Election 2024- चुनाव लोकसभा 2024 मतदाताओं का क्या है रुझान? जनता सब जानती है, एक समग्र मूल्यांकन

Amit Srivastav

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Election 2024: केंद्र सरकार की 18वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है ऐसे में आज हम अपनी वेबसाइट में आपके लिए एक बेहतर गेस्ट आर्टिकल लेकर आए हैं। पिछले 30 साल की पत्रकारिता के तजुर्बा का यहां एक बेहतरीन आर्टिकल आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा है। (Indian politics 2024, Indian election Narendra Modi hate speech)

चुनावी गर्मी शुरू हो चुकी ऐसे में जज्बाती नफरतें भाषण में उछाले जा रहे हैं। देश इस समय गर्म मौसम से जूझ रहा है। इसके बाद जज्बाती भाषण (नफरती भाषण hate speech) क्या विकास और बेरोजगारी महंगाई के मुद्दे को रौंद डालेगी।

चुनावी इस विश्लेषण में हम आज इलेक्शन 2024 के कुछ बड़े पहलुओं के बारे में बताने जा रहे हैं। आने वाले समय में जज्बाती मुद्दे उठाकर किस तरह से भारतीय जनता पार्टी अपने विकास के मुद्दे को दरकिनार करते हुए, फिर एक बार हिंदू मुस्लिम की वोट खेल कर सत्ता अपने पक्ष में करने की कवायत की ओर बढ़ रही है।

आईए जानिए भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के वंशज अमित श्रीवास्तव पत्रकार की कलम से निकली हुई यह आवाज। विश्लेषण और तर्क क्या है? आज India general 2024 में बताने जा रहे हैं चुनावी विश्लेषण। किस तरीके से कांग्रेस पार्टी पड़ रही है, भाजपा पर भारी। इसी आर्टिकल के इसी पेज पर रिंकी का चुनावी विश्लेषण (election analysis)।

मतदाताओं में चुनाव के प्रति उत्साह नहीं

लोकसभा इलेक्शन 2024 पर निगाह डाले तो देखने को मिल रहा है कि पहले हो रहे चुनावों कि अपेक्षा, अब मतदाताओं में लोकतांत्रिक महापर्व पर उल्लास देखने को नही मिल रहा है। चुनाव आयोग के प्रयास से वास्तविक मतदाता ही मतदाता सूची में बचे हुए हैं, फिर भी इस लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत सापेक्ष से कम देखा जा रहा है।

घर रहते मतदाता मतदान करने नही जा रहे हैं। इससे स्पष्ट है, मतदाताओं के अंदर लोकतांत्रिक महापर्व पर उल्लास नही है। इसका असर ज्यादातर भाजपा पर पड़ता दिखाई दे रहा है। क्योंकि ज्यादातर सामान्य वर्ग का मतदाता मतदान में रुचि नही ले रहा है, जो सामान्य वर्ग मतदाता भाजपा का माना जाता था। मतदाताओं में चर्चा का विषय है- नेताओं को झूठ व लूट की गठरी बांध मंचों पर चुनाव जीतने का नया नया तरीका अख्तियार कर भाषण बाजी मात्र रह गया है। पहले के चुनावी घोषणा पत्र इतना झूठे नही हुआ करते थे।

बेरोजगारी महंगाई जैसे मुद्दे गायब कर जज्बाती मुद्दों से खेला जाएगा यह चुनाव

Election 2024- चुनाव लोकसभा 2024 मतदाताओं का क्या है रुझान? जनता सब जानती है, एक समग्र मूल्यांकन

चुनाव के दौरान जो मुद्दे पार्टियां लेकर आती थीं, चुनाव जीत उस पर अमल कर काम करती थीं। लेकिन 2014 मोदी सरकार ने जो भी चुनावी मुद्दा ले लोकसभा चुनाव फतह की उस मुद्दे पर लेस मात्र भी अमल नही किया।

कहीं-कहीं मुद्दे उठाने की लोगों ने कोशिश की तो कुछ अलग प्रगंडा रच वास्तविक मुद्दे को भाजपा सरकार में दबा दिया जाता है। पहले जब भाजपा विपक्ष मे रहा करती थी। जनहित के मुद्दों पर देश व्यापी आंदोलन करती और कराती थी, अब देश व्यापी आंदोलन करने वाली ही सरकार चला रही है, कोई किसी मुद्दे को उठाता है तो अलग कुछ जाल फेक कर मुख्य मुद्दे से जनता का ध्यान हटा, उस रचे जाल पर नज़र केन्द्रित करवा दिया जाता है।

