डबल इंजन की सरकार मे महंगाई बेरोजगारी से जनता परेशान, महंगी बिजली, बढ़ती टैक्स-जनहितैषी नही है सरकार

Amit Srivastav

UP Government: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की जनता को सहूलियत के नाम पर महंगाई और बेरोजगारी की दलदल में झोंक दिया गया है। जहां दूसरे राज्यों में बिजली मुफ्त में मिल रही है। वहीं उत्तर प्रदेश में महंगाई की मार के साथ-साथ स्मार्ट मीटर वाली बिजली लोगों में डर पैदा कर रहा है।
काफी लोगों से बातचीत करने पर यह बात समझ में आई की स्मार्ट मीटर लगने से कई लोग बिजली का बिल अधिक आने पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। ‌हालांकि स्मार्ट मीटर एक नई तकनीक है, जिसके माध्यम से बिजली चोरी पर लगाम कसा जा सकता है।

(smart electric meter fear) खबर मिल रही है, उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर घरों में लगाया जा रहा है, जिसे लेकर लोगों में भय बना हुआ है। दरअसल अफवाहों का बाजार गर्म भी है कि स्मार्ट मीटर के जरिए बिजली का बिल अधिक आएगा। हालांकि यह एक तरह का भ्रम है। दरअसल स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली का बिल उतना ही आएगा, जितना आप बिजली इस्तेमाल करते हैं। इसका फायदा यह जरूर है कि बिजली के बिल का तुरंत भुगतान करना अब आसान हो जाएगा। मोबाइल फोन के जरिए बिजली के बिल आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। ऑनलाइन बिजली का बिल आसानी से भर सकते हैं। वहीं बिजली चोरी पर अंकुश भी लगेगा।

up electric bill : बिजली की चोरी रोकने के लिए और सही तरीके से बिजली की खपत का सही बिल देने के लिए स्मार्ट मीटर आज के समय में नई तकनीक है। उपभोक्ता और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद है।
वही आपको बता दे कि दूसरे राज्यों में 200 यूनिट से अधिक मुफ्त बिजली उपभोक्ताओं को फ्री दी जाती है। लेकिन उत्तर प्रदेश में महंगी बिजली और ऊपर से स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए एक नया अनुभव लेकर आ रहा है।

बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के चलते कई तरह की सब्सिडी योजना की सहूलियत सरकार द्वारा जनता को मिलनी चाहिए। ‌ वही आपको बता दें कि दूसरे राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में बिजली महंगी है। दिल्ली में बिजली 200 यूनिट फ्री में दी जा रही है। ताकि जनता को राहत मिल सके। 200 यूनिट फ्री बिजली हासिल करके अपने बजट को सुधार सके। ‌इस तरह से बिजली के बिल का भार उनके लिए कम हो जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश में महंगी बिजली और स्मार्ट मीटर के बोझ के चलते प्रदेश का आम नागरिक परेशान हैं। ‌

योजनाओं में देनी होगी और अधिक सब्सिडी

रूफटॉप सोलर एनर्जी के जरिए बिजली का बिल कम हो जाएगा।‌ लेकिन इस योजना का लाभ उठाने के लिए लाखों रुपए खर्च उपभोक्ता को करना पड़ता है।‌ हालांकि इस योजना के अंतर्गत सरकार कुछ सब्सिडी भी देती है लेकिन बढ़ती हुई महंगाई और बेरोजगारी के चलते यह काफी नहीं है। आम मध्यवर्गीय परिवार और निम्नवर्गीय आयवर्ग के लोग इसे लगवा पाने की स्थिति में नहीं है। वहीं सरकार चाहे तो सौ प्रतिशत सब्सिडी इस योजना के अंतर्गत लागू करके बिजली बचत का तोहफा जनता को दे सकती है। ‌हालांकि चुनाव में इस तरह की कई बातें हुई हैं जिसे अमली जामा पहनाने का वक्त आ चुका है। क्योंकि 2027 उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी है और ऐसे में अपनी वादों को पूरा नही किया गया तो पूनः सरकार मे भाजपा को आना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी हो सकता है।

