उल्लू महाराज ही हैं इस पृथ्वी पर जीवन के रक्षक। धार्मिक पौराणिक कथाओं से आप सभी को यह ज्ञात तो है ही, उल्लू महाराज माता लक्ष्मी जी के वाहन हैं। जिनके ऊपर धन की देवी मां लक्ष्मीजी गतिशील रहती हैं। जिस पर मां लक्ष्मी की कृपा न हो उसके पास दो कौड़ी भी नहीं होती। सोचिए अगर आपके यहां उल्लू महाराज न जाएं तो माँ लक्ष्मीजी का आगमन कैसे होगा? मां लक्ष्मीजी के वाहन के प्रति फैलाये गये अंधविश्वास अजीबोगरीब धारणाओं को आज एक कथा रुपी लेखनी के माध्यम से समाप्त करने की इच्छा लिए भगवान चित्रगुप्त जी महाराज के वंशज-अमित श्रीवास्तव की कलम अग्रसर है। जगत-जननी आदिशक्ति बह्माणी द्वारा उत्पन्न किए गए, द्वितीय पुत्र जगत के पालन हार भगवान विष्णु जी की अर्धांगिनी आदिशक्ति की अंश मां लक्ष्मी जी हैं। सृष्टि में जो कुछ भी है सब कुछ आदिशक्ति की कृपा और इच्छा शक्ति से ही है। उल्लू महाराज के प्रति अंधविश्वास इसलिए फैलाया गया है कि, उल्लू महाराज से घृणा कर आप लक्ष्मी जी के कृपा पात्र न बन सकें। किसी मुर्ख व्यक्ति की तुलना मां लक्ष्मी जी के वाहन उल्लू महाराज से करते आप सब ने देखा, सुना और किया भी होगा। तो आज बताने जा रहे की उल्लू महाराज के समान इतना बुद्धिमान सृष्टि में कोई भी नहीं है, हमारा यह कथन थोड़ा अटपटा लग रहा होगा, किन्तु मां आदिशक्ति जगत जननी की कृपा प्राप्त भगवान चित्रगुप्त जी महाराज के वंशज कि कलम से लिखीं इस लेखनी को अंत तक पढ़िए और चिंतन-मनन किजिये, फिर कभी आप उल्लू महाराज को हेय दृष्टि से नही देखेंगे और मां लक्ष्मीजी के कृपा पात्र बने रहेंगे।
सृष्टि के आरम्भ के कुछ समय बाद की यह कथा है, मुझे यह नही पता यह कही वर्णित है या नहीं जो भी वर्णन रहा हूँ आदिशक्ति मां जगत-जननी की प्रेरणा स्वरूप वर्णन कर रहा हूं। जब लेखक आत्मारूपी कलम से लेखनी प्रदान करता है वो अकाट्य हो जाती है, तो ध्यानपूर्वक इस रचित कथा का रसपान करें और उल्लू महाराज के प्रति फैले हुए अंधविश्वास को दूर करने, कराने के लिए यह लेखनी समाज में जो अधिक से अधिक शेयर करेंगे उनपर मां लक्ष्मीजी की कृपा निश्चित ही बनी रहेगी। हम आप सब अंधविश्वास को खत्म कर मां लक्ष्मीजी की कृपा से सुखदायी जीवन व्यतीत करें। आईए अपनी सनातनी वास्तविक कथा का रसपान करें।
देवी-देवताओं की बैठक:

एक समय की बात है भगवान सूर्य के मन में विवाह करने की इच्छा जागृत हुईं तब उन्होंने सभी देवी-देवताओं की एक बैठक बुलाई। “भगवान सूर्य सृष्टि के साक्षात देवता हैं” उनकी ताप इतनी ज्यादा कि कोई उनके समीप बैठ पाने का साहस नही जुटा पा रहा था। कुछ दूरी पर अर्घ्य गोलाकार स्थिति में सभी देवी-देवता विराजमान हुए। देवताओं के राजा भगवान इन्द्र देव ने सबकी चुप्पी तोड़ते हुए कहा – बताईयें सूर्य देव आप ने सबको आमंत्रित किया, इसका उद्देश्य क्या है? सूर्य देव ने अपने विवाह का प्रस्ताव रखा, तब देवताओं ने कहा आप अपने योग्य कन्या बताईयें, ताकि हम लोगों को आपका विवाह कराने में मदद मिल सके, सूर्य देव ने माता पृथ्वी के प्रति अपनी इच्छा व्यक्त की। सभी देवी-देवताओं ने हामी भर दी, अति उत्तम है, आप देव और पृथ्वी देवी यह विवाह उत्तम फल दायीं होगा। देवताओं के राजा इंद्र देव ने कहा हम सभी पृथ्वी वासियों से इसपर विचार-विमर्श कर विवाह की तैयारी करें तो उत्तम रहेगा।
पृथ्वीलोक पर देवी-देवताओं का आगमन:
