उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से एक महत्वपूर्ण घटना सामने आई है, जहां चार साल तक विरोध और असमंजस झेलने के बाद 45 मुस्लिम परिवारों ने इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म को अपनाने का साहसिक निर्णय लिया। इन परिवारों के मुखिया सलमान खान ने धर्म परिवर्तन के बाद अपना नया नाम संसार सिंह रखा। उनका यह कदम न केवल उनके परिवार के इतिहास और मूल धर्म से जुड़ा है, बल्कि यह समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की एक बड़ी कहानी को भी उजागर करता है।
दादा की अंतिम इच्छा से शुरू हुई कहानी
धर्म परिवर्तन की इस प्रक्रिया की शुरुआत परिवार के बुजुर्ग सदस्य, संसार सिंह के दादा, की अंतिम इच्छा से हुई। उनके दादा ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में इच्छा जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार सनातन धर्म के रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाए।
संसार सिंह के अनुसार, उनके दादा इस्लाम को मानते हुए भी हमेशा हिंदू मूल्यों के करीब रहे। उनकी मृत्यु के बाद, पूरे परिवार ने ब्रजघाट में गंगा किनारे हिंदू परंपराओं के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया। इसी के साथ, परिवार ने गंगा स्नान कर स्वयं को शुद्ध किया और सनातन धर्म में वापसी की प्रक्रिया को आरंभ किया।
संसार सिंह ने बताया, हमारे दादा ने अपने जीवनभर हिंदू परंपराओं के प्रति लगाव रखा। उनकी अंतिम इच्छा ने हमारे परिवार को एकजुट किया और हमें यह निर्णय लेने की हिम्मत दी।
पाकिस्तान से भारत तक का सफर
संसार सिंह के अनुसार, उनका परिवार मूल रूप से पाकिस्तान के इस्लामाबाद का निवासी था। उनके पूर्वज हिंदू थे, लेकिन मुगल शासन के दौरान उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया गया।
1947 के भारत-पाक विभाजन के समय उनका परिवार भारत आकर दिल्ली में बस गया। हालांकि, उनके पूर्वज हमेशा अपने मूल धर्म में लौटने का सपना देखते रहे।
हमारे दादा-परदादा हिंदू थे। उनके खून में सनातन धर्म था, लेकिन उस समय की परिस्थितियों और जबरदस्ती के कारण उन्हें इस्लाम अपनाना पड़ा।
संसार सिंह ने आगे कहा, अब हमें अपने मूल धर्म में लौटकर गर्व महसूस हो रहा है। यह कदम हमारे पूर्वजों के सपनों को पूरा करने जैसा है।
चार साल तक चला संघर्ष

धर्म परिवर्तन का यह निर्णय 2019 में लिया गया था। लेकिन समाज के विरोध और डर के कारण यह परिवार अपने निर्णय को लागू करने में हिचकिचा रहा था। समाज का विरोध इतना तीव्र था कि परिवार लंबे समय तक इस्लाम और हिंदू धर्म के बीच फंसा रहा।
संसार सिंह बताते हैं, हम चार साल तक इस दुविधा में रहे। हमें डर था कि समाज हमारे खिलाफ हो जाएगा। लेकिन हमारे परिवार ने एकजुट होकर यह फैसला लिया कि हम अपने पूर्वजों के धर्म में लौटेंगे।
परिवार ने धीरे-धीरे अपनी परंपराओं की ओर लौटना शुरू किया। त्योहारों में भाग लेना, हिंदू संस्कारों को अपनाना, और दादा की इच्छाओं का सम्मान करते हुए उन्होंने सनातन धर्म में वापसी का ऐलान किया।
धर्म परिवर्तन के बाद, इन परिवारों ने भगवान शिव और माता पार्वती के सम्मान में गौरीशंकर गोत्र अपनाया। इसके साथ ही, परिवार के सदस्यों ने अपने नए हिंदू नाम भी चुने।
सलमान खान अब संसार सिंह बन गए, और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने भी अपने नाम बदल लिए। संजू, सतीश, बलवान सिंह, राजेश, और शशि जैसे नाम अब इन परिवारों की नई पहचान बन गए हैं। परिवार ने वंशावली को तीर्थ पुरोहित के पास दर्ज कराया है, और शेष नाम जल्द ही दर्ज कराए जाएंगे।
हिंदू परंपराओं की ओर वापसी
धर्म परिवर्तन के साथ, इन परिवारों ने हिंदू रीति-रिवाजों और परंपराओं को पूरी तरह से अपनाने का फैसला किया है। अब वे नियमित रूप से व्रत रखते हैं, हिंदू त्योहार मनाते हैं, और धार्मिक संस्कारों का पालन करते हैं।
संसार सिंह ने कहा, हमने यह तय कर लिया है कि अब से हम हिंदू परंपराओं के अनुसार ही अपने जीवन को आगे बढ़ाएंगे। हमारे लिए यह निर्णय गर्व और संतोष का विषय है।”
समाज में नया संदेश:
धर्म परिवर्तन के बाद, इन परिवारों ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि उन्हें सनातन धर्म में लौटने पर गर्व है। उनका कहना है कि वर्तमान समय में हिंदुओं के हित सुरक्षित हैं, और उनके मूल धर्म में लौटने का यह सही समय था।
हमें अपने धर्म में लौटकर गर्व महसूस हो रहा है। यह कदम न केवल हमारे परिवार के लिए, बल्कि हमारे पूर्वजों के सपनों को साकार करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
संसार सिंह ने कहा कि इस कदम से समाज में एक नया संदेश जाएगा कि हर व्यक्ति को अपने धर्म और परंपराओं के प्रति स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार है।
सलमान खान का एक ऐतिहासिक निर्णय
यह घटना न केवल व्यक्तिगत धर्म और परंपराओं के प्रति आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान कितनी गहरी होती है। 45 परिवारों का यह साहसिक कदम उन लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है, जो अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने की इच्छा हैं।
संसार सिंह और उनके परिवार का यह निर्णय इतिहास में दर्ज रहेगा, जो यह बताता है कि अपने मूल धर्म और परंपराओं की ओर लौटने का मार्ग कठिन तो हो सकता है, लेकिन संतोष और गर्व का अनुभव भी कराता है।
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