नारद मुनि से सीखिये सच्ची पत्रकारिता, सच्चे पत्रकार देश और समाज के रक्षक

Amit Srivastav

पत्रकारिता Hindi Journalism : वर्तमान में हिंदी पत्रकारिता की सही दिशा और उद्देश्य एक समग्र विश्लेषण मीडिया की भूमिका

हर समय में पत्रकारों से बहुत उम्मीद लगाई जाती है, आखिर क्यों ना लगाई जाए? आखिरकार पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होते हैं। अगर कोई राजनेता या कोई व्यक्ति या कोई पूंजीपति अपने उत्तरदायित्व का सही से निर्वहन नहीं करता है तो पत्रकारिता उस पर नजर रखती है और उसकी बुराइयों को सबके सामने प्रकट करती है। ‌ लेकिन आज की राजनीति में कहानी कुछ और ही है। कुछ पत्रकार किसी नेता या राजनीतिक दल के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। इन्हें तरह-तरह के नाम से संबोधित भी किया जा रहा है। एक वर्ग इन तरह के पत्रकारों को गोदी मीडिया के नाम से संबोधित करती है तो वहीं पत्रकारिता की पढ़ाई में yellow journalism के नाम से भ्रष्ट पत्रकार जाने जाते हैं। ‌ आज की पत्रकारिता के संदर्भ में विशेष लेख ए. के. पांडेय की कलम के साथ।

नारद मुनि से सीखिये सच्ची पत्रकारिता, सच्चे पत्रकार देश और समाज के रक्षक

सही मायने में पत्रकारिता किसी पार्टी पक्ष के साथ होकर नहीं बल्कि सही और गलत की पहचान करने वाले मुद्दों के साथ पत्रकारिता होनी चाहिए। ‌
नारद मुनि की पत्रकारिता समाज और सृष्टि के हित में होती थी। मान्यता है कि नारद मुनि आज भी धरती पर आते रहते हैं। अगर पत्रकारों की यह स्थिति देखते होंगे तो उनका मन भी बहुत दुखी हो जाता होगा। आज अधिकांश लेखक व पत्रकार नेता विशेष या किसी पूंजीपति विशेष की कृपा पाने के लिए पत्रकारिता करता हुआ नजर आ रहा है।

मुद्दों की पत्रकारिता सच्ची पत्रकारिता

हमारे देश में ऐसे भी बहुत से पत्रकार हैं जो केवल मुद्दों पर ही पत्रकारिता करते हैं। ‌ लेकिन राजनीतिक दल के नेता और उनके समर्थक इन पत्रकारों पर कीचड़ फेंकने से बाज नहीं आते हैं। ‌ मुद्दों की पत्रकारिता क्या होती है पहले यह समझ ले। ‌जनता अपने चुने हुए प्रतिनिधि और सरकार से जनकल्याण की भावना वाले काम करने के लिए कहती है। जैसे महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी इन पर लगाम लगाने की बात मुद्दे की राजनीति है। ऐसे तमाम मुद्दे हैं जिसमें राष्ट्रीय हित, संस्कृति की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, नारी को हक दिलाना, गरीब और आम व्यक्ति के हित में योजनाएं बनाना, उन्हें प्रभावशाली तरीके से लागू करना, स्वास्थ्य बिजली पानी सड़क की व्यवस्था, शिक्षा कानून व्यवस्था‌ दुरुस्त बनाना जैसे तमाम जनता के सरोकार वाले देश हित के मुद्दे हैं। जिन पर नजर रखते हुए पत्रकार को समय-समय पर इन मुद्दे पर भी बात उठानी चाहिए। ‌भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद जैसे मुद्दे पर भी खुलकर पत्रकारों को आवाज उठानी चाहिए।
‌हालांकि हर पत्रकार इनमें से अलग-अलग विषयों का विशेषज्ञ होता है। इसलिए वह जिस विषय पर विशेषज्ञ होता है उन विषयों पर हो रही लापरवाही पर सत्ता पक्ष के खिलाफ अपने लेखनी से आवाज उठाता है। इसी तरह यदि सभी पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में खुद पर गर्व करते हुए सच्ची पत्रकारिता करने लगे तब भारत की स्थिति और भी अच्छी हो जाएगी।
इस देश में लाखों लोग पत्रकारिता करते हैं, अगर पत्रकारिता के दायित्व का सही निर्वहन हर व्यक्ति करने लगे तो निश्चित तौर पर देश हित में काम होगा और यही सरकार जो चुनिंदा मुद्दों पर चुनाव जीत कर जनता के भरोसे को तार-तार कर देती है वह काम करने पर मजबूर हो जाएंगी।