सभी देवी-देवता पृथ्वीलोक पर आये और इस विवाह की योजना को बता सबकी स्वीकृति लेते गये। अंत में देवताओं ने कहा मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू महाराज नही दिखाई दे रहे हैं। उनकी तलाश की जाए और अंत में उनसे भी सहमति ले लिया जाए। सभी देवी-देवता उल्लू महाराज की खोज करने लगे। खोज करते-करते उल्लू महाराज एक घने जंगल की पेड़ पर सूर्य के विपरीत दिशा में, अपनी मुख कर बैठे मिले। देवताओं ने उल्लू महाराज से अपनी प्रस्ताव रखना ही चाहा कि उल्लू महाराज देवताओं के भी विपरीत दिशा में अपनी मुह कर लिए।
देवी-देवता व उल्लू महाराज की वार्तालाप:
देवताओं ने अपनी आगमन का कारण बताते हुए विवाह की बात ज्यो ही कहा, उल्लू महाराज झट से बीच में टोकते हुए कह पडे, बस किजिये आगे एक शब्द भी मत कहना। आप लोग सूर्य की बात मानकर हामी भर दी, फिर पृथ्वीलोक पर सहमति प्राप्त करने चले आये, क्या आप लोगों ने तनिक भी सोचा यह विवाह कितना अनर्थकारी होगा? माता पृथ्वी की संरक्षण में जो यहां है उसका क्या होगा? सभी देवी-देवता आश्चर्यचकित रह गए और नाराजगी का कारण पूछा।
उल्लू महाराज की बात सुनकर सभी देवताओं ने विचार करना प्रारंभ कर दिया।
उल्लू महाराज ने देवी-देवताओं से पूछा आप लोग तो उस सुर्य के बुलावे पर गए थे, तो क्यों नहीं उसके निकट बैठे ? देवताओं ने कहा उनके ताप को सह पाना कठिन लगता है, इसलिए अर्घ गोलाकार में उनसे दूरी बना बैठना पड़ता है।
देवताओं की इस कथन पर उल्लू महाराज ने कहा – माता पृथ्वी से वो जोजन कोष दूर हैं। जब उनकी प्रकाश पृथ्वी पर पड़ती है, तब उनका ताप सह पाना पृथ्वी पर प्राणियों के लिए मुश्किल हो जाता है। बृछ की छाए में बैठकर किसी तरह अपने आप को बचाया जाता है। जब विवाह होगा तब तो पृथ्वीलोक पर वो आयेगें, माता से विवाह करने उस समय क्या होगा, तनिक भी सोचा है आप लोगों ने ?
सभी देवी-देवता सोच में पड़, कहा यह तो सोचा ही नहीं गया था। उल्लू महाराज ने कहा आप जो मंगलकारी विवाह की सोच रखे हैं, वो उसी दिन अमंगलकारी हो जायेगा, जब वो पृथ्वीलोक पर माता पृथ्वी के समीप आ जाएँगे, पृथ्वी पर सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, सबकुछ उनकी तेज से जलकर भस्म हो जायेगा। योजना कोष दूर से उनकी थोड़ी देर के लिए सीधी दृष्टि को सह पाना पृथ्वीलोक के जीव-जंतुओं के लिए मुश्किल होता है। उनके द्वारा बिखेरे गये ताप को, चन्द्रमा की शीतलता शांत करने में अपनी रात बिता देती है। फिर भी कभी-कभी प्राणी उनके तेज कि गर्मी से, चन्द्रमा की शीतल छाया में भी त्राहि-त्राहि करता है। जब सुर्य पृथ्वी का मिलन होगा सोचिए फिर क्या होगा? सबकुछ जलकर भस्म, फिर सृष्टि का नये सिरे से निर्माण करने की योजना मां आदिशक्ति जगत जननी को बनानी पड़ेगी।
उल्लू महाराज ने कहा सुर्य की इस गंदी सोच की वजह से मै कभी उसे देखूँगा भी नहीं, जाकर उससे कह देना और इस विवाह पर हमारी सहमति नही है। वही प्रण आज भी उल्लू महाराज के वंश सुर्य के विपरीत दिशा में बैठकर अपना दिन का समय व्यतीत करते हैं और चन्द्रमा की शीतल छाया में रात्री भ्रमण करते हैं। लोगों द्वारा यह कहा जाता है उल्लू को दिन में दिखाई नही देता, यह बात सर्वदा झूठ व अंधविश्वास है। सूर्योदय से पहले उल्लू अपना ठिकाना खोज लेते हैं ताकि सूर्य की किरण उनपर न पड़ सकें बहुत ही मजबूर स्थिति में उल्लू दिन में विचलन कर अपना ठिकाना बदलता है। इस प्रकार अब आप समझ सकते हैं बुद्धि के मामले में सबसे बुद्धिमान मां लक्ष्मीजी