अग्रेजी भाषा के Crown Chakra को संस्कृत भाषा में सहस्रार चक्र के नाम से जाना जाता है, सहस्रार का हिंदी अर्थ हजार और चक्र का अर्थ है ऊर्जा का केंद्र जिसे हिंदी में सहस्त्रदल कमल या हजार पंखुड़ियों वाला कमल चक्र कहते हैं। यह सातवां और सबसे ऊंचा चक्र है। यह चक्र आत्मज्ञान, ब्रह्मांडीय ऊर्जा, और दिव्यता से जुड़ा हुआ माना गया है। सहस्रार चक्र व्यक्ति को परम चेतना और ईश्वर से जोड़ने का कार्य करता है। यह चक्र सिर के शीर्ष भाग पर, मस्तक के बीच में स्थित है। इसे “सहस्रदल कमल” हजार पंखुड़ियों वाला कमल के रूप में दर्शाया गया है। इस चक्र का प्रतीकात्मक रंग बैंगनी व “श्वेत” सफेद होता है। सहस्रार चक्र में हजार पंखुड़ियों वाला कमल, स्थिर है जो पूर्णता और दिव्यता का प्रतीक है। कुंडलिनी ज्ञान के पहले भाग में आप सब ने पढ़ा ऊर्ध्व और अधः के ज्ञान चक्र लेखनी से सम्बंधित कुंडलिनी जागरण के सात चक्रों में पहला मूलाधार चक्र पर आधारित विस्तृत लेखनी अब जानिए सातवें सहस्रार चक्र का गूढ़ रहस्य भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी से। इन दोनों चक्रों की लेखनी ऊर्ध्व और अधः पर आधारित लेखनी को परिपूर्ण करती है। इसके बाद दूसरे से छठवें चक्र की लेखनी आप सब पाठकों को समर्पित करूंगा। कुंडलिनी जागरण का सातवां सहस्रार चक्र CROWN CHAKRA का संक्षिप्त ज्ञानवर्धक जानकारी कुछ इस प्रकार है। आगे इस लेख में पढ़िए सहस्रार चक्र से जुड़ी विस्तृत जानकारी इस आर्टिकल के अंत तक में। इस सहस्रार चक्र से सम्बंधित गूगल पर पूछे जाने वाले कुछ सवालों का जवाब सुस्पष्ट भाषा में नीचे क्रमशः दे रहे हैं, जो अत्यन्त ही दुर्लभ हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। अधिक जानकारी के लिए लेखक के हवाटएप्स सम्पर्क नम्बर 07379622843 पर सम्पर्क किया जा सकता है।
सहस्रार चक्र के मुख्य गुण- आध्यात्मिक ज्ञान से है। यह चक्र व्यक्ति को आत्मा, ब्रह्मांड, और ईश्वर के साथ जोड़ता है।
चेतना और जागरूकता- सहस्रार चक्र जागृत होने पर व्यक्ति को असीम ज्ञान और चेतना का अनुभव होता है।
आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत- यह चक्र ब्रह्मांडीय ऊर्जा को शरीर में प्रवाहित करता है।
अहंकार का लोप- सहस्रार चक्र के संतुलन से व्यक्ति अहंकार और भौतिक इच्छाओं से मुक्त हो जाता है।
समर्पण और शांति- यह चक्र समर्पण, शांति, और निर्वाण की स्थिति का अनुभव कराता है।
सहस्रार चक्र के असंतुलन के लक्षण

सहस्रार चक्र का असंतुलन मानसिक, भावनात्मक, और आध्यात्मिक समस्याएं पैदा करता है।
असंतुलन के मानसिक लक्षण- आत्मग्लानि महसूस होती है और आत्मविश्वास की कमी होती है। आध्यात्मिक भ्रम और उद्देश्यहीनता का भाव पैदा होता है। जीवन में निराशा और उदासी छाई रहती है।
