इच्छाओं पर विजय पाने वाले Great men महापुरुष ही सच्चे प्रेम का हकदार होते हैं। मनुष्य की इच्छाएं और भावनाएं उसकी सबसे बड़ी शक्ति और सबसे बड़ी चुनौती होती हैं। ये इच्छाएं उसे प्रेरित करती हैं, उसकी जिंदगी को गति देती हैं, लेकिन जब ये नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, तो यह मनुष्य को उसकी गरिमा और मूल्यों से दूर ले जाती हैं। खासकर पुरुषों के संदर्भ में, शारीरिक आकर्षण और क्षणिक सुख की ओर झुकाव एक स्वाभाविक प्रकृति का हिस्सा है। पुरुषों का यह झुकाव तब और अधिक तीव्र हो जाता है, जब उन्हें ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जो उनके स्वाभाविक स्वभाव और इच्छाओं को उत्तेजित करती हैं। परंतु यही वह क्षण होता है, जब एक पुरुष के चरित्र और महानता की परख होती है। पुरूष और महापुरुष शिर्षक पर आधारित लेखनी भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी से आप पाठकों को समर्पित तो अंत तक पढ़िए शेयर किजिये।

महिलाओं का स्वाभाविक गुण: भावनाओं पर नियंत्रण
महिलाओं में एक अद्वितीय गुण होता है – भावनाओं और इच्छाओं पर आत्म-नियंत्रण का। उनके लिए शारीरिक संबंध महज एक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मा और प्रेम का गहरा जुड़ाव है। महिलाएं अपने शरीर और आत्मा को बिना मानसिक और भावनात्मक जुड़ाव के किसी के साथ साझा नहीं करतीं।
महिलाओं का यह गुण उन्हें केवल समाज में सम्मानित नहीं करता, बल्कि उनके आत्म-सम्मान और उनके निर्णयों को भी उच्च स्थान प्रदान करता है। वे अपने शारीरिक और भावनात्मक जीवन को नियंत्रित करने में कुशल होती हैं, और यही उन्हें विशेष बनाता है।
पुरुष और महापुरुष में क्या अंतर है?
पुरुष और इच्छाओं का संघर्ष: चरित्र की परख का क्षण
पुरुषों के जीवन में ऐसे कई क्षण आते हैं, जब उन्हें अपनी इच्छाओं और मूल्यों के बीच चयन करना होता है। यह वह क्षण होते हैं, जो यह तय करते हैं कि वे केवल एक साधारण पुरुष हैं या एक महापुरुष।
जब एक पुरुष को किसी महिला के साथ निकटता का अवसर मिलता है, तो उसकी इच्छाएं उसे क्षणिक सुख की ओर खींचती हैं। लेकिन अगर वह अपनी इच्छाओं को वश में कर ले, अपने मूल्यों और प्रियजनों के प्रति वफादार रहे, तो वह अपनी महानता साबित करता है।
कुछ पुरुष इस परीक्षा में असफल हो जाते हैं। वे अपनी क्षणिक भावनाओं के सामने झुक जाते हैं और अपने रिश्तों की पवित्रता को तोड़ देते हैं। लेकिन कुछ पुरुष ऐसे भी होते हैं, जो इस संघर्ष में विजयी होते हैं। ये पुरुष समाज के लिए आदर्श बनते हैं और महापुरुष कहलाते हैं।
महापुरुष की परिभाषा: इच्छाओं पर विजय का आदर्श
महापुरुष वह है, जो हर परिस्थिति में अपने इच्छाओं और भावनाओं को नियंत्रित करता है। वह जानता है कि सच्चा सुख केवल शारीरिक संबंध में नहीं, बल्कि आत्मा की गहराई और रिश्तों की पवित्रता में है।
वह जानता है कि क्षणिक सुख उसे केवल अस्थायी संतोष देगा, लेकिन अपने प्रियजन के प्रति ईमानदारी और वफादारी उसे स्थायी शांति और प्रेम प्रदान करेगी।
महापुरुष का आदर्श: प्रेम और वफादारी
महापुरुष का जीवन केवल इच्छाओं पर विजय का ही नहीं, बल्कि सच्चे प्रेम और वफादारी का प्रतीक है। वह अपने रिश्ते, अपने परिवार और अपने प्रियजनों के प्रति समर्पित रहता है। वह जानता है कि रिश्तों की नींव वफादारी और विश्वास पर टिकी होती है। अगर वह इन मूल्यों को नजरअंदाज करेगा, तो उसके जीवन का आधार कमजोर हो जाएगा।
महापुरुष का योगदान: समाज के लिए प्रेरणा