का वाहन उल्लू महाराज ही हैं। सूर्य पृथ्वी विवाह में हस्तक्षेप कर पृथ्वी पर सूर्य की तेज से जलकर भस्म होने से बचाने वाले मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू महाराज की ही बुद्धिमानी है। यह अंधविश्वास अजीबोगरीब धारणाएं हैं कि उल्लू को दिन में दिखाई नही देता। कहीं छाये में उल्लू अपना ठिकाना बना पूरा दिन व्यतीत करता है आप उसके इर्द-गिर्द जब जायेगें तो वो अपनी सावधानी के लिए आपके तरफ सिर घुमाते हुए दिखाई देगा तो क्या उसे दिखाई नहीं देता। जो अंधविश्वास फैलाया गया है वह मिथ्या है। सिर्फ वह ईश्वर से उस समय प्रार्थना करता है कि आप उसे सुर्य की किरणों में जाने और ठिकाना बदलने के लिए मजबूर न करें। अगर आप उसे ज्यादा परेशान नही करते तो वही अपना दिन का समय व्यतीत कर चला जाता है और दूसरे दिन वहां ठहरने के लिए नही जाता। अगर वो ठिकाना उसे पसंद आया तो उल्लू वहां अपना दिन का बसेरा बना लेता है। उल्लू अगर आपके घर में बसेरा बना सुरक्षित है तो धन की देवी मां लक्ष्मीजी की कृपा आप पर बनी रहेगी। धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए उल्लू का चित्र, मूर्ति भी घर दुकान में रखना शुभ फलदायी होना निश्चित है। अगर आप के यहां साक्षात उल्लू महाराज का आगमन और ठहराव हो रहा है तो धन की देवी मां लक्ष्मी जी का आपके यहां आना रहना निश्चित रूप से होगा। इस सत्य एवं दुर्लभ लेख को अधिक से अधिक शेयर कर मां लक्ष्मीजी के वाहन के प्रति समाज में फैले गलत धारणा को मिटाने में अपनी सहभागिता दर्ज करें, शेयर कर उल्लू महाराज सहित मां लक्ष्मीजी का कृपा प्राप्त करें। दुर्लभ और सत्य जानकारी की प्रेरणास्रोत मां आदिशक्ति जगत जननी की चरणों में सादर समर्पित कलम को यहीं विराम देते हैं। हमारी दुर्लभ और सत्य लेखनी पढ़ने के लिए बेल आइकन को दबा एक्सेप्ट किजिए, ताकि हमारी न्यू अपडेट आप तक पहुंच सके, जय हो उल्लू महाराज सहित मां लक्ष्मीजी की।
इस धार्मिक पौराणिक कथा का उद्देश्य:
इस कथा का मुख्य उद्देश्य समाज में उल्लू के प्रति फैली हुई नकारात्मक धारणाओं और अंधविश्वासों को समाप्त करना है। उल्लू, जो धन की देवी मां लक्ष्मी का वाहन है, वास्तव में अत्यंत बुद्धिमान और महत्वपूर्ण है। पौराणिक संदर्भ में उल्लू महाराज ने देवी-देवताओं को पृथ्वी और सूर्य के विवाह के खतरों से अवगत कराया था, जिसमें उनके विवेक और दूरदर्शिता ने सृष्टि को एक महाविनाश से बचाया।
उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देने और मुर्खता का प्रतीक मानने जैसी अजीबोगरीब धारणाएं अंधविश्वास हैं, जो समाज में अनजाने में फैल चुकी हैं। उल्लू महाराज वास्तव में अत्यंत सजग और चतुर होते हैं, और उनका रात में सक्रिय रहना उनकी बुद्धिमानी का प्रमाण है, क्योंकि वे सूर्य की किरणों से बचने के लिए अपनी गतिविधियाँ रात में करते हैं।
इस कथा का सार यह है कि उल्लू का सम्मान और सही दृष्टिकोण रखना चाहिए क्योंकि वह देवी लक्ष्मी का वाहन है। अगर उल्लू किसी के घर आता है या रहता है, तो यह संकेत है कि मां लक्ष्मी की कृपा उस घर पर बनी रहती है। उल्लू के प्रति समाज में फैली धारणाओं को बदलने और उन्हें बुद्धिमान प्राणी के रूप में देखने की आवश्यकता है।
अंततः यह कथा हमें सिखाती है कि हमें अंधविश्वास और मिथकों को दूर करके उल्लू को उसकी असली महत्ता के साथ समझना चाहिए।
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