Hindi Journalism : वर्तमान में हिंदी पत्रकारिता की सही दिशा और उद्देश्य एक समग्र विश्लेषण

Amit Srivastav

पत्रकारिता Hindi Journalism : वर्तमान में हिंदी पत्रकारिता की सही दिशा और उद्देश्य एक समग्र विश्लेषण मीडिया की भूमिका

Hindi Journalism : वर्तमान में पत्रकारिता पर भी उंगलियां उठनी शुरू हो गई है। पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। आम लोगों की आवाज बनकर पत्रकारिता लोकतंत्र के सही मूल्य को स्थापित करने में आज क्यों विफल हो रही है? इस पर चर्चा करते हुए मीडिया विशेषज्ञ A.K. PANDEY का विश्लेषण।

आज की राजनीति और मीडिया एक दूसरे का पर्याय बन गई है। विश्लेषण करेंगे तो निश्चित ही राजनीति और सामाजिक व्यवस्था के साथ आर्थिक ताने-बाने पर भी पत्रकारिता के दायित्व पर एक विश्लेषण करना होगा। ‌ तभी हम वर्तमान समय में पत्रकारिता के दायित्व को समझ सकते हैं। ‌टीवी मीडिया की पत्रकारिता का उदय हुए अभी 4 दशक नहीं हुआ कि उस पर आक्षेप लगना शुरू हो गया। ‌सन 2014 के चुनाव के बाद से टीवी मीडिया को गोदी मीडिया (Godi media) की संज्ञा दी गई, ऐसा क्यों? इन सब सवालों के जवाब से आप रूबरू होने जा रहे हैं।

Hindi Journalism मीडिया कर रही है लोगों को प्रभावित

भारत का आम चुनाव 2014 (General Election) के समय को याद कीजिए तब मीडिया महंगाई, बेरोजगारी, विकास, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे सामने रख रही थी। उस समय भारतीय जनता पार्टी सत्ता (BJP Indian political party) से बाहर थी। उस समय की मीडिया विपक्ष की भूमिका में जनता की आवाज बनकर उभर कर सामने आई थी।
जिसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला। मीडिया का कर्तव्य भी होता है कि जनता की आवाज बनकर उनकी समस्याओं को सामने रखना है, ना कि सत्ता पक्ष का गुणगान करना। लेकिन आज की मीडिया सत्ता पक्ष के गुणगान में इतना डूब गई है कि उसे आम जनता के दर्द से कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि एक एजेंडे के रूप में काम करना है।

2014 के चुनाव जीतने के बाद से ही मीडिया की मुख्य धारा सत्ता परस्ती की ओर मुड़ गई। अब जनता को मुख्य धारा के टीवी और अखबारों में निष्पक्ष पत्रकारिता देखने को नहीं मिल रही। डिबेट्स में भाजपा के लिए एजेंडा पत्रकारों/संपादकों द्वारा फिट किया जा रहा। ऐसे में जनता के मन में उठने वाले सवाल लगभग समाप्त हो चुके हैं। ‌ चारों तरफ एक ऐसा माहौल टीवी न्यूज़ चैनलों द्वारा बनाया गया था जिसमें खुशहाली, रोजगार और आर्थिक संपन्नता को काल्पनिक उड़ानों के साथ परोसा गया। पड़ोसी देश पाकिस्तान की जर्जर हालात को मीडिया पर दिखा दिखाकर, भारत की जनता को यह विश्वास दिलाने लगी कि यहां सब कुछ सही है।
मीडिया का यह फैलाया हुआ भ्रम जनता में इस कदर बैठ गया कि जनता अपने बुनियादी मुद्दों को भी भूल गई। रोजगार, महंगाई और आर्थिक असमानता के मुद्दे मुख्य धारा की मीडिया से गायब हो चुके थे।
टीवी मीडिया में‌ बात अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, विराट कोहली की होने लगी। ‌ आम अच्छा लगता है, इस पर चर्चाएं इंटरव्यू में होने लगी। ‌ मुख्य धारा की पत्रकारिता अब तक गोदी मीडिया के रूप में अपनी पहचान बन चुकी है। ‌
2019 के चुनाव में भी जनता को गोदी मीडिया ने बरगलाने की पूरी कोशिश में कामयाबी हासिल कर ली। ‌ 2019 के चुनाव में धार्मिक कार्ड खेलना शुरू हो गया जिस कारण से सत्त फिर एक बार भाजपा को नसीब हो गई।

कांग्रेस का मेनिफेस्टो का जवाब भाजपा के पास?

