मिलावट खोर कर रहे हैं आपके जीवन के साथ खिलवाड़

Amit Srivastav

आज के दौर में मिलावटखोरी इतनी तेजी से बढ़ गई है कि इन मुद्दों पर गोदीमीडिया सवाल उठती नहीं है। ‌सियासी हलचल के बीच में मिलावट खबरों में सामने आ रही है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मिलावटखोरी किस तरीके से जनता के जीवन को बर्बाद कर रही है।‌ मिलावट का जहर जनता को मुसीबत में डाल रही है।‌ मिलावट खोरी और मुनाफा खोरी की वजह से लोगबीमार हो रहे हैं और कुपोषित हो रहे हैं। मुख्य धारा की मीडिया के रिपोर्ट से मिलावटखोरी गायब है‌।

मिर्च से लेकर हल्दी पाउडर तक में मिलावट से आप परिचित हैं। इसके साथ सरसों के तेल में ऐसी मिलावट की आपके होश उड़ जाए। ‌ जब हमने एक हलवाई से मिलावटखोरी पर बात कि होश उड़ानेवाली बात बता‌ दी। दरअसल सरसों के तेल में मिलावट आम बात है। लोग असली सरसों का तेल इसे सूंघकर इसके तीक्ष्ण गंध से पता करते हैं। दरअसल जितना तेज सरसों के तेल की गंध होगी उतना ही अच्छा सरसों का तेल माना जाता है। लेकिन मिलावट खोर आपकी आंख में धूल झोंकने के लिए इसमें मिर्ची का तेल डाल देते हैं। इस तरह मिलावटी सरसों का तेल मिर्च कुछ बूंदें तेल एक ड्रम सरसों के तेल को तेज झार वाला बना देता है। इस तरह से नकली सरसों का तेल असली लगने लगता है।

देशी घी के नाम पर पशु की चर्बी

देसी घी के नाम पर पशु चर्बी युक्त देसी घी कम कीमत में जब उपलब्ध होता है तो एक बार दिमाग भी चौंक जाता है कि आखिरकार शुद्ध देसी गाय का घी जब ₹500 से अधिक महंगा है तो ढाई सौ रुपए का यह नकली घी हम क्यों इस्तेमाल कर रहे हैं? दरअसल ब्रांड इस तरह से नकली चीजों को परोस रहा है कि हम अंदाजा लगा ही नहीं सकते कि हम नकली खा रहे हैं और नकली जीवन जी रहे हैं। ‌
बड़ी-बड़ी कंपनियां भी झूठ बोलकर अपने उत्पादों को खपा लेती है। अपने ब्रांड के नाम से व शुद्धता का दावा करती हैं लेकिन‌ जब आप अपना दिमाग लगाएंगे तो पता चलेगा यह तो ब्रांड का नाम है, इसमें शुद्धता नहीं है। ‌ मुख्य धारा की मीडिया विज्ञापन के बल पर चलती है और विज्ञापन और बेचने वाले चीजों के झूठ को कभी भी सामने लाने का साहस नहीं करेगी। बरहाल नकली दवाइयां, नकली खोवे और नकली दूध हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है। ‌मिलावटी वस्तुएं धड़ल्ले से बाजार में बिक रही है और इसे रोकने में सरकार और प्रशासन तंत्र असफल होती चली जा रही है। ऐसे ऐसे तकनीक सरसों के तेल में मिलावट का प्रयोग किया जाता है, यह आप एक बार में अगर इस सरसों के तेल को देखेंगे तो पता ही नहीं चलेगा कि यह मिलावटी तेल है।

