सिम कार्ड पोर्ट: प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियों के पोर्टिंग प्रक्रिया में देरी- ग्राहकों के साथ धोखा?

Amit Srivastav

हाल ही में, कई एयरटेल ग्राहक यह शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें पोर्टिंग (MNP) प्रक्रिया में असामान्य और अप्रत्याशित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 90 दिनों की अवधि पूरी करने के बाद भी, पोर्टिंग कोड (UPC) प्राप्त नहीं हो रहा है, जिससे वे अपनी सेवा प्रदाता को बदलने में असमर्थ हो रहे हैं। इस मामले में, कस्टमर केयर द्वारा भी विभिन्न और भ्रमित करने वाली जानकारी दी जा रही है, जिससे ग्राहकों में नाराजगी बढ़ रही है।

पोर्टिंग की प्रक्रिया:

मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) सेवा का उद्देश्य ग्राहकों को उनके मोबाइल नंबर को बरकरार रखते हुए एक सेवा प्रदाता से दूसरे सेवा प्रदाता में आसानी से स्थानांतरित करने की सुविधा प्रदान करना है। इसके तहत ग्राहक को अपने मौजूदा सेवा प्रदाता के साथ कम से कम 90 दिन तक सेवा का उपयोग करना आवश्यक होता है।
90 दिन की अवधि पूरी होने पर, ग्राहक को “PORT” लिखकर एक स्पेश दे अपना दस अंकों का मोबाइल नंबर दर्ज कर 1900 पर एक SMS भेजना होता है, जिसके बाद उन्हें एक यूनिक पोर्टिंग कोड (UPC) प्राप्त होता है।
यह कोड नए सेवा प्रदाता को प्रस्तुत किया जाता है, जिसके आधार पर पोर्टिंग प्रक्रिया शुरू होती है।

ग्राहकों की शिकायतें:

सिम कार्ड पोर्ट: प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियों के पोर्टिंग प्रक्रिया में देरी- ग्राहकों के साथ धोखा?

90 दिनों के बाद भी कोड न मिलना:

कई ग्राहक शिकायत कर रहे हैं कि 90 दिनों की अवधि पूरी होने के बाद भी उन्हें पोर्टिंग कोड प्राप्त नहीं हो रहा है। जब वे 91वें दिन या उसके बाद भी पोर्टिंग के लिए SMS भेजते हैं, तो उन्हें यह संदेश मिलता है कि “अभी 90 दिन नहीं हुए हैं।”

कस्टमर केयर की भ्रामक जानकारी:

जब ग्राहक इस समस्या को लेकर कस्टमर केयर से 198 पर अपनी शिकायत के साथ संपर्क करते हैं, तो उन्हें अलग-अलग कारण बताए जाते हैं। पहले 10 रुपये का अतिरिक्त रिचार्ज करने के लिए कहा जाता है, और फिर जब ग्राहक द्वारा पुछा जाता है कि 100 SMS प्रति दिन किस उपयोग के लिए है तो बताया जाता है कि वो 100 एसएमएस सामान्य उपयोग के लिए है न कि पोर्टिंग के लिए। पोर्ट क्यूँ करा रहे हैं तमाम प्रश्न पूछे जाते हैं फिर शर्त बताई जाती है।

पोर्टिंग कोड में देरी:

कुछ मामलों में, ग्राहकों को यह बताया जा रहा है कि उन्हें पोर्टिंग कोड 90 दिनों के बाद 94 या 95 दिनों पर मिलेगा, जो कि नियमों के विपरीत है। हैरान करने वाली बात यह है कि जब टेलिकॉम कंपनियों द्वारा 90 दिन निर्धारित किया गया है तो 91 वे दिन पोर्ट मैसेज का रिप्लाई आता है कि अभी 90 दिन पूरे नही हुए हैं। जब कस्टमर केयर से बात होती है तो भी पहले भ्रमित किया जाता है, जब ग्राहक कस्टमर केयर से लास्ट पोर्ट और सीम एक्टिवेट को लेकर काऊंटीग कराया तो 90 दिन बाद 91 वे दिन नही बल्कि 93 – 95 दिनों बाद ही पोर्ट का सुविधा देने की बात कही गई। ऐसी शिकायतों को सूत्रों द्वारा संज्ञान लेकर बताया गया तो सत्यता कि जांच-पड़ताल करने के लिए खुद ट्राई किया तो धोखेबाजी और लूट का हकीकत मामला सामने आया है।