आज 2024 है, ऐसे में कांग्रेस को नकारा साबित करने की मीडिया की कोशिश लगभग कामयाब हो गई। मीडिया डिबेट्स और सोशल मीडिया में राहुल गांधी को पप्पू साबित किया जाने लगा। चुनाव से पहले भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी ने जनता के बीच में जब मुद्दे रखना शुरू किया तो मुख्य धारा की मीडिया ने इसे अपने तरीके से ही परोसा। जहां पर भाजपा के नरेंद्र मोदी के चेहरे को बार-बार मीडिया में दिखाया गया वहीं राहुल गांधी और कांग्रेस के मुद्दे को दरकिनार किया गया।

मीडिया और चुनाव पर कांग्रेस का मेनिफेस्टो

अंग्रेजी की पत्रकारिता भी हिंदी की पत्रकारिता की तरह एक पक्षीय रिपोर्ट पर चलने लगी। अचानक क्या हो गया कि चुनाव का मुद्दा बदल गया। असल में कांग्रेस ने जब अपना दमदार घोषणा पत्र (Congress election manifesto 2024) सामने लेकर आई तो उसमें की गई बातों को तवज्जो मुख्य धारा की मीडिया ने नहीं दिया।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कांग्रेस के मेनिफेस्टो जनता को उनका हक दिलाने वाला है। आप इसकी पुष्टि मेनिफेस्टो की पीडीएफ फाइल पढ़कर भी कर सकते हैं। ‌
यहां महिलाओं, बेरोजगारों और वंचित वर्गों की बात की गई है। ‌ आर्थिक असमानता की खाई को पाटने की बात मैंने फेसबुक से उठाते हुए जनता के बीच तक आने लगी तो राजनीति में एक नई चलांग लग गई। असल में जहां पर तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण की राजनीति के चलते न्याय की बात नहीं हो पाती थी, वहां पर कांग्रेस द्वारा जारी किया 2024 का मेनिफेस्टो पत्रकारिता के साथ राजनीति को बदलने वाला साबित हो रहा है।
कांग्रेस के मानोफेस्टो की 5 न्याय 25 गारंटी जनता में इतनी लोकप्रिय हो रही है कि मोदी की गारंटी (Modi ki guarantee) लोग भूलने लगे हैं। ‌ बीजेपी की खासियत रही है कि मुद्दे को जज्बाती बनाकर ध्रुवीकरण करके वोट बैंक को अपनी ओर खींचा जाए, इसी का असफल प्रयास नरेंद्र मोदी करते हुए मंगलसूत्र वाला भाषण दे गए और 2024 के चुनाव (Election 2024) में PM Modi की सबसे बड़ी चूक साबित हो गई और कांग्रेस के सामने मुंह खानी पड़ी।
लेकिन इन सब के बीच मुख्य धारा की मीडिया कांग्रेस की उपेक्षा करते हुए कांग्रेस के मेनिफेस्टो (manifesto of Congress) की बातों को महत्व न देकर मोदी के काल्पनिक भाषणों से हिंदुस्तान की जनता के बीच एक काल्पनिक डर पैदा किया जाने लगा।

कांग्रेस मुद्दों से नहीं भटक रही है, पर भाजपा

Hindi Journalism : वर्तमान में हिंदी पत्रकारिता की सही दिशा और उद्देश्य एक समग्र विश्लेषण

