सपना की दास्तान 2021 की कोरोना महामारी के दौरान, जब दुनिया डर और अनिश्चितता में थी, एक अजनबी को दिया गया सहारा प्रेम में कैसे बदल गया? पढ़ें रोहित और सपना की भावनात्मक प्रेम कहानी, जो त्याग, विश्वास और किस्मत के अनोखे खेल को दर्शाती है।
यह कहानी 2021 की वैश्विक कोरोना महामारी के दौरान घटी एक असाधारण प्रेम गाथा पर आधारित है। जब पूरा विश्व महामारी के भय से जूझ रहा था, लोग अपने घरों में कैद थे, अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह नहीं थी, और संक्रमितों से लोग दूरी बना रहे थे, उसी समय बिहार के छपरा शहर में एक युवा रोहित ने मानवता और प्रेम की मिसाल कायम की।
Table of Contents
2021 का वो दौर, जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में थी। हर कोई अपने-अपने घरों में कैद था, अस्पतालों में जगह नहीं थी, और पुलिस संक्रमित लोगों को पकड़-पकड़ कर आइसोलेशन में डाल रही थी। उस समय किसी अनजान कोरोना पाजिटिव की मदद के लिए सोचना भी मुश्किल था, क्योंकि कोरोना महामारी में पाजिटिव होने पर अपने भी पराये हो रहे थे। लेकिन कभी-कभी ज़िंदगी ऐसे मोड़ पर ले आती है, जहाँ हम सोचते कुछ और हैं, और तक़दीर हमें कहीं और ले जाती है। यह कहानी भी कुछ ऐसे ही तकदीर पर आधारित है।
कहानी का मुख्य स्थान बिहार के छपरा शहर में स्थित एक घर है, जहाँ रोहित अपने माता-पिता के साथ रहता था। छपरा का जिला चिकित्सालय और वहाँ स्थित आइसोलेशन सेंटर इस कहानी की महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि का हिस्सा हैं।

सपना की कहानी के पात्र
↗️1- रोहित: एक नेकदिल युवक, जो अपनी नर्स रिश्तेदार के कहने पर एक अजनबी लड़की को अपने घर में शरण दिया।
↗️2- सपना: मधुबनी की एक युवती, जो कोरोना पॉजिटिव होने के कारण आइसोलेशन सेंटर में पहुँची और अपने माता-पिता को खो चुकी थी।
↗️3- रोहित के माता-पिता: एक दयालु और समझदार व्यक्ति, जिन्होंने सपना को बेटी की तरह अपनाया।
↗️4- रोहित की नर्स रिश्तेदार: श्रेया जो आइसोलेशन सेंटर में सपना की दयनीय स्थिति देखकर उसे बचाने के लिए प्रयासरत रहती हैं।
एक दिन हम भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में दर्शन के लिए उपस्थित थे। एक अनजान युगल जोड़ी से वहीं धर्म पर आधारित कुछ बातचीत हो रही थी। महिला ने पूछा आप लेखक हैं क्या? तब मै हाँ में जवाब देते, बातचीत को आगे बढ़ाता गया। रोहित ने अपना फोन मेरे तरफ़ बढ़ाते हुए कहा गूगल पर हमे अपनी कोई लिखा हुआ दिखाईए। अयोध्या भगवान राम जन्मभूमि का वो स्थान था इसलिए भगवान राम पर ही अपनी एक छोटी-सी लेखनी का शिर्षक – समर्पण भाव राम कथा सर्च किया सबसे ऊपर दिखा साइड को खोलकर रोहित को दिया।
तब तक रोहित की पत्नी सपना ने कहा यह तो साइड मै जब भी समय मिलता है, देखा करती हूं। अपना फोन हमे दिखते हुए कही बहुत अच्छा लिखते हैं – आप। एप्स भी स्टाल कर रखी थी और बेल आइकन भी एक्सेप्ट था। उन दोनों ने अपनी पूरी दास्तान हमे बताना शुरू किया, उनकी कहानी प्रेम का एक अनोखी दास्तान है, यह कहानी रोचकता से भरा युवक-युवतियों के लिए प्रेरणादायक भी है। आज यह कहानी आप पाठक को समर्पित है, अंत तक पढ़िए दिल से शब्दों को ग्रहण किजिए अधिक से अधिक शेयर किजिये बहुत अच्छी लगे तो, वास्तव में कहानी मार्गदर्शी है।
