कार्तिक माह, हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इसे धर्म, साधना और उपासना का माह कहा जाता है। इस माह में भगवान विष्णु की उपासना और नियम पालन से शुभ फल प्राप्त होता है। पुराणों और ग्रंथों में इसे “धर्म का महीना” कहा गया है, जिसमें साधारण भक्त से लेकर धर्मनिष्ठ साधकों तक सभी के लिए विशेष नियम बताए गए हैं।
कार्तिक माह से जुड़े प्रमुख धार्मिक कथाएँ

कार्तिक माह की महिमा को बढ़ाने वाली कई पौराणिक कथाएँ हैं। इनमें से एक कथा है जलंधर की, जो असुरों के साम्राज्य का शासक था और उसके गुरु शुक्राचार्य ने उसे बताया कि राहु का सिर भगवान विष्णु ने काटा था। इस पर जलंधर ने देवताओं के खिलाफ युद्ध छेड़ा। जलंधर की शक्ति और पराक्रम से देवता भयभीत हो गए और भागकर गुफाओं में शरण ली। यह कथा हमें बताती है कि कैसे भक्तों की भगवान से भक्ति और साधना से दैवीय शक्तियाँ प्रकट होती हैं।
कार्तिक मास के दौरान पालन करने वाले विशेष नियम
- 1. पराये अन्न का त्याग
- जो व्यक्ति कार्तिक मास में बाहरी भोजन का त्याग करता है, उसे यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है। इसका धार्मिक महत्व यह है कि बाहरी भोजन का त्याग मन और शरीर की शुद्धता के लिए आवश्यक माना गया है।
- 2. भगवान विष्णु को कमल और तुलसी चढ़ाना
- कार्तिक माह में भगवान विष्णु को कमल का फूल और तुलसी अर्पित करना असीम पुण्यकारी माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और वह मोक्ष प्राप्त करता है।
- 3. गीता पाठ
- कार्तिक माह में गीता के एक अध्याय का पाठ व्यक्ति को यमराज के भय से मुक्त करता है। यह धार्मिक नियम आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग को सुगम बनाता है।
- 4. शालिग्राम शिला का दान
- इस माह में शालिग्राम शिला का दान करना सम्पूर्ण पृथ्वी का दान करने के समान फलदायी माना गया है। शालिग्राम का धार्मिक महत्व है और इसे भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है।
- 5. पलाश की पत्तल में भोजन
- कार्तिक में पलाश की पत्तल में भोजन करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। यह नियम मन, वचन और शरीर की शुद्धता पर आधारित है।
- 6. तुलसी, पीपल और भगवान विष्णु की पूजा
- कार्तिक माह में तुलसी, पीपल और भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। यह पूजा दैवीय शक्ति के प्रतीक मानी जाती है और व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है।
- 7. भगवान विष्णु के मंदिर की परिक्रमा
- इस माह में विष्णु मंदिर की परिक्रमा करने से हर कदम पर अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है। मंदिर की परिक्रमा देवताओं के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
- 8. दीपदान
- कार्तिक माह में दीपदान करने से इस जन्म के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसे आत्मशुद्धि और समर्पण का प्रतीक माना गया है।
- 9. नाम जप
- जो व्यक्ति इस माह में भगवान का नाम जप करता है, उस पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। यह आत्मिक शांति और भक्ति के मार्ग पर सहायक है।
- 10. वृक्षारोपण
- कार्तिक में तुलसी, पीपल या आवले का वृक्षारोपण करने का विशेष महत्व है। कहा गया है कि इन वृक्षों के जीवनकाल तक वृक्षारोपण करने वाले को स्वर्ग में वास प्राप्त होता है।

कार्तिक मास में स्नान का विशेष महत्व
कार्तिक में ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान का महत्व बहुत अधिक है। यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो नहाने के पानी में नदी का जल गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। यह स्नान कुंवारी और शादीशुदा महिलाओं के लिए विशेष शुभ माना गया है।
यहाँ बता दें रहे हैं कार्तिक मास में आप क्या करें क्या नहीं करें?
कार्तिक मास में क्या करें
रोजाना तुलसी, पीपल, और भगवान विष्णु की पूजा करें।
दीपदान करें और भगवान का नाम जपें।
गीता का पाठ करें और मंदिर की परिक्रमा करें।
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।
कार्तिक मास में क्या न करें
पराये अन्न का सेवन न करें।
बिना नियम के कार्तिक माह न बिताएं।
कार्तिक मास धर्म-कर्म लेखनी का निष्कर्ष
कार्तिक माह में नियमों का पालन और भगवान विष्णु की पूजा से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस माह के महत्व को समझते हुए भक्त अपने कर्मों को शुद्ध बनाते हैं और भगवान के प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं। कार्तिक माह का उद्देश्य है आंतरिक और बाह्य शुद्धि, और यही कारण है कि यह माह हर हिंदू भक्त के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है।