आर्थिक समानता, गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी, संवैधानिक संस्थाओं की बचाने जैसे मुद्दे पर कांग्रेस पांव जमाए हुए हैं। ‌ दरअसल राहुल गांधी अपने भाषणों में इन्हीं मुद्दों पर एक मजे हुए राजनीतिज्ञ की तरह बात कर रहे हैं।‌ लेकिन भाजपा की तरफ से जज्बाती मुद्दे उठाकर जनता को अपने पक्ष में करने की कवायद शुरू कर दी है। इसमें गोदी मीडिया भी भरपूर साथ दे रहा है।
लेकिन एक तरह से नरेंद्र मोदी कांग्रेस के मेनिफेस्टो में कमियां बाता कर कांग्रेस के मेनिफेस्टो का प्रचार ही कर रहे हैं। ‌ दरअसल कांग्रेस के मेनिफेस्टो में सोशल जस्टिस और रोजगार की बात के अलावा आर्थिक रूप से कमजोर हर महिलाओं को सालाना ₹100000 नगद दिया जाने का वादा किया गया है। जनता के मुद्दों पर बात करने वाली कांग्रेस के मेनिफेस्टो को गलत साबित करके भारतीय जनता पार्टी मंगलसूत्र जैसे जज्बाती मुद्दों को परोस कर अपने भाषणों से जनता को भ्रम में रखना चाहती है ताकि उसे इन जज्बातों मुद्दों के आधार पर वोट मिल सके। ‌ जबकि नरेंद्र मोदी को अपने कार्यकाल में किए गए उपलब्धि का बखान अपने भाषणों में करना चाहिए फिर इस पर डिबेट मीडिया पर होनी चाहिए तब देखी स्थिति क्या होती है। ‌ असल में भाजपा किसी तरह की स्वच्छ डिबेट में पढ़ना ही नहीं चाहती है वह जज्बात ही मुद्दों से ही चुनाव जीतती आई है और इस बार भी जीतने की कोशिश में लगी हुई है।

हालांकि कांग्रेस जज्बाती मुद्दों का कोई जवाब नहीं दे रही है। यह कांग्रेस की एक बेहतर रणनीति साबित हो रही है। बल्कि सत्ता पक्ष के सामने बेरोजगारी महंगाई और आर्थिक असमानता की बात करके वह जवाब दे रही है। विपक्ष के इस मुद्दे का जवाब सत्ता पक्ष को भी देना चाहिए। मुख्य धारा की मीडिया को भी इन मुद्दे पर कवरेज करना चाहिए। ‌

चुनाव हमेशा मुद्दों पर ही लड़े जाते हैं। कांग्रेस मेनिफेस्टो और मुद्दों की बात कर रही है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी इन मुद्दों से भाग क्यों रही है। इन मुद्दों को काटने वाले सही तर्क देने चाहिए ना की काल्पनिक बातें। ऐसे में गोदी मीडिया भी इन मुद्दों पर कवरेज करके खबरें क्यों नहीं बना रही है, इस कारण से देखा जाए तो पत्रकारिता की मुख्य धारा अपनी जिम्मेदारियों से बच रही है हालांकि दूसरे माध्यमों से जनता के सामने सच्चाई सामने आ रही है।
ऐसे में आने वाले समय में लगता है कि मुख्य धारा की मीडिया (Main Stream media in India) को अपनी इस गलती का एहसास होगा। जब जनता गोदी मीडिया से ही सवाल करना शुरू कर देगी। हालांकि कई ओपन डिबेट में देखने को मिला है। ‌ इससे पता चलता है कि मुख्यधारा की मीडिया का झुकाव एक पक्ष की ओर है।

हिंदी पत्रकारिता का दायित्व

Hindi Journalism : वर्तमान में हिंदी पत्रकारिता की सही दिशा और उद्देश्य एक समग्र विश्लेषण विषय पर बहुत सारी बातें हमने आपको इस लेख में बताई है। ‌ मीडिया का अपना नैतिक कर्तव्य होता है। तो वहीं राजनीतिक दलों की अपनी विचारधारा होती है। राजनीतिक दल अपने किए गए वादों को पूरा करती है अगर उसमें असफल रहती है तो मीडिया उस पर खबरें बना कर जनता के सामने रखती है। मीडिया सत्ता पक्ष से तीखे सवाल कर सकती है लेकिन यहां पर मीडिया तो सत्ता पक्ष से सवाल करने के बजाय केवल कांग्रेस और विपक्षी दलों से ही सवाल कर रही है। ‌
मीडिया का उत्तरदायित्व होता है कि वह जनता की आवाज़ उठाएं। एक प्रतिशत लोगों के पास पूंजी का इकट्ठा जमावड़ा है।
99% लोग की कमाई घटी है क्या ऐसे आंकड़े मीडिया को सत्ता पक्ष से सवाल पूछने के लिए प्रेरित नहीं कर सकती है।
अरबपतियों की संख्या बढ़ी है तो वही आम भारतीयों की कमाई घटी है क्या यह सब मुद्दे मीडिया सत्ता पक्ष से सवाल करके नहीं उठा सकती है।

