमाम लोगों का आगमन होने वाला है। अब हम सब समाज सुधारको को फेकू भाई अपनी पार्टी में जगह देगे और आने वाली लोकसभा चुनाव में जगह जगह से हम सब प्रत्याशी बनाये जायेगें। लोकसभा चुनाव जीत कर देश सुधारक मंत्री बनाए जाएंगे। सभी सहयोगी अपने समाज सुधारक मुखिया कर्म मोचन भाई कि बात सुनते रहे और अपने मन की बात मन में ही रख मंथन करने में लगे रहे की हम कैसे कहें कि जो किताब मै ले गया। वो भाभी, चाची, चाचा, पापा सहित पड़ोसन के हाथ लग गई है। सभी अपने मन की बात अपने मन में रख हां में हां मिलाते हुए सभा का समापन किया और अपने अपने घर को चले गए।सभी अपने घर जाकर परेशान थे कि हमारी इतनी किताबों में इतना ही बचा है। वो खुद भी रातोंरात पढ़कर पूरी भी करना चाहते थे और शेष किताबों को तलाश भी थी। घर के अंदर बाहर की तलाश में किसी को एक किताब भाभी के तकिये के नीचे मिलता तो किसी को चाचा के कमरे में तो किसी को भाई कि किताबों के बीचोंबीच आनन फानन में किताबें इकठ्ठा करने में लगे हुए थे, कि भाभी बोलतीं देवर जी मेरे तकिये के नीचे एक किताब थी आप ही लाये होगे दे दिजीए अभी आधी पढीं हूं कल दे दूंगी तो कोई कुछ तो कोई कुछ कह फिर किताबों को लेने लगे। यहां तक कि किसी किसी के यहां से पड़ोसन भी उठा ले गई थीं वो तो मिल पाना भी मुश्किल था। अब अगले दिन तीन अप्रैल था सबको किताब लेकर तय स्थान पर जाना था और इधर एक दो मिलती तब तक गायब हो जाती। धीरे-धीरे सब समाज सुधारक ग्रुप के युवाओं ने अपने मुखिया कर्म मोचन जी को फोन करना शुरू किया। उधर मुखिया का भी हाल वही था उसके पास तो एक भी किताब नही रह गयी थी। अब सबने सोचा क्या किया जाए दल का मुखिया कर्म मोचन जी बहुत ही दिमागी थे, ने रास्ता बनाया कि अन्य किताबों को बोरे में भरकर निर्धारित सार्वजनिक स्थान रेलवे परिसर में समय से पहुंचा जाए अन्यथा अपनी बेइज्जती होगी। हुआ भी वही अन्य किताबों को बोरे में भरकर समय से सभा स्थल पर पहुंचा गया।

अश्लील किताबें - व्यंगात्मक, हास्यास्पद रोमांटिक कहानी

मंच लगा था चंदलोक के प्रधानमंत्री फेकू भाई ऊंचे मंच से बोल रहे थे भाषणबाजी हो रही थी… बाइयों एवं बअनो हमारी देश के भविष्य पर इन अश्लील किताबों से बहुत गलत प्रभाव पड़ रहा है वगैरह वगैरह। ऐसी किताबों का दहन किया जाना चाहिए। जब मुह बंधा किताबों का बोरी पहुंचा। आमंत्रित नेताजी लोगों ने कहा किताबों को मंच पर ऊपर लाईए। जब बोरी मंच पर ऊपर ले जाई गयी तो चंदलोक के फेकू प्रधानमंत्री जी ने समाज सुधारक मुखिया कि कान में कहा- मजेदार किताबें होगीं, एक धीरे से हमारे झोली में डाल दिजिये। उसके बाद धीरे-धीरे सभी मंत्रियों की फरमाईस यही होती गई इधर समाज सुधारक मुखिया जी सोच रहे थे… अब क्या किया जाए, इनकी बातें न माने तो मेरी लोकसभा टिकट ही कट सकती है। अब समाज सुधारक दल के मुखिया के दिमाग में आया क्यूँ न किताब खुद पहुंचा देने की बात कह इस समय सभा का आयोजन सकुशल सम्पन्न करवा दिया जाए, वैसे भी कौन सी असली किताबें इन बोरी में भरी हुई है। अब समाज सुधारक जी ने बारी बारी से सबके कानों में कहा इन किताबों का दहन कर दिया जाए असली किताबें मै आपको खुद पहुंचा दूंगा। सभी नेताजी लोग को समाज सुधारक जी की बात समझते देरी नही लगी नेताजी लोग बात समझ कर मुंह बंधी बोरी को जलाने की बात कही और मुह बंधे-बंधाए बोरी में मंच के सामने आग लगा दी गई। जनता ने देखा हम सभी के भले के लिए अश्लील किताबों को इतने बड़े बड़े नेता जी लोग इकट्ठे होकर जला रहे हैं आज से हम लोगों को अश्लील किताबें नहीं पढ़नी चाहिए। आम जन वहीं सभा स्थल पर प्रण लिए कि हम सब अश्लील किताबों का बहिष्कार करेगें नही पढ़ेंगे। उधर एक से दूसरे दूसरे से तीसरे चौथे के हाथ किताबें जाती रही और सब पढ़ते रहे। दल के मुखिया कुछ किताबें इकठ्ठा कर उपस्थित जनों को पहुंचा अपनी छबि बना लोकसभा चुनाव में पार्टी में खासमखस बन मंत्री बनने की फिराक में लगे हुए हैं।

अश्लील किताबें - व्यंगात्मक, हास्यास्पद रोमांटिक कहानी

अश्लील किताबें न कभी जलाई गई न कभी जलाईं जायेगी बल्कि समय परिवर्तन के साथ और भी सुव्यवस्थित ढंग से सहेजी जा रही हैं जो अपने पोस्ट में जितनी ज्यादा अश्लीलता भरता है उसकी पोस्ट उतनी ही ज्यादा देखी जाती है। जो नेता जितनी ज्यादा झूठ बोलता है उसकी बात पर उतनी ही ज्यादा जनता विश्वास करती है। जैसे चंदलोक के प्रधानमंत्री जी तो झूठ बोलने में सबसे आगे निकल चुके हैं। धीरे धीरे इन्टरनेट का जमाना आ गया और अब आसानी से जब जो मर्जी इन्टरनेट पर मिल जाती।

Click on the link हेल्थ एजुकेशन बच्चेदानी में गांठ का घरेलू उपचार पढ़ने जानने के लिए यहां क्लिक किजिये।

Leave a Comment