पत्रकारों के लिए असमंजस की स्थिति और इससे निकलने का तरीका

अगर जनता की हित के मुद्दे पत्रकार उठाता है। इसके जिम्मेदार व्यक्ति पर आलोचना करता है तो उसके समर्थक पत्रकार को बुरा कहते हैं। ‌इन सब बातों से एक सच्चे पत्रकार को कभी भी घबराना नहीं चाहिए। ‌
वहीं दूसरी बात यदि पत्रकार ऐसे मुद्दे उठाते हैं, जिसमें किसी व्यक्ति विशेष या नेता या उनके समर्थक की प्रशंसा होती है तो ऐसे लोग फिर पत्रकार को अपना समझते हैं और उनका गुणगान करते हुए थकते नहीं है। जन लोक कल्याण की भावना से सच्ची पत्रकारिता करने वाला पत्रकार कभी भी नेता व उनके समर्थक इसके अलावा पूंजीपतियों को खुश करने की पत्रकारिता नहीं करता बल्कि सच्चाई और जनता के हित के साथ देश हित की बात अपनी पत्रकारिता में करता हुआ नजर आता है। ‌
‌असल में पत्रकार तो जनता के हित में ही पत्रकारिता कर रहा है। ‌ उसे किसी नेता या किसी राजनीतिक दल के समर्थन करने वाले या पूंजीपतियों से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि? सच्चा पत्रकार जनता के हित और देश के हित में ही बात करता है। ‌
अगर कोई अच्छा कार्य कर रहा है तो पत्रकारिता उसकी प्रशंसा भी करता है लेकिन बुरे काम की आलोचना भी खुलकर एक सच्चा पत्रकार करता है। इसलिए यदि किसी राजनीतिक दल के नेता या समर्थक पत्रकार की बुराई करते हैं, तो एक बार हम लोगों को सोचना चाहिए क्या? पत्रकारिता दो वर्गों में बंट गई है। ‌ एक चरण वंदना वाली पत्रकारिता दूसरी जनता के हित वाली पत्रकारिता। ‌

नारद मुनि की पत्रकारिता जनता की हित वाली पत्रकारिता

नारद मुनि से सीखिये सच्ची पत्रकारिता, सच्चे पत्रकार देश और समाज के रक्षक

दुनिया के प्रथम पत्रकार नारद जी की पत्रकारिता जनहित वाली पत्रकारिता होती थी। ‌उनकी पत्रकारिता लोक कल्याण की भावना से प्रेरित होती रही है। ‌ हर किसी के सुख-दुख के साथी नारद मुनि की पत्रकारिता हमारे लिए आदर्श है। उनकी संवाद कौशलता और प्रश्न पूछने की शैली हर किसी को आश्चर्य में डाल देती है। ‌
पहले आपको बता दे कि नारद मुनि ब्रह्मा जी के 7 मनस पुत्रों में से एक हैं। उन्हें संसार का पहला पत्रकार माना जाता है। पत्रकारिता की पढ़ाई में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि नारद मुनि इस संसार के प्रथम पत्रकार हैं।
भारतीय लोक संस्कृति में पत्रकारिता कभी अछूती नहीं रही बल्कि सुख-दुख की पत्रकारिता जनता के प्रति समर्पित रही है। ‌नारद मुनि एक सच्चे संवाददाता यानि पत्रकार हैं। ‌
नारद मुनि कड़े से कड़े सवाल पूछते हुए नजर आते हैं, वह कभी किसी से डरते नहीं। निर्भीक और सच्चे पत्रकार के रूप में नारद मुनि किसी के पक्ष में नहीं बल्कि सृष्टि और तीनों लोक के पक्ष में बात करते रहे हैं। ‌वैसे आपने धार्मिक टीवी सीरियल में नारद मुनि जी के किरदार को देखा होगा। ‌एक लोक से दूसरे लोक तक खबरें पहुंचाते थे और सृष्टि के हित में ही बात करते हुए नजर आते हैं। ‌
नारद मुनि भगवान विष्णु के परम भक्त के रूप में भी जाने जाते हैं। इसलिए उनके मुंह से हमेशा नारायण-नारायण का उच्चारण होता है। उनके हाथ में वीणा है, नारद नारायण-नारायण बोलते हुए तीनों लोक में घूमते हुए लोगों को जागरुक करते हुए नजर आते हैं।

