Godi Polytics: गोदी मीडिया के प्रभाव से निपटने के उपाय: स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता की ओर बढ़ाईऐ कदम

Amit Srivastav

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गोदी मीडिया। यूट्यूब - समानांतर मीडिया का भारत में जन्म

A.K. Pandey: भारतीय मीडिया में मोदी सरकार बनने के बाद एक नया शब्द उभरकर सामने आया —”गोदी मीडिया”। यह शब्द उन मीडिया हाउसों के लिए उपयोग किया जाता है जो सत्ता पक्ष के प्रति झुकाव रखते हैं और उसकी नीतियों का समर्थन करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, यह आरोप बार-बार लगा है कि गोदी मीडिया खबरों के साथ छेड़छाड़ कर रहा है और जनता को सही जानकारी से वंचित कर रहा है। सरकार के पक्षपाती खबरों को जनता के बीच परोसता है। न ही जनता की बुनियादी मुद्दों पर सरकार से कभी सवाल करता न ही विपक्ष की बातों को जनता तक सही तरीके से पहुचाने का काम किया। अमित श्रीवास्तव टीम के द्वारा निष्पक्ष संपादकीय एनालिसिस।

Godi Polytics गोदी राजनीति

आज के दौर में पॉलिटिक्स गलत बयानों और पक्षपाति मीडिया के बल पर चल रही है। ‌राहुल गांधी द्वारा संसद में दिए गए बयानों को लेकर जिस तरह से गोदी मीडिया ने रिपोर्टिंग की, उससे यह स्पष्ट हो गया कि इस प्रकार की पत्रकारिता जनता के हित में नहीं है। आइए जानते हैं, गोदी मीडिया के प्रभाव से निपटने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जा सकते हैं।
भारतीय मीडिया में “गोदी मीडिया” का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, इस तीसरे लोकसभा चुनाव में विपक्ष को मजबूत होने का भी प्रभाव गोदी मीडिया पर दिखाई नही दे रहा है अब भी एक पक्षीय खबर सरकार को फायदा पहुंचाने व विपक्ष को बदनाम करने की कोशिश लिए जनता को सही जानकारी से वंचित कर रहा है और सत्ता पक्ष के पक्ष में खबरें प्रस्तुत कर रहा है। यह सिलसिला 2014 में नरेंद्र मोदी को सत्ता में आने के बाद उत्पन्न हुआ। दस वर्षों तक विपक्ष कमजोर रहा जिसका लाभ गोदी मीडिया भरपूर उठाया और किसी के द्वारा आम जन तक यह बात पहुंच पाने में असमर्थ था। आज 2024 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी बेरोजगार युवाओं संविदा कर्मियों, सरकारी कर्मचारियों, अग्निवीरों आदि की पसंदीदा नेता के रूप में सामने आये और मजबूत विपक्ष के रूप में लोकसभा में स्थापित हुए। जनता की मांग और आवश्यक मुद्दों को लेकर विपक्ष सहित राहुल गांधी आये दिन संसद में बात रख रहे हैं लेकिन गोदी मीडिया उनकी बातों का वास्तविक अर्थ को संज्ञान ले खबरें प्रकाशित करने की जगह भाजपा को फायदा पहुंचाने वाली तोड़-मडो़ढ अर्थ का अनर्थ कर जनता के बीच खबरों के माध्यम से पडोस रहा है।

दस साल एकतरफा सत्ता पक्ष की गीत गाते अभी गोदी मीडिया का मन नही भरा है। सत्ता पक्ष के फायदे में और विपक्ष व देश की जनता के नुकसान में मीडिया का होना देश के लिए बहुत बड़ा अहितकारी साबित हो सकता है। स्थिति से निपटने के लिए ऐसे में आम नागरिक भी कई कदम उठाकर गोदी मीडिया के इस प्रभाव को कम कर सकते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण कदम दिए जा रहे हैं, जिनका पालन करके आम नागरिक गोदी मीडिया पर लगाम लगा सकते हैं।

Godi Polytics: गोदी मीडिया के प्रभाव से निपटने के उपाय: स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता की ओर बढ़ाईऐ कदम

अनुभवी लोग जागरूकता फैलाएं:

लोगों को गोदी मीडिया के बारे में जागरूक करें। उन्हें यह समझाएं कि कैसे कुछ मीडिया संस्थान खबरों के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं और उन्हें सच्ची खबरें पहचानने के लिए प्रेरित करें। गोदी मीडिया कि खबरों को देखना बंद करें और शोषण मीडिया पर गोदी मीडिया का विरोध करें।

भारत की स्वतंत्र मीडिया को बढ़ावा दें:

भारत की स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को बढ़ावा दें जो निष्पक्ष और सच्ची खबरें प्रस्तुत करते हैं। ऐसे मीडिया हाउस को समाजसेवी, आम नागरिक द्वारा आर्थिक और सामाजिक समर्थन देकर उनकी ताकत बढ़ाई जा सकती है। आमतौर पर सबको ज्ञात हो चुका है भाजपा पूंजीपतियों को बढ़ावा देती है और पूंजीपतियों द्वारा संचालित गोदी मीडिया है और वो पूंजीपति छोटी निस्पक्ष स्वतंत्र मीडिया को किसी तरह का आर्थिक लाभ नही होने देतीं और सरकार भी स्वतंत्र मीडिया को आर्थिक सहायता देने के बजाय उसके कलम पर शिकंजा कसने का प्रयास करती है।

सोशल मीडिया का उपयोग करें:

सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है जिससे सच्ची खबरें और जानकारी तेजी से फैलाई जा सकती है। सोशल मीडिया का उपयोग करके गोदी मीडिया के प्रभाव को कम करें और स्वतंत्र पत्रकारिता को बढ़ावा दें। जब आमजन गोदी मीडिया का पूरी तरह बहिष्कार करेगा और संसद में विपक्ष इस गोदी मीडिया पर प्रहार करेगा और विश्व के पटल पर भरपूर थू-थू भारतीय गोदी मीडिया होगी तो शायद जाकर थोड़ा शर्म हया हो और गोदी मीडिया कि सत्ता पक्षिय सरकार के पक्ष व विपक्ष एवं देश की जनता के हितों खबरों को दिखाने कि कोशिश हो।

गोदी मीडिया के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करें:

गोदी मीडिया के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करें और देश का मजबूत विपक्ष व देश की जनता सरकार से मांग करें कि वह मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा करे। इस तरह के प्रदर्शन से जनता की आवाज को सरकार तक पहुंचाया जा सकता है।

झूठी उल्टी खबरों पर शिकायत दर्ज करें:

अगर कोई गोदी मीडिया संस्थान झूठी खबरें फैलाता है, या सरकार को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उल्टी खबर विपक्ष व देश की जनता के खिलाफ तो उसके लिए गोदी मीडिया के खिलाफ शिकायत दर्ज करें। इस तरह की शिकायतों से उन पर दबाव बनाया जा सकता है कि वे सही और सच्ची खबरें प्रस्तुत करें।

मीडिया की निगरानी करें:

बुद्धजीवि वर्ग मीडिया की खबरों की निगरानी करें और उसकी सत्यता की जांच करें। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि जो खबरें प्रसारित हो रही हैं, वे सही और निष्पक्ष हैं। या सरकार को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से खबरों को उल्टा दिखाया जा रहा है।

देश भर में शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाएं:

शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाएं जिससे लोगों को गोदी मीडिया के बारे में जानकारी मिल सके। ऐसे अभियानों से जनता को सच्ची और झूठी खबरों के बीच अंतर करने की क्षमता विकसित होगी। और आम जन भी झूठी या उल्टी खबरों को समझ पाने में समर्थ होंगे। जब जिसको भी अफवाह उल्टी खबर दिखाई दे शोषण मीडिया के द्वारा शेयर करेंगे जिससे अन्य लोगों में जागरूकता पैदा होगी।

विपक्ष और आमजन सरकार से मांग करें:

सरकार से मांग करें कि वह मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा करे और गोदी मीडिया पर लगाम लगाए। इसके लिए जन आंदोलन और याचिकाओं का सहारा लिया जा सकता है। वैसे बड़े पैमाने पर जब विरोध होगा तभी सरकार अपनी मंना में परिवर्तन कर सकेंगी और गोदी मीडिया का सहारा लेकर चुनाव जीतने के जगह जनहित में काम कर चुनाव जीतने का प्रयास करेंगी।
निष्कर्ष:
इन कदमों को उठाकर आम नागरिक व विपक्ष दल गोदी मीडिया संस्थानों पर लगाम लगाने में मदद कर सकते हैं। गोदी मीडिया के प्रभाव से निपटने के लिए उपरोक्त कदम उठाए जा सकते हैं। एक जागरूक और सक्रिय समाज ही स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता को बढ़ावा देने में सक्षम है। एक स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता को सही जानकारी प्रदान करने और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, हमें मिलकर ऐसे प्रयास करने चाहिए जो मीडिया की स्वतंत्रता को संरक्षित करें और सच्ची खबरें जनता तक पहुँचाएं।

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लेखक: अभिषक कांत पांडेय, मीडिया विशेषज्ञ हैं।‌‌ मीडिया न्यूज़ चैनल और वेबसाइट के विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं के लिए लगातार राजनीतिक सामाजिक और नई मीडिया पर लेखन कार्य करती हैं। ‌
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद 10 साल से अधिक समय तक कई मीडिया संस्थानों में कार्य किया। आप स्वतंत्र लेखन एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।

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