हर साल बहुत तेजी से महंगाई बढ़ रही है, ऐसे में प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की इनकम महंगाई के मुकाबले पर्याप्त रूप से नहीं बढ़ रहा है। प्राइवेट सेक्टर में कामगारों को उचित जीवन विप करने के लिए सैलरी के नाम पर बड़ा मजाक किया जा रहा है। ‌ सरकार की कामगारों के प्रति संरक्षण नीति सहायता वाली नहीं है। ‌ कामगार, मजदूर, किसान तो पूंजीपतियों के हाथ में खिलौना बनकर रह गए हैं। ‌ उत्तर प्रदेश में डॉक्टर, इंजीनियर जैसे प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स प्राइवेट क्षेत्र में 20000 से 25000 रुपए की नौकरी करने पर मजबूर हैं। पूंजीपतियों द्वारा हो रहे इस क्षण के खिलाफ किसी भी तरह की आवाज नहीं उठाती है। वहीं शिक्षा का निजीकरण करने वाली सरकार कामगारों को किसी भी तरह की सहूलियत प्रदान करने में असफल रही है। ‌ शिक्षकों और गैर शिक्षकों की प्राइवेट विद्यालय और महाविद्यालय में सैलरी बहुत ही काम है इनका लगातार शोषण किया जा रहा है।
सरकार अपनी उपलब्धियां केवल टीवी चैनलों और विज्ञापनों के माध्यम से दिखाती हुई नजर आती है लेकिन जब आप जमीनी स्तर पर नजर डालेंगे तो हर लोग के जवान पर यही बात है की बढ़ती बेरोजगारी और बढ़ती महंगाई से हम बेहाल हैं।

दरअसल सरकार की योजनाएं पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाली नजर आती है।
सरकार द्वारा चलने वाली कल्याणकारी योजनाओं की पात्रता कठिन है। इसमें निम्न मध्यमवर्गीय परिवार को लाभ नहीं मिल पाता है। आरोप लगते हैं कि सरकार की यह योजना हाथी के दांत की तरह है, खाने के लिए कुछ और दिखाने के लिए कुछ और। ‌

डबल इंजन की सरकार मे महंगाई बेरोजगारी से जनता परेशान, महंगी बिजली, बढ़ती टैक्स-जनहितैषी नही है सरकार

लगातार नए-नए तरह के टैक्स लगाये और बढ़ाए जा रहे हैं। ‌पानी बिजली और मकान का टैक्स इतना बढ़ गया है। परंतु उसके मुकाबले आमदनी एक हिसाब से नहीं बढ़ रही है। ‌
लगातार टैक्स के अधिक होने से लोगों की आमदनी का अधिकतर भाग केवल खर्चों में ही चला जा रहा है। ‌ पिछले 2023 से अब तक आम मध्यमवर्गीय परिवार की बचत कम हो गई है। ‌
इसके चलते लोगों में सरकार के प्रति लेकर कई तरह की नाराजगी भी है। निजीकरण के चलते महंगी शिक्षा हर किसी के वश की बात नहीं है। वही सरकारी स्कूलों की हालत आधुनिक तकनीकी गुणवत्ता वाली अंग्रेजी माध्यम से युक्त शिक्षा देने वाली स्थिति में नहीं है। उच्च आय वर्ग और निम्न उच्च आय वर्ग के लोग किसी भी तरीके से अच्छी महंगी अंग्रेजी वाली प्राइवेट शिक्षा हासिल कर पा रहे हैं लेकिन मध्यम वर्गीय, निम्न मध्यम वर्गीय और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के लोग प्राइवेट शिक्षण के नाम पर दोयम की शिक्षा ही अपने बच्चों को दिला पा रहे हैं। पूरे राज्य में एक समान शिक्षा व्यवस्था लागू होनी चाहिए। ‌ गरीबों और अमीरों के लिए अलग-अलग शिक्षा व्यवस्था के चलते समाज में भेदभाव बढ़ रहा है। जिसके पास अच्छी आमदनी है उसके लिए बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था प्राइवेट संस्थानों में उपलब्ध है लेकिन कमजोर तक के और मध्यम वर्ग की निम्न मध्यम वर्गी परिवार के लिए इस तरह की शिक्षा पाना सबसे बड़ी चुनौती है। ‌ वही सरकारी स्कूल की शिक्षा केवल दिखावे की शिक्षा मात्र हो गई है।

