एक अधुरी Love Story प्रेम कहानी – रात का सन्नाटा चारों तरफ पसरा हुआ था। तन-मन में अजीब सी एहसास महसूस हो रही थी। जहां मेरे तन की कुछ अधूरी ख्वाहिश थी वहीं मन बेचैन था, पती एकतरफा अपनी इच्छापूर्ति कर मुझे अधूरा छोड़ खर्राटे मारने लगा था। मै अपने पति के आने पर रोज की भांति सब सहते हुए सोने का प्रयास कर रही थी, लेकिन मेरी नींद आंखों से कोसों दूर थी। करवटें बदलते-बदलते थक गई, तो उठकर लैपटॉप खोल लिया। शायद कुछ काम कर लेने से मन शांत हो जाए। जैसे ही लैपटॉप ऑन किया, एक नोटिफिकेशन दिखा- मैसेज रिक्वेस्ट।
अनायास ही क्लिक कर दिया। सामने जो मैसेज था, उसने मुझे अंदर तक हिला दिया। जो मेरी रूह में बसा था, जिससे क्षणिक समय तक मिले प्यार से अपने आप को संतुष्ट करने का हर समय प्रयास कर लिया करती थी, बस उसी का डीपी लगा मैसेज था। लेकिन 15 सालों के बिछड़े दौरान चेहरे की खुबसुरती में थोड़ी कमी महसूस हो रही थी, लिखा था – यदि मैं आपकी नजर में गलत नहीं हूं, तो आप सौम्या भट्टाचार्या मंजीत भट्टाचार्य आइएएस की पत्नी हैं न? आपकी प्रोफाइल फोटो और शमी नाम देखकर कुछ-कुछ चेहरा पहचान में आ रहा है। चेहरे की उस खुबसुरती में बहुत बदलाव दिखा फिर भी दिल यही कह रहा है कि आप सौम्या ही हो, वही सौम्या जो आज अठारह साल पहले कोलकात्ता में रहती थीं और कोलकाता एयरलाइंस में नौकरी कर रही थी। याद दिलाने के लिए बता दे रहा हूं- पहली मुलाकात गंगासागर में हुई, जब मैं अपनी मोबाईल में व्यस्त था। आप पास आकर खड़ी हुई और आपने अपने साथ खेलने का निमंत्रण दिया था। अपनी सहेली सुप्रिया वनर्जी, कोलकात्ता सेन्ट्रल बैक में कैशियर की नौकरी में थी, से कोलकात्ता के बहू बाजार होटल में मुझे बुलाकर मुलाकात कराईं थीं, उसके पति का नाम शायद सतीश वनर्जी, जो अमेरिका में मेकैनिक इंजीनियर था? यदि हमारी पहचान सही है आप वही सौम्या ही हो तो हमने जो बताया याद होगा। यदि आप मुझे पहचान गई हैं, तो जवाब अवश्य दिजियेगा। अगले दो दिन आपके जबाव की प्रतिक्षा में हूं, अगर आप सौम्या नही हैं तो आपकी तस्वीर शमी नाम को देखकर मुझे बहम हुआ मानकर आप क्षमा कर देना। अंत में लिखा था मैं अमित हूं।

पढ़ते ही मेरी सांसें तेज हो गईं। दिल धड़कने लगा। हल्की सी चीख मेरे मुंह से निकली “अरे, यह तो अमित ही है!”
मेरी नजरें तुरंत कमरें में सोए हुए पति मंजीत पर गईं। मै उस समय बहुत खुश थी, क्योंकि मोबाइल गायब हो जाने से पंद्रह सालों के दौरान सम्पर्क बातचीत नही हुई थी। पंद्रह सालों बाद पहली बार अपने प्रिय अमित का मैसेज प्राप्त हुआ था। जिसके साथ अपनी कहानी अधुरी की अधुरी रह गयी। तुरंत सुप्रिया को मैसेज लिखी अमित मिल गया। जिसका सुबह सुप्रिया ने रिप्लाई देते हुए खुशी व्यक्त की, यार उनका नम्बर दो। सुप्रिया का भी वही हाल था, उसका मोबाइल फार्मेट के वजह से सब नम्बर गायब हो गए थे और अमित को हम दोनों ने कहा था, आप फोन मत करना। हम लोग समय पाकर फोन कर लिया करूंगी। कुछ समय बाद सुप्रिया का वो सीम बंद हो गया, इस वजह से सुप्रिया के पास भी नम्बर नही रह गया था।
अमित ने मुझे मेरे नाम और वर्तमान फिगर से सोशल साइट्स पर पहचान लिया था। जवाब देने के लिए जैसे ही क्लिक करने वाली थी, भीतर से एक आवाज आई, “क्या यह सही होगा? तुम्हारी सुखी गृहस्थी है। अतीत को दोबारा छेड़ने का क्या फायदा? अमित की जिंदगी भी तो अपनी जगह स्थिर होगी। क्यों पुराने रिश्ते को फिर से खरोंचने की कोशिश कर रही हो?”