लौन्ग के तेल में मिलावट

लौंग के तेल में मिलावट तो चाय पत्ती में मिलावट और जीरे में मिलावट आपके पैकेट मसाले में मिलावट। इन सबको आप पहचान भी नहीं सकते हैं कि आप मिलावटी चीज खा रहे हैं। क्योंकि दशकों से आप इन मिलावटी चीजों के आदी हो चुके हैं। इसलिए आपको अगर असली चीज भी दे दिया जाए तो भी आप असली को नकली समझ बैठेंगे।
बहरहाल चर्चा को आगे बढ़ाते हुए हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से मिलावट का धंधा बहुत जोरों से हर शहर हर गांव के छोटे बड़े कस्बों में नजर आता है। ‌
जितनी आबादी है उसके डिमांड के अनुसार दूध की पूर्ति कर पाना बहुत मुश्किल है। दूध में पानी, चीनी, स्टार्च, साबुन, बेंज़ोइक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, और फ़ॉर्मेलिन मिलाया जा रहा है। मिलावटी दूध, खोवा, पनीर का बाजार आप हर शहर में खोज सकते हैं। ‌लेकिन सरकारी महकमें को इस तरह की मिलावटी चीज नहीं दिखाई देती है। अगर मामला राजनीतिक हो जाए तो निश्चित तौर पर मामला सामने आ जाता है फिर इन मिलावटी वस्तुओं के बारे में मीडिया में खबरें बनना शुरू हो जाती है। ‌
वैसे जब त्यौहार का दौर शुरू होता है तो खोया, दूध, पनीर में मिलावट की खबरें आम बात हो जाती है। ‌साल भर कई चीजों में मिलावट की खबरें आपके सामने कभी सामने आती नहीं है जबकि आप हमेशा यही सोचते हैं की मिलावट नहीं हो रही है, मिलावट में इतना लाभ है कि कुछ काला धंधा करने वाले लोग मिलावट के धंधे में फल फूल रहे और सालों साल इस कारोबार को इतने चुपके तरीके से लोग करते हैं कि आप अलग-अलग खाद्य पदार्थों में मिलावट के शिकार भी हो जाते हैं लेकिन आपको पता नहीं चलता है।

मिलावट खोरों पर लगाम लगाना चुनौती:

मिलावट खोर कर रहे हैं आपके जीवन के साथ खिलवाड़

मिलावट का बाजार इतना फायदेमंद है कि लोग दूसरे के स्वास्थ्य और जीवन से समझौता करने के लिए इस तरह का गंदा रोजगार करते हैं। ‌असल में इन लोगों की धर पकड़ के मामले भी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं ऐसे में धड़ल्ले से कालाबाजारी करने वाले लोग अब मिलावट खोरी को अंजाम देने से पीछे हट नहीं रहे हैं। ‌अगर मिलावट खोरी के मामले पकड़े भी जाते हैं इन मीडिया खबरों को भी दबा दिया जाता है। ‌बड़े-बड़े रसूखदार के आगे बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों के मिलावट वाले पदार्थों के मामले को दबा दिया जाता है।

धड़ल्ले से हो रही है मिलावटखोरी :

मसाले में लाल मिर्च पाउडर में गेरू और लाल मिट्टी में धनिया का बुरादा मिलाने के मामले कई बार सामने आ चुके हैं। इतनी कम मात्रा में मिलाया जाता है कि इसे आम जनता पकड़ भी नहीं पाती है। ‌मसाले में मिलावट खोरी का बाजार इतना गर्म है कि इसमें करोड़ों का फायदा मिलावट खोर उठा लेते हैं। जब तक मामला पकड़ा जाए तब तक मिलावटखोरी का यह धंधा कुछ दिनों के लिए थम जाता है फिर या धंधा शुरू हो जाता है।
हल्दी में चाय के पाउडर की मिलावट तो हींग में रेजिन की मिलावट तो वहीं गेहूं में चोकर की मिलावटी की जाती है। खतरनाक स्थिति क्या है की दाल में धतूरे के बीज तक के मिलावट कर दी जाती है। लौंग के तेल को इतनी अच्छे तरीके से निकाल दिया जाता है कि सबूत लॉन्ग बचता है जिसे बाजार में भेज दिया जाता है इसके अलावा लौन्ग के तेल में भी मिलावट करके इसे महंगे दामों पर बेचा जाता है।

खाद्य पदार्थों में मिलावटी तेल से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव :

खाद्य पदार्थों में मिलावट होता है तो यह स्वास्थ्य पर धीरे-धीरे बुरा असर डालता है। मिलावटी खाद्य पदार्थ के बारे में भी पता आसानी से नहीं चलता है जब तक इसके लैबोरेट्री जांच न कराई जाए। पपीते की बी को काली मिर्च में मिलाकर मिलावट करने से कोई खास नुकसान खाने वाले को तो नहीं होता है लेकिन काली मिर्च के गुणकारी लाभ से खाने वाला वंचित रह जाता है।  दूध से बनने वाले पनीर में कई तरह की मिलावट सामने आती है। पनीर में स्टार्च मिलाया जाता है इसके अलावा दूध की पनीर में सोयाबीन की भी मिलावट की जाती है। काली मिर्च में पपीते के बीज, दालचीनी में चीनी केसिया बार्क, हल्दी में लैड क्रोमेट मिला दिया जाता है।

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