जातिय आरक्षण एक तरफ़ वोट बैंक को बनाए रखने के लिए जातिगत लोगों का का राजनीतिक दलों के लिए आशिर्वाद है तो दूसरे तरफ़ अभिशाप है। आरक्षण देने का मुख्य उद्देश्य समानता लाना था लेकिन असमानता को बढ़ावा देने के साथ ही समाज के लोगों में विभाजन का कार्य किया। गरीबों का उत्थान करना आरक्षण का उद्देश्य असफल साबित हुआ। अब आरक्षण संशोधन विधेयक 103 में गरीबी आरक्षण को शामिल किया गया फिर भी एक हास्यास्पद है कि गरीबी आरक्षण का लाभ आठ लाख वार्षिक आय वर्ग के लोगों को दिया गया है जिसका लाभ गरीबों को मिल पाना नामुमकिन ही है जिनके पास सलाना 42 हजार का भी आय नही वो भी उसी कोटे में और जिनका आठ लाख सलाना आय वो भी उसी कोटे में तो गरीबी आरक्षण का लाभ किसे मिलेगा सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
जब आप आरक्षण का विरोध करते हैं तो निम्नलिखित 11 सवालों पर भी विचार करें, जहां असमानता नजर आती है, इसीलिए आरक्षण दिया जाता है। अगर इन असमानता को सरकारें पिछले 70 साल से खत्म नहीं कर पाई है तो यह सरकारें और समाज की सबसे बड़ी असफलता है।
आज एक उग्र विचारधारा वाले ऐसे व्यक्ति से संवाद स्थापित हुआ जो कभी भारतीय जनता पार्टी का समर्थक हुआ करता था। हालांकि आज भी उसके विचार बीजेपी के एजेंडे वाले विचार से मेल खाता हुआ नजर आ रहा है। आरक्षण का विरोध करने वाले यह नहीं जानते है कि आरक्षण के विरोध करने से पहले 11 बातें समझनी है।
1- पूंजीपतियों के हाथ में शिक्षा व्यवस्था क्यों है? सरकारी स्कूल को धीरे-धीरे खत्म किया क्यों जा रहा है?
2-शिक्षा का निजीकरण और महंगी शिक्षा क्यों है? क्या आर्थिक रूप से असमानता को बढ़ाने वाला यह सोची समझी राजनीति नहीं है!
3-.जाति-विशेष का संदर्भ सामाजिक ताने-बाने से क्यों है?
4-शोषणकर्ता वर्ग आज भी है? ये पूंजीपतियों के रूप में हर शहर में है। दर्जनों है। उनसे ज्यादा है। यही आरक्षण के विरोध में सामने आते हैं। उनके चेहरे को आप आसानी से पहचान सकते है, क्योंकि इन्हें अपनी राजनीति चमकानी होती है या अपने पूंजीवादी व्यवस्था को बनाए रखना होता है।
5- आर्थिक असमानता खास तौर पर जातिगत विशेष में क्यों? (इसके उत्तर के लिए आर्थिक जातिगत जनगणना होना बहुत आवश्यक है। ) आरक्षण विरोधियों को इसी बात से डर लगता है।
6- गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या आज भी बनी हुई है, ऐसा क्यों?
7- सभी को गुणवत्ता वाली अनिवार्य निशुल्क शिक्षा प्राथमिक स्तर से समान रूप से क्या मिलता है?
8- न्यायपालिका में कॉलेजियम सिस्टम क्यों है?
9- 90% जनता जो मेहनतकश मजदूर, किसान और किसी संस्थान में कामगार है, जो संगठित और असंगठित क्षेत्र में है, उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर है। क्या उनके हाथ में विशिष्ट श्रम कानून अभी तक आया है? श्रम कानून में अक्सर क्यों पूजीपत्तियों को लाभ पहुंचाया जाता है?
(अवसरवादी शिक्षा व्यवस्था की स्थिति यह है कि नीट जैसे परीक्षाओं में भ्रष्टाचार पर यही 10% वाले लोग चुप रहते हैं। यही 10% वाले लोग गोदी मीडिया और गोदी लेखक बनाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। )
शिक्षा के क्षेत्र में कमजोर स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है?
10- भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी है कि इसमें एक वर्ग को काफी लाभ मिलता हुआ नजर आता है ऐसा क्यों होता है?
11- आरक्षण की समीक्षा पर जब सवाल उठता है तो इस पर सर्वे और आर्थिक आधार पर सर्वेक्षण के साथ जाति का सर्वेक्षण पर सरकारी क्यों मौन हो जाती हैं?
