उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महाकुंभ 2025 के आयोजन के लिए पत्रकारिता पर अभूतपूर्व नियंत्रण स्थापित करते हुए 38 पृष्ठों की एक विस्तृत गाइडलाइन फरमान जारी की है। इसमें न केवल मीडिया संस्थानों को यह बताया गया है कि उन्हें क्या लिखना और प्रसारित करना है, बल्कि यह भी निर्देश दिया गया है कि वे किन विषयों को पूरी तरह से नजरअंदाज करें। यह कदम भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में एक नया और चिंताजनक मोड़ है। डबल इंजन सरकार के राज्य सूचना विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा मीडिया संस्थानों को जारी फरमान से जानिए क्या है पूरा मामला?
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गाइडलाइन में क्या-क्या शामिल है?
गाइडलाइन में दिए गए निर्देश मीडिया के स्वतंत्र संचालन और पत्रकारिता की निष्पक्षता को चुनौती देते हैं। इसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं।
1. महाकुंभ को “अभूतपूर्व” दिखाने का निर्देश:
मीडिया को यह बताना होगा कि महाकुंभ 2025 अन्य सभी कुंभ मेलों से कैसे अलग और बेहतर है।
2. सरकार की उपलब्धियों को प्रमुखता:
सभी खबरों में योगी सरकार के प्रयासों और उसकी सफलता को विशेष रूप से उजागर करना होगा।
3. कुव्यवस्था पर प्रतिबंध:
किसी भी प्रकार की अव्यवस्था, गड़बड़ी, या प्रशासनिक लापरवाही को रिपोर्ट करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।
4. संत-महात्माओं और अधिकारियों से बातचीत के नियम:
पत्रकारों को यह निर्देश है कि वे किन साधु-संतों, मठाधीशों, और अधिकारियों से मिलेंगे, और उनसे क्या सवाल पूछेंगे।
5. सरकारी निगरानी:
गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक खबर पर सरकार की नजर होगी।
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सरकारी पत्रकारिता का उदय: पेड न्यूज़ का नया रूप?
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन की सामग्री यह स्पष्ट संकेत देती है कि सरकार ने मीडिया को अपने प्रचार के एक साधन के रूप में उपयोग करने की योजना बनाई है। पत्रकारों को न केवल निर्धारित विषयों पर रिपोर्टिंग करने के लिए कहा गया है, बल्कि हर खबर में सरकार की प्रशंसा सुनिश्चित करने को भी बाध्य किया गया है।
मीडिया स्वतंत्रता पर नियंत्रण: लोकतंत्र के लिए खतरा
इस गाइडलाइन ने मीडिया की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मूल्यों पर गहरी चोट की है। प्रेस, जो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, को एक सरकारी प्रचार तंत्र में बदलने का यह प्रयास चिंताजनक है। किसी भी लोकतांत्रिक देश में मीडिया की भूमिका सच्चाई को उजागर करना और सत्ता को जवाबदेह ठहराना है, लेकिन यह गाइडलाइन उस भूमिका को समाप्त करने का प्रयास करती है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला
महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में मीडिया की स्वतंत्रता का प्रतिबंधित होना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक बड़ा आघात है। यह स्थिति न केवल पत्रकारों, बल्कि पूरे समाज के लिए चिंताजनक है।
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क्या है पृष्ठभूमि?
महाकुंभ, जो भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है, करोड़ों श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होता है। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए हर सरकार अपनी भूमिका निभाती है। लेकिन योगी सरकार ने इस आयोजन के प्रचार-प्रसार के लिए पत्रकारिता पर जिस प्रकार का नियंत्रण स्थापित किया है, वह अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ता नजर आता है।
गाइडलाइन के राजनीतिक मायने
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने महाकुंभ 2025 को न केवल धार्मिक आयोजन, बल्कि अपनी राजनीतिक छवि सुधारने और उसे मजबूत करने के अवसर के रूप में देखा है। गाइडलाइन के माध्यम से मीडिया को नियंत्रित करके सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि आयोजन के दौरान केवल सकारात्मक खबरें ही बाहर आएं।
क्या कहती है मीडिया बिरादरी?
पत्रकारिता जगत में इस गाइडलाइन को लेकर गहरी नाराजगी है। कई पत्रकारों और मीडिया संस्थानों ने इसे स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमला बताया है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा इस प्रकार की गाइडलाइन जारी करना न केवल मीडिया की स्वतंत्रता को बाधित करता है, बल्कि लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों को भी कमजोर करता है।
जनमत और सामाजिक प्रभाव
गाइडलाइन का एक बड़ा प्रभाव यह भी है कि जनता तक सही और सटीक जानकारी नहीं पहुंच पाएगी। महाकुंभ जैसे आयोजन में जब लाखों लोग शामिल होते हैं, तब प्रशासनिक खामियों और अव्यवस्थाओं को उजागर करना मीडिया का कर्तव्य है। लेकिन इस गाइडलाइन के चलते ऐसी रिपोर्टिंग करना असंभव हो गया है।
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महाकुंभ 2025 निस्पक्ष खबर के सार-
लोकतंत्र और मीडिया की भूमिका पर पुनर्विचार की जरूरत
महाकुंभ 2025 के लिए जारी यह गाइडलाइन स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए एक बड़ा खतरा है। यह स्थिति केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में मीडिया की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा करती है। लोकतंत्र में मीडिया का स्वतंत्र रहना अनिवार्य है, और इस प्रकार का सरकारी हस्तक्षेप न केवल लोकतंत्र को कमजोर करता है, बल्कि सत्ता के प्रति जनता के विश्वास को भी प्रभावित करता है। धीरे-धीरे जनता पेड़ न्यूज से अपने आपको किनारे करती भाजपा के खिलाफ जाती नज़र आ रही है।
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