मूलाधार चक्र, जिसे अग्रेजी में Root Chakra कहते हैं, योग और अध्यात्म में ऊर्जा के सात प्रमुख केंद्रों में सबसे पहला और आधारभूत चक्र है। यह चक्र मानव शरीर में स्थित ऊर्जा का केंद्र है, इसे जीवन का आधार भी कहा जाता है। मूलाधार चक्र भौतिक अस्तित्व, स्थिरता, और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। आज इस मूलाधार चक्र पर भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी में जानिये वो गूढ़ रहस्य जिससे शायद आप अनभिज्ञ हों। इस लेखनी में हम बताने जा रहे हैं मूलाधार चक्र को कैसे जागृत किया जाता है और इसके दीर्घकालिक परिणाम क्या होता है। मूलाधार चक्र के डिस्टर्ब होने से शरीर में ऊर्जा प्रवाह पर क्या और कैसे प्रभाव पड़ता है और कौन कौन सी बीमारियों की उत्पत्ति होती है। मूलाधार चक्र को ठीक करके आप बहुत सारे रोग का निदान कर सकते हैं। इस चक्र को कैसे ठीक करें यह सब सुस्पष्ट जानकारी के लिए अंत तक पढ़िए यह मूलाधार चक्र पर आधारित लेखनी को।
मूलाधार चक्र का स्थान और प्रतीक
इस चक्र का स्थान रीढ़ की हड्डी के निचले भाग में, गुदा और जननांगों के बीच स्थित है। इस चक्र का प्रतीक- लाल रंग का चार पंखुड़ियों वाला कमल। इसके भीतर एक वर्ग होता है, जो पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें उल्टे त्रिकोण के भीतर कुंडलिनी ऊर्जा का प्रतीक होता है।
मूलाधार चक्र के मुख्य गुण-
भौतिक अस्तित्व: यह चक्र शरीर के भौतिक अस्तित्व, स्वास्थ्य, और जीवन शक्ति का आधार है।
सुरक्षा और स्थिरता: यह चक्र व्यक्ति के जीवन में सुरक्षा, स्थिरता, और आत्मविश्वास लाने का कार्य करता है।
भौतिक सुख-सुविधा: मूलाधार चक्र धन, घर, भोजन, और जीवन के अन्य भौतिक पहलुओं से संबंधित है।
पृथ्वी तत्व का प्रभाव: इस चक्र में पृथ्वी तत्व की प्रधानता है, जो स्थिरता और मजबूती प्रदान करता है।
मूलाधार चक्र के असंतुलन के लक्षण
यदि मूलाधार चक्र संतुलित नहीं होता है तो व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
असंतुलन के मानसिक लक्षण– असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है। भय, चिंता, और तनाव महसूस होता है। मन में आत्मविश्वास की कमी होती है।
मूलाधार चक्र असंतुलन के शारीरिक लक्षण- रीढ़ की हड्डी, पैर, और पाचन से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं। मोटापा या अत्यधिक वजन घटने की समस्या दोनों ही कारण होते हैं। शरीर में थकावट और ऊर्जा की कमी महसूस होती है।
मूलाधार चक्र को सक्रिय और संतुलित करने के उपाय

योग और आसन- मूलबन्ध और अश्विनी मुद्रा, मूलाधार चक्र को जाग्रत करने के लिए उपयोगी होती है। ताड़ासन Mountain Pose- शरीर में स्थिरता और सुरक्षा को प्रदान करता है। शवासन Corpse Pose- मन को गहरी शांति और तन को स्थिरता देता है।
मंत्र जप – मूलाधार चक्र का बीज मंत्र लम् (LAM) है। इसका जप ध्यान के दौरान करना चक्र को सक्रिय करता है।
ध्यान और प्राणायाम– जमीन से जुड़े तत्व ध्यान और प्राणायाम Grounding Meditation अपने ऊर्जा को पृथ्वी से जोड़ने का अभ्यास करें। मूलाधार चक्र को संतुलित करने के लिए सबसे उत्तम उपाय जमीन पर नंगे पैर चलें और प्राणायाम के समय गहरी सांस लेकर ध्यान को केंद्रित करें।