अगर उपरोक्त 11 बातों का जवाब अगर आपके पास है तो निश्चित ही आप आरक्षण का विरोध करें किसी को कोई तकलीफ नहीं होगा। क्योंकि यह 11 जीवंत सवाल है जिसका जवाब आरक्षण विरोधियों के पास नहीं है।
आरक्षण का विरोध विभिन्न कारणों से किया जाता है, जिनमें से कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:-

- मेरिट का हनन: कई लोग मानते हैं कि आरक्षण से मेरिट का हनन होता है और योग्य उम्मीदवारों को मौका नहीं मिलता।
- सामाजिक विभाजन: कुछ लोगों का मानना है कि आरक्षण से समाज में विभाजन और बढ़ता है और जातिगत आधार पर भेदभाव को बढ़ावा मिलता है।
- अवसरों की समानता: विरोध करने वालों का कहना है कि आरक्षण के कारण सभी को समान अवसर नहीं मिल पाते और एक ही समुदाय को बार-बार लाभ मिलता है।
- अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: कुछ लोग मानते हैं कि आरक्षण से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह प्रतिस्पर्धा और उत्पादकता को कम करता है।
- न्याय का प्रश्न: विरोधियों का तर्क है कि आरक्षण एक प्रकार का अन्याय है और यह व्यक्तिगत योग्यता और प्रयास के महत्व को कम करता है।
ये कुछ मुख्य तर्क हैं जिनकी वजह से लोग आरक्षण का विरोध करते हैं।
गरीबी आरक्षण:
गरीबी आरक्षण का तात्पर्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए आरक्षण से है। इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शिक्षा और रोजगार में समान अवसर प्रदान करना है। भारत में, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था की गई है, जिसे 2019 में संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम के माध्यम से लागू किया गया।
गरीबी आरक्षण के समर्थन में कुछ प्रमुख तर्क निम्नलिखित हैं:- - समान अवसर: यह उन लोगों को शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करता है जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, भले ही उनकी जाति या समुदाय कुछ भी हो।
- सामाजिक समानता: गरीबी आरक्षण से समाज में आर्थिक समानता बढ़ती है और गरीब वर्गों को मुख्य धारा में शामिल होने का मौका मिलता है।
- शिक्षा और विकास: आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा और नौकरी के अवसर मिलने से उनके जीवन स्तर में सुधार होता है और यह देश के समग्र विकास में योगदान करता है।
हालांकि, गरीबी आरक्षण के विरोध में भी कुछ तर्क प्रस्तुत किए जाते हैं:- - अन्य आरक्षण नीतियों का प्रभाव: कुछ लोग मानते हैं कि गरीबी आरक्षण अन्य मौजूदा आरक्षण नीतियों के प्रभाव को कमजोर कर सकता है।
- आरक्षण का दुरुपयोग: कुछ लोग मानते हैं कि गरीबी आरक्षण का लाभ उठाने के लिए फर्जी प्रमाणपत्र बनवाए जा सकते हैं, जिससे वास्तव में जरूरतमंद लोग इससे वंचित रह सकते हैं।
- मूल कारणों का समाधान नहीं: गरीबी आरक्षण से केवल शिक्षा और रोजगार में मदद मिलती है, लेकिन गरीबी के मूल कारणों को समाप्त करने के लिए व्यापक आर्थिक और सामाजिक सुधार की आवश्यकता है।
ये तर्क दर्शाते हैं कि गरीबी आरक्षण के पक्ष और विपक्ष दोनों में विभिन्न दृष्टिकोण हो सकते हैं।
गरीबी आरक्षण में आय सीमा हास्यास्पद:
गरीबी आरक्षण के लिए निर्धारित आय सीमा को लेकर कई लोगों का मानना है कि यह हास्यास्पद या अव्यावहारिक है। इसके कुछ कारण निम्नलिखित हो सकते हैं: - उच्च आय सीमा: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए निर्धारित आय सीमा (आमतौर पर 8 लाख रुपये प्रति वर्ष) को लेकर कई लोगों का तर्क है कि यह सीमा बहुत उच्च है और इसके अंतर्गत बहुत से लोग आ सकते हैं जो वास्तव में गरीब नहीं हैं।
- वास्तविक गरीबी का प्रतिनिधित्व नहीं: इस सीमा का निर्धारण करने में वास्तविक गरीबी स्तर को ध्यान में नहीं रखा गया है। कई लोगों का मानना है कि इस सीमा के तहत आने वाले कई लोग वास्तव में आर्थिक रूप से उतने कमजोर नहीं हैं जितना कि इसे दर्शाया गया है।
- अन्य वंचित समूहों का लाभ नहीं: उच्च आय सीमा के कारण, उन लोगों को लाभ नहीं मिल पाता जो वास्तव में सबसे वंचित हैं और जिनकी आय बहुत कम है।
- क्षेत्रीय असमानता: विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में जीवनयापन की लागत अलग-अलग होती है। एक ही आय सीमा का सभी पर समान रूप से लागू होना व्यावहारिक नहीं हो सकता।
- अधिकारियों की जांच में कठिनाई: उच्च आय सीमा के कारण पात्रता की जांच करना और वास्तविक लाभार्थियों को चुनना अधिक कठिन हो जाता है, जिससे प्रशासनिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
इन तर्कों के आधार पर, कुछ लोग यह सुझाव देते हैं कि आय सीमा को अधिक यथार्थवादी और व्यावहारिक बनाया जाना चाहिए ताकि वास्तव में जरूरतमंद लोगों को लाभ मिल सके और गरीबी आरक्षण की नीति अपने उद्देश्य को सही मायने में पूरा कर सके। - click on the link EWS रिजर्वेशन में मिलता है मुसलमानों को आरक्षण आठ लाख आय वर्ग तक गरीबी आरक्षण में जानकारी के लिए यहां क्लिक किजिये ।