उस आवाज ने मेरे कदम को उस रात रोक दिया था। मैंने उंगली क्लिक से हटा ली। लैपटॉप बंद किया और बिस्तर पर लौट गयी। लेकिन यह तय था कि अमित का नाम मेरी पुरानी यादों को पूरी तरह हिला चुका था। वो सब एहसास धीरे-धीरे मेरे तन-मन को पूरी रात एक तरफ़ बेचैन कर रहा था, तो एक तरफ़ उनके यादों के सहारे संतुष्टि का एहसास होता रहा।

Love story रिश्ते की शुरुआत
यह बात तब की है, जब मैं सिर्फ 27 साल की थी। मेरी पहली मुलाकात गंगासागर के पवित्र धाम में हुई। तब मै कोलकात्ता एयरलाइंस में नयी-नयी नौकरी ज्वाईन की थी। उस समय मेरी शादी नही हुई थी। अमित से मुलाकात और मिल रहे अपार प्यार दुलार के एक साल बाद मेरी शादी हो गई। मेरे पति आईएएस अधिकारी के पद पर दूर-दराज क्षेत्र में पोस्ट थे। हम दोनों का रिश्ता बना रहा। मै मजबूर थी, कि जो खुशियां मुझे अमित से मिल जाती थी, वो न तो सुहाग रात को मिली न कभी-कभी अपने पति के छुट्टी आने पर ही मिलती। अपने पति के साथ बिस्तर साझा करने के बाद मन में ग्लानि होती, मन खिन्न हो जाता था। मै अपने पति के जाने के लिए एक दो दिन इंतजार किया करती थी। फिर दो तीन महीनों तक खुशियों के समुंदर में अमित के साथ डूबी रहती। अपनी स्कूली लाईफ की सहेली सुप्रिया के उदास जीवन में भी खुशियां दिलाने में मदद की।

जब मुझसे अमित की पहली मुलाकात गंगासागर में हुई, बहुत शांत स्वभाव का खुश रखने के काबिल। उसकी आंखों में गहराई, और उसकी खामोशी में एक अलग ही आकर्षण था। जब-जब वह हमें मिलता मेरे जीवन में खुशियां ही खुशियां रहती। हम तीनों का प्यार भरा एक साथ लगभग पांच सालों तक बना रहा। वही मुलाकात और साथ आज भी जीवन के हर पल में खुद को संतुष्ट और खुश रखने में हमें और सुप्रिया को मदद करती है। अमित के साथ व्यतीत समय बहुत पसंदीदा रहा।
अमित की पहली मुलाकात में धीरे-धीरे उसकी नजरें मुझसे कुछ कहने लगीं। और जाने कब उसकी खामोशी ने मेरे दिल को छू लिया। उसने बिना बोले अपने दिल की बात कह दी, और मैंने भी बिना कुछ कहे उसकी भावनाओं को स्वीकार कर लिया। लेकिन समय का चक्र ऐसा चला कि वह रिश्ता कभी नाम नहीं ले सका।
Love story पंद्रह साल बाद-
उस रात, अमित के मैसेज ने मुझे पूरी तरह से झकझोर दिया। love story दो दिन तक मैंने खुद को रोकने की कोशिश की। लेकिन दूसरे दिन की रात को ही मैंने अपनी हार मान ली। मैंने जवाब दिया, “हां, तुमने सही पहचाना। इतने सालों बाद मेरी याद कैसे आई?”
अमित ने तुरंत रिप्लाई दिया- “याद उसे किया जाता है, जिसे भुलाया गया हो। मैंने तुम्हें कभी भुलाया ही नहीं।”
उसके इस जवाब ने मेरे भीतर एक तूफान खड़ा कर दिया। इतने सालों बाद भी उसका जवाब ऐसा था जैसे कुछ भी नहीं बदला हो। मैंने फिर पूछा- “फिर मुझसे फोन मैसेज पर इतने अंतराल के बीच बात क्यों नहीं किये?”