रंग चिकित्सा Color Therapy– लाल रंग के कपड़े पहनना या लाल रंग के आसपास ध्यान लगाना सर्वोत्तम चिकित्सा उपाय है। आहार में जड़ वाली फल व सब्जियां जैसे गाजर, चुकंदर, मूली, आलू, और प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करें।
रत्न आभूषण से मूलाधार चक्र को संतुलित करने के लिए लाल मूंगा या रक्ताभ पत्थरों का उपयोग किया जाता है।
मूलाधार चक्र और कुंडलिनी ऊर्जा- मूलाधार चक्र को कुंडलिनी शक्ति का निवास स्थान भी कहा जाता है। कुंडलिनी शक्ति एक सर्प के समान यहां सुप्तावस्था में रहती है। जब यह चक्र जागृत होता है, तो कुंडलिनी ऊर्जा रीढ़ की हड्डी से ऊपर की ओर बढ़ती है और अन्य चक्रों को सक्रिय करती है।
मूलाधार चक्र संतुलन के लाभ- मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। भय और असुरक्षा की भावना से मुक्ति मिलती है। जीवन में स्थिरता और भौतिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
मूलाधार चक्र से सम्बंधित गूगल पर पाठकों के कुछ सवालों का जवाब सुस्पष्ट भाषा में यहां जानिए भगवान चित्रगुप्त वंशज-अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी से। गूगल पाठकों के कुछ मुख्य सवाल निम्नलिखित हैं।
- 1- मूलाधार चक्र के रोग
- 2- मूलाधार चक्र के फायदे
- 3- मूलाधार चक्र कैसे खराब होता है?
- 4- मूलाधार चक्र जागरण के लक्षण क्या हैं?
- 5- मूलाधार चक्र की देवी कौन है?
- 6- कौन सी मुद्रा मूलाधार चक्र को उत्तेजित करती है?
- 7- मूलाधार चक्र को कैसे अनब्लॉक करें?
- 8- मूलाधार चक्र में दर्द क्यों होता है?
- 9- पैसे के लिए कौन सा चक्र है?
- 10- मूलाधार चक्र का मंत्र कौन सा है?
- 11- गणेश के साथ कौन सा चक्र जुड़ा हुआ है?
- 12- पीठ दर्द का संबंध किस चक्र से है?
- 13- चक्रों को जागृत कैसे करें?
- 14- अपने जड़ चक्र को मजबूत कैसे बनाएं?
- 15- मूलाधार चक्र खुलने पर क्या होता है?
- 16- मूलाधार चक्र पर फोकस कैसे करें?
- 17- आलस्य के लिए कौन सा चक्र जिम्मेदार है?
- 18- लालची कौन सा चक्र है?
उपरोक्त मूलाधार चक्र से सम्बंधित सभी सवालों का समुचित संक्षिप्त उत्तर इस लेखनी में क्रमशः हमारे द्वारा दिए जा रहे हैं। मूलाधार चक्र Root Chakra शरीर का पहला चक्र है, जो हमारी भौतिक और मानसिक स्थिरता का केंद्र है। यह रीढ़ के आधार पर स्थित होता है और जीवन के मूलभूत पहलुओं, जैसे सुरक्षा, स्थिरता, और जीविका, से संबंधित है।

1. मूलाधार चक्र के रोग
मूलाधार चक्र के असंतुलन से कई मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं, जैसे मानसिक समस्याएं- डर और असुरक्षा की भावना, तनाव और चिंता, आत्मविश्वास की कमी, धन और नौकरी को लेकर अस्थिरता।शारीरिक समस्याएं- पीठ दर्द, कब्ज और मलाशय से जुड़ी समस्याएं, थकान और कमजोरी, पैरों और घुटनों में दर्द, वजन बढ़ना या कम होना।
2. मूलाधार चक्र के फायदे
मूलाधार चक्र के संतुलन से व्यक्ति को कुछ इस प्रकार के लाभ मिलते हैं। सुरक्षा की भावना मन में जागृत होती है- जीवन में स्थिरता और सुरक्षा का अनुभव होता है। शारीरिक ऊर्जा- शरीर में ऊर्जा और स्फूर्ति बनी रहती है। आत्मविश्वास- शरीर में आत्मनिर्भरता और साहस विकसित होता है। धन और सफलता- जीवन के भौतिक पहलुओं में सफलता मिलती है। पृथ्वी से जुड़ाव- प्रकृति और भौतिक दुनिया से गहरा संबंध बनता है।
3. मूलाधार चक्र कैसे खराब होता है?
