उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस बात के संकेत दिए हैं, जिससे दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की संभावना मजबूत हो गई है।
गठबंधन की पृष्ठभूमि:

अखिलेश यादव के संकेत:
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा उपचुनाव लड़ेगी। इस फैसले से दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की उम्मीद बढ़ गई है।
राजनीतिक लाभ:
इस गठबंधन का मुख्य उद्देश्य भाजपा को टक्कर देना और उपचुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करना है। यूपी में कांग्रेस और सपा का साथ आना, भाजपा के लिए चुनौती बनते दिखाई दे रहा है। लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश में बुरी तरह महागठबंधन से पराजित हो मंथन कर रही है किन्तु जनहितैषी कार्य करने के पथ पर योगी सरकार अब भी अग्रसर दिखाई नही दे रही है। इस स्थिति में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव गठबंधन के पक्ष में जाने की उम्मीद दिखाई दे रही है। आपको बता दें हर गांव में लगभग 15 से 20 परिवार में कोई न कोई संविदा कर्मी के रूप में नियुक्त है और मंहगाई की मार से निकल पाने में असमर्थ है। संविदा कर्मियों का कोई मांग योगी सरकार मानने को तैयार नहीं ऐसी स्थिति में गठबंधन ही एक विकल्प दिखाई दे रहा है। लोकसभा चुनाव में गठबंधन के पास कोई खास प्रधानमंत्री का चेहरा न होते हुए भी बीजेपी को कड़ी टक्कर दे अपनी स्थिति मजबूत किया है। राज्य में लोगों का मानना है योगी न ही रोजी-रोटी देना चाहते हैं न संविदा कर्मियों से अब कोई दिलचस्पी है जब तक सांसद विधायक रहे तभी तक जनहित मुद्दे वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिखाई देता था कुर्सी पा जाने के बाद सब मनमानी कर रहे हैं, जनहित के मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में अब जनता के पास गठबंधन ही पुनः विकल्प दिखाई देने लगा है।
अन्य राज्यों में सीटों का समझौता:
महाराष्ट्र और हरियाणा में सपा को सीटें: सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस महाराष्ट्र और हरियाणा में सपा को सीटें देने के लिए तैयार है। इस समझौते से सपा को इन राज्यों में भी अपने पैर जमाने का मौका मिलेगा।
सीटों का बंटवारा:
दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है और जल्द ही इसका आधिकारिक ऐलान हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव:
उपचुनाव की सीटें: उत्तर प्रदेश में विधानसभा की दस सीटों पर उपचुनाव होना है। इन सीटों पर कांग्रेस और सपा मिलकर चुनाव लड़ेंगी।
रणनीति:
दोनों पार्टियों के बीच रणनीतिक बैठकों का दौर जारी है। सीटों के बंटवारे, उम्मीदवारों के चयन और चुनाव प्रचार की योजना पर चर्चा हो रही है।
संभावित प्रभाव:
भाजपा के लिए चुनौती:
कांग्रेस और सपा के गठबंधन से भाजपा के लिए चुनावी मुकाबला कठिन हो सकता है। इस गठबंधन से दोनों पार्टियों को वोटों का फायदा मिल सकता है। अभी लोकसभा चुनाव बाद टेलिकॉम कंपनियों ने अपने रिचार्ज प्लान में बेतहाशा बढोत्तरी की है और युवा वर्ग सहित आम जन इस बढ़ोतरी को लेकर भाजपा से खफ़ा है। इस स्थिति में उपचुनाव का नतीजा भाजपा के खिलाफ जाने की पूरी संभावना दिखाई दे रही है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी बीजेपी अपने हठपूर्वक काम करने में लगी हुई है जिससे चारों तरफ बीजेपी से जनता का नाराजगी दिखाई दे रही है।
राजनीतिक समीकरण: उत्तर प्रदेश में इस गठबंधन से राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। इससे अन्य पार्टियों पर भी दबाव बनेगा और उन्हें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। बहुजन समाज पार्टी का पिछले चुनावों से ही सूपड़ा साफ़ होते स्पष्ट दिखाई दे रहा है। लोगों का मानना है बसपा बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए अपने प्रत्याशी अमित शाह के इशारे पर उतारती और फेरबदल करती है जिससे भाजपा को फायदा व अन्य को नुकसान पहुंचाया जा सके। धीरे-धीरे आम जन इस रणनीति को समझ बसपा से किनारे हो गठबंधन की ओर मुख कर रहे हैं।
आगामी कदम:
औपचारिक घोषणा: गठबंधन की औपचारिक घोषणा जल्द ही हो सकती है। इसके बाद दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगी।
संयुक्त रैलियां और प्रचार:
कांग्रेस और सपा संयुक्त रैलियां और प्रचार कार्यक्रम आयोजित करेंगी, जिससे मतदाताओं तक अपनी संयुक्त अपील पहुंचा सकें। विपक्ष में गठबंधन की मजबूती के बाद भी गोदी मीडिया विपक्ष की बातों को सही तरीके से आम जन तक पहुंचाने से पीछे है और जो दिखाती भी है तोड़ मंडोर कर दिखा रही है। आम जन गोदी मीडिया कि गलत रवैए से यूट्यूब वेबसाइट की खबरों के तरफ़ रुख कर चुकी है जहां से आम लोगों को सही निस्पक्ष जानकारी मिल रही है।
कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा का यह गठबंधन उपचुनाव में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होने की संभावना है। इससे राज्य की राजनीति में नई दिशा और संभावनाओं का उदय हो सकता है।