बुद्धिमान राजा की कहानी

Amit Srivastav

बहुत समय पहले, एक छोटे से राजा की राज्य में एक अजीबो-गरीब परंपरा चलती थी। इस राज्य का कानून था कि हर साल एक नए राजा का चयन किया जाता, और पुराने राजा को एक घने, खतरनाक जंगल के बीचो-बीच छोड़ दिया जाता। यह जंगल इतना बड़ा और डरावना था कि कोई भी व्यक्ति वहाँ जीवित नहीं रह सकता था। जंगल में जंगली जानवरों, जहरीले सांपों, और अनगिनत खतरों का बसेरा था।
हर नया राजा जब सत्ता में आता, तो राजमहल की शानो-शौकत और सत्ता के सुख में इतना खो जाता कि भविष्य की कोई चिंता ही नहीं करता। लेकिन जैसे ही उसका एक साल पूरा होता, उसे जंगल में छोड़ दिया जाता। इस नियम की वजह से अनगिनत राजाओं की जान चली गई। इस राज्य का हर नागरिक और दरबारी इस कानून को जानता था, लेकिन किसी ने इसे बदलने की कभी कोशिश नहीं की।

बुद्धिमान राजा की कहानी

एक अनजान नौजवान का आगमन

एक दिन, राज्य की सीमा पर एक युवा लड़का दूसरे राज्य से आया। उसे राज्य के इस विचित्र नियम की कोई जानकारी नहीं थी। जैसे ही वह सीमा पार कर राज्य में दाखिल हुआ, लोगों ने उसका जोरदार स्वागत किया। ढोल-नगाड़े बजाए गए, फूलों की मालाएँ पहनाई गईं, और उसे बड़े उत्साह के साथ बताया गया, “आप हमारे नए राजा हैं!”
नौजवान यह सुनकर हैरान रह गया। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि बिना किसी प्रयास के वह राजा बन गया है। उसे राजमहल ले जाया गया, जहाँ उसे सिंहासन पर बिठाया गया। उसकी हर तरह से आवभगत की गई।

पहले तो वह बहुत खुश था, लेकिन जल्द ही उसने सवाल किया, “मुझसे पहले जो राजा था, वह कहाँ है?”

इस पर दरबारियों ने उसे बताया, “महाराज, हमारे राज्य का कानून है कि हर राजा केवल एक साल तक राज करता है। इसके बाद उसे जंगल में छोड़ दिया जाता है। पिछले राजा को भी इसी जंगल में छोड़ दिया गया था, और अब आप हमारे नए राजा हैं।”
यह सुनकर नौजवान के चेहरे का रंग उड़ गया। जो उसे कुछ देर पहले वरदान जैसा लग रहा था, अब वही अभिशाप जैसा प्रतीत हो रहा था। लेकिन वह युवा बहुत चतुर और दूरदर्शी था। उसने अपने डर को छिपाते हुए तुरंत कहा, “मुझे उस जंगल में ले चलो जहाँ मुझसे पहले के राजाओं को छोड़ दिया गया था।”

डरावना जंगल:

सैनिकों और दरबारियों के साथ राजा जंगल के उस स्थान पर पहुँचा। वहाँ का दृश्य देखकर उसकी रूह काँप उठी। चारों ओर घना अंधकार, बड़े-बड़े पेड़, झाड़ियों में सरसराहट करती आवाजें, और जंगली जानवरों के डरावने गुर्राने की आवाजें सुनाई दे रही थीं।
राजा ने उस जगह को ध्यान से देखा और हर चीज को गौर से समझने की कोशिश की। वह जान गया कि अगर समय रहते उसने कुछ नहीं किया, तो उसका भी वही हश्र होगा जो पिछले राजाओं का हुआ था। जंगल का निरीक्षण करने के बाद वह वापस राजमहल लौट आया।

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बुद्धिमानी से राजा ने बनाई योजना