मूलाधार चक्र खराब होने के मुख्य कारण- नकारात्मक विचार और भय, शारीरिक निष्क्रियता और गलत खानपान, मानसिक तनाव और चिंता, जीवन में असुरक्षा और स्थायित्व की कमी, ट्रॉमा या बचपन के नकारात्मक अनुभव। यौन शिक्षा अनुभव के अभाव में यौन हास्य, गलत तरीके से फिजिकल संबंध, हस्त मैथुन, गुदा मैथुन।
4. मूलाधार चक्र जागरण के लक्षण क्या हैं?
जब मूलाधार चक्र जागृत होता है, तो कुछ इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। तन-मन में सुरक्षा और स्थिरता बनी रहती है- आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में स्थिरता आती है। शारीरिक ऊर्जा- शरीर में नई ऊर्जा और स्फूर्ति का अनुभव होता है। प्रकृति से जुड़ाव- प्रकृति और पृथ्वी के प्रति गहरा लगाव महसूस होता है। सकारात्मक सोच- भय और चिंता समाप्त हो जाते हैं। आध्यात्मिक जागरूकता- आत्मा और शरीर का संतुलन महसूस होता है।
5. मूलाधार चक्र की देवी कौन है?
मूलाधार चक्र की देवी कुंडलिनी शक्ति हैं, जो एक सांप के रूप में इस चक्र में सुप्त अवस्था में रहती हैं। इसे देवी शक्ति रूपी काली और भगवान गणेश से भी जोड़ा जाता है। सीधे तौर पर शक्ति रूपी काली मूलाधार चक्र कि देवी होती है।
6. कौन सी मुद्रा मूलाधार चक्र को उत्तेजित करती है?
मूलाधार चक्र को उत्तेजित करने वाली मुद्राएं- मूलबंध, वज्रासन, मालासन है।
मूलबंध मुद्रा– मूलाधार चक्र के पास की मांसपेशियों को संकुचित करें।
वज्रासन Thunderbolt Pose – इसे नियमित रूप से करें।
मालासन Garland Pose – यह मुद्रा चक्र को सक्रिय करती है।
7. मूलाधार चक्र को कैसे अनब्लॉक करें?
मूलाधार चक्र को अनब्लॉक करने के 5 तरीके नीचे बता रहे हैं। इसका उपयोग कर के मूलाधार चक्र को अनब्लाॅक करें।
योग और प्राणायाम- वज्रासन और नाड़ी शोधन प्राणायाम करें।
मंत्र– “लम” मंत्र का जाप करें।
रंग चिकित्सा- लाल रंग के कपड़े पहनें और ध्यान में लाल रंग की कल्पना करें।
प्रकृति से जुड़ें– जमीन पर नंगे पांव चलें।
क्रिस्टल थैरेपी– रेड जैस्पर या गार्नेट का उपयोग करें।
8. मूलाधार चक्र में दर्द क्यों होता है?
मूलाधार चक्र में दर्द के होने की वजह कुछ इस वजह से है- ऊर्जा का रुकावट या असंतुलन। शारीरिक चोट या मलाशय से जुड़ी समस्याएं। मानसिक तनाव और भय के कारण मूलाधार चक्र में दर्द होता है।
9. पैसे के लिए कौन सा चक्र है?
