मीडिया विशेषज्ञ अभिषेक कांत पाण्डेय का यह लेख गोदी मीडिया– हर चीज का जब राजनीतिकरण हो जाता है तो उसके लाभ के लिए सत्तापक्ष भरसक प्रयास करता है। लोकतंत्र में चौथे स्तंभ के रूप में मीडिया स्थापित है परंतु यह मुख्यधारा की मीडिया पूंजीपतियों की है। पूंजीपतियों को लाभ सरकार पहुंचाती रही है इसलिए भारतीय पूंजीपति टीवी चैनल मीडिया और कुछ अखबार भारत में सरकार की कमियों को छुपाती है। सरकार के थोड़े से कामों का इतना महिमामंडन करती है कि लोग में यह भ्रम है कि सरकार मीडिया चला रही कि मीडिया सरकार को चला रही है।
आम जनता के पक्ष में बोलने वाली मीडिया की मुख्यधारा गायब
हकीकत यह है की पूंजीपति ही सरकार को चला रहा है।
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वैसे भी जब मीडिया सरकार की तरफदारी करना शुरू कर दे तो समझ जाइए कि आम जनता के लिए कुछ नहीं है।
आप उम्मीद कदापि न करें कि आम आदमी के पक्ष में भारतीय मीडिया या सरकार खड़ी होगी।
जो लोग मीडिया में रह चुके हैं उन लोगों ने अपनी आंखों से देखा होगा कि 2014 के पहले की मीडिया और 2014 के बाद की मीडिया में कितना अंतर आया है।

पूंजीपतियों की मीडिया करती है सरकार की तरफदारी
इसके अलावा पूंजीपति मीडिया यह एक ऐसी खतरनाक जहर है जो सरकार बदलने के बाद दूसरे सरकार के पक्ष में गोदी मीडिया के नाम से मशहूर हो सकता है। दरअसल पूंजीपति मीडिया अब यह जान गई है कि सरकार किसी की भी हो उसका इस्तेमाल करके आने वाले वक्त में किस तरीके से अपने लिए काम करवाया जा सकेगा। इसलिए आने वाले वक्त में यदि सरकार बदल भी जाती है तो यही पूंजीपति मीडिया उस सरकार की गोदी में जाकर बैठ जाएगी, जैसे आज वर्तमान सरकार की गोदी में बैठी हुई है।
जनता को इस चलन को बंद करना है।
इसलिए जनता गोदी मीडिया का बहिष्कार करना शुरू कर दे। दरअसल इसलिए की गोदी मीडिया सरकार के हाथों की कठपुतली है और आपके लिए यह कभी भी न्याय नहीं कर सकती है। जनता के हित में आवाज उठाने वाली मुख्य धारा की पूंजीपति मीडिया कभी काम आने वाली नहीं है। आज जो लोग सत्ता पक्ष की हर बुरे कामों की भी तारीफ कर रहे हैं, कल सत्ता बदलने पर यही लोग उस दूसरी सत्ता की बड़ाई करते हुए और लाभ लेते हुए नजर आएंगे।

गोदी मीडिया: सरकार की कठपुतली या जनता की आवाज?
आज के दौर में मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, लेकिन जब यही मीडिया सत्ता के पक्ष में खड़ी हो जाए, तो उसका असली उद्देश्य समाप्त हो जाता है। वर्तमान समय में मुख्यधारा की मीडिया (Mainstream Media) पर कॉर्पोरेट्स और पूंजीपतियों का कब्जा है, जो सरकार के पक्ष में माहौल बनाने का काम करती है। इसका नतीजा यह होता है कि सरकार की कमियों को छुपाया जाता है और उसकी छोटी-छोटी उपलब्धियों को भी बड़ी सफलता के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
ऐसे में एक सवाल उठता है – क्या मीडिया सरकार चला रही है, या सरकार मीडिया को चला रही है?