असंतुलन के शारीरिक लक्षण- सिर दर्द और मस्तिष्क संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती है। ध्यान में असमर्थता महसूस होता है। शरीर में ऊर्जा का अभाव होता है।
सहस्रार चक्र को सक्रिय और संतुलित करने के उपाय
योग और ध्यान- शवासन, Corpse Pose पूर्ण शांति और विश्राम देता है। ध्यान, Meditation ध्यान के दौरान मस्तक पर ध्यान केंद्रित करें। कुंडलिनी जागरण का अभ्यास सहस्रार चक्र को सक्रिय करता है।
मंत्र जप- सहस्रार चक्र का बीज मंत्र- ॐ (OM) है। इसका नियमित जप चक्र को संतुलित करता है।
ध्यान और प्राणायाम- सहस्रार ध्यान Crown Chakra Meditation ब्रह्मांडीय ऊर्जा को अनुभव करने का अभ्यास करें। नाड़ी शोधन प्राणायाम Alternate Nostril Breathing ऊर्जा को संतुलित करने के लिए उपयोगी साबित होता है।
रंग चिकित्सा Color Therapy- बैंगनी या सफेद रंग के कपड़े पहनें। ध्यान में इन रंगों की कल्पना करें।
आहार- हल्का और सात्विक भोजन करें। ध्यान और योग को सपोर्ट करने वाले प्राकृतिक और पौष्टिक आहार लें।
आभूषण और क्रिस्टल– सहस्रार चक्र को सक्रिय करने के लिए अमथिस्ट Amethyst या स्फटिक Quartz का उपयोग करें।
सहस्रार चक्र और कुंडलिनी ऊर्जा
कुंडलिनी ऊर्जा, जो मूलाधार चक्र से उठती है, सहस्रार चक्र पर पहुंचकर पूर्णता प्राप्त करती है। कुंडलिनी जब सहस्रार चक्र पर सक्रिय होती है, तो व्यक्ति आत्मज्ञान Enlightenment की अवस्था में पहुंच जाता है। इसे मोक्ष, निर्वाण, या परम चेतना कहा जाता है।
सहस्रार चक्र Crown Chakra संतुलन के लाभ

आत्मज्ञान और दिव्यता की अनुभूति होती है। मन की शांति और गहन ध्यान में प्रवीणता की प्राप्ति होती है। भौतिक और मानसिक सीमाओं से मुक्ति मिलती है। जीवन के उद्देश्य का ज्ञान स्पष्ट होता है। ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ जुड़ने का अनुभव प्राप्त होता है।
गूगल पर पाठकों के पूछे गए सवालों का जवाब सुस्पष्ट भाषा में नीचे दिया जा रहा है क्रमशः पढ़िए और जानिए सहस्रार चक्र से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी।
- 1- सहस्रार चक्र कहां होता है
- 2- सहस्रार चक्र कैसे जागृत करें
- 3- सहस्त्रार चक्र का देवता कौन है?
- 4- सहस्रार चक्र का अर्थ है
- 5- सहस्रार चक्र लक्षण
- 6- सहस्रार चक्र का रंग
- 7- सहस्रार चक्र क्या है
- 8- सहस्रार चक्र लाभ
- 9- सहस्रार चक्र का ध्यान
- 10- सहस्रार चक्र मंत्र
- 11- सहस्रार चक्र और गणेश
- 12- पीठ दर्द और चक्र
- 13- चक्रों को जागृत करने की प्रक्रिया
- 14- जड़ चक्र को मजबूत कैसे बनाएं?
- 15- सहस्रार चक्र खुलने पर क्या होता है?
- 16- आलस्य के लिए कौन सा चक्र जिम्मेदार है?
- 17- लालच का चक्र कौन सा है?
