डिजिटल लत: शॉर्ट वीडियो का मीठा जहर और इसका हमारे जीवन पर प्रभाव

Amit Srivastav

डिजिटल लत: शॉर्ट वीडियो का मीठा जहर और इसका हमारे जीवन पर प्रभाव

तकनीकी विकास ने हमारे जीवन में कई सुविधाएं दी हैं। स्मार्टफोन, इंटरनेट, और सोशल मीडिया ने हमें एक-दूसरे से जोड़ने के नए साधन दिए हैं। लेकिन इन साधनों के साथ ऐसी आदतें भी विकसित हुईं, जो हमारी दिनचर्या, मानसिक शांति, और रिश्तों को नुकसान पहुंचा रही हैं। इनमें सबसे बड़ा योगदान है शॉर्ट वीडियो या रील्स का। ये शॉर्ट वीडियो हमारी उत्पादकता, मानसिक स्थिरता और परिवार के साथ बिताए समय को चुपचाप खा रहे हैं। यह भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव का लेख आपको दिखाएगा कि शॉर्ट वीडियो कैसे आपके जीवन में मीठा जहर बन रहा है और इससे बचने के क्या उपाय है? इस लेख को इत्मिनान से पढ़िए जीवन कि उपयोगिता को समझने का प्रयास किजिए। डिजिटल लत कैसे बन रहा है मिठा जहर जानिए सुष्मिता और अनिता की एक कहानी के माध्यम से!

डिजिटल लत: शॉर्ट वीडियो का मीठा जहर और इसका हमारे जीवन पर प्रभाव

एक नवविवाहित गृहिणी सुष्मिता की कहानी-
सीख और समाधान

नवंबर महीने में पास की एक खुबसूरत युवती सुष्मिता की शादी बहुत धूमधाम से हुई। शादी के साथ ही सुष्मिता एक नवविवाहित महिला के रूप में ससुराल चली गई। उसे एक प्यार करने वाला पति आकाश मिला साथ ही सपनों जैसा परिवार और अच्छे रिश्तेदार मिले। शुरुआत में सबकुछ ठीक चल रहा था। लेकिन धीरे-धीरे कुछ समय बाद बदलाव होने लगा। जनवरी की कड़कड़ाती ठंड में, जब परिवार के लोग अपने-अपने काम में व्यस्त रहने लगे, नवविवाहिता सुष्मिता और उसकी जेठानी अनिता ने शॉर्ट वीडियो देखने का शौक पाल लिया। सुबह की शुरुआत मोबाइल स्क्रीन पर वीडियो देखकर होती, और यह आदत दिनभर जारी रहती। कुछ महीनों बाद, उन्होंने महसूस किया कि, घर के काम समय पर पूरे नहीं हो रहे। सास का गुस्सा बढ़ रहा था। पति और बड़े भाई चिड़चिड़े हो गए थे। घर में शांति की जगह तनाव ने जगह ले ली थी। सास ने एक दिन गुस्से में दोनों बहुओं से फोन ले लिया और केवल दोपहर 1 बजे से रात 7 बजे तक फोन इस्तेमाल करने की अनुमति दी। यह सख्ती शुरू में अनुचित लगी, लेकिन धीरे-धीरे इसका असर दिखाई देने लगा।
शॉर्ट वीडियो की लत: कैसे यह जीवन को प्रभावित करती है?
शॉर्ट वीडियो का उद्देश्य है कम समय में अधिक मनोरंजन देना। इनकी डिजाइनिंग इस तरह की जाती है कि लोग इन्हें देखते रहें। लेकिन इनका प्रभाव सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं रहता।

समय की बर्बादी– 10-15 सेकंड से एक मिनट के वीडियो की आदत कब घंटों में बदल जाती है, इसका एहसास नहीं होता। दिनभर की उत्पादकता खत्म हो जाती है, और काम समय पर नहीं हो पाते।

रिश्तों में तनाव– मोबाइल स्क्रीन पर समय बिताने की वजह से परिवार के सदस्यों के साथ संवाद कम हो जाता है। इससे रिश्तों में दूरियां और तनाव बढ़ता है।

मानसिक थकान– लगातार स्क्रीन पर ध्यान देने से दिमाग पर दबाव बढ़ता है। जरुरी काम पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है, और मानसिक थकान महसूस होती है।

रूटीन का बिखराव– जो काम पहले समय पर होते थे, वे देर से होने लगते हैं। यह आदत पूरे दिन की दिनचर्या को गड़बड़ कर देती है।

नकारात्मक आदतों का विकास– शॉर्ट वीडियो हमें आलसी बना देते हैं। हम लंबे समय तक किसी भी चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते।

