टीम रिपोर्ट: महाकुंभ में तबाही का मंजर—श्रद्धालुओं की भीड़, बदइंतजामी और मौत का तांडव
प्रयागराज महाकुंभ 2025 के पावन पर्व पर देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु संगम स्नान के लिए उमड़े थे। लेकिन मौनी अमावस्या की रात जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 28-29 जनवरी की दरम्यानी रात संगम नोज और झूंसी मार्ग पर भगदड़ मच गई। जिसमें आशंका है सैकड़ों श्रद्धालु मौत के मुंह में समा गए, लेकिन सरकारी आंकड़ों में यह संख्या 30-40 बताई जा रही है।
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महाकुंभ हादसे के लिए आई हुई न्याय जांच आयोग ने जब अफसर से झूंसी के क्षेत्र में हुई घटना के बारे में पूछा तो उनके पास जवाब नहीं था।
इस भयावह घटना ने महाकुंभ की तैयारियों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। आखिर प्रशासन इतना असहाय क्यों साबित हुआ? क्या इसे रोका नहीं जा सकता था? क्या वीआईपी कल्चर इस आपदा का एक बड़ा कारण था? लचर व्यवस्था के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?
मौनी अमावस्या के तीन दिन पहले से बड़ी हादसा का संकेत दिखाई दे रहा था, लेकिन प्रशासन आंखें मूंदकर मौन साधे रहा!
महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या से तीन दिन पहले से ही श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही थी। भीड़ नियंत्रण के कोई ठोस उपाय नहीं किए गए। आने और जाने के लिए अलग-अलग रास्तों की व्यवस्था नहीं थी। श्रद्धालु लगातार संगम क्षेत्र में पहुंचते जा रहे थे, लेकिन वापसी की कोई योजना नहीं थी।
इतनी अधिक भीड़ को सुरक्षा पूर्वक स्नान करने की क्या योजना थी इसके बारे में जांच रिपोर्ट के बाद ही बात सामने आएगी लेकिन इस जगह का मुआयना करने के बाद और लोगों से जानकारी इकट्ठा करने के बाद बहुत सी चौंकाने वाली लापरवाही की जानकारी मिली है।
घटना के बाद जिस तरीके से प्रशासन नए प्रबंध के निर्णय लिए जा रहे हैं तो क्या मौनी अमावस्या से पहले इस तरह के निर्णय नहीं लिए जा सकते थे? प्रशासन को भारी भीड़ का अनुमान था, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया।
नतीजा यह हुआ कि 28 जनवरी की रात तक संगम क्षेत्र पूरी तरह भर चुका था। जब लाखों की संख्या में श्रद्धालु वहां पहले से मौजूद थे, तो स्नान के लिए उमड़ने वाली भीड़ को कैसे नियंत्रित किया जाता?
रात 2 बजे संगम नोज पर भगदड़—भयावह मंजर जिसने हर किसी को झकझोर दिया
हताहत प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार 29 जनवरी की रात 2 बजे, जब लाखों श्रद्धालु संगम स्नान के लिए आगे बढ़ रहे थे, तो भीड़ नियंत्रण पूरी तरह विफल हो गया। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। चीख-पुकार के बीच पुलिसकर्मी खुद अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। जगह-जगह बैंड बैरिकेडिंग के कारण कई लोग कुचल गए। संगम क्षेत्र में फंसे हुए लोगों के पास बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। जो रास्ता था वहां भी चारों तरफ आमने-सामने की भीड़ से भरा हुआ था। इस भगदड़ में सैकड़ो लोगों की जान गई, लेकिन प्रशासन ने इसे मामूली घटना बताकर दबाने की कोशिश की।
संगम नोज पर हुई भगदड़ की घटना के बाद महाकुंभ के दूसरे क्षेत्र जोशी मार्ग पर दिल दहलाने वाली घटना प्रशासन के संज्ञान में नहीं!
