त्रियाचरित्र: महिलाओं की बुद्धिमत्ता और चालाकी की कहानी

Amit Srivastav

त्रियाचरित्र: महिलाओं की बुद्धिमत्ता और चालाकी की कहानी

“त्रियाचरित्र” शब्द भारतीय समाज में महिलाओं के व्यक्तित्व और व्यवहार से जुड़ा एक बहुचर्चित और विवादास्पद अवधारणा है। यह शब्द आमतौर पर महिलाओं की चतुराई, रहस्यमयता और अप्रत्याशित स्वभाव का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि, इसका इस्तेमाल कई बार गलतफहमियों और स्त्रीविरोधी दृष्टिकोण को व्यक्त करने के लिए भी किया गया है।
ग्रामीण और पारंपरिक कहानियों में महिलाओं की चतुराई और चालाकी को “त्रियाचरित्र” के रूप में दिखाया गया। यह अक्सर मनोरंजक और सीख देने वाले दृष्टिकोण से बताया जाता है। समाज में कई बार “त्रियाचरित्र” शब्द का उपयोग महिलाओं के रहस्यमय स्वभाव को नकारात्मक रूप में प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। यह धारणा पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता को दर्शाती है, जहां महिलाओं की स्वतंत्रता और बुद्धिमत्ता को समझने के बजाय उसे शंका की दृष्टि से देखा गया। आज के समय में “त्रियाचरित्र” शब्द को नकारात्मक दृष्टि से देखना उचित नहीं है। महिलाओं की बुद्धिमत्ता, साहस और चतुराई को सम्मान देना चाहिए। त्रियाचरित्र केवल चालाकी का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की परिस्थितियों को समझने और उन्हें अपने पक्ष में मोड़ने की क्षमता का प्रतीक है। तो आइये आज एक रचित कहानी प्यासा मुसाफिर और एक औरत, पर आधारित शुरुआत करते हैं। उम्मीद है कहानी पसंद आयेगी अगर पसंद आये तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपना विचार व्यक्त कर नाम लिखे और मेल आईडी डालकर सबमिट करें और अंत तक पढ़ने के बाद शेयर भी जरुर करें – जिससे लेखक भगवान चित्रगुप्त वंशज-अमित श्रीवास्तव का मनोबल बढ़ाने का आपके द्वारा सराहनीय प्रयास होगा।

त्रियाचरित्र: महिलाओं की बुद्धिमत्ता और चालाकी की कहानी


बहुत समय पहले की बात है, एक प्यासा मुसाफिर तपती दोपहरी में रास्ते से गुजर रहा था। उसकी प्यास इतनी तेज़ थी कि उसे हर ओर सिर्फ पानी की तलाश थी। कुछ दूर चलने पर उसे एक गांव नजर आया। गांव के बाहरी हिस्से में एक कुआं था, जहां एक औरत मटके में पानी भर रही थी।
प्यास से व्याकुल मुसाफिर उस औरत के पास पहुंचा और विनम्रता से कहा- बहन, मैं कई कोसों से चल रहा हूं और मेरी प्यास अब बर्दाश्त के बाहर है। क्या तुम मुझे अपने मटके से थोड़ा पानी पिला सकती हो?
औरत ने मुस्कान के साथ हामी भरी और मटके से पानी निकालकर उसे पिला दिया। प्यासे आदमी ने पानी पीया और राहत महसूस की। पानी पीने के बाद, उसने औरत की ओर देखा और हंसी-हंसी में बोला- बहन, लोग कहते हैं कि औरतें बहुत चालाक होती हैं। क्या तुम मुझे बता सकती हो कि औरतों की चालाकी में क्या राज़ है?
यह सुनते ही औरत ने अचानक जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया- बचाओ! बचाओ! यह आदमी मुझसे बदतमीजी कर रहा है!
मुसाफिर को कुछ समझ नहीं आया। वह डर और घबराहट में पूछने लगा- अरे, तुम ये क्या कर रही हो? मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। मैंने तो बस एक सवाल पूछा था।
लेकिन औरत ने उसकी बात अनसुनी कर दी और अपनी आवाज और ऊंची कर ली। गांव के लोग, जो खेतों और अपने-अपने काम में व्यस्त थे, शोर सुनकर दौड़ते हुए कुएं की ओर पहुंचने ही वाले थे।
गांव वालों की आती हुई भीड़ को देखकर मुसाफिर की घबराहट बढ़ने लगी और गिड़गिड़ाते हुए औरत से छमा मानगे लगा। गांव वाले पास तक आने ही वाले थे, तब तक औरत अपने मटके की पानी अपने शरीर पर उडेल ली और रोने लगी। जब गांव के लोग वहां पहुंचे, तो उन्होंने औरत को रोते हुए देखा। उनकी नजरें उस घबड़ाये हुए मुसाफिर पर पड़ी, जो अब पूरी तरह से डर से कांप रहा था। गांव वालों ने गुस्से से पूछा- क्या हुआ? यह आदमी तुम्हें परेशान कर रहा था? इस बीच, मुसाफिर ने घबराकर औरत से पूछा- तुम ऐसा क्यों कर रही हो? मैंने तुम्हारे साथ कुछ भी गलत नहीं किया। औरत ने मुस्कुराते हुए धीमे स्वर में कहा- मैं तुम्हें सबक सिखा रही हूं। अगर मैं चाहूं तो गांव वालों को यह यकीन दिला सकती हूं कि तुमने मेरे साथ जोर-जबरदस्ती कर मेरी इज्जत लूटने की कोशिश कि है। इसके बाद ये लोग तुम्हें इतना पीटेंगे कि तुम्हारा यहां से जिंदा लौटना मुश्किल हो जाएगा।
मुसाफिर को उसकी चालाकी समझ में आ गई। धीरे से उसने हाथ जोड़कर कहा- मुझे माफ कर दो। मैं तुम्हें नेक और इज्ज़तदार औरत समझ बस अपनी एक उत्पन्न हुई जिज्ञासा भरे प्रश्न को पूछा था।