सहस्रार चक्र Crown Chakra का विस्तृत विवरण
सहस्रार चक्र सातवां और सबसे ऊंचा चक्र है, जो हमारी आध्यात्मिकता और ब्रह्मांडीय ऊर्जा से संबंध का प्रतीक है। इसे “हजार पंखुड़ियों वाला कमल” कहा जाता है और यह आत्मा की पूर्णता तथा ब्रह्मांडीय चेतना का द्वार है।
सहस्रार चक्र कहां होता है?
सहस्रार चक्र सिर के शीर्ष भाग (मस्तक के केंद्र) पर स्थित होता है। इसे सिर के “क्राउन” के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह शरीर और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के बीच पुल का काम करता है।
सहस्रार चक्र कैसे जागृत करें?
सहस्रार चक्र को जागृत करने के लिए निम्नलिखित 5 विधियां अपनाई जाती हैं।
1. ध्यान Meditation – मस्तक के शीर्ष पर ध्यान केंद्रित करें। ॐ या सोहम मंत्र का जाप करें।
2. प्राणायाम- धीमी और गहरी सांस लें। कपालभाति और अनुलोम-विलोम प्राणायाम सहायक होते हैं।
3. योगासन- शीर्षासन Headstand और शवासन Corpse Pose का अभ्यास करें।
4. आध्यात्मिक अध्ययन- धार्मिक ग्रंथों, मंत्रों, और ध्यान संगीत का अभ्यास करें।
5. अहंकार का त्याग- स्वयं को ब्रह्मांड का हिस्सा मानकर, अहंकार और व्यक्तिगत इच्छाओं को त्यागें।
सहस्रार चक्र का देवता कौन है?
सहस्रार चक्र का संबंध भगवान शिव और आदि शक्ति से है।यह चक्र शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है, जो ज्ञान, शांति, और सृजन की ऊर्जा प्रदान करता है।
सहस्रार चक्र का अर्थ है
सहस्रार का शाब्दिक अर्थ है हजार। इसे “हजार पंखुड़ियों वाला कमल” कहा जाता है, जो आत्मज्ञान और ब्रह्मांडीय चेतना का प्रतीक है। यह चक्र शरीर को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ता है और समर्पण, मुक्ति, और आध्यात्मिक एकता का अनुभव कराता है।
सहस्रार चक्र के लक्षण (जागृति के संकेत)
जब सहस्रार चक्र जागृत होता है, तो प्रमुख रूप से 7 लक्षण दिखाई देते हैं।
1. गहरी शांति और आनंद का अनुभव होता है।
2. आत्मज्ञान और ब्रह्मांडीय चेतना का उदय होता है।
3. मानसिक स्पष्टता और जागरूकता महसूस होती है।
4. समस्त इच्छाओं और मोह से मुक्ति मिलती है।
5. शरीर में हल्कापन और ऊर्जा का प्रवाह होता है।
6. दिव्य ध्वनियों या प्रकाश का अनुभव होता है।
7. ब्रह्मांड से एकता की भावना महसूस होती है।
सहस्रार चक्र का रंग
सहस्रार चक्र का रंग बैंगनी (Violet) व सफेद (White) होता है। बैंगनी- आध्यात्मिकता और आत्मज्ञान का प्रतीक। सफेद- शुद्धता, ऊर्जा, और दिव्यता का प्रतीक।
सहस्रार चक्र क्या है?