2014 के मुद्दे और वादे पर खरी नहीं उतारी अब तक भाजपा सरकार

2024 में भी महंगाई बेरोजगारी मुद्दा है और उस समय 2014 लोकसभा चुनावी मुद्दा जो भाजपा का था सबसे अधिक लुभावना था – बेरोजगारी दूर करगें, गुजरात के तर्ज पर देश का विकास करेगें, विदेशों में जमा काला धन वापस लायेंगे, भ्रष्टाचार दूर करेंगे, गैस, डीजल, पेट्रोल सहित महगाई को कम करने जैसी अनेकों मुद्दा भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में था। भाजपा पूरी बहुमत में होकर भी अपने 2014 चुवावी मुद्दे को साकार नही कर पायी।

ध्यान रहे कि 2014 से पहले कांग्रेस की सरकार थी और विपक्ष में भाजपा खड़ी होकर महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर सवाल कर रही थी आज सन 2024 में खुद ही महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर घिरी हुई है, क्योंकि कांग्रेस के मेनिफेस्टो में उन सभी सवालों का जवाब है जिसका उत्तर आज भाजपा के भाषणों में नजर नहीं आता है बल्कि मंगलसूत्र तक बात पहुंच गई। 2014 में पांच साल बनाम सत्तर साल का नारा था।

भाजपा का 2014 की महंगाई भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के वादे झूठे हो गए साबित

चुनाव 2024 का विश्लेषण अमित श्रीवास्तव के साथ

भगवान चित्रगुप्त जी के वंशज अमित श्रीवास्तव (Amit Srivastav) की कलम से चुनावी विश्लेषण। जनता चुनावी घोषणा पत्र पर विश्वास कर पूरी बहुमत से सरकार बनाई। 2019 में कोई मुद्दा नहीं जो फिर जनता के सामने रखा जाए।

क्योंकि जो 2014 में मुद्दा लेकर सरकार बनी उस किसी मुद्दे पर सफलता नही मिला था, संयोग चुनाव लोकसभा 2019 से थोड़ा पहले ही 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले में 40 सैनिक नाहक में नापाक इरादों से शहीद हो गए। जिसका कोई आतंकि संगठन जिम्मेदारी नही लिया। उससे पहले जो भी आतंकी हमले होते थे, तुरंत बाद कोई न कोई आतंकि संगठन जिम्मेदारी ले खुद मिडिया के सामने आता था। यह एक गहन मंथन का मुद्दा है, जो भाजपा के लिए सोने में सुहागा साबित हुआ।

देश से आतंकवाद का खात्मा नारा दिया गया। मोदी है तो मुमकिन है। एक बार और मौका दीजिये देश की स्थिति बहुत खराब हो चुकी थी। इस बार सभी मुद्दों पर काम किया जाएगा जनता फिर मोदी सरकार पर बिश्वास कर पूरी बहुमत से सरकार बनाई। फिर पांच साल गुजर गया। हुआ कुछ भी नहीं। बल्कि बेरोजगारी भ्रष्टाचार महंगाई काला धन वापसी तो बहुत दूर 2014 में सरकार बनते ही चिटफंड बैंक संचालक आमजन की जमा पूंजी ले भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर पाक-साफ हो गए। जनता का पैसा वापसी का चिंता किसी को नही मतलब सभी मुद्दों पर सरकार फेल हो गई।

अब 2024 लोकसभा चुनाव में ऐसे मुद्दे को लेकर पक्ष-विपक्ष का वादा है- जिसपर जनता को लेशमात्र भरोसा नहीं है। चुनावी मुद्दे में एक नया अध्याय जोड़ा गया, पूरी बहुमत वाली भाजपा सरकार द्वारा पोटेंशियल सुपरपावर मतलब यह कि सम्भावना है, कि भारत विश्व महाशक्ति में शामिल हो जाए।

झूठ का पुलिंदा मोदी सरकार

Election 2024- चुनाव लोकसभा 2024 मतदाताओं का क्या है रुझान? जनता सब जानती है, एक समग्र मूल्यांकन

झूठ का पुलिंदा मतलब मोदी है तो मुमकिन है। विश्व महाशक्ति में क्या गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, लूट-खसोट, के पायदान पर खड़ा कोई भी देश अब तक शामिल हुआ जो भारत को लेकर सम्भावना व्यक्त किया जा रहा है। कभी सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत देखा जाए तो अंदर ही अंदर खोखला हो चुका है।

