नाथ पंथी गोरखनाथ का नाम प्राचीन काल से चर्चित है। द्वापर युग में गुजरात के जूनागढ़ गोरखमढ़ी में तपो स्थली था यही श्रीकृष्ण और रुक्मणी का विवाह सम्पन्न हुआ। गुरु गोरखनाथ द्वारा इस विवाह में शामिल होने की जानकारी ग्रंथों में मिलती है। धर्मग्रंथों के मुताबिक त्रेता युग में भगवान पुरुषोत्तम श्रीराम के राज्याभिषेक में गुरु गोरखनाथ आमंत्रित थे। कलयुग में भी गोरखनाथ कि महिमा निराली है। गुरू गोरखनाथ अपने भक्त जन पर सदैव कृपालु रहते हैं। इनके जन्म को लेकर तरह-तरह की भर्तियां है। आज बहुत ही मंथन के बाद नाथो के नाथ प्रथम नाथ भोलेनाथ शिवशंकर के अंश गुरु गोरखनाथ की जन्म से लेकर मृत्यु कैसे हुई, ज्यादातर सवालों का जवाब भगवान चित्रगुप्त वंशज अमित श्रीवास्तव अपनी कर्म धर्म इस लेखनी में देगें।
गुरू गोरखनाथ का जन्म

गुरु गोरखनाथ का जन्म किसी स्त्री के गर्भ से नही हुआ था। शिव अंश मछनदरनाथ जो मछली के पेट से उत्पन्न हैं वे शुरुआती अलख निरंजन की अलख जगाते एक गांव में भिक्षाटन के लिए गए। उस गांव की एक महिला अपना पुत्र न होने की बात कही। मछनदरनाथ अपनी योग माया से एक फल उत्पन्न कर उस महिला को दे कहा, पुत्री इसे ग्रहण कर लो बहुत ही प्रतापी पुत्र की प्राप्ति होगी। अच्छे से उसकी देखभाल कर प्रारम्भिक शिक्षा दिक्क्षा देती रहना। आज के ठीक 12 साल पूरा होने पर मै आऊंगा, पुत्र को देखने। मछनदरनाथ उस महिला से भिक्षा ले चले गए। वही कुछ सखियों ने उस महिला को भ्रमित कर कहा साधु फकीर की बात पर इतना बिश्वास नही करना चाहिए। इस फल को फेक देना चाहिए। वो टोना टोटके से डरी स्त्री फल को गोबर के गढ्ढे में फेक दी। उस फल के ऊपर गढ्ढे में गोबर जमा होते-होते 12 साल पूरा हो गया। वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि दिन मंगलवार को मछनदरनाथ बताएं समय के मुताबिक वर्तमान के राजस्थान हनुमानगढ़ गोगा मेड़ी वेरावल के समीप उस गांव में बालक को देखने पहूँच गये। अलख निरंतर कि आवाज़ लगाई, महिला घर से भिक्षा देने बाहर आई, तब योगीराज ने कहा, मै बारह वर्ष पूर्व एक पुत्र प्राप्ति का आशिर्वाद दे गया था- देवी, वो पुत्र कहां है। उस महिला ने कहा अपनी सखियों की बातों से टोना टोटके कि बात सुनकर डर गई और आपके द्वारा दिए गए फल को गोबर के गढ्ढे में फेक दी थी। मछनदरनाथ उस गोबर गढ्ढे के पास गए तो अपने तपो बल से देखा। शिव अंश बालक उस गोबर के अंदर ओम नमः शिवाय का जाप करते तप कर रहे थे। मछनदरनाथ अपने योग विद्या से बालक को बाहर निकाला फिर उस स्त्री द्वारा अपने किए भूल की छमा याचना के बाद भी बालक को अपने साथ ले वहां से चले गए। इस प्रकार गोरखनाथ का जन्म गौ माता के गोबर में से हुआ और मछनदरनाथ द्वारा स्त्री को दिए गए वर्दान के फल स्वरूप तो गोरखनाथ अपने गुरु मछनदरनाथ के मानस पुत्र हुए। अब आप पाठकों को यह जानकारी हो चुकी होगी गुरु गोरखनाथ का जन्म कैसे हुआ।
गुरु गोरखनाथ- के गुरु कौन थे ?

