सरकारी एग्जिट पोल कितना सच कितना झूठ टीम रिपोर्ट विश्लेषण

Amit Srivastav

गोदी मीडिया। यूट्यूब - समानांतर मीडिया का भारत में जन्म

माना जा रहा है चुनाव में चल रही इंडिया गठबंधन की तूफान के बाद एग्जिट पोल में गोदी बनाम मोदी मीडिया द्वारा भाजपा की जीत की खबर से विपक्षी दल मनोवैज्ञानिक रूप से खुद को तैयार रखा हुआ है। ‌वह जानता है की गोदी मीडिया का एग्जिट पोल सत्ता पक्ष के फेवर में ही दिख रहा है। ऐसे में कांग्रेस समाजवादी पार्टी सहित सभी विपक्षी दल अपने-अपने कार्यकर्ताओं को कहां है मतगणना के समय अंत तक जमें रहिए। किसी प्रकार की धांधली होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। ‌दो जून सुबह खबर आई कि 150 डीएम को अब तक गृह मंत्री अमित शाह ने फोन करके उनसे बातचीत की आखिर कैसी बातचीत की। क्या मतगणना को प्रभावित करने वाली स्थिति बन रही है, इस पर सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है।
मतगणना को लेकर विपक्षी दल के नेता और कार्यकर्ता मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार है और एग्जिट पोल के झूठे दावे से घबरा नहीं रहे हैं। सत्ता पक्ष कहीं कोई खेल ना कर दे इसके लिए विपक्ष के कार्यकर्ता मजबूती से मतगणना स्थल पर मौजूद रहेंगे ऐसी खबर विपक्ष की तरफ से आ रही है।
कहीं चंडीगढ़ मेयर वाली कहानी इस चुनाव में कई जगह दोहराया ना जाए, इसके लिए कांग्रेस समाजवादी पार्टी और दूसरे विपक्ष की राजनीतिक पार्टी अपने-अपने कार्यकर्ताओं को मोटिवेट कर चुकी है, की मनोवैज्ञानिक रूप से उन्हें एग्जिट पोल के जरिए हताश और निराश किया जा रहा है।‌
वही विपक्षी दल के नेता इस बात पर आस्वस्थ है कि जनता का भरपूर समर्थन उन्हें मिला है और इंडिया गठबंधन बहुमत पा सरकार बनायेगी।

