इस लेख के जरिए हम समांतर मीडिया का यूट्यूब पर जन्म के बारे में बताने जा रहे हैं। भारत में मुख्य धारा की मीडिया 2014 के बाद से एक नया अवतार में नजर आ रही है। इस नये अवतरित बदलाव से इत्तेफाक ना रखने वाले पत्रकारों को मुख्य धारा की मीडिया से अलग हटा दिया गया। समानांतर मीडिया यानी हम यूट्यूब मीडिया को कह सकते हैं, जहां पर पत्रकार की एक लंबी लिस्ट है। जो विभिन्न मुद्दों के साथ अपने दर्शकों से जुड़े हुए हैं।हालांकि इस संदर्भ में कई बातें सामने आई, जिसमें गोदी मीडिया, पहले से मुख्यधारा की मीडिया, जिसे खास तौर पर अब गोदी मीडिया के नाम से संबोधित किया जाने लगा है। इस तरह से मुख्य धारा की मीडिया जिसे टीवी या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कहते हैं।
पत्रकारों का एक वर्ग इसमें तैयार हुआ, जो अपने एजेंडे पर काम कर रहा था, तो वहीं दूसरे एजेंडे पर पत्रकारों की एक श्रेणी काम कर रहा था। जिनको प्लेटफार्म के रूप में यूट्यूब चैनल अपनाना पड़ा।
अब बड़ा सवाल है! क्या इन दोनों पत्रकारों की श्रेणियों के बीच पत्रकारिता की कहानी खत्म हो चुकी है? ऐसा कह पाना मुश्किल है, क्योंकि? छोटे-छोटे पत्रकार जो पत्रकारिता करते हैं, वह अपने वेबसाइट और यूट्यूब के माध्यम से अलग-अलग तरह के मुद्दे उठाते हैं, उन्हें किसी भी एजेंट की आवश्यकता नहीं होती है। वह पत्रकारिता का काइनेटिक कर्तव्यों का पालन करते हैं।
क्या मुख्य धारा की मीडिया ही सच्ची मीडिया है?

आम लोग मुख्य धारा की मीडिया को ही, मीडिया समझते रहे। इधर यूट्यूब पर भी बहुत तेजी से पत्रकार वायरल होते गए, अभी यह कह पाना मुश्किल है की मुख्य धारा की मीडिया कहां है? क्योंकि यूट्यूब पर भी पत्रकार सक्रिय हैं, अपने रिपोर्ट और विचारों से जनता को अवगत कराते हैं।
यूट्यूब पर कईयों पत्रकारों के मिलियंस सब्सक्राइबर भी हैं। इस तरह से देखा जाए तो मुख्य धारा की टीवी मीडिया और यूट्यूब मीडिया में तनातनी का माहौल है।
अक्सर यह आरोप लगाया जाता रहा है कि मुख्य धारा की टीवी मीडिया में विपक्ष को कम समय दिया जाता है उनकी बात नहीं रखी जाती है।
मीडिया मे बड़े ब्रांड के अखबारों सहित टीवी रिपोर्ट देखने वाले लोग यह अच्छी तरीके से जानते हैं कि पक्षपाती पत्रकारिता क्या होती है? लेकिन सोशल मीडिया क्रांति के जरिए फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर एक बड़ा पत्रकार वर्ग भी छाया हुआ है, जिसकी बात को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। क्योंकि यहां पर भी उनको देखने वाले लाखों लोग है, जिसमें ज्यादातर भारत की जनता ही है।
2024 में यह बड़ा बदलाव एक बार फिर देखने में नजर आ रहा है। मुख्य धारा की मीडिया से जो मुद्दे गायब हो चुके थे, वह मुद्दे वेबसाइट व यूट्यूब पत्रकारों के जरिए खूब उठाये जा रहे हैं, बेरोजगारी, महंगाई और असली विकास क्या है? इसके बारे में विचारणीय खबरें रखी जा रही है। बल्कि यहां तो कई प्रमाण के साथ खबरें रखी जाती है। गोदी मीडिया के बारे में भी खुलासा किया जा रहा है, इस तरह के ढेरों वेबसाइट व यूट्यूब चैनल आप देख सकते हैं।
यूट्यूब के बारे में रोचक जानकारी