महापुरुष केवल अपने लिए नहीं जीता, वह समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है। वह दिखाता है कि इच्छाओं पर विजय पाना ही असली महानता है। उसकी ईमानदारी और सच्चाई न केवल उसे उसके प्रियजनों का प्यार दिलाती है, बल्कि समाज में भी उसे एक आदर्श पुरुष के रूप में स्थान दिलाती है।
महापुरुष का जीवन सिखाता है कि इच्छाओं को नियंत्रित करना न केवल संभव है, बल्कि यह जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और पवित्र बनाता है।
Great men महापुरुष: महिलाओं के प्रति सम्मान और प्रेम का प्रतीक
महापुरुष Great men केवल अपनी इच्छाओं पर विजय पाने वाला नहीं है, बल्कि वह महिलाओं के प्रति सम्मान और प्रेम का भी प्रतीक है। वह महिलाओं को केवल एक शरीर के रूप में नहीं देखता, बल्कि उन्हें एक साथी, एक आत्मा और एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में मान्यता देता है।
वह उनके आत्म-सम्मान, उनकी भावनाओं और उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करता है। उसका जीवन इस बात का उदाहरण है कि सच्चा पुरुषत्व महिलाओं की रक्षा और सम्मान में है, न कि उनकी कमजोरी का लाभ उठाने में।
महापुरुषों के सर्वश्रेष्ठ सुविचार
गौतम पत्नी अहिल्या: याचक की याचना का मान रखना सर्वोपरी है, क्यो न परिणामस्वरूप श्राप ही भोगना पडे़। अपने धर्म पालन से ही मोंक्ष तय है।
स्वामी विवेकानंद: उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम: सपने वो नहीं जो हम सोते वक्त देखते हैं, बल्कि सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।
रवींद्रनाथ टैगोर: सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी पार नहीं कर सकते।
भगवान बुद्ध: स्वयं पर विजय प्राप्त करना हजार लड़ाइयों पर विजय पाने से बेहतर है।
चाणक्य: कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न पूछें – मैं यह क्यों कर रहा हूँ? इसका परिणाम क्या होगा? और क्या मैं सफल हो पाऊँगा?
अरस्तू: उत्कृष्टता कोई कार्य नहीं, बल्कि एक आदत है।
सुभाष चंद्र बोस: तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
रवींद्रनाथ टैगोर: जो व्यक्ति अपने से प्रेम नहीं करता, वह किसी और से प्रेम नहीं कर सकता।
विनोबा भावे: शांति की खोज करने से पहले, खुद को शांत करना सीखें।
महापुरुषों के जीवन से हम क्या सीख सकते हैं?
अल्बर्ट आइंस्टीन: कल्पना ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है।
अब्राहम लिंकन: सफलता का अर्थ है गिरते-गिरते फिर खड़े हो जाना।
स्टीव जॉब्स: आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की ज़िंदगी जीने में बर्बाद न करें।
नेल्सन मंडेला: शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसे आप दुनिया को बदलने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
कबीर: जो मन को जीत लेता है, वह सारा संसार जीत लेता है।
वॉल्ट डिज़नी: अगर आप इसे सपना देख सकते हैं, तो आप इसे पूरा भी कर सकते हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता: कर्म किए जा, फल की चिंता मत कर।
मार्टिन लूथर किंग जूनियर: अंधकार को अंधकार से नहीं मिटाया जा सकता, केवल प्रकाश ही इसे मिटा सकता है।
कन्फ्यूशियस: आपका सबसे बड़ा गौरव यह नहीं कि आप कभी नहीं गिरते, बल्कि हर बार गिरकर उठते हैं।
संत तुलसीदास: परहित सरिस धर्म नहीं भाई।
100 महापुरुषों के नाम
- 1. महर्षि गौतम पत्नी अहिल्या
- 2. स्वामी विवेकानंद
- 3. डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
- 4. सुभाष चंद्र बोस
- 5. भगत सिंह
- 6. चाणक्य
- 7. रवींद्रनाथ टैगोर
- 8. भगवान बुद्ध
- 9. कबीर दास
- 10. गुरु नानक देव जी
