गुरु गोरखनाथ भारतीय योग और आध्यात्मिक परंपरा के महायोगी और नाथ संप्रदाय के संस्थापक माने जाते हैं। उनका जीवन और शिक्षाएँ योग, साधना और ध्यान की उच्चतम अवस्थाओं का प्रतीक हैं। गोरखनाथ ने हठयोग के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार किया, जिससे लाखों साधकों ने आत्मिक उन्नति का मार्ग पाया। गोरखपुर में स्थित उनका प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर भारतीय संस्कृति और नाथ संप्रदाय की जीवंत धरोहर है।
गुरु गोरखनाथ का आध्यात्मिक योगदान केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में योग और साधना के अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। उनकी शिक्षाओं में आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता, और शारीरिक अनुशासन के माध्यम से ईश्वर प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त किया गया है। उनके जीवन और उपदेशों पर आधारित यह लेख एक संपूर्ण साधना पथ का परिचय देता है और उनके बीज मंत्र, सिद्धि प्राप्ति के उपायों, और गोरखनाथ मठ के महत्व को समझाता है।
गुरु गोरखनाथ भारतीय संत-परंपरा के महान योगी थे। उनका जीवन, शिक्षाएं और नाथ संप्रदाय के सिद्धांत भारतीय समाज में गहरी छाप छोड़ चुके हैं। उनका योगदान न केवल आध्यात्मिक जगत में अद्वितीय है, बल्कि उनके आदर्श और संदेश आज भी लाखों अनुयायियों को दिशा प्रदान करते हैं। इस लेख में हम भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव गुरु गोरखनाथ के जीवन, शिक्षाओं, सिद्धियों और उनके अनुयायियों के जीवन में उनके महत्व को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे।

गुरु गोरखनाथ का परिचय
गुरु गोरखनाथ का नाम भारतीय संत-परंपरा में विशेष स्थान रखता है। वे हठयोग के अद्वितीय साधक और नाथ संप्रदाय के प्रमुख प्रचारक माने जाते हैं। उनके योगदान ने योग और साधना को आम जनमानस में लोकप्रिय बना दिया। गोरखनाथ का जीवन एक आदर्श योगी का प्रतीक है जो त्याग, साधना, और आत्मिक सिद्धि का मार्ग दिखाता है।
गोरखनाथ का जन्म और उनका गांव
गुरु गोरखनाथ का जन्म और मूल स्थान के विषय में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन मान्यता है कि उनका जन्म 10वीं से 11वीं शताब्दी के बीच उत्तर भारत में हुआ। वे गोरखपुर, उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए हैं और इसी स्थान के कारण उन्हें गोरखनाथ नाम दिया गया। गोरखनाथ का नाम आज भी गोरखपुर में बसे मंदिर और मठ से जीवित है, जहाँ हर साल भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
गुरु गोरखनाथ का आदर्श और उनके द्वारा प्रचारित योगमार्ग
गोरखनाथ हठयोग के प्रतिष्ठापक माने जाते हैं। उनके अनुसार, योग आत्मा का शुद्धिकरण और परमात्मा से जुड़ने का माध्यम है। उन्होंने आसन, प्राणायाम, ध्यान, और मंत्र साधना पर विशेष जोर दिया। गोरखनाथ का मानना था कि साधना में निरंतरता और गुरु-शिष्य परंपरा का पालन करने से आत्मिक और शारीरिक सिद्धि प्राप्त होती है।
गुरु गोरखनाथ का मूल मंत्र और बीज मंत्र
गुरु गोरखनाथ का मूल मंत्र “ॐ श्री गोरखाय नमः” है, जो साधकों को एकाग्रता प्रदान करता है और उन्हें आत्मिक शक्ति देता है। इसके अलावा, उनका बीज मंत्र “ॐ गोरखाय नमः” भी है, जो साधकों के लिए महत्वपूर्ण है। ये मंत्र साधक के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत करते हैं और आंतरिक शांति प्रदान करते हैं।
गोरखनाथ जिंदा हैं या नहीं?