बीच-बीच में हम आपको बता दे कि यूट्यूब सामाजिक वीडियो प्लेटफॉर्म का जन्म 14 फरवरी 2005 में हुआ। अमेरिका से यह लोकप्रिय होते-होते पूरी दुनिया में छा गया। यूट्यूब को गूगल ने भारत में 7 मई 2008 को लाँच किया। बेनेट कोलमैन एंड कंपनी यूटीवी और राजश्री ग्रुप के चेयरमैन और जूम चैनल सहित कई प्रोडक्शन हाउस ने मिलकर यूट्यूब को भारत में लांच किया। आइए इस लेख के माध्यम से इंटरनेट पर हुए सामाजिक प्लेटफार्म के जरिए वर्तमान क्रांति पर नजर डाले- एक दौर था, अपनी अजब-गजब प्रतिभा यूट्यूब पर दिखाई जाती थी। हालांकि यह युग अब तक चल रहा है।
दुनिया की पहली सेल्फी कौन सी है
चलिए इस बीच पहली सेल्फी के बारे में बात कर लिया जाए। एक जानकारी के मुताबिक सबसे पहले सेल्फी 1839 मे ली गई थी। रसायनज्ञ विज्ञान विशेषज्ञ और साथ में फोटोग्राफी के शौकीन रॉबर्ट कॉर्नेलियज द्वारा खुद की फोटो खींची गई और उसे डेवलप किया गया। इस तरह कह सकते हैं कि पहली सेल्फी 1839 में ली गई।
फेसबुक 2004 में लॉन्च हुआ और इसने पूरी दुनिया को अपने गिरफ्त में ले लिया। फेसबुक का न्यूज़ फ़ीड फीचर जबरदस्त रहा। लोग सोशल नेटवर्किंग से जुड़ने लगे। ट्विटर जबरदस्त प्रतिद्वंदी के रूप में फेसबुक के सामने उपस्थित हुआ। ट्विटर को लॉन्च 2006 में किया गया लेकिन या माइक्रो ब्लॉगिंग भी अपना नाम सोशल मीडिया में कमाने लगा। इधर वीडियो का जमाना शुरू हो चुका था।
टिकटाॅक का इतिहास

टिकटोक या टिकटाॅक चीन की बनाई हुई एप जिसके दीवाने $’1 से भी अधिक थे। 2016 में टिकटोक को जारी किया गया था। टिकटोक के दीवाने भारत में भी बहुत तेजी से बढ़ते गए हैं। इस चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारत में बैन कर दिया गया।
इसी बीच जिओ की डाटा क्रांति शुरू हो गई, टिकटोक की जगह लंबे यूट्यूब वीडियो ने ले लिया लेकिन इसी के साथ ही टिकटोक के स्पेस को भरने के लिए 2014 से अब तक रील युग अपने नए अंदाज में आया। 2021 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने धमाल मचा दिया और फिर सोशल मीडिया पर एक नई क्रांति शुरू हो गई। जिसका परिणाम इंटरनेट और गूगल पर साफ दिखाई देता है। लोग सर्च इंजन पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेने लगे। स्कूल की होमवर्क करने से लेकर किसी कंपनी के प्रोफाइल तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सटीक साबित हुआ।
रील युग और गोदी मीडिया
रील युग की शुरुआत के साथ ही गोदी मीडिया युग भी शुरू हुआ। भारत की मानी-जानी प्रिन्ट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया गोदी मीडिया के रूप में प्रस्तुत हुआ। तब तक आम इंसानों के लिए रील बनाना आसान हो गया। इधर युट्यूब ने भी इसको प्रोत्साहित करके खूब धन कमाया। रील युग का बढ़ावा मुख्यधारा की मीडिया का पक्षपाती होना है।
भारत में 2014 के पहले की मीडिया और यूट्यूब पत्रकार
2014 के पहले जो लोग मीडिया को विपक्ष की भूमिका में देखते रहे हैं, 2014 के बाद सत्ता पक्ष की भूमिका में मीडिया रास नहीं आया। ऐसे में रील युग बड़ी तेजी से यूट्यूब पर शुरू हुआ जो अब तक चल रहा है।
एक वर्ग को शॉर्ट वीडियो और रील से खुद को रियल लाइफ में जीने का सहारा मिला। इसमें अभिजात वर्ग के अलावा, लोअर मिडिल फैमिली के भी सपने एक बढ़िया यूट्यूब बनने का पलने लगा। यूट्यूब एक ऐसा प्लेटफार्म बना जहां शिक्षा के साथ मनोरंजन का धारा बढ़ता गया। कोरोना काल में यह अमृत की तरह सामने आया, क्योंकि? सभी ने अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल इस प्लेटफार्म के जरिए किया।