गोदी मीडिया के रहमों करम पर मोदी सरकार या सरकार के रहमों कदम पर गोदी मीडिया

आप जनता को इलेक्शन 2024 से के बारे में जानना जरूरी है, आपको तय करना है कि पिछले 10 बरस से गोदी मीडिया के रहम करम पर मोदी है या सरकार के रहमों कदम पर गोदी मीडिया है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। आपके सामने विकास का एक भ्रम पैदा करते हैं। ‌जिसमें अधिकांश जनता फस्ती हुई नजर आती है। निस्पक्ष पर्दाफ़शक आर्टिकल आगे आप पढ़ते जाइए।

कर्ज में डूबा भारत गोदी मीडिया खामोश

यहां बडी-बडी गोदी मिडिया (Godi Media) यह नही दिखा सकती मोदी की सरकार बनने के बाद देश आये दिन कितना कर्ज से लदता जा रहा है। जो सोने की कीमत 2014 लोकसभा चुनाव से पहले 20 से 25 हज़ार चल रहा था आज दस साल में बढ़कर 70 से 80 हजार में चला गया।

देश की आर्थिक स्थिति क्या है? इसको सार्वजनिक करना मूर्खतापूर्ण संदेश देना है, क्योंकि बड़ी-बड़ी मिडिया संस्थाओं का भाजपा के हाथ बिक जाना वास्तविक स्थिति से जनता को अवगत न कराना देश हित में अहितकारी है।

चुनावी इलेक्शन के दरमियान लोगों को समझ में आने लगा की गोदी मीडिया ने 10 साल सरकार की वंदना ही की

election 2024: धीरे-धीरे जनता को समझ आने लगा है। बड़ी बड़ी मीडिया संस्थाओं द्वारा सरकार का पक्षपात करते खबरों को दिखाना मतलब बिकना ही है। छोटी-छोटी मिडिया संस्थाओं का आम जन तक ज्यादा पहुंच नही जो वास्तविक जानकारी का आदान प्रदान हो सके। 2014 लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश 2017 विधानसभा चुनाव नोटबंदी के बाद आया। जिसमें मंचों से भाषणबाजी हुई केन्द्र से दिया जा रहा धन उत्तर प्रदेश सपा सरकार जनहित में खर्च नही कर रही है। इसलिए कि केन्द्र सरकार की बदनामी हो। साथ ही नोटबंदी में जो आम जन को प्रदेश की सपा कार्यकताओं नेताओं ने जो धांधली की, जरूरत मंद लोगों को रुपये बदलने से रोक अपना दबदबा दिखा बैकों से आम जन की जरुरत भर पैसा नही पाने दिया।

कहां गए मोदी (Narendra Modi) के वादे

भाजपा की सरकार (BJP government) बनते ही जांच-पड़ताल करा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 2017 में उत्तर प्रदेश कि जनता पूरी बहुमत से देश के सबसे बड़े राज्य में भाजपा की सरकार बनाई। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री (CM Yogi Adityanath) बनाये गये।

योगी आदित्यनाथ ऐसे बदल गये जैसा किसी ने सोचा भी नहीं था। सारे जनहित की सोच रखने वाली सरकार की फायदे सहित अपने नेता बिरादरी के भविष्य को उज्ज्वल करने में लगे हुए हैं।

नेता मजे में जनता महंगाई और बेरोजगारी की मार झेल रही

नेताओं कि फैसिलिटी कैसे बढ़ाई जाए, बस वही तक सोचा जाता है। संविदा कर्मियों (contact base Bharti) सहित देश प्रदेश के लगभग पचास प्रतिशत बेरोजगारों को लेकर सोचने की जरूरत ही नहीं रह गई है। देश में बढ़ती महंगाई के मद्देनजर संविदा कर्मियों के परिवार कि जीविका एक मजदूर की मजदूरी से भी कम मे कैसे चल रही होगी।

सोने की दाम बढ़ा पर काम करने वालों की सैलरी मामूली

दसों वर्ष में मजदूरी और कर्मियों के वेतन में उस हिसाब से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। इससे बुरी प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले पढ़े लिखे लोगों की है। जो स्थिति 2014 से पहले थी उससे खराब स्थिति इस 10 साल के शासनकाल में बनी हुई है या कहें बद से बदत्तर हो गई तो यह भी कहना गलत ना होगा। जब कि सोने की क़ीमत से देखा जाए तो 25 हजार का सोना पचहत्तर हजार पार मतलब महगाई दस वर्ष में तीन गुना बढ़ गई।

दस सालों से राज कर रही भाजपा सरकारों को संविदा कर्मियों की स्थिति का पता ही नहीं है। अगर देश में भाजपा अच्छी सरकार चला रही होती तो आज मतदाताओं में मायूसी के जगह महापर्व पर उत्साह देखने को मिलता। चारों तरफ़ मायूसी छाई लोकतंत्र महापर्व चल रहा है। देश प्रदेश में सन्नाटा पसरा है जैसे कि कुछ है ही नहीं। अब जो भी हो चुनाव नतीजा जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ करते 4 जून को आ ही जायेगी।

क्यों हो रही भाजपा सरकार फेल ?