- 11. संत तुलसीदास
- 12. संत कबीर
- 13. संत मीरा बाई
- 14. वल्लभाचार्य
- 15. दयानंद सरस्वती
- 16. बाल गंगाधर तिलक
- 17. लाल बहादुर शास्त्री
- 18. रानी लक्ष्मीबाई
- 19. रानी पद्मावती
- 20. सरदार वल्लभभाई पटेल
- 21. पंडित जवाहरलाल नेहरू
- 22. राजेंद्र प्रसाद
- 23. अंबेडकर
- 24. मदर टेरेसा
- 25. इंदिरा गांधी
- 26. अब्राहम लिंकन
- 27. नेल्सन मंडेला
- 28. स्टीव जॉब्स
- 29. अल्बर्ट आइंस्टीन
- 30. अरस्तू
- 31. प्लेटो
- 32. सुकरात
- 33. अलेक्जेंडर
- 34. कन्फ्यूशियस
- 35. वॉल्ट डिज़नी
- 36. टॉमस एडिसन
- 37. निकोला टेस्ला
- 38. सिगमंड फ्रायड
- 39. मार्टिन लूथर किंग जूनियर
- 40. जॉर्ज वाशिंगटन
- 41. चंद्रशेखर आज़ाद
- 42. डॉ. राजेंद्र प्रसाद
- 43. हनुमान प्रसाद पोद्दार
- 44. विनोबा भावे
- 45. अन्ना हजारे
- 46. शहीद उधम सिंह
- 47. श्यामाप्रसाद मुखर्जी
- 48. मोतीलाल नेहरू
- 49. एलेन मस्क
- 50. जेफ बेजोस
- 51. शिवाजी महाराज
- 52. महाराणा प्रताप
- 53. पृथ्वीराज चौहान
- 54. गुरु गोविंद सिंह
- 55. गुरु अर्जुन देव
- 56. गुरु तेग बहादुर
- 57. मछनदरनाथ
- 58. यीशु मसीह
- 59. राजा राम मोहन राय
- 60. लोना चमारिन
- 61. होमी भाभा
- 62. विक्रम साराभाई
- 63. सत्यजीत रे
- 64. बिस्मिल अज़ीमाबादी
- 65. मिर्ज़ा ग़ालिब
- 66. जयशंकर प्रसाद
- 67. मुंशी प्रेमचंद
- 68. हरिवंश राय बच्चन
- 69. रामधारी सिंह दिनकर
- 70. महाश्वेता देवी
- 71. माइकल फैराडे
- 72. चार्ल्स डार्विन
- 73. स्टीफन हॉकिंग
- 74. ओपरा विन्फ्रे
- 75. बिल गेट्स
- 76. नारायण मूर्ति
- 77. गुरु गोरखनाथ
- 78. अबैधनाथ
- 79. आदि गुरु शंकराचार्य
- 80. पी. टी. उषा
- 81. मैरी कॉम
- 82. लता मंगेशकर
- 83. आशा भोसले
- 84. रवीशंकर
- 85. ए. आर. रहमान
- 86. बेथोवेन
- 87. लियोनार्डो दा विंची
- 88. माइकलएंजेलो
- 89. पाब्लो पिकासो
- 90. वर्ड्सवर्थ
- 91. टैगोर
- 92. संत बसवन्ना
- 93. राजा रतन सिंह
- 94. अशोक सम्राट
- 95. चंद्रगुप्त मौर्य
- 96. हर्षवर्धन
- 97. जार्ज बर्नार्ड शॉ
- 98. ओशो रजनीश
- 99. जे. कृष्णमूर्ति
- 100. श्री श्री रविशंकर
लेखक का संदेश: महापुरुष को पहचानें और सराहें
आज के समय में, जब रिश्ते स्वार्थ और क्षणिक सुख की वजह से कमजोर हो रहे हैं, महापुरुष का अस्तित्व एक वरदान जैसा है। जो पुरुष अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखते हुए अपने रिश्तों को प्राथमिकता देता है, वह न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए आदर्श बनता है। महापुरुष की पहचान करना आसान नहीं है। लेकिन उसकी सादगी, उसका संयम और उसकी सच्चाई हर दिल को जीत लेती है।
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महापुरुष का आदर्श जीवन लेखनी का संक्षिप्त परिचय
महापुरुष वह है, जो अपनी इच्छाओं और भावनाओं को नियंत्रित कर अपने रिश्तों और मूल्यों को सर्वोपरि रखता है। वह अपनी वफादारी और प्रेम से न केवल अपने प्रियजनों का दिल जीतता है, बल्कि समाज में एक प्रेरणा बनता है।महापुरुष केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक आदर्श है। वह इच्छाओं पर विजय का प्रतीक है, वह सच्चे प्रेम और वफादारी का प्रतीक है, और वह समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। महापुरुष कैसे होते हैं? पुरुष और महापुरुष में क्या अंतर है? महापुरुष कैसे बने? आदि सवालों के जवाब और हम लेखक के विचार व्यक्त लेखनी अच्छी लगी तो आगे शेयर करें। महत्वपूर्ण शिर्षक महापुरुष पर आधारित यह लेखनी हर किसी के जीवन में सुख-समृद्धि व ढ़ेरों खुशियां ला सकती है।