शिव पुराण में विवाह संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों का पालन करने से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर किया जा सकता है और शीघ्र विवाह की संभावनाएं बढ़ाई जा सकती हैं। यहाँ शिव पुराण में उल्लिखित कुछ प्रमुख उपायों का विवरण भगवान चित्रगुप्त वंशज अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी से दिया गया है।
महा मृत्युंजय मंत्र का जाप:
मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।”
विधि: इस मंत्र का नियमित जाप करें, विशेषकर सोमवार को। यह मंत्र भगवान शिव का प्रिय है और इससे सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
रुद्राभिषेक:
विधि: सोमवार के दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल से अभिषेक करें और शिवलिंग पर बिल्वपत्र अर्पित करें।
महत्त्व: रुद्राभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान करते हैं।
शिवलिंग की पूजा:

विधि: प्रतिदिन या कम से कम सोमवार को शिवलिंग की विधिपूर्वक पूजा करें। शिवलिंग पर जल, दूध, और बिल्वपत्र अर्पित करें।
महत्त्व: इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं।
शिव मंत्र का जाप:
मंत्र: “ॐ नमः शिवाय”
विधि: प्रतिदिन 108 बार इस मंत्र का जाप करें। सोमवार को विशेष रूप से इस मंत्र का जाप करें।
महत्त्व: यह मंत्र जाप भगवान शिव को प्रसन्न करता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
सोलह सोमवार व्रत:
विधि: लगातार सोलह सोमवार का व्रत रखें। इस व्रत के दौरान शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग की पूजा करें। भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनें।
महत्त्व: इस व्रत से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं।
पार्वती व्रत और पूजा:
विधि: माता पार्वती की आराधना और व्रत करें। विशेषकर हरतालिका तीज के दिन माता पार्वती की पूजा करें और उनकी कथा सुनें।
महत्त्व: इस व्रत से माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और विवाह में सफलता मिलती है।
शिव पुराण का पाठ:
विधि: प्रतिदिन या सोमवार को शिव पुराण का पाठ करें। विशेषकर सती और पार्वती की कथा का पाठ करें।
महत्त्व: शिव पुराण का पाठ करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं।
शिव मंदिर में दीपदान:
विधि: प्रतिदिन या सोमवार को शिव मंदिर में दीप जलाएं। विशेषकर शाम के समय दीप जलाना शुभ होता है।
महत्त्व: शिव मंदिर में दीप जलाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
सर्पों का दान:
विधि: शिव पुराण के अनुसार, सर्पों का दान करने से भी विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। शिवलिंग पर सर्प की आकृति का दान करें।
महत्त्व: इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान होता है।
इन उपायों का पालन श्रद्धा और भक्ति से करने से विवाह में आ रही सभी बाधाओं का समाधान होता है और भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।

शिव पुराण हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पुराणों में से एक है और यह भगवान शिव की महिमा, लीलाओं और विभिन्न कथाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन करता है। शिव पुराण कुल 24,000 श्लोकों में विभाजित है और इसमें 12 संहिताएँ (खंड) हैं। यहाँ शिव पुराण की कुछ प्रमुख कथाओं का संक्षिप्त विवरण दिया गया है। विस्तार से जानने के लिए शिव पुराण भाग 1 से क्रमशः पढ़िए हमारी लेखनी बनी रहिए amitsrivastav.in साइट पर बेल आइकन को दबा एक्सेप्ट किजिए ताकि हमारी न्यू अपडेट आप तक पहुंच सके। अन्य कोई समस्या या जानकारी चाहिए तो हमें कमेंट बॉक्स लिखकर पूछा जा सकता है या भारतीय हवाटएप्स 7379622843 मैसेज से या हमारे ईमेल asmedia.am@gmail.com से सम्पर्क किया जा सकता है।