हालांकि गुरु गोरखनाथ का शरीर इस संसार में नहीं है, उनके अनुयायी मानते हैं कि उनकी आत्मा और शक्तियां आज भी इस जगत में हैं। उनकी शिक्षाएँ, सिद्धांत, और ध्यान साधना में आज भी उनके अस्तित्व का अनुभव किया जा सकता है। उनकी उपस्थिति को उनके अनुयायियों द्वारा ‘साक्षात्’ मानी जाती है, जो मानते हैं कि वे ध्यान और साधना में उनसे संपर्क कर सकते हैं।
नाथ संप्रदाय का इतिहास और उसका महत्व

नाथ संप्रदाय की स्थापना लगभग 1200 वर्षों पहले हुई थी। इसका प्रारंभ गुरु मत्स्येंद्रनाथ ने किया, और उनके शिष्य गुरु गोरखनाथ ने इस संप्रदाय को अत्यंत लोकप्रिय बनाया। नाथ संप्रदाय का उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार और मुक्ति की प्राप्ति है। इस संप्रदाय के साधक हठयोग और कठिन साधना के माध्यम से आत्मिक उन्नति की राह पर चलते हैं। नाथ संप्रदाय ने भारतीय योग परंपरा को एक नई दिशा दी और इसे जन-जन तक पहुँचाया।
गुरु गोरखनाथ के प्रमुख शिष्य
गुरु गोरखनाथ के प्रमुख शिष्य भैरवनाथ, चौरंगीनाथ और कानफटा योगी के नाम प्रसिद्ध हैं। इनके अलावा, नाथ संप्रदाय में कई अन्य अनुयायी हुए जिन्होंने गोरखनाथ के सिद्धांतों का प्रचार किया। इनके शिष्य योग, ध्यान और हठयोग की विधाओं में पारंगत थे और उन्होंने नाथ संप्रदाय को विस्तारित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
महावतार बाबाजी और गोरखनाथ का संबंध
महावतार बाबाजी और गोरखनाथ का संबंध एक रहस्य है। कई अनुयायी मानते हैं कि महावतार बाबाजी और गोरखनाथ एक ही हैं, जबकि कुछ इसे अलग-अलग मानते हैं। बाबाजी के बारे में माना जाता है कि वे अमर योगी हैं, और उनकी शिक्षाओं में गोरखनाथ के सिद्धांतों की झलक मिलती है।
गोरखनाथ मंदिर और उसकी स्थापना
गोरखनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित है और यह नाथ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर गुरु गोरखनाथ के जीवन और साधना का प्रतीक है। माना जाता है कि यह मंदिर नाथ संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा बनवाया गया था और समय-समय पर इसे राजाओं और भक्तों द्वारा पुनर्निर्मित किया गया है। इस मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर पर हर वर्ष विशाल मेला लगता है।
गुरु गोरखनाथ का प्रमुख दिन: मकर संक्रांति
गुरु गोरखनाथ के सम्मान में मकर संक्रांति का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में बड़ा आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से भक्त आते हैं और गोरखनाथ की आराधना करते हैं। मकर संक्रांति का यह मेला गोरखनाथ के प्रति भक्तों की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है।
गोरखनाथ कैसे योगी थे?
गुरु गोरखनाथ हठयोग के महान साधक थे। उनकी साधना अत्यंत कठिन थी और वे तप, ध्यान और साधना के मार्ग पर अग्रसर थे। उनकी योग साधना में शारीरिक नियंत्रण, मानसिक स्थिरता, और आत्मिक शक्ति का समावेश था। उन्होंने हठयोग के सिद्धांतों को प्रतिपादित किया, जिसमें शारीरिक अनुशासन और ध्यान का समन्वय शामिल है।
गुरु गोरखनाथ की सिद्धि कैसे प्राप्त करें?
