योगी सरकार की नाकामी: आश्रम पद्धति आवासीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त

Amit Srivastav

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भारत देश एक ऐसा देश है जहां की सरकारों की कथनी-करनी में जमीन-आसमान का फर्क रहता है। यहां कि सरकारें बड़ी-बड़ी डींग हांकने का काम करती हैं। सरकार की भिन्न-भिन्न योजनाओं का जमीनी हकीकत कोसों दूर रहता है। ऐसे में आईए भारत देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से आवासीय शिक्षा योजना कि जमीनी हकीकत पर नजर डाल, ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था कि पोल खोलते, उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर से सटे उनके प्रिय जनपद देवों की नगरी कही जाने वाली देवरिया की पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय आश्रम पद्धति इंटर मिडिएट कॉलेज पर एक नज़र डाल पूरे प्रदेश की हालात से अवगत करा रहे हैं। आवासीय शिक्षा योजना में राजकीय आश्रम पद्धति की जमीनी हकीकत को सार्वजनिक करते कुछ जानकारी चित्रगुप्त वंशज-अमित श्रीवास्तव संपादक की निस्पक्ष कलम से दे रहे हैं।

योगी सरकार की नाकामी: आश्रम पद्धति आवासीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त


आवासीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था पर भाजपा की चल रही सरकार मे दोहरी मार पड़ी है, पहले कोरोना महामारी फिर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने विषयवार अध्यापकों को न रखकर आश्रम पद्धति आवासीय शिक्षा को ध्वस्त कर दिया। अखिलेश यादव की सरकार मे निर्मित राजकीय आश्रम पद्धति इंटर कॉलेजों की स्थिति योगी आदित्यनाथ कि सरकार मे दिनोंदिन ध्वस्त होती जा रही है। लेकिन मंडल स्तर पर अटल आवासीय आश्रम पद्धति कि स्थिति कुछ हद तक बेहतर है। कहीं कांग्रेस व सपा कि योजनाओं से भाजपा की तानाशाही तो नही? जवाहर नवोदय विद्यालय, कस्तूरबा गांधी विद्यालयों की भी स्थिति खराब हुई है। इन विद्यालयों की दयनीय स्थिति का संज्ञान गोदी मीडिया नही लेतीं, इस वजह से राजकीय आश्रम पद्धति इंटर कॉलेजों की दयनीय स्थिति से आम जन अवगत नही हो पा रहा है। और अपने बच्चों को जिले स्तर पर होने वाली नामांकन हेतू प्रतियोगिता में आवेदन करवा भाग्य आजमा रहा है। कई हजारों की संख्या में बच्चे आवेदन कर योग्यता परीक्षा देते हैं। जिसमें जिले के टाप गरीब होनहार बच्चों को आय के आधार पर दाखिला मिलता है। जिले के टाप बच्चे राजकीय आश्रम पद्धति इंटर कॉलेज में प्रवेश पाकर अध्यापक विहीन विद्यालयों में विद्यालयी शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। और आये दिन बच्चे विद्यालय छोड़ या तो घर जाकर पढ़ाई करते हैं या विद्यालय छोड़ दूसरे विद्यालयों में दाखिला लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इससे यह साबित हो रहा है योगी सरकार इन आवासीय विद्यालयों में बच्चों को नामांकन दे शिक्षक के अभाव में बच्चों को शिक्षा से वंचित कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। बड़ी गोदी मीडिया कि पत्रकारिता पूरे देश में बड़ा सेटेलाईट के वजह से फैला हुआ है। जिसपर 2014 के बाद भाजपा को फायदा पहुंचाने वाली खबरों को चलाया व दिखाया जाता है। आम जन की समस्याओं से गोदी मीडिया का कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए गोदी मीडिया पत्रकार इन जनहित मुद्दों को उठाने का दायित्व नहीं निभाते। निस्पक्ष पर्दाफ़ाश लेखनी प्रकाशित करने वाले तमाम पत्रकार गोदी मीडिया से पत्रकारिता छोड़ अपनी वेबसाइट और यूट्यूब के माध्यम से समाज में अपनी पकड़ बना रहे हैं। वेबसाइट व यूट्यूब, प्रिन्ट व इलेक्ट्रॉनिक, समानांतर मीडिया का बढ़ता पकड़ समाज में धीरे-धीरे सत्यता को पहुचाने का काम कर रहा है। तो आइये इस आर्टिकल में जानिये भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से राजकीय आश्रम पद्धति इंटर कॉलेजों की वर्तमान स्थिति जो योगी सरकार मे तेजी से बद से बदतर हो ध्वस्त हो रही है। जिलों के होनहार गरीब परिवारों के बच्चों का भविष्य जानबूझकर योगी सरकार खराब कर रही है। शिक्षा व्यवस्था में सुधार कि झूठी ढिंढोरा पीट खबरें अपनी गोदी मीडिया द्वारा प्रकाशित करा लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। तो आइये एक एक कर नज़र डालते हुए राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय की हकीकत बता रहे हैं।