राजमहल लौटते ही उसने सबसे पहला आदेश जारी किया। उसने कहा, “जंगल तक एक पक्की सड़क बनाई जाए। जंगल के बीच में एक बड़ा, सुंदर महल बनाया जाए, जिसमें हर सुख-सुविधा हो। महल के आसपास हरे-भरे बाग लगाए जाएं, जिनमें फल और सब्जियाँ उगाई जा सकें। साथ ही, वहाँ तालाब बनाए जाएं ताकि पानी की भी कोई कमी न हो।”
यह आदेश सुनकर दरबारियों और प्रजा को बहुत अचंभा हुआ। किसी राजा ने आज तक इस तरह का आदेश नहीं दिया था। लेकिन राजा की आज्ञा का पालन किया गया। सैकड़ों मजदूरों और कारीगरों को काम पर लगाया गया। महीनों की मेहनत के बाद, जंगल में सड़क बन गई, एक शानदार महल तैयार हो गया, और उसके चारों ओर हरियाली से भरे बाग लहलहा उठे।
राजा ने यह सुनिश्चित किया कि जंगल में वह सब कुछ हो, जो एक आरामदायक जीवन जीने के लिए जरूरी है।

राजा के बनाये कानून का पालन

समय बीता, और देखते-देखते राजा का एक साल पूरा हो गया। दरबारियों ने राजा से कहा, “महाराज, अब हमें आपको जंगल में छोड़ने का समय आ गया है।”
राजा मुस्कुराते हुए बोला, “मैं पूरी तैयारी के साथ चलने के लिए तैयार हूँ। मुझे जहाँ ले जाना है, ले चलो।”
दरबारियों और सैनिकों ने राजा को जंगल में छोड़ा। लेकिन जैसे ही वे उस स्थान पर पहुँचे, उन्होंने देखा कि वह डरावना जंगल अब एक सुंदर और सुखदायक स्थान बन चुका था। वहाँ खतरनाक जानवरों की जगह रंग-बिरंगे पक्षी चहक रहे थे। हरियाली और फूलों की महक ने पूरे जंगल को स्वर्ग जैसा बना दिया था।

नए युग की शुरुआत

दरबारियों ने राजा की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता की तारीफ की। उन्होंने कहा, “महाराज, आपने हमें यह सिखाया है कि भविष्य की चिंता कैसे करनी चाहिए। आपने अपनी जिंदगी के लिए पहले ही तैयारी कर ली थी। हम अब इस मूर्खतापूर्ण कानून को समाप्त करते हैं। अब आप हमारे राज्य पर हमेशा के लिए शासन करें।”
राजा ने भी खुश होकर कहा, “कानून चाहे जितना भी पुराना हो, अगर वह जीवन के लिए खतरा बन जाए, तो उसे बदलना ही चाहिए। अब इस राज्य में कोई और राजा जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा।”

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कहानी से मिलने वाली शिक्षा

यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में केवल वर्तमान का आनंद लेना ही पर्याप्त नहीं है। हमें अपने भविष्य की तैयारी भी करनी चाहिए। जैसे उस राजा ने जंगल में जाने से पहले अपने लिए सुख-सुविधाएँ तैयार कीं, वैसे ही हमें भी अपने कर्मों से अपने अगले जीवन की तैयारी करनी चाहिए।
जीवन अस्थायी है, और एक दिन हम सबको यहाँ से जाना है। क्यों न हम अपने परिवार, समाज, और देश के लिए कुछ ऐसा करें, जिससे हमारी यह यात्रा सार्थक बन सके। केवल भोग-विलास और माया जाल में खोकर समय बर्बाद करने से बेहतर है, नेक कर्मों से अपनी जगह संवारें। कहानी अच्छी लगी तो कमेंट बॉक्स में लिखिए जय मां कामाख्या देवी।
जीवन में वर्तमान का आनंद भरपूर लिजिये, लेकिन भविष्य की तैयारी भी करते रहिए। जीवन में देवी कामाख्या का दर्शन करें और सारे तिरथ बार बार गंगासागर एक बार जरुर पहुंच कर मकर संक्रांति पर गंगासागर में स्नान दान कर जीवन को सफल बनाने का प्रयास करें।

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