Tanzeem Fatima की ज़िन्दगी के रिश्तों की उलझनें और सामाजिक बंधनों ने ऐसी जटिलता पैदा कर दी है, जिसे सुनकर किसी का भी सिर चकरा सकता है। तो आइये तंजीम फातिमा की आपबीती कहानी की ओर रूख करते हुए बताते हैं। क्या है तंजीम फातिमा के जीवन की दास्तान? Tanzeem Fatima की आपबीती कहानी मुस्लिम समाज कि कुरीतियों पर सवालिया निशाना साधते निकाह, तलाक फिर हलाला जैसी कुप्रथाओं पर आधारित है। यह कहानी किसी और पर भी सटीक बैठती है, तो महज एक संयोग है। यह कहानी किसी को आहत करने या दिल दुखाने की नियती से नही बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से लिखा जा रहा है। इस कहानी को प्रकाशित करने का उद्देश्य, महज़ समाज से ऐसे कुरीतियों को दूर करने के लिए वैसे लोगों को विचार करने के लिए प्रेरित करेगा, जो देवी स्वरुपा स्त्रीयों को भोग का वस्तु बनाकर उपयोग करते हैं और एक छोड़ दूसरी, दूसरी छोड़ तीसरी-चौथी से निकाह करते रहते हैं। इस मार्गदर्शी आपबीती कहानी में वास्तविक नाम और स्थान को उजागर नही किया गया है, न ही कभी किया जा सकता है, क्योंकि यह आपबीती कहानी बताने वाली हमारी एक मुस्लिम पाठक ने वास्तविकता को समाज के सामने लाने और ऐसी प्रथाओं का त्याग कराने के उद्देश्य से प्रकाशित कराने का निवेदन किया है। बदला नाम तंजीम फातिमा अपनी पारिवारिक रिश्तों से मानसिक उलझनों को लेकर और हिन्दू रीति रिवाज को समझते हुए, हमारी तमाम लेखनी से प्रभावित होकर अपनी स्टोरी अपनी स्वेच्छा से प्रकाशित कराने के लिए, गूगल से हम भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव का सम्पर्क नम्बर 07379622843 लेकर बताई है। लेखनी को तैयार करने के बाद तंजीम फातिमा को एक नज़र पढ़ने और त्रुटि सुधार के लिए दिया, कहीं कोई त्रुटि न हो। के बाद आप पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। तंजीम एक डाक्टर के पास गयी थी और अपनी सारी दास्तान बता कही कि पारिवारिक रिस्ते से उत्पन्न हुई टेन्शन की बीमारी का इलाज बताओ। डाक्टर पूरी कहानी सुनकर खुद ही हतप्रभ हो गया था। क्योंकि डाक्टर अपनी मेडिकल शिक्षा में ऐसी पढ़ाई किया ही नहीं था, जो ऐसे रिस्तों से उत्पन्न बीमारी का उपचार बता सके, तो ऐसा क्या है- तंजीम फातिमा के जीवन में रिश्तों का उलझा जाल? जानने के लिए अंत तक बने रहिए हम भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी के साथ।
16 साल की उम्र में शादी और शुरू हुआ उलझनों का सिलसिला
तंजीम फातिमा Tanzeem Fatima कि शादी महज 16 साल की उम्र में एक 45 वर्षीय व्यक्ति से कर दी गई, जिसका नाम आफताब है। यह व्यक्ति पहले से दो निकाह कर चुका था, और उन दोनों बेगमों से क्रमशः तलाक हो चुकी थी और तंजीम आफताब की तीसरी बीबी बनी। आफताब के पहली बीबी से एक बेटा 25 साल का जिसका नाम मंजूर और दूसरी बीबी से एक बेटी 23 साल की – जिसका नाम फातिमा है। फिलहाल सौतली बेटी फातिमा अब मामू वजीर खान कि बेगम बन चुकी है। मतलब तंजीम फातिमा की सौतली बेटी बनी मामी। तंजीम फातिमा और उसके सौहर आफताब खान के बीच उम्र में फासला 29 साल का है, जिस कारण तंजीम की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने में शौहर आफताब शुरू से ही नाकामयाब रहा। अतृप्ति के वजह से धीरे-धीरे तंजीम का मन परिवार में अपने सौहर की पहली बीवी के 25 वर्षिय बेटे मंजूर की ओर आकर्षित होने लगा और उधर सौतेले बेटे से सौतेली अम्मी जान तंजीम फातिमा की उम्र 9 वर्ष कम है जो सुंदरता की मुरत है, पर बेटे मंजूर भी दिवाना हो गया। सौतेले बेटे के साथ शारीरिक संबंध संतुष्टी पूर्ण बनने लगा, तंजीम का सौहर, मंजूर का- अब्बू आफताब इस मामले में कुछ नहीं बोला क्योंकि? उसका व्यवहार बिल्कुल निष्क्रिय था।
मामू की एंट्री: और गहरा हुआ उलझनों का यह रिश्ता