समाज कल्याण विभाग की उदासीनता:

आपको बता दें राजकीय आश्रम पद्धति इंटर कॉलेज, राज्य सरकार की समाज कल्याण विभाग की देखरेख में संचालित होता है। हर जिले में समाज कल्याण विकास अधिकारी आश्रम पद्धति विद्यालयों की समय-समय पर आकस्मिक निरिक्षण कर सरकार को रिपोर्ट सौंपने का काम करते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि समाज कल्याण विकास अधिकारीयों को इससे कोई मतलब ही नही, न जबादेही है, न बदहाल स्थिति कि जानकारी है। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर बगल में देवरिया जनपद के समाज कल्याण विकास अधिकारी से फोन पर जानकारी मांगने पर बताया कि सरकार ने आदेश दिया है कि किसी को भी कोई इंटरव्यू न दें अधिकारी, समाज कल्याण विकास अधिकारी कुछ जानकारी देने से पल्ला झाड़ते दूरभाष पर कहा निदेशालय से जानकारी ले लिजिये। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस तरह के आदेश से साफ स्पष्ट हो रहा है कि शिक्षा व्यवस्था को अंदर ही अंदर ध्वस्त करने की उदेश्य से अध्यापकों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कि जा रही है। शायद सरकार की मंशा ही है जिलों के गरीब होनहार बच्चों को आवासीय शिक्षा योजना के तहत इन विद्यालयों में दाखिला दे भविष्य चौपट करना। जब अध्यापक ही नहीं रखना है तो करोड़ों की लागत से बिल्डिंगों को तैयार कर जिलों के गरीब होनहार बच्चों को दाखिला दे शिक्षा से क्यों वंचित किया जा रहा है? यह एक गंभीर मामला है।

आंखों देखी: पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय आश्रम पद्धति इंटर कॉलेज मेहरौना देवरिया की गति दुर्गति दुर्दशा:

योगी सरकार की नाकामी: आश्रम पद्धति आवासीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त

पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय आश्रम पद्धति इंटर कॉलेज मेहरौना देवरिया, की स्थिति बेहद चिंताजनक है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के नेतृत्व में शिक्षा व्यवस्था में आ रही समस्याओं ने उत्तर प्रदेश के सभी राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों की स्थिति को बेहद चिंताजनक बना दिया है। कोरोना महामारी के बाद, सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को फिर से सशक्त करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसके परिणामस्वरूप, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय में विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय मेहरौना देवरिया में न तो विषयवार अध्यापक हैं और न ही कोई उचित समुचित व्यवस्था। बिजली, पानी और उपयुक्त गुणवत्ता युक्त खानपान जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी बच्चे बंचित हो रहे हैं। एमडीएम बजट में बीते कई वर्षों से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई और भाजपा सरकार में महंगाई चरम पार जा रही है। बढ़ती महंगाई के कारण इतने कम बजट में गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था कर पाना व्यवस्थापकों के लिए एक बड़ी समस्या है। ग्रामीण क्षेत्र में स्थित विद्यालय में ग्रामीण विद्युतीकरण है। कभी-कभी स्थाई रूप से बिजली गुल रहती है, इस वजह से कैंपस में निर्मित पानी टंकी से पानी की सप्लाई नहीं मिल पाती। उस दशा में बच्चों को हैंडपंप के सहारे नित्यकर्म शौच व स्नान करना पड़ता है। विद्युत सप्लाई बाधित हो जाने से अंधेरों में बच्चों को रहना पड़ता है। ऊमस भरी गर्मी व वर्षाकाल में रात्रि के अंधेरों में बच्चे कैसे रह पाते होगें यह एक चिंता का विषय है। रात्री समय हास्टल के लिए न तो जनरेटर सप्लाई चलती है न ही शौर्य ऊर्जा की सप्लाई मिल पाती है। गर्मी और वर्षांत में बच्चों के छात्रावास में रात्री समय लाईट पंखा की उचित व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में एकमात्र प्राचार्य श्री राय अपने सीमित संसाधनों के साथ क्या कर सकते हैं? विषयवार अध्यापकों की नियुक्ति के लिए वर्षों से समाज कल्याण विभाग सहित जिलाधिकारी को पत्र दे चुके हैं, किन्तु अध्यापकों की उपलब्धता सुनिश्चित नही हो रही है, जो भी कुछ अध्यापक थे उनका भी तबादला अन्य जनपद हो जाने से बच्चों को शिक्षा देने के लिए एक प्राचार्य और कुछ गिने-चुने अध्यापक के अलावा कोई नहीं है। हाईस्कूल व इंटर बोल्ड की कक्षाओं के बच्चे किसी तरह घर का सहारा ले स्कूली शिक्षा से वंचित हो परिक्षा दे विद्यालय छोड़ अन्य प्राइवेट विद्यालयों के लिए प्रस्थान कर रहे हैं। इसका संज्ञान कोई जिम्मेदार नही ले रहा है, कि आखिर क्यों बच्चे विद्यालय छोड़ रहे हैं? राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय की गति पर विराम लग चुकी है, साथ ही अपनी शिक्षा कि दुर्गति और दुर्दशा पर राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय आंसू बहा रहा है। निशुल्क आवासीय शिक्षा योजना के अंतर्गत राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय में नामांकित बच्चों के भावी भविष्य के साथ भाजपा कि योगी सरकार खुलेआम खिलवाड़ कर रही है। राजकीय आश्रम पद्धति मेहरौना देवरिया पर प्रकाश डालने 88का उद्देश्य है जब योगी सरकार का प्रिय निकटवर्ती जनपद के विद्यालय की यह दशा है तो अन्य कि क्या दशा होगी? सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है। जो मुख्यमंत्री अपने गृह जनपद के आस पास कि व्यवस्था सुधारने में नाकाम हो, इतने बड़े प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था कैसे सुधार सकता, यह विचारणीय तथ्य है। बीते वर्ष जवाहर नवोदय विद्यालय गोरखपुर के बच्चों ने खानपान और शिक्षा व्यवस्था को लेकर आंदोलन किया था। जिस गोरखपुर युनिवर्सिटी से योगी आदित्यनाथ अपनी शिक्षा पूरी किए हैं उस युनिवर्सिटी से इनके सात साल के कार्यकाल में 70 बार पेपर लीक हो चुका है। जिस मुद्दों को प्रमुखता से अखबारों के संपादकीय पर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में योगी सरकार असफल साबित हो चुकी है।