औरत ने अचानक अपने मटके का सारा पानी जो अपने ऊपर उड़ेल लिया था और रोने का नाटक करने लगी थी। ने गांव वालों के पूछने पर क्या कही आप जानकर हैरान हो जायेगें। औरत ने गांव वालों से कहा, मैं कुएं से पानी भर रही थी, लेकिन अचानक फिसलकर कुएं में गिर गयी थी। ऐन मौके पर यह भला आदमी मेरी आवाज़ सुनकर यहां आ गया और आप लोगों के आने से पहले ही इसने मुझे कुएं से निकाल मेरी जान बचा ली। अगर यह न होता, तो मैं आप लोगों के आने से पहले ही मै मर गयी होती।
गांव वालों ने यह सुनते ही मुसाफिर की तारीफ करनी शुरू कर दी। उन्होंने कहा, यह आदमी तो फरिश्ता है! इसे तो इनाम मिलना चाहिए। उन लोगों ने उस आदमी को कंधों पर उठा लिया, उसकी खूब प्रशंसा की और उसे बहुत सारा इनाम गांव वालों ने दिया। जब सब गांव वाले चले गए, तो औरत ने मुसाफिर की ओर देखा और कहा- देखो, मैंने तुम्हें इसलिए माफ कर दिया क्योंकि तुमने मेरा अपमान करने का इरादा नहीं किया था। लेकिन इस बात को हमेशा याद रखना। अगर औरत को तकलीफ दोगे, तो वह तुम्हारे सुख और चैन को छीन लेगी। लेकिन अगर उसे खुश रखोगे और उसका सम्मान करोगे, तो वह तुम्हें मौत के मुंह से भी बचा सकती है। औरत अपनी हो चाहें पराई औरत का दिल जितना नाजुक है, उतना ही उसकी बुद्धि तेज है। उसे कभी हल्के में मत लेना।
मुसाफिर को इस घटना से बड़ी सीख मिली। वह अपनी प्यास बुझाकर तो गया ही, लेकिन औरत की बुद्धिमत्ता और सहनशक्ति का पाठ भी सीखकर गया।

इस दृश्य में एक भिगी हुई औरत का चित्रण, जो कुंए से पानी निकालकर एक आदमी को पिला रही है, “त्रियाचरित्र” के कई पहलुओं को दर्शा सकता है। औरत द्वारा मुसाफिर को पानी पिलाने व मुसाफिर के सवालों के बाद चिल्लाना और अपने मटके का पानी अपने ऊपर उडेल लेना और रहस्यमय मुस्कान आदमी को विचलित और आकर्षित कर सकता है। यह उसकी ताकत और आत्मविश्वास को भी दर्शाता है। यह कहानी समाज को यह सिखने का अवसर देता है कि महिलाएं भी अपनी परिस्थितियों को नियंत्रित करने की क्षमता रखती हैं। औरत का यह चित्रण, चाहे वह कुंए पर हो या किसी अन्य संदर्भ में, हमें महिलाओं के आंतरिक बल और रहस्यमय व्यक्तित्व को समझने और सराहने का अवसर देता है। यदि औरत अपनी स्थिति का उपयोग किसी उद्देश्य को साधने के लिए करती है, तो इसे त्रियाचरित्र कहा जा सकता है।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हम यह समझाने की कोशिश किए हैं कि औरत केवल संवेदनशील और कोमल नहीं होतीं, बल्कि उनमें गहरी बुद्धिमत्ता और समझ होती है। उनका सम्मान करना और उनके अधिकारों को समझना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। अगर औरत चाहे, तो परिवार और समाज को मजबूत बना सकती है। लेकिन अगर उसे अपमानित किया जाए, तो वह बड़े से बड़ा विनाश भी कर सकती है।
याद रखें- औरत की ताकत और समझदारी को नकारने वाले लोग हमेशा पछताते हैं। लेखनी अच्छी लगी हो तो शेयर जरुर करें।

त्रियाचरित्र: महिलाओं की बुद्धिमत्ता और चालाकी की कहानी

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