संभावित प्रभाव और धोखाधड़ी का आरोप:

ग्राहकों की असुविधा:

इस प्रकार की समस्याओं से ग्राहकों को अत्यधिक असुविधा होती है। वे अपनी वर्तमान सेवा से असंतुष्ट होने के बावजूद सेवा प्रदाता नहीं बदल सकते। वर्तमान में सभी प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियों द्वारा रिचार्ज महंगे किए गए हैं। ग्राहक प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियों से नाखुश हो तेजी से सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल के साथ जुड़ रहे हैं। आने वाले दिनों में बीएसएनएल अपनी नेटवर्क सिस्टम में सुधार करता है और बिते सालो के तरह ही रिचार्ज प्लान में जैसे बढ़ोतरी नही किया वैसे ही अपने प्लान के साथ बना रहता है तो आने वाले समय में सबसे ज्यादा ग्राहक बीएसएनएल के साथ होगे।

भरोसे की कमी:

कस्टमर केयर से मिली भ्रामक जानकारी के कारण, ग्राहकों का एयरटेल पर से विश्वास उठ सकता है। और बार-बार रिचार्ज दर बढ़ाने से ग्राहक नाखुश हो बीएसएनएल के तरफ़ रुख कर रहे हैं।

धोखाधड़ी का आरोप:

यह स्थिति स्पष्ट रूप से ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी जैसी प्रतीत होती है, जहां उन्हें सेवा प्रदाता बदलने से रोका जा रहा है। और एक रिचार्ज कराने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ताकि ग्राहकों का तेजी से हो रहा इन प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियों से पलायन को रोक बीएसएनएल में इंट्री से रोका जा सके।

समाधान और सुधार के सुझाव:

स्पष्ट और पारदर्शी जानकारी: एयरटेल को चाहिए कि वह ग्राहकों को पोर्टिंग प्रक्रिया और उससे संबंधित नियमों के बारे में स्पष्ट और सटीक जानकारी प्रदान करे।

कस्टमर केयर की प्रशिक्षण:

कस्टमर केयर प्रतिनिधियों को सही जानकारी और ग्राहकों की समस्याओं को हल करने के लिए बेहतर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

शिकायत निवारण प्रणाली:

ग्राहकों की शिकायतों को समय पर और प्रभावी ढंग से निपटाने के लिए एक प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली लागू की जानी चाहिए।

खबर का निष्कर्ष:

एयरटेल की पोर्टिंग प्रक्रिया में ग्राहकों को हो रही समस्याएं और कस्टमर केयर द्वारा दी जा रही भ्रामक जानकारी से स्पष्ट होता है कि सुधार की आवश्यकता है। ग्राहकों को सही और पारदर्शी जानकारी प्रदान करना और उनकी समस्याओं का समाधान करना एयरटेल की जिम्मेदारी है। ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी का यह आरोप न केवल एयरटेल की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि मोबाइल सेवा उद्योग में भी अविश्वास की भावना को बढ़ावा दे सकता है। प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियों द्वारा बार बार बढ़ोतरी की जाने पर न सरकार शिकंजा कसती न विपक्ष इस मुद्दे पर अभी तक कुछ रोक लगाने की मांग किया। इससे स्पष्ट होता है जो टेलिकॉम कंपनियों द्वारा चुनावी चंदा दिए जाने का सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल हो रहा है वो शायद सत्य ही है। राजनीतिक दल कंपनियों से चंदा खा कर आम जन पर बोझ डलवाने से परहेज नही कर रहे हैं।

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