समाधान: सख्ती और आत्म-अनुशासन

नवविवाहिता सुष्मिता और उसकी जेठानी अनिता ने अपनी सास की सख्ती को स्वीकार किया और फोन के उपयोग को सीमित कर दिया। इसके परिणामस्वरूप- सुबह का काम जल्दी पूरा होने लगा। घर में शांति लौट आई। पति-पत्नी के बीच का प्यार बढ़ा। परिवार में सामंजस्य बेहतर हुआ। उन्होंने यह भी महसूस किया कि शॉर्ट वीडियो देखना बंद करने के बाद- उनका ध्यान जरुरत की कामों पर अधिक केंद्रित हो गया। वे मानसिक रूप से अधिक शांत महसूस करने लगीं। परिवार और अपने लिए अधिक समय मिलने लगा।

अगर आप भी महसूस कर रहे हैं कि शॉर्ट वीडियो आपकी उत्पादकता और रिश्तों पर असर डाल रहे हैं, तो इन उपायों को अपनाएं।

डिजिटल डिटॉक्स करें– सप्ताह में एक दिन ऐसा तय करें, जब आप बिल्कुल भी मोबाइल या सोशल मीडिया का उपयोग न करें।

स्क्रीन टाइम लिमिट सेट करें– अपने फोन और ऐप्स पर स्क्रीन टाइम लिमिट सेट करें। यह आपको अनावश्यक उपयोग से रोकेगा।

सुबह की शुरुआत फोन के बिना करें- सुबह उठकर सबसे पहले फोन देखने से बचें। दिन की शुरुआत सकारात्मक गतिविधियों से करें, जैसे मेडिटेशन, वर्कआउट, किताब पढ़िए- आवश्यक जानकारी लिखिए या गूगल से आवश्यक जानकारी को पढ़ने कि आदत डालिए। गूगल पर हम तमाम लेखकों का मार्गदर्शी लेखनी और आवश्यक जानकारी भरी पड़ी रहती है, बेल आइकन को दबा एक्सेप्ट कर नोटिफिकेशन के माध्यम से नयी-नयी लेखनी से जानकारी हासिल किजिए। अपनी पसंदीदा जानकारी के लिए ऊपर थ्री डाट पर क्लिक कर, मनपसंद सेक्शन में जाकर खोजें या सर्च आइकॉन पर क्लिक कर अपनी पसंदीदा लेख का कुछ शब्द लिख सर्च करें, सम्बंधित पोस्ट को खोजकर हमारे amitsrivastav.in या amit-srivastav-author.blogspot.com पर पढ़ें।

रील्स की जगह उत्पादकता बढ़ाने वाले ऐप्स वेबसाइट का उपयोग करें- रील्स और शॉर्ट वीडियो देखने के बजाय, उन वेबसाइट ऐप्स का उपयोग करें जो आपकी स्किल्स को निखारें।

परिवार के साथ समय बिताएं– फोन की जगह परिवार के साथ खेलें, बातचीत करें, या उनके साथ कोई एक्टिविटी करें।

पुराने शौक फिर से अपनाएं– पेंटिंग, गार्डनिंग, संगीत या किसी पुराने शौक को फिर से अपनाएं।

परिणाम: समय, रिश्ते और शांति की वापसी

नवविवाहिता सुष्मिता और उसकी जेठानी अनिता की कहानी यह दिखाती है कि कैसे शॉर्ट वीडियो छोड़ने से उनके जीवन में बदलाव आया। परिवार के सदस्यों के बीच का तनाव खत्म हुआ। काम समय पर पूरे होने लगे। मानसिक शांति और स्थिरता लौटी। आप भी अपने जीवन में शार्ट विडियो कि लगी लत को छोड़कर सकारात्मक कदम उठाएं।

Click on the link बहू-बेटि और सास नारी करे नारी का उपहास हर उम्र की महिला पुरुष को पढ़ने के लिए एक प्रेरणादायी लेखनी ब्लू लाइन पर क्लिक किजिये पढ़िए या किसी भी सर्च इंजन से सर्च किजिये amitsrivastav.in साइड पर पढ़िए विस्तृत मार्गदर्शी लेखनी। ऊपर चढ़कर देखा घर-घर का एके लेखा लेकिन आप चाहें तो इस लेखनी को अपने जीवन में उतार कर परिवार को बहुत खुशहाल बना सकते/सकती हैं।

शॉर्ट वीडियो और रील्स आज की पीढ़ी के लिए एक बड़ा खतरा हैं। ये समय, ऊर्जा और मानसिक शांति को धीरे-धीरे खत्म कर देते हैं। अगर हम समय रहते इसे नियंत्रित नहीं करेंगे, तो यह हमारी उत्पादकता और रिश्तों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
तो क्या आप तैयार हैं इस “मीठे जहर” से छुटकारा पाने के लिए? एक छोटा सा कदम, जैसे सुबह फोन न देखना या डिजिटल डिटॉक्स करना, आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है। इसे आजमाएं और फर्क महसूस करें। अगर आपके पास भी इस विषय पर कोई अनुभव है, तो कमेंट बॉक्स में लिखकर या हमारे भारतीय हवाटएप्स कालिंग सम्पर्क नम्बर 07379622843 पर जरूर बताएं। आपकी कहानी दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकती है।

Click on the link संस्कार- मां बेटी बहू और सास की रोचक जानकारी पढ़ने के लिए ब्लू लाइन पर क्लिक किजिये।

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