बेरोजगारी और महंगाई: के मुद्दे पर गोदी पत्रकारों का रवैया

Amit Srivastav

गोदी मीडिया। यूट्यूब - समानांतर मीडिया का भारत में जन्म

भारत में चुनावी माहौल के दौरान मुद्दों की प्राथमिकता और उन्हें मीडिया में स्थान दिए जाने का तरीका हमेशा चर्चा का विषय रहा है। चुनाव से पहले जब एक पत्रकार से पूछा गया कि क्या बेरोजगारी और महंगाई जैसे आर्थिक असमानता के मुद्दे महत्वपूर्ण हैं, तो उसने हंसकर कहा, “नहीं।” इस घटना ने गोदी पत्रकारिता (प्रो-गवर्नमेंट पत्रकारिता) के चरित्र और उनकी प्राथमिकताओं पर एक नई बहस को जन्म दिया।

बेरोजगारी और महंगाई: असल समस्या:

बेरोजगारी और महंगाई दो महत्वपूर्ण आर्थिक समस्याएं हैं जिनका सीधा असर जनता की जीवनशैली पर पड़ता है।
बेरोजगारी: यह समस्या न केवल युवाओं के भविष्य को अंधकारमय बनाती है, बल्कि सामाजिक अस्थिरता और अपराध दर में भी वृद्धि करती है। बेरोजगारी के कारण युवाओं में निराशा और अवसाद बढ़ता है, जो समाज के समग्र विकास के लिए हानिकारक है।
महंगाई: महंगाई का बढ़ना सीधे तौर पर आम जनता की क्रय शक्ति को कम करता है। खाद्य पदार्थ, ईंधन, और दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

गोदी पत्रकारिता और उसकी प्राथमिकताएँ:

बेरोजगारी और महंगाई: के मुद्दे पर गोदी पत्रकारों का रवैया

गोदी पत्रकारिता का आरोप मीडिया पर तब लगता है जब वह सरकार के पक्ष में कार्य करते हुए महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी करती है। ऐसी पत्रकारिता:
प्रचार को प्राथमिकता देती है: यह मीडिया का एक हिस्सा होता है जो सरकार की उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है और समस्याओं को नजरअंदाज करता है।
महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी: बेरोजगारी और महंगाई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं होती, जिससे जनता तक सही जानकारी नहीं पहुंच पाती।
चुनावी रणनीति का हिस्सा: चुनाव के समय गोदी पत्रकारिता का लक्ष्य होता है कि सरकार के पक्ष में माहौल तैयार किया जाए, जिससे सत्ता में बने रहने की संभावना बढ़ सके।

हंसना: एक प्रतिक्रिया या रणनीति?

जब पत्रकार ने बेरोजगारी और महंगाई के सवाल पर हंसकर “नहीं” कहा, तो यह केवल एक व्यक्तिगत प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि यह गोदी पत्रकारिता के प्रवृत्ति का प्रतीक था। इस प्रकार की हंसी का मतलब हो सकता है:-
मुद्दों की अहमियत को कम करके दिखाना: ताकि यह लगे कि ये मुद्दे वास्तव में जनता के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं।
सरकार की छवि को बचाना: यह दिखाने की कोशिश करना कि सरकार के कार्यकाल में ऐसी समस्याएँ नहीं हैं।
दूसरे मुद्दों की ओर ध्यान मोड़ना: जो सरकार के पक्ष में हैं या जिनसे राजनीतिक लाभ हो सकता है।
निष्कर्ष:
बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे जो सीधे तौर पर जनता के जीवन को प्रभावित करते हैं, उन्हें नजरअंदाज करना लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। मीडिया का कर्तव्य है कि वह इन मुद्दों को प्राथमिकता दे और जनता तक सही जानकारी पहुँचाए। गोदी पत्रकारिता का प्रभाव चुनावी परिणामों और सामाजिक संरचना दोनों पर पड़ता है, और इसलिए यह जरूरी है कि पत्रकारिता निष्पक्ष और निर्भीक हो। amitsrivastav.in

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