सहस्रार चक्र मानव शरीर का सातवां ऊर्जा केंद्र है। यह शरीर के अन्य चक्रों को नियंत्रित करता है और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का मुख्य केंद्र है। इसे आत्मा और ब्रह्मांड के बीच सेतु माना जाता है। इसका संबंध आध्यात्मिकता, चेतना, और मुक्ति से है।
सहस्रार चक्र के लाभ
सहस्रार चक्र जागृत होने पर- व्यक्ति को आत्मज्ञान और ब्रह्मांडीय चेतना प्राप्त होती है। सभी चक्र संतुलित हो जाते हैं।मानसिक तनाव और भ्रम दूर होता है। आध्यात्मिक विकास और ध्यान में गहराई आती है। व्यक्ति मोह, माया और बंधनों से मुक्त हो जाता है। शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, क्योंकि ऊर्जा प्रवाह शुद्ध होता है।
सहस्रार चक्र का ध्यान
crown chakra mudra
सहस्रार चक्र के ध्यान के लिए – एक शांत और साफ जगह पर बैठें। आँखें बंद करके मस्तक के शीर्ष पर ध्यान केंद्रित करें। ॐ या अहम् ब्रह्मास्मि मंत्र का जाप करें। मस्तक के शीर्ष पर एक बैंगनी या सफेद प्रकाश की कल्पना करें। इसे धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलता हुआ महसूस करें।
सहस्रार चक्र मंत्र
सहस्रार चक्र को जागृत करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें। बीज मंत्र- ॐ। गायत्री मंत्र- ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्। शिव मंत्र- ॐ नमः शिवाय। आत्मा का मंत्र- सोऽहम्।
सहस्रार चक्र और गणेश
गणेश जी का सीधा संबंध सहस्रार चक्र से नहीं है, लेकिन वह मूलाधार चक्र के रक्षक और कुंडलिनी शक्ति के प्रथम देवता माने जाते हैं। सहस्रार चक्र तक पहुंचने के लिए मूलाधार चक्र की ऊर्जा जागृत करनी होती है।
पीठ दर्द और चक्र
पीठ दर्द का संबंध मूलतः मूलाधार चक्र या मणिपुर चक्र से होता है। यदि सहस्रार चक्र के मार्ग में रुकावट हो, तो ऊपरी पीठ और गर्दन में तनाव हो सकता है।
चक्रों को जागृत करने की प्रक्रिया
ध्यान और प्राणायाम करें। नियमित योगाभ्यास करें। सकारात्मक सोच और शुद्ध भोजन अपनाएं। ऊर्जा हीलिंग और रेकी का अभ्यास करें।
जड़ चक्र को मजबूत कैसे बनाएं?
मूलाधार चक्र को संतुलित करें, क्योंकि यह सहस्रार चक्र का आधार है। “लम” मंत्र का जाप करें और ग्राउंडिंग एक्सरसाइज करें।
सहस्रार चक्र खुलने पर क्या होता है?
आत्मज्ञान प्राप्त होता है। ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रवाह महसूस होता है। व्यक्ति माया और मोह से मुक्त हो जाता है। सभी चक्र संतुलित और सक्रिय हो जाते हैं।
आलस्य के लिए कौन सा चक्र जिम्मेदार है?
आलस्य मुख्यतः मूलाधार चक्र की असंतुलन अवस्था का परिणाम है। सहस्रार चक्र के असंतुलन से मानसिक थकावट भी हो सकती है।
लालच का चक्र कौन सा है?
लालच का संबंध स्वाधिष्ठान चक्र और मणिपुर चक्र से होता है, क्योंकि ये चक्र इच्छाओं और भौतिक सुख से जुड़े हैं।
सहस्रार चक्र आध्यात्मिक ज्ञान और चेतना का द्वार लेखनी का निचोड़
सहस्रार चक्र शरीर और ब्रह्मांड के बीच ऊर्जा का पुल है। इसे जागृत करके आत्मा की उच्चतम अवस्था और ब्रह्मांडीय चेतना को प्राप्त किया जाता है। नियमित ध्यान, योग, और सकारात्मक जीवनशैली के माध्यम से इस चक्र को संतुलित और सक्रिय रखा जा सकता है। सहस्रार चक्र आत्मज्ञान और आध्यात्मिक विकास का केंद्र भी है। यह चक्र जागृत होने पर व्यक्ति को ब्रह्मांडीय ज्ञान और ईश्वर से जोड़ता है। इसे संतुलित और सक्रिय रखकर जीवन में उच्च आध्यात्मिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।