पैसों और वित्तीय स्थिरता के लिए मूलाधार चक्र महत्वपूर्ण है।यह चक्र सुरक्षा, धन, और स्थिरता का केंद्र है।
10. मूलाधार चक्र का मंत्र कौन सा है?
मूलाधार चक्र का बीज मंत्र “लम” है। मूलाधार चक्र के लिए जपें जाने वाले मंत्र को पिछली लेखनी में बता चुका हूं, इसे ध्यान के दौरान जपने से चक्र सक्रिय होता है।
11. गणेश के साथ कौन सा चक्र जुड़ा हुआ है?
भगवान गणेश मूलाधार चक्र से जुड़े हुए हैं। वे स्थिरता, सुरक्षा, और बाधाओं को दूर करने के प्रतीक हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता धर्म ग्रंथों में माना गया है। भगवान गणेश के साथ मूलाधार चक्र जुड़ा हुआ है।
12. पीठ दर्द का संबंध किस चक्र से है?
पीठ दर्द का संबंध मुख्यतः मूलाधार चक्र और स्वाधिष्ठान चक्र से है। इन चक्रों में असंतुलन पीठ दर्द का कारण बन जाता है। मूलाधार चक्र को संतुलित कर पीठ दर्द से छुटकारा पा सकते हैं।
13. चक्रों को जागृत कैसे करें?
चक्रों को जागृत करने के तरीके- ध्यान और प्राणायाम। बीज मंत्रों का जाप। योगासन और मुद्राएं। सकारात्मक सोच और जीवनशैली। क्रिस्टल और रंग चिकित्सा। इन उपायों से चक्रों को जागृत करें।
14. अपने जड़ चक्र को मजबूत कैसे बनाएं?
जड़ चक्र यानी मूलाधार चक्र को मजबूत करने के उपाय। इसके लिए नियमित ध्यान करें। पृथ्वी तत्व से जुड़ें रहें कुछ समय नंगे पैर जमीन पर चलें। संतुलित भोजन और शारीरिक व्यायाम करें और “लम” मंत्र का जाप करें। इससे जड़ चक्र मजबूत होता है।
15. मूलाधार चक्र खुलने पर क्या होता है?
मूलाधार चक्र खुलने पर जीवन में स्थिरता और सुरक्षा महसूस होती है। आत्मविश्वास बढ़ता है। भय और चिंता समाप्त हो जाती है। शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
16. मूलाधार चक्र पर फोकस कैसे करें?
मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करने के तरीके- ध्यान करते समय चक्र के स्थान (रीढ़ के आधार) पर ध्यान दें। लाल रंग की रोशनी या कल्पना करें। “लम” मंत्र का जाप करें। योग और प्राणायाम करें।
17. आलस्य के लिए कौन सा चक्र जिम्मेदार है?
आलस्य के लिए मूलाधार चक्र का असंतुलन जिम्मेदार है। यह ऊर्जा और स्थिरता का केंद्र है। मूलाधार चक्र संतुलित रहने से शरीर में ऊर्जा प्रवाह होती है और फूर्ती बनी रहती है।
18. लालची कौन सा चक्र है?
लालच और भौतिक इच्छाओं का संबंध स्वाधिष्ठान चक्र से है।हालांकि, मूलाधार चक्र का असंतुलन भी लालच को बढ़ा देता है। मूलाधार स्वाधिष्ठान चक्र को संतुलित जागृत कर लालची होने से बचा जा सकता है।
मूलाधार चक्र जीवन का आधार लेखनी का निष्कर्ष
मूलाधार चक्र शरीर और मन की स्थिरता का आधार है। इसे सक्रिय और संतुलित रखना न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में भी सहायक है। ध्यान, योग, और सकारात्मक जीवनशैली इसे मजबूत करने के सर्वोत्तम तरीके हैं। यह चक्र न केवल शरीर को स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास का प्रथम चरण भी है। इसे संतुलित और सक्रिय रखकर व्यक्ति अपने जीवन को स्थिर और सुखमय बना सकता है।