रोहित का परिवार विहार के छपरा शहर में जिला चिकित्सालय के पास का रहने वाला है। वर्ष 2021 कोरोना का समय था, सपना अपने घर जिला मधुबनी से छपरा आई, जब सपना रेलगाड़ी से स्टेशन पर उतर बाहर निकलने के लिए गेट पर ही पहुंची कोरोना टेस्ट हो रहा था। सपना को सर्दी-जुकाम था, वहाँ पाॅजिटिव बता कोरेंटाइन आइसोलेशन सेंटर भेज दिया गया। सपना नही चाहती थी आइसोलेशन सेंटर जाना लेकिन पुलिसकर्मियों ने गाड़ी में जबरन बैठा पहुंचा दिया। अस्पताल में बने आइसोलेशन सेंटर के माहौल में, जहाँ चारों तरफ़ बेबसी थी, वह डरी-सहमी एक कोने में बैठ गयी।
उस अस्पताल के कोविड वार्ड में रोहित की एक रिश्तेदार नर्स ड्यूटी में थी। उन्होंने रोहित को फ़ोन किया, कहा “रोहित, एक लड़की बहुत बुरी हालत में है। अगर कुछ नहीं किया गया, तो वह शायद टूट जाएगी।” रोहित ने कहा “लेकिन मैं क्या कर सकता हूँ?” रोहित आश्चर्य से पूछा।
Click on the link Love story, सिर्फ एहसास है ये, रूह से महसूस करो – एक अधूरी प्रेम कहानी की दास्तान
नर्स ने कहा अगर तुम चाहो तो उसे अपने घर के दूसरे मंजिल पर कुछ दिनों के लिए रख सकते हो। वहां रहकर यह शायद बच भी जाए।” रोहित अपनी माँ से बात की, और उन्होंने कहा, “बेटा, अगर किसी की जान यहां रहने से बच सकती है, तो बोल दो आकर रह ले।” रोहित अपनी मां के कहने पर नर्स को फोन किया और बोला ठीक है यहाँ रहने से जान बच सकती है तो वो रह सकती है। आप उसे लाकर पहुंचा देना, उस रात, जब पूरी दुनिया सो रही थी, रोहित अपने घर के पिछले दरवाज़े पर खड़ा था।
11 बजे का समय था, और रोहित की धड़कनें तेज़ थीं। तब तक दरवाजे पर नर्स उस युवती को लेकर आई और बेल बजाया जब रोहित दरवाज़ा खोला, तो देखा – वह एक दुबली-पतली लड़की थी, उसकी आँखों में डर और चेहरे पर थकान थी। रोहित उपर कमरे में जाने के लिए सीढ़ी के तरफ़ इसारा किया, वह बिना कुछ कहे ऊपर चली गई और नर्स भी वापस चली गई। रोहित कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया।
कुछ दिन कोई बात तक नहीं हुईं। रोहित दूर से ही उसे खाना और दवाइयाँ देता रहा। धीरे-धीरे उसकी तबीयत सुधरने लगी। नर्स आकर उसका चेकअप कर लिया करती थी।
जब वह ठीक हुई, तो रोहित की माँ ने कहा, “बेटी अब तुम जहाँ जाना चाहती हो, जा सकती हो।” लेकिन वह चुप रही। दोबारा कहने पर सपना ने कहा “कहाँ जाऊँ?” उसकी आवाज़ कांप रही थी। तब सपना ने बताया कोरोन पाॅजिटिव होने से माता-पिता का निधन हो चुका है, और छोटे भाई का कुछ पता नहीं है। उसी की तलाश में निकली हुई थी कि यहां तक आ गई।
रोहित के पापा ने कहा, “बेटा, जब तक चाहो यहाँ रह सकती हो। इसे अपना ही घर समझो।” सपना की आँखों में पहली बार एक चमक दिखी। सपना ने कहा, “आप मेरे लिए भगवान हैं।”
धीरे-धीरे, सपना रोहित सहित माता-पिता के साथ परिवार का हिस्सा बन गई। अब दो मंजिल के कमरे से पहली मंज़िल पर परिवार के साथ घुल-मिल रहने लगी। मां के साथ हर काम में हाथ बटाने लगी, समय बीतने लगा।
अब रोहित सपना का बातचीत बढ़ने लगी। एक दिन सपना ने कहा, “रोहित जी, आपके कमरे में टीवी है, मैं सीरियल देखने आ सकती हूँ?”