नारद जयंती कब मनायी जाती है

प्रथम पत्रकार  भगवान विष्णु के परम भक्त नारद जी की जयंती जेठ महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। ‌

नारद मुनि की सच्ची पत्रकारिता पत्रकारों के लिए बड़ी सीख

नारद मुनि ग्राउंड जीरो पर जाकर सही पत्रकारिता और सही सूचनाएं हासिल करते हैं। नारद मुनि को निरंतर चलायमान और भ्रमणशील होने का श्राप स्वरुप वरदान मिला है। इसी वजह से हर समय भ्रमण करते हुए तीनों लोकों की परिस्थितियों के बारे में जानकारी लेते हुए नजर आते हैं।
जहां उन्हें सूचना मिलती चाहे वह दुख की हो, चाहे सुख की हो; भगवान नारायण तक पहुंचाते हैं। ‌नारद मुनि का उद्देश्य लोगों का जन कल्याण है। ‌ यही काम एक पत्रकार का भी होता है। ‌ पत्रकार दो लोगों के बीच में संवाद कायम करता है और विचारों के बीच मध्यस्थता भी करता है। ‌
नारद मुनि इस कार्य को बखूबी निभाते हुए नजर आते हैं। इसलिए सृष्टि का पहला पत्रकार नारद मुनि को कहा जाता है।

नारद मुनि से सीखे जन कल्याण की पत्रकारिता

इस संसार को चलाने वाले पालनहार भगवान विष्णु जी हैं। ‌ देव ऋषि नारद मुनि वास्तव में भगवान विष्णु के सच्चे भक्त हैं। विचरण करते हुए नारद मुनि जब सृष्टि के लोगों को देखते हैं। उनके दुख और उनके सुख का कारण समझते हैं और भगवान विष्णु तक इस बात की सूचना पहुंचाते हैं। ताकि लोगों की समस्याओं का हल हो सके।
नारद मुनि जी सच्चे भाव से जन कल्याण की कामना करते हैं। नारद मुनि निस्वार्थ भाव से लोगों के दुख मुसीबत को दूर करने में लगे रहते हैं।
‌किसी निर्दोष के साथ बुरा ना हो इसलिए वे अपनी फरियाद लेकर भगवान विष्णु के पास जाते हैं।‌ भक्त प्रह्लाद, अम्बरीष और ध्रुव की रक्षा करने की फरियाद लेकर नारद मुनि जी भगवान विष्णु जी तक गए थे, और उनसे विनती की, कि उन्हें न्याय दिलाया जाए।
‌आज के पत्रकारों को नारद मुनि से पत्रकारिता सीखने की आवश्यकता है। ‌निस्वार्थ भाव से की गई पत्रकारिता वास्तव में सच्ची पत्रकारिता होती है। लोक कल्याण की भावना से ओत-प्रोत नारद जी हमेशा इस ब्रह्मांड में विचरण करते रहते हैं। मान्यता है कि नारद मुनि जी को अमरता का वरदान भी मिला है। ‌