इसके बाद समझदार लोग पारंपरिक चीजों की ओर मुड़ना शुरू कर दिये। इसके साथ ही मीडिया की मुख्य धारा के जो बचे-खुचे लोग थे, जिन्हें स्वीकार करा दिया गया। वे यूट्यूब के सहारे चले गए हैं। समानांतर मीडिया का उदय यूट्यूब के जरिए ही हुआ है, इसके अलावा मुख्य धारा की मीडिया अपनी पतन की ओर है। मीडिया का स्वरूप जरूर बदलता है क्योंकि मीडिया का काम ही है, जनता को जागरूक करना। जागरूकता चौतरफा होने लगती है तो मीडिया भी जागरूक हो जाता है। आज अपनी पतन को देखते हुए बड़ी-बड़ी गोदी मीडिया भी यूट्यूब के सहारे जनता तक पहुंच बनाने का प्रयास कर रही हैं, किन्तु जो इन गोदी मीडिया की पक्षपाती समझ चुका है वो इन्हें न देखकर निस्पक्षी यूट्यूब समाचारों के तरफ़ जा रहा है।
टिकटोक से वीडियो के बाद अब पारंपरिक युग की तरफ बढ़ा जा रहा है लेकिन इसी के बीच ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जिसे हिंदी में मशीनी बुद्धिमता कहा जाए उसका युग आ गया है। AI के इस उठापटक में तकनीक इंसानों को बहुत ज्यादा समय नेचर के साथ बिताने के लिए दे रहा है। डिजिटल क्रांति में जहां मनुष्य का समय बर्बाद हो रहा था आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उसमें से समय चुराकर अब इंसानों को प्रकृति के साथ खेलने घूमने और आनंद का समय मिलने के लिए दे रहा है। इस बात को रील के युग में अधिकतर लोग समझ नहीं पा रहे हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का युग
(Artificial Intelligence)
निसंदेह टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इस समय कृत्रिम बुद्धिमत्ता का बोलबाला है। मेडिकल से लेकर रेस्टोरेंट तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले एम्पलाई काम करते हुऐ नजर आएंगे। यह कंप्यूटर के रूप में ऐसी बुद्धिमत्ता होगी, जो इंसानों का काम आसान बनाएगी। इंजीनियरिंग से लेकर आईटी सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक साइंस में जानकार लोगों की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ रही है।
निष्कर्ष
तकनीक के साथ ही कई तरह के सामाजिक युग भी चलते हैं, जिसे हम टिकटोक, रील युग, शॉर्ट वीडियो युग और इससे पहले यूट्यूब युगऔर उससे पहले ब्लॉगर युग रहा है।अगर इसे सही क्रम में पिरोया जाए तो इंटरनेट क्रांति में सबसे पहले ब्लॉगिंग शुरू हुआ, जिसमें लेखक अपने विचार रखते रहे हैं। इसमें पत्रकार भी शामिल रहे हैं। बड़े-बड़े खिलाड़ियों और सिनेमा जगत के चर्चित स्टार ने भी ब्लॉग लिखा है।
इंटरनेट जगत में ब्लॉग युग आज भी मौजूद है लेकिन इसके साथ ही यूट्यूब का युग बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। टिकटोक ने भी खूब नाम कमाया। यूट्यूब में शॉर्ट वीडियो के जरिए और रील के माध्यम से आम जनमानस के सुख-दुख और उनके टैलेंट को सामने लिखने का एक मौका दिया। इसके साथ ही चैनल मोनेटाइज होने पर वह कमा सकते थे हालांकि इसमें 99% लोग असफल ही रहे हैं। यही 99% लोग दर्शन हैं। एक प्रतिशत सफल लोगों मोनेटाइज कराकर अपने चैनल से काफी पैसा वे कमा रहे हैं आज भी। लेकिन इसके साथ ही वेबसाइट और ब्लॉग कलयुग जो बड़ी जोरों शोरों से शुरू हुआ था वह अब धीमा पड़ रहा है।
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