देवरिया जनपद के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मझगांवा मे होली के त्यौहार मे कर्मचारी अवीर गुलाल लगा कर अपने आप मे हरसौ उल्लास के साथ मनाया गया। होली का त्यौहार जहा रगा रंग रंगों का त्योहार होली संस्कृति के अनूठे उल्लास को समेटे हुए है। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। होली का त्योहार इसी विविधता में एकता तथा भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं।खेलने के अलावा दूसरा सब से बड़ा महत्व होता है कि इसमें एक दूसरे से मिलने के लिए होली मिलन का आयोजन होता है।वैसे तो यह आयोजन अलगअलग तरह से लोग करते हैं, अच्छी बात यह है कि ज्यादातर लोग बिना किसी भेदभाव के होली मिलन में एक दूसरे से मिलते हैं।होली मिलन एक तरह से समाज को एकजुट रहने का संदेश देता है।
गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम और भाईचारे का दिया संदेश
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मझगांवा मे गिले शिकवे भूल आपस मे खेली होली, भाई चारे का प्रतिक मनाया हरसौ उल्लास के साथ खुशी खुशी होली का पर्व

जरूरत इस बात की है कि होली मिलन में सामाजिकता को और बढ़ावा दिया जाए।अभी हर वर्ग अपने अपने होली मिलन के समारोह आयोजित करता है। अगर ये खास वर्ग के लिए न होकर सभी के लिए हों तो इन की उपयोगिता बढ़ सकती है।आज जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव व गैरबराबरी का दर्जा देने की बहुत घटनाएं हो रही हैं। ऐसे में अगर होली मिलन के बहाने सभी लोग जाति व धर्म के भेदभाव को छोड़ कर होली मिलन समारोह में हिस्सा लें तो भेदभाव कम होगा। सही माने में हर त्योहार का यही उद्देश्य होता है।होली की खासीयत है कि रंग लगा कर, भेदभाव मिटा कर आपस में गले लगने का संदेश दिया जाए। होली के अलावा बाकी त्योहार ऐसे हैं जिन में लोग अपने नाते रिश्तेदारों या सगे संबंधियों के साथ ही मौजमस्ती करना पसंद करते हैं।

होली अकेला ऐसा त्योहार है जिसमें लोग सड़क पर, पार्क में या घर के बाहर निकल कर रंग खेलते हैं।सबसे बड़ी बात इस त्योहार में कोई एक रंग नहीं रह जाता सारे रंग मिलकर एक हो जाते हैं। ऐसे में रंगों की राजनीति करने वालों को भी समाज आईना दिखा देता है।