उसने लिखा- याद करो सौम्या, तुम कही थी- जब फोन करूँगी तो बात करना। उधर से खुद फोन मत करना नही तो फिर नयी आफत खड़ी हो जायेगी। कुछ सालों बाद मेरा मोबाइल फोन गायब हो जाने से वो नम्बर बदल गया और तुम दोनों का नम्बर भी नही था।
पुरानी आग की नई लपटें
हमारी बातचीत का सिलसिला बढ़ता गया। उसने बताया कि मेरी शादी हो चुकी है और पंद्रह सालों के बीच तीन बच्चे भी हैं। वह अपनी पत्नी के बारे में बहुत अच्छे शब्दों में बात करता, लेकिन यह भी स्वीकार करता कि उसके दिल का एक कोना आज भी सौम्या सुप्रिया के लिए खाली है।
कुछ समय बाद, अमित ने बताया कि इस पंद्रह सालों के दौरान नौकरी ज्वाईन किया मन न लगने से यहां छोड़ वहां गया। अब खुद का छोटा सा उद्योग लगा काम शुरू कर लिया हूं। अभी दो साल पहले वह गंगासागर यात्रा से अपनी पत्नी के साथ मेरे घर आया। मेरे पति भी उस समय घर पर थे। बातचीत पूरी तरह औपचारिक रही, लेकिन हमारी आंखें अब भी पंद्रह साल पुरानी कहानी कह रही थीं। अमित एक रात दो दिन रुककर सुप्रिया और हमसे मिल चला गया, लेकिन अपने जाने के पीछे एहसासों का एक पूरा संसार छोड़ गया।
Love story – अधूरी कहानी, गहरे एहसास
- गुलजार साहब की ये पंक्तियां हम तीनों के रिश्ते की गहराई को बखूबी बयान करती हैं।
- “सिर्फ एहसास है ये, रूह से महसूस करो,
- प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो।”
यह कहानी न केवल अधूरे प्रेम की है, बल्कि उन एहसासों की है जो समय, परिस्थितियों और सामाजिक बंधनों के बावजूद अमर रहते हैं। कुछ रिश्तों को नाम नहीं दिया जा सकता, लेकिन उनकी गहराई हमारी रूह तक उतर जाती है।
नोट– सौम्या द्वारा इस लिखित कहानी में पुरूष पात्र का भी नाम अमित है पाठक भ्रम में न पड़े। यह कहानी अगर किसी और के जीवन से मेल खाती है तो महज़ एक संयोग होगा। प्रकाशन का दोष नही माना जायेगा। इस कहानी से पाठकों को कुछ सीखने को मिले इस लिए प्रकाशित किया गया है।
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भगवान चित्रगुप्त वंशज अमित श्रीवास्तव कि कलम से सौम्या की लेखनी का सार: अधूरी प्रेम कहानी की दास्तान
यह कहानी सौम्या भट्टाचार्या की है, जो एक आईएएस अधिकारी की पत्नी हैं। उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया, जब उनका अतीत अचानक से वर्तमान के दरवाजे पर दस्तक देने लगा।
पंद्रह साल पहले सौम्या की मुलाकात अमित से हुई थी। उनके बीच का रिश्ता समाज और समय के बंधनों के कारण कभी पूर्ण रूप नहीं ले सका। शादी के बाद भी अमित के साथ बिताए क्षण उनकी यादों में हमेशा जिंदा है।
एक रात, जब सौम्या अपने अधूरे जीवन से जूझ रही थीं, उन्हें सोशल मीडिया से अमित का मैसेज मिला। वह मैसेज उनके पुराने जख्मों को फिर से कुरेद गया। वह दुविधा में थीं कि क्या अतीत को फिर से छेड़ना सही होगा। लेकिन भावनाओं के सागर में डूबते-उतराते उन्होंने अमित से बातचीत शुरू कर दी।
पंद्रह साल बाद भी उनकी बातचीत में वही गहराई और अपनापन है। हालांकि, दोनों अपने-अपने जीवन में आगे बढ़ चुके हैं, लेकिन उनके दिलों के एक कोने में पुराना प्यार अब भी धड़कता है।
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यह कहानी प्रेम, त्याग, और अधूरे एहसासों की है। गुलजार की पंक्तियां इसे बखूबी बयान करती हैं-
“सिर्फ एहसास है ये, रूह से महसूस करो,
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो।”
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