गुरु गोरखनाथ की सिद्धि प्राप्त करने के लिए अनुयायियों को कठोर साधना, ध्यान और नियमित योग करना पड़ता है। गोरखनाथ का मार्ग कठिन है, लेकिन उनके बताए गए मंत्रों का जाप और ध्यान साधना से साधक आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त कर सकता है। गोरखनाथ का मानना था कि साधना में लगन और गुरु भक्ति के साथ ईमानदारी से प्रयास करने से ही सिद्धि संभव है।
गुरु गोरखनाथ की भाषा
गुरु गोरखनाथ की शिक्षाएं प्राचीन हिंदी, संस्कृत और अवधी में मिलती हैं। उनकी शिक्षाओं को जनसाधारण तक पहुँचाने के लिए उन्होंने सहज भाषा में अपने विचार व्यक्त किए, ताकि समाज के हर वर्ग तक उनकी बातें पहुँच सकें।
गुरु गोरखनाथ का बीज मंत्र और उसकी शक्ति
गुरु गोरखनाथ का बीज मंत्र “ॐ गोरखाय नमः” है। यह मंत्र साधकों को आंतरिक शांति, मानसिक स्थिरता और ध्यान की एकाग्रता प्रदान करता है। इसे नियमित जाप के रूप में अपनाकर साधक अपने जीवन में संतुलन और आत्मिक उन्नति पा सकते हैं।
शिव गोरख: शिव का अवतार
नाथ संप्रदाय में गुरु गोरखनाथ को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। उन्हें “शिव गोरख” के नाम से भी संबोधित किया जाता है। उनके अनुयायियों का मानना है कि गुरु गोरखनाथ ने भगवान शिव की शक्तियों को धारण कर साधना की और योग का मार्ग दिखाया।
गोरखनाथ मठ: नाथ संप्रदाय का केंद्र
गोरखनाथ मठ गोरखपुर में स्थित है और यह नाथ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है। यहाँ हर वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर विशाल मेला लगता है, जहाँ हजारों भक्त गुरु गोरखनाथ की पूजा अर्चना करने आते हैं। यह मठ गोरखनाथ की शिक्षाओं और सिद्धांतों को जीवित रखने का प्रतीक है।
गोरखनाथ पीठाधीश्वर और उनका योगदान
गोरखनाथ पीठ के वर्तमान पीठाधीश्वर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के प्रमुख संरक्षक हैं और उन्होंने इस पीठ को भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक मानचित्र पर विशेष स्थान दिलाया है।
चंद शब्दों के साथ लेखनी का उद्देश्य
इस लेख का उद्देश्य गुरु गोरखनाथ के जीवन, शिक्षाओं और नाथ संप्रदाय के सिद्धांतों को विस्तार से समझाना है। यह लेख योग, साधना, और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास करता है, जिससे पाठक गुरु गोरखनाथ की शिक्षाओं से प्रेरणा ले सकें और उनके द्वारा बताई गई साधना विधियों को अपने जीवन में अपना सकें। इसके माध्यम से गोरखनाथ के अद्वितीय योगदान, उनके बीज मंत्रों, सिद्धि प्राप्ति के उपायों, और गोरखनाथ मठ के महत्व को व्यापक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया गया है।
इस लेख का उद्देश्य नाथ संप्रदाय की प्राचीन परंपरा को समझना और गुरु गोरखनाथ की शिक्षाओं को उन लोगों तक पहुँचाना है जो योग, ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मिक उन्नति प्राप्त करना चाहते हैं। गुरु गोरखनाथ से जुड़ी अपनी अन्य लेखनी का लिंक शिर्षक ब्लू लाइन से दे रहा हूं जिसपर क्लिक कर आप पाठकों को पढ़ने जानने में सुविधा रहेगी। गूगल के किसी भी सर्च इंजन से सर्च कर हमारी हर तरह की अपनी मनपसंद लेखनी पढ़िए शेयर किजिये। मनोबल बढ़ाने के लिए उपहार भी दे सकते हैं भारतीय हवाटएप्स कालिंग सम्पर्क नम्बर 07379622843 पर जो भी जानकारी चाहिए अपनी डिमांड कर सकते हैं। सुस्पष्ट भाषा प्रकाशित लेखनी का लिंक पेपर अखबार की कटिंग आदि के माध्यम से जानकारी दे दिया जाता है।
जितनी भी शाबर मंत्र अन्य मंत्र हमारे है हमारे से हम जंगली आदिवासी भील परिवार से शिक्षा प्राप्त किया था मशिनदर नाथ जी ने