रोहित हंसकर कहा, “बिलकुल, जब चाहो आ जाओ।” अब वह रोज़ रात को रोहित के कमरे में सीरियल देखने आने लगी। लेकिन धीरे-धीरे, एक दूसरे को एहसास हुआ कि यह सिर्फ़ सीरियल तक सीमित नहीं था।
एक सुबह रोहित सो रहा था, तभी किसी की आहट से नींद खुली। रोहित ने देखा, दरवाज़े पर कोई था, जो झट से बाहर भाग गया। शायद वह भ्रम था, या शायद वह… कुछ तो था जो बदल रहा था।
फिर सपना दो दिन तक रोहित के कमरे में नहीं गयी।
रोहित ने पूछा, “क्या हुआ? आजकल सीरियल देखने नहीं आती?” वह हल्की मुस्कान के साथ बोली, “बस ऐसे ही मन नहीं कर रहा।”
लेकिन उस रात सपना फिर रोहित के कमरे में सीरियल देखने आई। दोनों एक साथ खाना खाये, हंसी-मज़ाक किये, और फिर रोहित 10 बजे तक सो गया सपना टीवी देखती रही। रात का 12 बज रहा था सपना रोहित के करीब उसके बिस्तर पर जाकर धीरे से जगाने का प्रयास की लेकिन रोहित करवट बदल सोया ही रहा फिर सपना टीवी बंद कर दबे-छिपे पांव अपने कमरे में चली गई। अगले सुबह सपना चाय लेकर रोहित के पास आई और धीरे से कहा “आपकी नींद बहुत गहरी है, दो बार जगाने की कोशिश की थी लेकिन आप करवट बदल सो गए…”
अब रोहित सपना का रात में आने का इंतज़ार करने लगा। वो रात, जब सब बदल गया। रात, जब वह हमेशा की तरह आई, तो रोहित हिम्मत करके कहा, “सपना, एक बात कहूँ?” उसने हल्की मुस्कान के साथ पूछा, “क्या?”
“शायद हम दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे हैं…”
वह कुछ देर तक चुप रही। फिर उसने मेरी ओर देखा, उसकी आँखों में न कोई हिचकिचाहट थी, न डर। बस एक अपनापन था, जो कह रहा था कि अब हम दो नहीं रहे, बल्कि एक ही कहानी का हिस्सा बन चुके हैं। सपना धीरे से रोहित का हाथ पकड़ कही, “आपने बिल्कुल सही कहा…”
उस रात, दोनों के बीच शब्दों की ज़रूरत नहीं थी। वो दोनों पहली बार एक दूसरे के इतना करीब थे, जैसे यह सब पहले से ही तय था। दो अजनबी, जो कभी कोरोना के डर से एक-दूसरे से दूर थे, अब बिना किसी डर के एक-दूसरे में समा चुके थे।
वे दोनों एक-दूसरे के करीब हुए। हल्के से एक दूसरे का चेहरा अपने हाथों से छूआ और होंठों से होठों को छू लिया। पहली बार दोनों ने एक दूसरे को इतनी नज़दीक से देखा था। सपना की साँसें तेज़ थीं, और रोहित के दिल की धड़कनें तेज़-तेज़ होती जा गई थी।
दोनों एक-दूसरे के गले लग गए, और एक दूसरे को बाहों में कस लिया। उस रात न तो समय का पता चला, न ही कुछ और याद रहा। सिर्फ़ साँसें, व धड़कनें और दोनों के बीच प्यार का एहसास था।
दोनों अपनी सारी हिचकिचाहट को पीछे छोड़ चुके थे। एक दूजे के करीब आ गए, और एक दूजे को अपनी बाँहों में समेट लिया। वो रात पहली थी, जब सपना और रोहित ने एक-दूसरे को पूरी तरह अपनाया था। नीर-छिड़ की भाती एक दूसरे में डूबे लिपट सो गए।
सपना की कहानी एक नई सुबह, एक नई ज़िंदगी
सुबह जब रोहित की आँख खुली, तो सपना रोहित के पास ही सोई रह गयी थी। रोहित ने माथे पर हाथ रखते हुए जगाया आंखें खुलते ही सपना हल्की मुस्कान के साथ कही, “मोहित जी, अब मैं यहाँ से कभी नहीं जाऊँगी।” रोहित सपना की आँखों में देखा और कहा, “अब मैं भी तुम्हें कहीं जाने नहीं दूँगा।”