सृष्टि की उत्पत्ति:
कथा: शिव पुराण के अनुसार, सृष्टि की उत्पत्ति भगवान शिव से हुई है। प्रलय के बाद, शिव ने सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा, विष्णु, और रुद्र को उत्पन्न किया। भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की, विष्णु ने पालन किया, और रुद्र ने संहार का कार्य संभाला।
सती और दक्ष यज्ञ:
कथा: दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। सती, शिव की पत्नी और दक्ष की पुत्री, बिना बुलाए यज्ञ में पहुंचीं। वहां, दक्ष ने शिव का अपमान किया, जिसे सहन न कर पाने पर सती ने यज्ञ अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। शिव को जब यह ज्ञात हुआ, तो वे क्रोधित हो गए और उन्होंने वीरभद्र को उत्पन्न किया, जिसने यज्ञ को नष्ट कर दिया और दक्ष का सिर काट दिया।
पार्वती का पुनर्जन्म:
कथा: सती ने हिमालय के राजा हिमावन और रानी मैना के घर पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। पार्वती ने कठोर तपस्या की ताकि वे भगवान शिव को पुनः अपने पति के रूप में प्राप्त कर सकें। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया और उनसे विवाह किया।
कुमार कार्तिकेय की कथा:
कथा: तारकासुर नामक दैत्य ने देवताओं को पराजित कर दिया था। देवताओं के अनुरोध पर, भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने जन्म लिया। कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया और देवताओं को पुनः स्वर्गलोक का अधिकार दिलाया।
गणेश का जन्म:
कथा: एक बार, माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से गणेश की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण डाल दिए। उन्होंने गणेश को द्वारपाल नियुक्त किया। भगवान शिव जब भीतर आने लगे, तो गणेश ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिव ने क्रोधित होकर गणेश का सिर काट दिया। बाद में, पार्वती के आग्रह पर, शिव ने गणेश को हाथी का सिर लगाया और उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे सभी देवताओं में प्रथम पूज्य होंगे।
नीलकंठ की कथा:
कथा: समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला, तो सभी देवता और दैत्य उसकी तीव्रता से भयभीत हो गए। भगवान शिव ने उस विष का पान कर लिया, लेकिन पार्वती ने उनके कंठ को दबा दिया जिससे विष उनके गले में ही रह गया और उनका कंठ नीला हो गया। इस कारण वे नीलकंठ कहलाए।
शिव और जालंधर:
कथा: जालंधर एक शक्तिशाली दानव था, जिसने देवताओं को पराजित कर दिया था। उसकी शक्ति का स्रोत उसकी पत्नी वृंदा की पवित्रता थी। भगवान शिव ने जालंधर का वध किया और वृंदा की पवित्रता को बनाए रखने के लिए विष्णु ने उसका रूप धारण किया।
Click on the link इस कथा को विस्तार से पढ़ने जानने के लिए पंजाब प्रांत के जालंधर में स्थित एक मात्र हमारी लेखनी पांचवी त्रिपुरमालिनी वक्षपीठ देवी तालाब जालंधर शक्तिपीठ पढ़िए उसमे जलंधर और वृंदा बनी तुलसी छलिया विष्णु का वृदा के साथ छल जलंधर का वध, जन्म से मृत्यु तक का दुर्लभ और सत्य जानकारी दी गई है।
शिव के भैरव अवतार:
कथा: एक बार ब्रह्मा ने भगवान शिव का अपमान किया। शिव ने क्रोधित होकर अपने भैरव रूप को प्रकट किया और ब्रह्मा के पाँचवें सिर को काट दिया। इसके बाद, भैरव ने संसार में घूमकर अपने पाप का प्रायश्चित किया और अंततः काशी में आकर मुक्त हो गए।
अर्धनारीश्वर अवतार:
कथा: भगवान शिव ने पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर अर्धनारीश्वर रूप धारण किया, जिसमें आधा शरीर शिव का और आधा पार्वती का था। यह रूप पुरुष और स्त्री ऊर्जा के संतुलन का प्रतीक है।
शिव पुराण में भगवान शिव की महिमा और उनकी लीलाओं का वर्णन अत्यंत विस्तार से किया गया है। इन कथाओं से भगवान शिव के विविध रूपों और उनकी कृपा का अनुभव होता है। शिव पुराण हमें भक्ति, तपस्या, और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
शिव पुराण में कई महत्वपूर्ण भविष्यवाणियाँ की गई हैं जो समय-समय पर सृष्टि और मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित हैं। इनमें धार्मिक, आध्यात्मिक, और सामाजिक परिवर्तनों के साथ-साथ भविष्य के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का वर्णन किया गया है। यहाँ शिव पुराण की कुछ प्रमुख भविष्यवाणियों का विवरण दिया गया है।
कलियुग की भविष्यवाणी:
शिव पुराण में कलियुग के लक्षणों और इस युग के दौरान मानव समाज के पतन की भविष्यवाणी की गई है। इसमें बताया गया है कि।
धर्म का पतन: कलियुग में धर्म का पतन होगा और लोग पाप मार्ग पर चलने लगेंगे।
सत्य और न्याय की कमी: सत्य, न्याय और धर्म का पालन कम हो जाएगा।
आयु और शक्ति में कमी: मनुष्यों की आयु, शक्ति, और स्वास्थ्य में कमी आएगी।
स्वार्थ और अहंकार: स्वार्थ, अहंकार, और लोभ की वृद्धि होगी।
परिवार और समाज: पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में कटुता और असहिष्णुता बढ़ेगी।
धार्मिक पुनरुत्थान:
शिव पुराण में यह भी भविष्यवाणी की गई है कि।
धर्म का पुनरुत्थान: एक समय ऐसा आएगा जब धर्म का पुनरुत्थान होगा और सत्य, न्याय, और धर्म की स्थापना फिर से होगी।
अवतार का आगमन: भगवान शिव या उनके किसी रूप का अवतार धरा पर आएगा और धर्म की पुनः स्थापना करेगा।
विश्व का अंत और नया युग:
शिव पुराण के अनुसार, सृष्टि का एक चक्र होता है जिसमें सृष्टि, पालन, और संहार शामिल होते हैं। इस चक्र के अंत में:-
प्रलय: प्रलय के समय, सम्पूर्ण सृष्टि नष्ट हो जाएगी और ब्रह्माण्ड फिर से भगवान शिव की शक्ति में विलीन हो जाएगा।
नया सृजन: प्रलय के बाद, भगवान शिव फिर से सृष्टि की रचना करेंगे और एक नया युग प्रारंभ होगा, जिसमें धर्म और सत्य का पालन होगा।
भक्तों के लिए भविष्यवाणी:
शिव पुराण में भगवान शिव ने अपने भक्तों के लिए कुछ विशेष भविष्यवाणियाँ की हैं:-
भक्तों की रक्षा: भगवान शिव अपने भक्तों की सदैव रक्षा करेंगे और उन्हें संकटों से मुक्ति दिलाएंगे।शिव पुराण में शादी के उपाय
मोक्ष की प्राप्ति: जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की आराधना करेंगे, उन्हें अंत में मोक्ष की प्राप्ति होगी।
कष्टों का निवारण: भगवान शिव की आराधना करने से सभी प्रकार के कष्ट और बाधाओं का निवारण होगा।
सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन:
शिव पुराण में भविष्य में आने वाले सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तनों का भी उल्लेख है:-
सांस्कृतिक पतन: एक समय ऐसा आएगा जब सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों का पतन होगा।
सामाजिक विघटन: समाज में विघटन, असंतोष, और अव्यवस्था बढ़ेगी।
आध्यात्मिक जागरण: इसके बाद, एक समय ऐसा भी आएगा जब आध्यात्मिक जागरण होगा और लोग फिर से धार्मिक और नैतिक मूल्यों को अपनाएंगे।
शिव पुराण की ये भविष्यवाणियाँ हमें चेतावनी देती हैं और धर्म, सत्य, और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। ये भविष्यवाणियाँ इस बात का भी संकेत देती हैं कि भगवान शिव की कृपा और भक्ति से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण संभव है और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।