उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के मुख्यालय ‘शक्ति भवन’ में हाल ही में लागू किए गए नए नियमों के तहत मीडिया कर्मियों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया है। अब पत्रकारों को प्रवेश पूर्व संबंधित अधिकारी से अपॉइंटमेंट लेना होगा और दिए गए समय पर पास कार्यालय से प्रवेश पत्र बनवाने के बाद ही शक्ति भवन में प्रवेश की अनुमति होगी। यह निर्णय प्रेस की स्वतंत्रता और मीडिया की कार्यक्षमता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
नई व्यवस्था के तहत बदलाव:
अपॉइंटमेंट अनिवार्य: अब शक्ति भवन में प्रवेश के लिए पत्रकारों को पहले संबंधित अधिकारी से अपॉइंटमेंट लेना होगा।
प्रवेश पास: अपॉइंटमेंट के बाद ही पास कार्यालय से प्रवेश पत्र बनवाना अनिवार्य होगा।
रिसेप्शन पर कठिनाइयाँ:
अपॉइंटमेंट के लिए रिसेप्शन द्वारा दूरभाष पर बात करने पर संबंधित अधिकारियों के कैंप कार्यालय द्वारा बार-बार कहा जाता है कि ‘साहब मीटिंग में हैं’, ‘साहब लंच पर हैं’, या ‘साहब कार्यालय में बैठे नहीं हैं’।
प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रभाव:
संपर्क में कठिनाई: अधिकारियों के मोबाइल नंबर विभागीय वेबसाइट पर नहीं हैं, जिससे पत्रकारों के लिए संपर्क करना और अपॉइंटमेंट लेना अत्यंत कठिन हो जाता है।
सूचना की पारदर्शिता में कमी:
इन नए नियमों के कारण मीडिया को स्वतंत्र रूप से जानकारी तक पहुंचने में मुश्किलें आ रही हैं, जो पारदर्शिता और सूचना की स्वतंत्रता के विपरीत है।
खबरों की सटीकता पर असर:
मीडिया कर्मियों का स्वतंत्र रूप से घटनास्थल पर पहुंचना और सटीक रिपोर्टिंग करना मुश्किल हो सकता है, जिससे खबरों की सटीकता और विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है।
सरकारी विभागों का प्रयोजन:
सरकारी विभागों द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं:-
सूचना नियंत्रण: सरकारी विभाग अपने ऊपर होने वाली आलोचना और निगरानी को कम करना चाहते हैं।
कार्य संचालन में बाधा: अधिकारी यह तर्क दे सकते हैं कि पत्रकारों की अनियंत्रित पहुंच उनके कार्य संचालन में बाधा डालती है।
नियंत्रण और निगरानी: अधिक नियंत्रण और निगरानी के माध्यम से विभाग अपने आंतरिक कार्यों की जानकारी को नियंत्रित रखना चाहते हैं।
मीडिया की भूमिका और अधिकार:

प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। मीडिया का कार्य सूचना को जनता तक पहुंचाना, सरकारी नीतियों और कार्यों पर निगरानी रखना, और जनता के मुद्दों को उजागर करना है। इस तरह के प्रतिबंध मीडिया की इस भूमिका को कमजोर कर सकते हैं।
लोकतंत्र की हानि:
सूचना की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने से लोकतंत्र की मूल भावना को क्षति पहुंचती है।
जनता की आवाज:
मीडिया जनता की आवाज होती है। इस पर प्रतिबंध लगाकर जनता की समस्याओं और मुद्दों को दबाया जा सकता है।
शक्ति भवन में मीडिया कर्मियों के प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध प्रेस की स्वतंत्रता पर एक गंभीर हमला है। इस तरह के कदम न केवल मीडिया की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं, बल्कि सूचना की पारदर्शिता और लोकतंत्र की जड़ों को भी कमजोर करते हैं।
सरकार और संबंधित विभागों को चाहिए कि वे मीडिया के स्वतंत्र और निष्पक्ष कार्य को सुनिश्चित करें और सूचना तक पहुंच को सुगम बनाएं। प्रेस की स्वतंत्रता को बरकरार रखना न केवल मीडिया की जिम्मेदारी है, बल्कि यह एक स्वस्थ और पारदर्शी समाज की नींव भी है।