चुनावी जमीनी विश्लेषण

सरकारी एग्जिट पोल कितना सच कितना झूठ टीम रिपोर्ट विश्लेषण

अपनी टीम के रिपोर्ट सहित हम यह दावा नहीं कर रहे हैं कि कौन जीत रहा है कौन नहीं जीत रहा है लेकिन एक अनुमान जरूर कह सकते हैं की ढाई करोड़ नए युवा मतदाता कई सीटों पर अपना प्रभाव जरूर छोड़ेंगे। जिस कारण से भाजपा को नुकसान हो सकता है, और इसका फायदा गठबंधन को जा सकता है। ऐसे में सीटों सहित जीत हार का अंतर बहुत मामूली होगा। चंडीगढ़ मेयर के चुनाव के समय भाजपा के फेवर में मतगणना की गलत काउंटिंग की गई थी, जिसे सारे देश ने देखा कहीं वही स्थिति सत्ता पक्ष करने में आमादा तो नहीं है इस पर हम सवाल जरूर उठा रहे हैं। ‌
चुनाव परिणाम चाहे जो भी हो लेकिन यह चुनाव भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए चुनौती भरा रहा है। देश के कई मुद्दों को गोदी मीडिया जानबूझकर अपने स्क्रीन पर नहीं उठाई नहीं तो यह चुनाव सीधे-सीधे अपने चुनावी दौर में ही एक तरफा हो चुका होता। मुख्य धारा की टीवी मीडिया चैनल पूंजीपतियों के हाथ में है और ऐसे में इनकी कमान सत्ता पक्ष की उंगलियों के इशारे पर नाचती है। पूंजीपति अडानी अंबानी के टीवी चैनलों पर राहुल गांधी अक्सर आवाज उठाते रहे हैं। मीडिया की स्वतंत्रता निष्पक्ष नहीं होने के कारण सत्ता पक्ष इसका लाभ तो उठाता रहा है लेकिन इस चुनाव में जनता महंगाई बेरोजगारी और झूठे वादे से परेशान रही है। चुनाव में जितने का अनुमान लगाने वाले विद्वानों ने भी कहा कि यह चुनाव एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर वाली है। ‌
गोदी मीडिया द्वारा दिखाए गए एग्जिट पोल को सरकारी एग्जिट पोल बताकर उसका मजाक उड़ाया है। जाहिर है कि ऐसी गोदी मीडिया जो पूरे 10 साल में जनता के हित के सवालों पर कभी भी बात करते नहीं देखा गया है। वह केवल सरकारी एजेंडा ही प्रस्तुत करती रही है लेकिन इसके बावजूद भी जनता गोदी मीडिया की सच्चाई को समझने लगी है। ‌इसीलिए लोकसभा 2024 चुनाव की शुरुआती दौर से बाजी पलटती हुई नजर आ रही थी। लोगों का गुस्सा महंगाई बेरोजगारी और झूठे वादे को लेकर भाजपा पर बहुत तगड़ा रहा है। ‌
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों से भी पता चलता है कि उन्होंने कई बार अपने बयानों को एक ऐसे स्तर तक ले गए जहां पर हिंदू मुस्लिम के बीच खाई बढ़ती जाए और ध्रुवीकरण का फायदा उनको हो जाए। ‌ हालांकि गोदी मीडिया में इन सब बातों के बारे में किसी तरह की चर्चा आपको देखने को नहीं मिलेगी, लेकिन सच्ची पत्रकारिता जहां पर है वहां पर इस मुद्दे को खूब उठाया जा रहा है। ‌चुनाव आयोग जिस तरीके से रुख़ बना रहा है। उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह चुनाव एक तरीके से सत्ता पक्ष जनता को बहका रही है। महिला मतदाताओं के साथ युवा मतदाता जबर्दस्त तरीके से सत्ता पक्ष के प्रति आक्रोश दिखाई दे रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से लेकर कोई ऐसी हलचल सत्ता पक्ष की तरफ से नहीं आई है कि 400 पर के सीट जीतने के वादे को एक तूफान के रूप से समझा जा सके।
गोदी मीडिया द्वारा एग्जिट पोल लगभग 400 के आसपास दिखाया जा रहा है। इसका साफ मतलब है कि कुछ ना कुछ खेल होने की स्थिति में है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव के समय भाजपा के लिए गलत काउंटिंग करने का मामला सुर्खियों में रहा है, इस समय इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जिलाधिकारियों से बात किए जाने वाले मामले में कहीं ऐसा तो नहीं है कि कम अंतर से हारने वाली सीटों पर मतगणना स्थल पर ही खेल हो जाए या मतदान के साथ साथ ही खेल हो गया हो। इसलिए विपक्षी दल के कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को मतगणना स्थल पर अंत तक डटे रहने और उत्साहपूर्वक मतगणना पर नजर रखने को कहा है। फुल स्टाफ, हमारा विश्लेषण भी यही कहता है कि यह चुनाव कांटे की टक्कर वाली चुनाव है जीत हार किसकी होती है यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा। सब ठीक ठाक सम्पन्न हुआ तो गोदी मीडिया द्वारा दिखाये जा रहे एग्जिट पोल का बहुत ज्यादा तवज्जो इस चुनाव में नहीं रहेगा।

मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल

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जब मीडिया की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठ रहे हैं तो ऐसे में एग्जिट पोल पर सवाल उठना लाजिमी है। दरअसल गोदी मीडिया द्वारा जारी किया गया एग्जिट पोल सरकार की तरफ से एक भारी दबाव के रूप में देखा जा रहा है। फुल स्टाफ – गोदी मीडिया में कौन सी खबरें प्रसारित की जाएगी, इसके बारे में एजेंडा पीएमओ ऑफिस से तय होता रहा है। ऐसे में कई बड़े-बड़े पत्रकारों ने भी आरोप लगाया है। ‌गोदी मीडिया की खासियत रही है कि अग्नि वीर, बेरोजगारी, महंगाई और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार जैसे मुद्दे गोदी मीडिया में नहीं दिखाई जाए। जिससे कि सरकार को नुकसान हो सकता है। इसका भरसक प्रयास गोदी मीडिया द्वारा किया गया।‌ गोदी एंकरों की कई ऐसी वीडियो भी वायरल हुई है जिसमें अचानक जब जनता से सवाल पूछते हुए जनता ने उनसे ही सवाल पूछ लिया कि महंगाई बेरोजगारी और अग्नि वीर पर आप लोग सवाल क्यों नहीं पूछते हैं ऐसे में गोदी मीडिया के रिपोर्टर लज्जित हो जाते हैं वहीं पर बात काट देते हैं।

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