बीजेपी सरकार की नीतियों पर सवाल :

योगी सरकार की नाकामी: आश्रम पद्धति आवासीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार द्वारा सबको शिक्षा मुहैया कराने के बडे-बडे दावे किए जाते हैं, लेकिन राजकीय आश्रम पद्धति इंटर मिडिएट काॅलेजों की शिक्षा व्यवस्था को देखते हुए ये दावे मात्र ढोंग प्रतीत होते हैं। सरकार की नीतियों और प्राथमिकताओं पर सवाल उठना स्वभाविक है। जब जिले के होनहार बच्चे कड़ी प्रतियोगिता के बाद इन विद्यालयों में आते हैं, तो उन्हें निराशा हाथ लगती है।

शिक्षकों की कमी :

राजकीय आश्रम पद्धति इंटर मिडिएट आवासीय कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। विषयवार अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण छात्रों को विषयवार ट्यूशन भी नही मिल पा रही है, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस कमी का सीधा असर छात्रों के शैक्षिक प्रदर्शन पर पड़ता है और उनके भविष्य के सपनों को धक्का लगता है।

समस्या और समाधान:

इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए सरकार को शीघ्र और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पूरी हो सके। बुनियादी सुविधाओं में सुधार किया जाए और खानपान की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए, ताकि विषयवार अध्यापकों की कमी पूरी हो सके। बुनियादी सुविधाओं में सुधार किया जाए और खान-पान की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। विद्युत और पानी की आपूर्ति को दुरुस्त किया जाए ताकि बच्चों को बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष न करना पड़े।

राजकीय आवासीय शिक्षा योजना निष्कर्ष :

राजकीय आश्रम पद्धति इंटर मिडिएट आवासीय काॅलेजों की बदहाल स्थिति छात्रों के भविष्य के साथ वर्तमान योगी सरकार का खिलवाड़ है। उत्तर प्रदेश में ध्वस्त आवासीय शिक्षा योजना मुद्दे पर योगी सरकार को गंभीरता से ध्यान देने और आवश्यक सुधार करने की आवश्यकता है। केवल बडे-बडे दावे करने, ढींग हांकने से शिक्षा व्यवस्था में उत्पन्न समस्याएं हल नहीं होंगी, इसमे सुधार के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। छात्रों का भविष्य संवारने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार अति आवश्यक है। जब शिक्षक ही नहीं है तो करोड़ों की बिल्डिंगों को बना बच्चों को नामांकित कर देने से बच्चों को क्या लाभ है? जिले के होनहार गरीब बच्चों का भविष्य अध्यापक विहीन आवासीय विद्यालयों में चौपट हो रहा है जिसका जिम्मेदार एक मात्र सरकार है। ध्वस्त राजकीय आश्रम पद्धति आवासीय शिक्षा योजना सरकार की नाकामी को उजागर कर रहा है। किसी कि लाई गई योजना में किसी सरकार को तानाशाही नही करना चाहिए। इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज करना न केवल शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि समाज के वंचित वर्गो के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है। उम्मीद है कि भाजपा कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी और इन आवासीय विद्यालयों की स्थिति में सुधार करेगी।

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9 thoughts on “योगी सरकार की नाकामी: आश्रम पद्धति आवासीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त”

  1. Bharat Sarkar ko is Mudde 💯 pe Bade se Bade kadam uthane chahiye 💪 aur punh Bharat ki “Shiksha Vyavastha” ko thik karna chahiye. 👍💯💪

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