अधूरी बात, आधा सच मीडिया की डिबेट्स

असल में हम एक ऐसे समाज में जी रहे हैं, जहां पर अब सवाल पूछना भी बेइमानी लगती है। असल में मीडिया ने हमें इतना प्रभावित कर दिया है कि आप मुख्य धारा की मीडिया की काल्पनिक बातें और उनका अधूरा तर्क ही हमें अच्छा लगने लगा है। जनता चाहे कितना दुख-दर्द और पीड़ा का एहसास कर रही हो लेकिन वह बात कहे तो किससे कहें।
मीडिया उसकी सुन नहीं सकती है और सड़क पर वह आवाज उठा नहीं सकता है। मीडिया ने विपक्षी दलों को खूब कोसा; जनता के मन में उठने वाले सवालों को दबा दिया गया।

असल में मीडिया का एक धारा आम जनता की आवाज़ भी उठा रहा है लेकिन इसकी संख्या बहुत सीमित है। यह यूट्यूब व वेबसाइट पर ही देखने को मिलती है। मुख्य धारा की मीडिया आम जनता के मुद्दों पर मौन बनी हुई है। यही मीडिया 2014 के समय में महंगाई बेरोजगारी और विकास भ्रष्टाचार के मुद्दे में जोर जोर से बोलती थी।

क्या राजनीति बदलेगी तो मीडिया भी बदलेगी

Hindi Journalism : वर्तमान में हिंदी पत्रकारिता की सही दिशा और उद्देश्य एक समग्र विश्लेषण

यही उम्मीद लगाया जा सकता है कि राजनीति बदलेगी तो मीडिया भी बदलेगी। कहने का मतलब है कि जिस तरह से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अपने एक भाषण में कहा कि मैं राजनीतिक दल की हैसियत से नहीं बल्कि एक व्यक्ति के रूप में इन बातों को रख रहा हूं। अब मेरे जीवन का यह एक मिशन हो गया है कि सबको न्याय दिलाऊं।
इस तरह की बातें किसी राजनीतिक दल के व्यक्ति द्वारा अगर कहा जाए तो निश्चित माना जा सकता है, कि राजनीति में एक अच्छा कदम सामने आ रहा है। नकारात्मक एक पक्षीय राजनीति से हटकर मीडिया को अपने कर्तव्य और दायित्व का बोध होना चाहिए। आशा करते हैं कि आने वाले समय में परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन हमें एक उत्तरदायित्व वाली मीडिया (Hindi Journalism) मिलेगी जो जनता की आवाज बनेगी।

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Hindi Journalism पत्रकारिता विषय की उपयोगिता

Note: (अगर आप किसी दूसरे देश के निवासी हैं और पत्रकारिता विषय पर रोचक विषय वस्तु की खोज कर रहे हैं और भारत की हिंदी पत्रकारिता को समझना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए भी उपयोगी है। ‌वस्तुतः यह लेख हिंदी भाषा में लिखा है, फिर भी गूगल ट्रांसलेट के जरिए आप इस लेख की बातों को आसानी से अंग्रेजी या किसी और दूसरी भाषा में भी आसानी से समझ सकते हैं। )

Hindi Journalism : पत्रकारिता विषय को आज हिंदी भाषा की पढ़ाई में भी समाहित कर लिया गया है। इसके पीछे कारण यह है कि सूचना और अभिव्यक्ति का माध्यम पत्रकारिता एक सशक्त माध्यम के रूप में आज के समय उभर कर सामने आ रहा है।
गुलामी के समय हिंदी की पत्रकारिता ने भारत को आजादी दिलाने का साहसिक कार्य किया। हिंदी साहित्यकारों का योगदान पत्रकारिता में नकारा नहीं जा सकता है। ‌इसलिए हिंदी भाषा में हिंदी साहित्य और हिंदी पत्रकारिता दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
दुनिया में हिंदी का पहला अखबार 30 मई, 1826 ईस्वी में प्रकाशित हुआ। इस अखबार का नाम उतंड मार्तण्ड था। यह एक साप्ताहिक अखबार था। पंडित जुगल किशोर द्वारा प्रकाशित कोलकाता से यह अखबार हिंदी पत्रकारिता में मील का पत्थर साबित हुआ। ‌

A. K Pandey
(Master of Journalism, MA Hindi, BEd)

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