कुछ समय बाद, तंजीम फातिमा Tanzeem Fatima के मामू वजीर खान उनके घर आए और उसके सौहर की दूसरी बीवी की बेटी फातिमा के साथ उनकी नजदीकियाँ बढ़ने लगीं। तंजीम के मामू वजीर खान के साथ सौतेली बेटी फातिमा का निकाह हो गया, जिससे वह अब सौतेली बेटी फातिमा मामी बन गई। इस बीच, तंजीम फातिमा अपने पति की पहली बीवी के बेटे मंजूर खान से गर्भवती हो गई और उसकी सौतेली बेटी बनी मामी, मामू से गर्भवती हो गई। ऐसे में तंजीम फातिमा के पेट से उसकी सौतेले बेटे का भाई जन्म लिया और उसकी सौतेली बेटी फातिमा के पेट से उसके मामू की बेटी तंजीम फातिमा का एक रिस्ता से बहन तो दूसरे रिस्ता से बेटी कि बेटी नतीनी का जन्म हुआ।
रिश्तों की गहराई में तलाक और पुनर्विवाह का दौर
इन जटिल हालातों में, एक दिन तंजीम फातिमा और उसके सौहर आफताब के बीच झगड़ा हुआ और दोनों का तलाक हो गया। बच्चों के भविष्य को देखते हुए, दोनों ने दोबारा एक होने का निर्णय लिया, लेकिन मौलवी ने हलाला करवाने की शर्त रखी। हलाला के लिए कोई और विकल्प न मिलने पर, तंजीम का हलाला उसके मामू से करवाया गया, और इस दौरान वह फिर से गर्भवती हो गई। इस तरह, अब तंजीम अपनी ही सौतेली बेटी के सौहर मामू बना दामाद के बेटे की माँ बन गई।
नई पीढ़ी में रिश्तों का और उलझना
समय बीतता गया और तंजीम फातिमा का वह बेटा, जो उसके सौतेले बेटे मंजूर से हुआ था, को तंजीम फातिमा की सौतेली बेटी फातिमा की बेटी से प्यार हुआ और रिश्ता निकाह में बदल गया। कुछ दिनों बाद दोनों में आपसी रंजिश के कारण तलाक हो गया। तलाक के बाद दोनों ने फिर से शादी का फैसला किया, लेकिन इस बार भी हलाला की आवश्यकता पड़ी क्योंकि यह रीति-रिवाज में ही है जब तलाक होता है और पुनः निकाह करनी या साथ रहना होता है तो किसी न किसी के साथ निकाह कर हलाला हमबिस्तर होना पड़ता है। फिर तलाक होती है तब जाकर पहले सौहर के साथ रहने की इजाजत। हलाला के लिए इस बार उसका मामू का बेटा तंजीम के दूसरे गर्भ से जन्मा सामने आया। हलाला के बाद, तंजीम की सौतेली बेटी की बेटी ने अपने हो चुके दूसरे सौहर के साथ ही जीवन बिताने का निर्णय ले लिया है। अब तंजीम फातिमा के पति की पहली बीवी का बेटा तंजीम फातिमा पर दबाव डाल रहा है कि वह उनके बेटे को इंसाफ दिलाए। ऐसे उलझी रिश्ते को सुलझाने में तंजीम फातिमा Tanzeem Fatima भला क्या कर सकती है? जहां भरोसा ही नहीं कब किसको किससे साथ हमबिस्तर होना पडे़।
डॉक्टर की अंतिम प्रतिक्रिया: उलझन और निराशा का सामना
इस पूरी कहानी को सुनते-सुनते डॉक्टर विरेन्द्र सिंह के सब्र का बाँध टूट गया था। रिश्तों के इस जाल और अजीबोगरीब हालात ने डाक्टर विरेन्द्र को पूरी तरह से हताश कर दिया। उसने तंजीम फातिमा को दस रुपये की नोट देते हुए कहा, बहन, बाजू की दुकान से मेरे लिए चूहे मारने की दवा ले आओ… मेरी जीने की इच्छा खत्म हो गई है। ऐसे उलझन भरी रिस्ते कि गुत्थियां सुलझाने के लिए भला कौन होगा। इसलिए तंजीम का मानना है कि हिन्दू धर्म ही सर्वोच्च है जहां स्त्रीयों को देवी का स्थान प्राप्त होता है और जिस किसी के साथ सामाजिक रूप से विवाह हो जाता है, उसी के साथ जीवन सकुशल व्यतीत हो जाता है।
रिश्तों की इस उलझन से उठते हैं समाज और इंसानियत पर गहरे सवाल
बदला नाम तंजीम फातिमा की आपबीती कहानी समाज में रिश्तों की जटिलताओं को एक नया आयाम देती है। यह कहानी न केवल रिश्तों की गहराई को दर्शाती है, बल्कि इंसान की मानसिकता और समाज में व्याप्त सामाजिक मानदंडों पर सवाल भी खड़े करती है।
जो हिन्दू समाज की युवतियां मुस्लिम युवाओं के चक्कर में फंसती हैं, उनके और उनके औलाद के साथ भी तीन तलाक फिर हलाला जैसी कुप्रथाओं से गुजरने की नौबत अक्सर आ ही जाती है, जहां भरोसा नहीं रहता हलाला अपना भाई, भतीजा, मामा, बाबा, चाचा, देवर, बेटा आदि में कौन करेगा। मतलब हमबिस्तर कब कौन होगा?