इलेक्शन 2024 में बहुत सारे मुद्दे हैं इस पर एक दूसरा रिपोर्ट रिंकी पांडेय का है। लेख के इस दूसरे भाग में हम चर्चा करेंगे कि वर्तमान भाजपा सरकार किन-किन जगहों पर फेल साबित हो रही है। Loksabha election 2024 में कैसे अपने Congress manifesto से कांग्रेस बीजेपी पर भारी पड़ रही है। आर्थिक असमानता और बेरोजगारी महिलाओं को ₹100000 सालाना देने की पेशकश अप्रेंटिसशिप का अधिकार हर डिप्लोमा डिग्री धारकों को देने और उसके साथ वजीफा देने की घोषणा से बीजेपी परेशान हो चुकी है।

महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता पर बात करती हुई कांग्रेस के मेनिफेस्टो में किया गए ये वादे आखिरकार किस तरह भारतीय जनता पार्टी को चुभ रही है, इसकी हकीकत चुनावी भाषण में मोदी के बयान में देखा जा सकता है।‌ किसी एक आबादी का डर दिखाकर मतदाताओं से वोट मांगने का जज्बा दी मुद्दा पीएम मोदी द्वारा आप खेला जाना हर भाषण में शुरू हो गया है। ‌

प्रधानमंत्री को अपने हर भाषण में झूठ बोलना पड़ रहा है मंगलसूत्र तक बेच डालने वाली हास्य रस मत बात और फिर मुस्लिम जैसे शब्दों का प्रयोग करके एक तरह से चुनाव को जज्बाती मुद्दों की ओर धकेला जा रहा है।

भाजपा विकास, महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दे पर बात क्यों नहीं कर रही ?

विकास के किए गए दावे को भाजपा क्यों नहीं अपने चुनावी भाषणों में रखती है। कहीं ऐसा डर तो नहीं की बात बढ़ जाएगी। ‌ महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता के मुद्दे कहीं चुनाव के मुद्दे ना बन जाए ऐसे में नरेंद्र मोदी अपनी भाषण में लोगों को डराने लगे हैं। वोट पाने के लिए जज्बाती ध्रुवीकरण का मुद्दा शुरू कर दिया है। सवाल उठता है क्या जनता अपने दर्द को वोट कर पी जाएगी और इन झूठे भावना वाले जज्बाती मुद्दों पर बह वोट कर जाएगी। चुनाव में डर का आलम यह है कि यही चर्चा अब बीजेपी के खेमे में होती है। क्या मोदी का जादू अब नहीं बचा ?

election 2024 और मोदी का 10 साल

अभी इन बीजेपी के पिछले 10 साल के शासनकाल में अब जनता जान चुकी है कि केवल कोरी भाषणबाजी ही बीजेपी को सत्ता दिलाती रही है। कांग्रेस के मेनिफेस्टो (manifesto of Congress) से हताश निराश भारतीय जनता पार्टी विकास के मुद्दे पर तो बात नहीं करना चाहती है। दरअसल कारण यह है कि पिछले 10 सालों में जनता सच्चाई समझ चुकी है। महंगाई बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के कारण जनता त्रस्त है। 2024 के चुनाव में भाजपा के पास मुद्दे नहीं है।

मीडिया का उपयोग करती है भाजपा

जो सवाल सत्ता पक्ष से मीडिया को पूछना चाहिए वह सवाल मीडिया विपक्ष से पूछ रही है। याद करिए 2014 में भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता हासिल इस बात पर की क्योंकि उस समय महंगाई और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर जनता के दिलों में उतर गई और इस इमोशनल कार्ड से उसने 2014 का चुनाव जीत लिया।

इसके बाद 5 साल की सरकार ने धार्मिक मुद्दों के अलावा जज्बाती मुद्दे उठाकर देश को गुमराह करती रही। 2019 के चुनाव में बेरोजगारी महंगाई और विकास इन सब मुद्दों को पीछे छोड़कर जज्बारी मुद्दों से भाजपा ने फिर चुनाव जीत लिया। ‌