जनता के मुद्दों से भटकती मीडिया
लोकतंत्र में मीडिया का मुख्य कार्य जनता के मुद्दों को उठाना होता है, लेकिन आज की मुख्यधारा की मीडिया पूरी तरह से जनता से कट चुकी है। महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, भ्रष्टाचार, और आम नागरिकों की समस्याओं पर बहस करने के बजाय मीडिया सरकार की प्रशंसा में लगी रहती है।
2014 से पहले की मीडिया की तुलना में आज की मीडिया पूरी तरह बदल चुकी है। पहले जहां पत्रकार सरकार से सवाल करते थे, आज वही पत्रकार सरकार के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं। सवाल पूछने के बजाय वे जनता को गुमराह करने वाले मुद्दों पर बहस कराते हैं, जिससे असली समस्याओं पर ध्यान ही न जाए।
पूंजीपति गोदी मीडिया: सरकार की ढाल
मीडिया के बड़े संस्थान अब केवल मुनाफे के लिए काम कर रहे हैं। पूंजीपति मीडिया घराने सरकार की नीतियों का समर्थन इसलिए करते हैं क्योंकि इससे उन्हें बड़े फायदे मिलते हैं। सरकारें बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाती हैं और बदले में ये उद्योगपति अपने न्यूज चैनलों और अखबारों के माध्यम से सरकार का महिमामंडन करते हैं।
इसका नतीजा यह हो रहा है कि जो मीडिया पहले जनता की आवाज थी, वह अब सरकार की ढाल बन गई है।
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क्या मीडिया सत्ता बदलने पर निष्पक्ष हो जाएगी?
यह एक बड़ा सवाल है—क्या सरकार बदलने पर मीडिया भी बदल जाएगी?
अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब सत्ता बदलती है, तो वही मीडिया जो पहले एक सरकार की प्रशंसा कर रही थी, वह नई सरकार के पक्ष में खड़ी हो जाती है। इसका कारण साफ है—मीडिया अब निष्पक्ष नहीं रही, बल्कि वह सिर्फ अपने फायदों के हिसाब से सरकारों के साथ खड़ी होती है।
यही कारण है कि आज जो मीडिया सरकार के समर्थन में खड़ी है, वह भविष्य में सत्ता बदलने पर दूसरी सरकार की गोदी में जाकर बैठ जाएगी। इसलिए इसे गोदी मीडिया कहा जाता है – जो भी सत्ता में आए, यह उसी की गोद में बैठ जाती है।
जनता को क्या करना चाहिए?
गोदी मीडिया का बहिष्कार करें – अगर जनता ऐसे चैनलों और अखबारों को देखना और पढ़ना बंद कर दे, तो इनकी TRP गिर जाएगी और यह मजबूर होंगे निष्पक्ष पत्रकारिता करने के लिए।
वैकल्पिक मीडिया का समर्थन करें – आज डिजिटल मीडिया और स्वतंत्र पत्रकारिता के कई प्लेटफॉर्म हैं जो निष्पक्ष समाचार देते हैं। जनता को चाहिए कि वह ऐसे मीडिया संस्थानों का समर्थन करे।
सोशल मीडिया पर सच फैलाएं – आज के दौर में सोशल मीडिया एक बड़ा हथियार बन चुका है। लोग अपने स्तर पर सही जानकारी को फैलाकर गोदी मीडिया के झूठ को बेनकाब कर सकते हैं।
सवाल पूछना बंद न करें – लोकतंत्र में जनता का सबसे बड़ा अधिकार सवाल पूछना होता है। अगर जनता सवाल नहीं पूछेगी, तो मीडिया और सरकार दोनों मनमानी करेंगे।
आज की मीडिया जनता की आवाज नहीं, बल्कि सरकार की कठपुतली बन चुकी है। सत्ता की गोद में बैठी मीडिया का असली मकसद सिर्फ अपने फायदे के लिए सरकार की तारीफ करना है, न कि जनता के मुद्दे उठाना। ऐसे में जनता को सतर्क रहना होगा, गोदी मीडिया का बहिष्कार करना होगा और स्वतंत्र मीडिया को बढ़ावा देना होगा। तभी लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मजबूत रह सकेगा और सरकारों पर जनता का दबाव बना रहेगा।
लेखक: ए० के० पांडेय, मीडिया विशेषज्ञ हैं। मीडिया न्यूज़ चैनल, वेबसाइट, पत्र – पत्रिकाओं के लिए लगातार राजनीतिक सामाजिक और नई मीडिया पर लेखन कार्य करते हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद 10 साल से अधिक समय तक कई मीडिया संस्थानों में कार्य किया। आप वर्तमान में स्वतंत्र लेखन एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
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