सपना और रोहित का प्रेम और विवाह की ओर यात्रा
एक रात जब सपना और रोहित अपने मन की बातें साझा करते हैं, तब दोनों को यह एहसास होता है कि वे एक-दूसरे को दिल से पसंद करने लगे हैं। यह रिश्ता धीरे-धीरे गहराता गया और जब रोहित की माँ ने सपना से विवाह का प्रस्ताव रखा, तो उसने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। अंततः दोनों का विवाह हुआ और उन्होंने एक सुखी दांपत्य जीवन की शुरुआत की।
सपना का परिवार में अपनापन बढ़ता जा रहा था। रोहित की मां को सब अंदाजा लगने में देर नहीं लगी थी। एक दिन रोहित की मां ने सपना से पूछ ही दी, बेटी रोहित तुम्हें पसंद है तो बताओ शादी करोगी सपना तुरंत उठकर मां का पैर छूकर अपनी आंखें झुकाकर बोली मम्मी जी आप लोगों के शिवाय अब मेरा दुनिया में है ही कौन। शायद हम लोगों का मिलना विधाता ने ऐसे ही तय किया हो मै अपना सबकुछ रोहित जी के हवाले कर चूकी हूं।
कभी-कभी ज़िंदगी ऐसे मोड़ पर ले आती है, जहाँ हम सोचते कुछ और हैं, और तक़दीर हमें कहीं और ले जाती है। रोहित ने कभी सोचा भी नहीं था कि जिसे एक अजनबी की तरह बचाया था, वही ज़िंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन जाएगी। रोहित के माता-पिता रोहित का सपना से विवाह सम्पन्न कर दिया और आज एक खूबसूरत युगल जोड़ी के रूप में अपने माता-पिता का ख्याल रखते हुए सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
इस कहानी का अंतिम शब्द
ज़िंदगी में कुछ कहानियाँ अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत तय कर देती है। सपना रोहित के जीवन में एक हादसे की तरह आई लेकिन सपना रोहित के जीवन को एक नई परिभाषा दी। दोनों का मिलन प्यार और विवाह एक युवा पीढ़ी के लिए उदाहरण बन गया है कि जीवन में किसी मोड़ पर किसी से शारीरिक मानसिक रूप से जुड़ाव हो तो वह स्थायित्व में परिवर्तित कर लेना चाहिए।
कभी-कभी, जिन लोगों की हम जान बचाते हैं, वे हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन जाते हैं – और कुछ लोग सिर्फ़ आने के लिए ही आते हैं, पर छोड़कर नहीं जाते। Click on the link गूगल ब्लाग पर अपनी पसंदीदा लेख पढ़ने के लिए ब्लू लाइन पर क्लिक किजिये।
सपना की कहानी से समाज को संदेश
यह कहानी प्रेम, त्याग, और किस्मत के खेल को दर्शाती है। यह बताती है कि कभी-कभी जो अजनबी हमारी जिंदगी में आते हैं, वे हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाते हैं। रोहित और सपना की प्रेम कहानी दिखाती है कि प्रेम केवल आकर्षण नहीं, बल्कि विश्वास, सम्मान, और समर्पण से भी बनता है।
सपना की कहानी लेख का निष्कर्ष
यह एक प्रेरणादायक प्रेम कथा है, जो यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बीच भी प्रेम और मानवता का मार्ग खोजा जा सकता है। यह कहानी आज के युवाओं के लिए एक उदाहरण है कि अगर कोई रिश्ता सच्चे प्रेम और भरोसे पर टिका हो, तो वह हमेशा के लिए स्थायी बन जाता है।