पिछले 2 साल में शिक्षा बहुत तेजी से महंगी हुई है। ‌ शिक्षा का निजीकरण होने के चलते कई ऐसे प्राइवेट स्कूल कुकुरमुत्ता की तरह उगे हैं, जिनमें मानक वाली शिक्षा नहीं मिल रही है। वहीं इसकी तुलना में सरकारी स्कूलों की शिक्षा जर्जर अवस्था में है। ‌
मध्यवर्गीय, निम्न मध्यमवर्गीय और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के पास कोई विकल्प नहीं बचता है। मजबूरन ऐसे प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन करते हैं जहां पर फीस थोड़ी कम होती है लेकिन शिक्षा के नाम क्वालिटी वाली एजुकेशन हासिल नहीं होती है। इस तरह से देखा जाए तो समाज के अलग-अलग निम्न आय वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के पास गुणवत्ता वाली शिक्षा नहीं पहुंच पा रही है। दरअसल महंगाई का आलम इतना बेदर्द हो गया है कि लोगों को आप शिक्षा के साथ भी समझौता करना पड़ रहा है। ‌

आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए कई योजनाएं हैं लेकिन यह योजनाएं केवल दिखावे मात्र ही नजर आती है। इसके साथ ही मध्यवर्गीय और निम्न मध्यम वर्गीय के लिए कई तरह की योजनाएं होनी चाहिए जिससे की बढ़ती हुई महंगाई और बेरोजगारी से उन्हें राहत मिल सके। ‌

महंगी बिजली, महंगा टैक्स, महंगा पेट्रोल, महंगा एलपीजी सिलेंडर, खाने के पदार्थ की बढ़ती हुई महंगाई के चलते मध्यम वर्गीय परिवार का बजट बिगड़ चुका है। लोगों का कहना है कि अगर सरकार किसी भी तरह की सहूलियत या सब्सिडी अलग-अलग चीजों में देती है तो इससे आम जनता को फायदा होगा। ‌

मध्यवर्गीय परिवारों की भी सुने

लोगों का मानना है कि सरकार की योजनाएं केवल अत्यंतआर्थिक रूप से कमजोर लिए है लेकिन निम्न आय वर्ग और मध्यम आय वर्ग के लिए सरकारी योजनाएं नदारत है। बढ़ती हुई महंगाई और बढ़ती हुई महंगी शिक्षा के कारण स्थिति संभाली नहीं जा रही है।
एक आंकड़ों के अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश से 90% जनता महंगाई से परेशान है। सरकारी शिक्षा और व्यवस्था इतनी गुणवत्ता वाली नहीं है कि लोग इस मुफ्त सरकारी शिक्षा को अपना सके। दरअसल इसमें आधुनिक तकनीक और अंग्रेजी वाली पढ़ाई वाली शिक्षा गायब है। ‌

मध्यमवर्गीय परिवार मुश्किलों में

भारत का मध्यम वर्गीय निम्न मध्यम वर्गीय परिवार केवल मुफ्त के कुछ किलो अनाज की योजना का ही केवल फायदा उठा पा रहा है। जिसे सरकार अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि समझ रही है दरअसल स्थिति और भी बेकार हो चुकी है। ‌ रोजगार धंधे लोगों के आमदनी वाले नहीं रहे हैं ऐसे में घटती हुई कमाई के कारण बढ़ते खर्चों की वजह से मध्यम वर्गीय परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है। ‌

कुल मिलाकर देखा जाए तो पिछले दो महीने से स्थितियां बहुत तेजी से बदल गई है। ‌ लगातार बढ़ती हुई महंगाई और बढ़ते हुए खाद्य पदार्थों के दाम के कारण मध्यवर्गीय परिवार का बजट बिगड़ चुका है। सरकार जल्द इस पर चेतती नहीं है तो स्थिति और बद से बद्तर हो रही है। ‌ मध्यमवर्गी और निम्न मध्यम वर्गीय के साथ आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवारों के लिए उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा से जोड़ा जाना जरूरी है। इसके साथ ही बढ़ते हुए महंगाई पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कदम उठाना आवश्यक हो जाता है। ‌

इसके साथ ही आपको बता दें कि लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है। इसके आंकड़े तो सामने नहीं आ रहे हैं लेकिन लोगों के घटते इनकम से पता चल रहा है कि सरकार को इस पर जरूरी कदम उठाना चाहिए और रोजगार के संभावनाओं को तेज करने के लिए कई तरह की सब्सिडी योजना जरूर चलानी चाहिए। उत्तरप्रदेश डबल इंजन की सरकार पटरी से नीचे उतर गई है। ‌ केंद्र सरकार और राज्य सरकार को तालमेल बैठक हिंदुस्तान की तकदीर बदलने का समय आ गया है। ‌

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