पत्रकारिता का दायित्व

वर्तमान पत्रकारिता लोकतांत्रिक व्यवस्था में चौथे खंभे के रूप में जानी जाती है। ‌सरकारें आती जाती रहती है लेकिन पत्रकार अपने नैतिक कर्तव्य और दायित्व का निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ हर परिस्थिति में करता हुआ नजर आना चाहिए।
जो सवाल विपक्ष या जनता नहीं उठा पा रही है और देश के हित में है, वह सवाल तो पत्रकारों को उठाना ही चाहिए।
इसके साथ ही जनता के साथ खड़े होकर जनता की छोटी-छोटी समस्याओं को भी पत्रकारों को रखना चाहिए। भारत में ऐसे पत्रकार हैं जो इन मुद्दों को सामने रखते हैं लेकिन ऐसे मुद्दे जन जन तक कभी पहुंच नहीं पाते है, दरअसल उनकी बात सुनने वाली बड़ी-बड़ी मीडिया पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के अपने मिशन में वे आम इंसान की हित वाली खबरों को देने वाले पत्रकारों को कोई अहमियत नहीं देते हैं।
लेकिन कहते हैं कि जनता जितनी शिक्षित होती है उसका नेता और मीडिया जनता से डरती है और उनके मुद्दे उठाती हैं।  इसलिए जनता को समझना होगा कि कौन उसके हित में है और कौन उसके अहित में। ‌
आम जनता के मुद्दों को निस्वार्थ भाव से सामने लाने की पहल करने का जज्बा सच्ची पत्रकारिता कहलाती है।
महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी जैसे मुद्दे पर भी सवाल पत्रकारों को उठाना चाहिए। अब तो सोशल मीडिया और यूट्यूब का जमाना है। ऐसे में किसी बड़े पब्लिशर या मीडिया चैनल के भरोसे कोई पत्रकार नहीं रह सकता है, सच्ची पत्रकारिता में पब्लिशर या मीडिया पूंजीपति संस्थान अगर कोई बाधा बन रहा है तो सोशल मीडिया और यूट्यूब के जरिए पत्रकारिता करनी चाहिए। बल्कि आम व्यक्ति को भी पत्रकारिता करनी चाहिए।
‌सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी को समान अवसर अपने पत्रकारिता में देना चाहिए। ‌
जनता से सरोकार वाले मुद्दों को उठाने वाला पत्रकार का पहला दायित्व होता है। हालांकि बहुत से ऐसे पत्रकार है, जो ग्रामीण और जिले स्तर में यह काम बखूबी करते हैं। भले उनकी पत्रकारिता को लोग उतना महत्व नहीं देते हैं लेकिन उनकी एक खबर से ही बड़े-बड़े पत्रकार व टीवी चैनल एंकर पूरी-पूरी डिबेट्स कर देते हैं। ‌ इसलिए पत्रकार छोटा या बड़ा नहीं होता है। पत्रकार में जनकल्याण की भावना छुपी हुई है तो निश्चित तौर पर उसकी पत्रकारिता हर व्यक्ति के लिए मददगार साबित होगा।

आर्टिकल निष्कर्ष

पत्रकारिता किसी राजनीतिक दल या किसी व्यक्तित्व विशेष के लिए नहीं बल्कि जन कल्याण के लिए होनी चाहिए। निष्काम भाव से की गई पत्रकारिता वास्तव में राष्ट्र के प्रति सच्ची सेवा होती है। आज बहुत से पत्रकार बंधु ऐसे भी हैं, जिनका मिशन सच्ची जनकल्याण वाली पत्रकारिता है। ‌ जनता उनके नाम को भले याद नहीं रख पाती है लेकिन उनके काम जनता के हित वाले होते हैं, ऐसे पत्रकारों को हम नमन करते हैं।
जनकल्याण की भावना से तीनों लोकों में भ्रमण करने वाले नारद मुनि एक सच्चे अर्थों में संवाददाता है। हर पत्रकार को उनसे सीखना चाहिए की निस्वार्थ भाव से जन कल्याण की भावना से किया गया काम इस सृष्टि में अत्याचार और शोषण के खिलाफ एक बहुत बड़ी आवाज है। ‌पूरी दुनिया के पत्रकारों के लिए नारद मुनि एक आदर्श हैं। ‌सच्ची और निर्भीक पत्रकारिता निष्पक्ष  पत्रकारिता का सबसे बड़ा वसूल है और इस पर खरा वही उतरता है जो जनकल्याण की भावना से पत्रकारिता करता है। ‌ ‌

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