अब सवाल उठता है कि 2024 में क्या भाजपा फिर विपक्षी दलों को कस कर और जाजबाती मुद्दे (emotional agenda) उठाकर चुनाव जीत लेगी। यह एक बड़ा सवाल है, लेकिन चुनाव के दूसरे चरण से पहले प्रधानमंत्री का मंगलसूत्र वाला भाषण बांटने की राजनीति का एक असफल उदाहरण जरूर लगता है।

क्या इस चुनाव में मतदाता उत्साहित हैं, जिस तरीके से मतदान का स्तर गिर रहा है, उससे तो कोई अलग कहानी बयां होती है। ‌ मीडिया विशेषज्ञों की माने तो कांग्रेस का मेनिफेस्टो भाजपा पर भारी पड़ रहा है। ‌

हिंदू मुस्लिम जज्बाती मुद्दे बनाकर कांग्रेस के मेनिफेस्टो को जनता के सामने गलत तरीके से रखकर अपने 10 साल के शासनकाल में भाजपा सही आंकड़े रोजगार और महंगाई से राहत को नहीं दे पा रही है। लगातार विपक्ष को कोस कर वह अपनी जिम्मेदारियों से बच रही है।

बेरोजगारी महंगाई और आर्थिक असमानता आज के दिन में सबसे बड़ा मुद्दा है। जिसे अपने मेनिफेस्टो में कांग्रेस लेकर आई है उसका जवाब पिछले 10 साल से सत्ता काबिज भाजपा नेताओं के पास नहीं है। इसलिए भाषण में मुस्लिमों का डर पैदा करके बहुसंख्यक मतदाता से वोट लेने की जज्बाती मुद्दा भाजपा खेलना शुरू कर दी है।

10 साल पहले विकास के वादे से क्यों मुकर रही भाजपा?

10 साल पहले कांग्रेस को जिस वजह से सत्ता से बाहर किया गया। इस वजह से आज भारतीय जनता पार्टी सत्ता से बाहर होने के कगार पर है क्योंकि कांग्रेस ने महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता को मुद्दा बना दिया है। लेकिन यह मुद्दे गोदी मीडिया के डिबेट और न्यूज़ में नजर ना आते हो लेकिन हर आम भारतीय बेरोजगारी, महंगाई और बढ़ती आर्थिक असामानता से परेशान है। वह अपने घरों और अपने दोस्तों यारों से इस बारे में चर्चा कर रहा है।

भाजपा के वोटर अब साइलेंट हो चुके हैं। क्योंकि बीजेपी की तरफ से आने वाले भाषण और उनके बोल एक तरीके से विरोधाभासी भी है। जहां धार्मिक कार्ड तो खेला ही जा रहा है, धार्मिक तुष्टिकरण की भी बातें हो रही है। सत्ता पाने का हर वह रास्ता खोज रही है, जो एक समय कांग्रेस ने झूठ बोलकर अख्तियार किया था। वही दशा आज बीजेपी के खेमे में नजर आ रही है। विपक्ष के खिलाफ भाषणों में झूठ बोले जा रहे हैं। कांग्रेस का मेनिफेस्टो भाजपा पर भारी पड़ रहा है।

राजनीति एक नये बदलाव के दौर में

election 2024: इस बदलाव को एक नए नजरिए से देखा जाए तो कांग्रेस के मेनिफेस्टो में वंचितों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की बात की गई है, वह भारत के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। ‌ झूठ की गठरी और झूठ का पुलिंदा अब नहीं चलेगा। राजनीति जहां तुष्टिकरण और धार्मिक भाषणों में उलझी हुई थी, अब मुद्दे बदलाव की ओर जा रही है।

पिछले 10 साल से सप्ताह से बाहर रहने वाली कांग्रेस इस बार जोरदार धमाके से भाजपा को टक्कर देने के लिए मेनिफेस्टो में मुद्दे उठाकर भाजपा को आश्चर्यचकित में डाल दिया है। जनता भी दुविधा में है क्योंकि जेब में उसके पैसे नहीं और रोजगार के लिए कोई अवसर नजर नहीं आ रहा है ऐसे में सत्ता बदलाव की उसकी सोच कहीं भाजपा के लिए अभिशाप ना साबित हो जाए।

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Election 2024- चुनाव लोकसभा 2024 मतदाताओं का क्या है रुझान? जनता सब जानती है, एक समग्र मूल्यांकन

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