गुरु गोरखनाथ के गुरू मछनदरनाथ थे। शिव अंश गोरखनाथ अपने गुरु मछनदरनाथ द्वारा उत्पन्न किए जाने के बाद गुरु मछनदरनाथ के शिष्य बने। यहां भी एक कहावत चरितार्थ है। गुरु गुड़ ही रह गया चेला चीनी हो गया। गोरखनाथ अपने गुरु मछनदरनाथ से सहस्त्रगुना आगे निकल गये। गोरखनाथ अथक तपस्या से अनाथों के नाथ भोलेनाथ को प्रसन्न किया। भोलेनाथ गोरखनाथ की तपस्या से प्रसन्न होकर सब गुण सम्पन्न का वर्दान दे, कलियुग के अंत तक अलख निरंजन की अलख जगाने वाले भक्त जन की सर्व मनोकामना पूर्ण करने का आशिर्वाद दिया। जो भी गोरखनाथ कि भक्तिभाव से ध्यान करता है, उसकि हर मनोकामना पूरी होती है। गोरखनाथ अपने गुरु से हज़ारों गुना अधिक तंत्र-मंत्र विद्या में आगे माने जाते हैं। हनुमानजी की इच्छा से मछनदरनाथ त्रिया राज्य में रानी मैनांकनी को यौन सुख देते हुए बारह वर्ष बीता चुके थे। मछनदरनाथ अपने जीवन के कर्तव्यों को भूल चुके थे। नाथ संप्रदाय की बदनामी हो रही थी। तब गुरू गोरखनाथ अपने गुरू की तलाश पूरी कर त्रिया राज्य में रानी मैनांकनी के महल महेन्द्रगढ़ की नर्तकी के साथ स्त्री भेष में जाकर, पवनपुत्र हनुमान जी जो त्रिया राज्य की पहरेदारी करते थे- को पराजित कर अपने गुरु मछनदरनाथ को छुड़ाकर लाएं। करो चेत म चेतर जागो गुरु जी गोरख चेला आया है। आज नाथ पंथी भारत के समस्त राज्य सहित अन्य देशों में भी विराजमान हैं। ये सनातन धर्म के अनुयायी, सनातन धर्म के प्रचारक माने जाते हैं। भोलेनाथ की भक्ति के प्रति समर्पित होते हैं। नाथ सम्प्रदाय से पहले सर्गीं बजाते, भ्रमण करते योगी जन ज्यादा देखने को मिलते थे। माना जाता है। जब कोई बालक घर-आंगन छोड़ योगी बनता है तब अपनी योग विद्या की सम्पूर्ण सिद्धी प्राप्त हो 12 वर्ष के समय में अपने माता के हाथ से भिक्षा लेने अपने यहां जाता है। जब माता भिक्षु पुत्र को भिक्षा दे देती, तब उसकी सम्पूर्ण सिद्धी प्राप्त हो जाती है।
गोरखनाथ शाबर मंत्र

गुरु गोरखनाथ के दर्शन अपनी वाणी सिद्धी के साथ तमाम तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए, कुछ विधि-विधान को ध्यान में रखकर, गोरखनाथ शाबर मंत्र कि सिद्धि कि जाती है। शाबर मंत्र स्थानीय ग्रामीण भाषा में निर्मित हैं। इन मंत्रों का कोई खास शाब्दिक अर्थ नहीं होता, फिर भी प्रभावशाली होते हैं। गोरखनाथ के बीज मंत्र – ॐ शिव गुरु गोरखनाथ नमः। गोरखनाथ शाबर मंत्रों की सिद्धी बहुत आसानी से प्राप्त हो जाती है। इसकी सिद्धी होली, दीपावली, महाशिवरात्रि और ग्रहण काल में गुरु गोरखनाथ की प्रतिमा सामने रख दीप प्रज्वलित कर, धूप-बत्ती, भगवा वस्त्र, फूल, रोट, मिठाई का चढ़ावा चढ़ा किये जाने पर जल्द सिद्धी मिल जाती है। ग्रहण काल में प्रतिमा रख फूल माला अर्पित नही करनी चाहिए। गोरखनाथ शाबर मंत्र कुछ इस प्रकार हैं। ॐ उलट बन्दे नरसिंह, उलट नरसिंह पलट नरसिंह की काया, मार रे मार बलवंत वीर पल अन्त यम की काया, क्यो कवच हम वज्र चलावा, क्यो कवच तुम सामने आया, आदेश गुरु जी की। नवनाथ रक्षा मंत्र ॐ नमो आदेश गुरु को, बज्र बज्री बज्र किवाड़, बज्री में बांधा दशो द्वार को घाले उलट वेद वाही को खाता, पहली चौकी गणपति की, दूजी चौकी हनुमत जी की, तीजी चौकी भैरो की, चौथी राम रक्षा करने को श्री नरसिंह देव जी आये, शब्द सांचा पिण्ड कांचा फुरौ मंत्र ईशवरो वाचा सत्य नाम आदेश गुरु को। इस मंत्र को 11 बार जपने के बाद अपने दोनो हाथ पर फूंक मार पैर से लेकर सिर तक हाथ फेरना होता है। ऐसा करने से शरीर बंध जाता है बुरी शक्तियों से सुरक्षित रहते हैं। इस मंत्र को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं होती है वैसे ही गुरु गोरखनाथ के नाम से बंधा है। 21 दिन तक नियमित गुरु गोरखनाथ का ध्यान कर 108 बार जाप कर आसानी से सिद्ध हो जाती है। आते हैं गुरु गोरखनाथ शाबर मंत्र पर। ॐ नमो आदेश गुरु को आदिनाथ ॐ स्वरूप, उदयनाथ उमा महि रुप। जल रुपी ब्रह्मा सतनाथ, रवी रुप विष्णु सन्तोषनाथ। हस्ती रुप गनेश भनीजे, ताकु कन्थड नाथ कही जै। माया रुप मछनदरनाथ, चन्द रुप चौरंगीनाथ। शेष रुप अचम्भेनाथ, वायु रुप गुरु गोरखनाथ। घट-घट व्यापक घट का राव, अमी महा रस स्त्रवती खाव। ॐ नमो नवनाथ गण, चौरासी गोमेश। आदिनाथ आदि पुरुष, शिव गोरख आदेश। ॐ श्री नव नाथाय नमः।। इस मंत्र से पाप का नाश मोक्ष की प्राप्ति जीवन में सुख-समृद्धि व ढ़ेरों खुशियां विरोधी पर विजय सम्पूर्ण मनोकामना पूरी होती है। 21 दिन तक 21 बार जप कर सिद्धि प्राप्त होती है। इससे नवनाथ की कृपा बनी रहती है नब्बे हजार या नौ लाख जप करने पर नवनाथ वरदान देने के लिए दर्शन देते हैं।
गुरु गोरखनाथ की मृत्यु कैसे हुई

गुरु गोरखनाथ की मृत्यु नही हुई, गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर स्थापित है। वहीं पर गुरु गोरखनाथ ने समाधि ली। गोरखनाथ के नाम पर ही उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में स्थित जिला गोरखपुर नाम से स्थापित है। गोरखनाथ मंदिर के महंथ योगी आदित्यनाथ वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। जो भी बडे-बडे संत हुए हैं लगभग सभी ने अपनी मृत्यु के पहले ही समाधि ली है। उसी क्रम में भोलेनाथ के अंश गोरखनाथ भी समाधि ले लिए।
गोरखनाथ मंदिर

उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित गोरखपुर जनपद, के मुख्य भाग में गोरखनाथ मंदिर प्राचीन काल से स्थित है। गोरखपुर रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर पश्चिमी दिशा में यह भव्य मंदिर स्थित है। मंदिर के महंथ नाथ संप्रदाय के योगीजन रहते चले आ रहे हैं। नेपाल में गोरखा टायटल गोरखनाथ के भक्त जन लगाते चले आ रहे हैं। गोरखपुर जनपद के साथ ही मंडल भी है। इसी मंदिर के महंथ योगी आदित्यनाथ वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
गोरखनाथ के गुरु कौन थे?
गोरखनाथ के गुरु शिव अश मछनदरनाथ थे।
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Jai ho baba gorakhnath
जय गुरु गोरखनाथ जी की 🙏गुरु गोरखनाथ जी सभी भक्तों का कल्याण करते हैं।
गुरु गोरखनाथ जी के प्रति हमारी लेखनी से प्रभावित होकर जो बाबा गोरखनाथ के भक्त जनों ने उपहार स्वरूप हमारे फोन पे, गूगल पे यूटीआई के माध्यम से यात्रा देशाटन, धार्मिक स्थानों, सत्यता की खोज पर खर्च के लिए पुरस्कार स्वरूप दान, अनुदान प्रेषित किया उनमें 11 हजार से ऊपर वालों की सूची कुछ इस प्रकार है। अगर आप भक्त जन जो पुरस्कार दे रहे हैं अपनी इच्छा व्यक्त करेंगे तो आपका भी नाम एक अलग सूची बनाकर प्रकाशित किया जाएगा। कुछ लोगों द्वारा हमें पुरस्कृत कर नाम पता बताया नही जाता है उन भक्त जन से निवेदन है। दिये गये भारतीय हवाटएप्स फोन पे गूगल पे यूटीआई अमित कुमार श्रीवास्तव 7379622843 पर नाम पता जरुर बताने की कोशिश करें 🙏भले ही गुप्त दान सूची में रहना हो। हमें पुरस्कृत करने वाले भक्त जनों पर गुरु गोरखनाथ जी की कृपा सदैव बनी रहेगी। जय गुरु गोरखनाथ 🙏
1- कृष्ण किशोर तिवारी- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
2- रामगोपाल भट्टाचार्य – कोलकाता, बंगाल
3- कपिलनाथ थापा – काठमांडू, नेपाल
4- सोमनाथ योगी – भैरहवा, नेपाल
5- सौरभ मोदी – गुजरात
6- श्रीमती किशोरी नंदा – थाडे़, महाराष्ट्र
7- भैरोंसिंह शेखावत – पंजाब
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