28-29 जनवरी 2025 की रात संगम नोज पर खचाखच बड़ी भीड़ भगदड़ की शिकार हो जाती है, इसकी घटना मीडिया में कुछ समय बाद आती है लेकिन शासन की तरफ से कोई भी बड़ा कदम उठाया नहीं जाता है, चार घंटे बाद झूसी मार्ग पर दूसरी भगदड़, लेकिन खबरें क्यों गायब कर दी गईं? प्रशासन के रिकॉर्ड में यह घटना क्यों नहीं आई? ताजूब की बात है कि सोशल मीडिया और दूसरे मीडिया चैनलों पर झूसी वाली घटना की तस्वीर जब वायरल होने लगी तो इस घटना की रिपोर्टिंग मीडिया पर आई लेकिन प्रशासनिक तंत्र इसकी जिम्मेदारी और इस घटना के बारे में जानकारी से अनजान दिखा।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रयागराज झूसी भगदड़ घटना का कारण
बताया जाता है कि 29 जनवरी की सुबह 5 बजे झूसी मार्ग पर एक और भगदड़ मची। एक मिनी बस के घुसने से भीड़ में हड़कंप मच गया। सो रहे श्रद्धालुओं को कुचलते हुए लोग भागने लगे। सैकड़ों लोग दबकर मर गए, लेकिन प्रशासन ने इसे छिपाने की नाकाम कोशिश की। इस घटना की खबर मीडिया में नहीं आई, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे सबसे भयावह भगदड़ बताया।
प्रशासन क्यों बना मूकदर्शक?
इस हादसे के लिए प्रशासन की लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भीड़ को सही तरीके से डायवर्ट करने में असफलता। संगम क्षेत्र की क्षमता का सही अनुमान न लगाना। श्रद्धालुओं की संख्या के हिसाब से पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती न करना। घटनाओं के बाद भीड़ नियंत्रण के लिए कोई प्रभावी कदम न उठाना। प्रशासन की यह चूक हजारों श्रद्धालुओं की जान पर भारी पड़ गई।

वीआईपी संस्कृति: क्या यही मौत की असली वजह थी?
महाकुंभ के आयोजन में वीआईपी कल्चर हमेशा विवादों में रहता है। इस बार भी – मौनी अमावस्या से पहले वीआईपी गाड़ियों के कारण कई मार्ग जाम हो चुके थे। प्रशासन ने वीआईपी सुविधाओं को आम जनता से अधिक प्राथमिकता दी। हादसे के बाद वीआईपी पास रद्द किए गए, लेकिन यह कदम पहले क्यों नहीं उठाया गया? अगर प्रशासन शुरू से ही वीआईपी संस्कृति पर लगाम लगाता, तो शायद यह हादसा टल सकता था।
प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही: “पुलिस खुद वहां से भाग गई!”
भगदड़ के समय वहां मौजूद लोगों ने बताया कि – पुलिस कर्मी खुद अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग खड़े हुए। बैरिकेड के कारण लोगों के पास भागने का कोई रास्ता नहीं था। मौनी अमावस्या के स्नान के लिए उमड़ी भीड़ को सही दिशा में नहीं मोड़ा गया। अगर प्रशासन ने सही समय पर स्नान का मार्ग बदल दिया होता, तो भगदड़ को टाला जा सकता था।
सोशल मीडिया ने खोली प्रशासन की पोल
30 जनवरी को सोशल मीडिया पर झूसी भगदड़ की तस्वीरें वायरल हुईं, जिससे लोगों को पता चला कि प्रयागराज में दो जगह भगदड़ हुई थी। प्रशासन ने इसे छिपाने की कोशिश की। मीडिया ने संगम नोज की भगदड़ की रिपोर्टिंग तो की, लेकिन झूंसी की घटना को दबा दिया गया।
अनियोजित बैरिकेडिंग बनी मौत का कारण
भगदड़ के समय बैरिकेडिंग ने हालात को और बिगाड़ दिया।अगर बैरिकेड हटाए गए होते, तो भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता था। बताया जा रहा है की घटना के समय संगम नोज की तरफ आने और जाने का मार्ग एक ही रखा गया था। वहीं दूसरे मार्गो का प्रयोग सही समय पर भीड़ कम करने के लिए नहीं किया गया।
क्या प्रशासन अब भी कोई सबक लेगा?
महाकुंभ 2025 की यह त्रासदी प्रशासन की गंभीर चूक को दर्शाती है। वसंत पंचमी, अमावस्या और महाशिवरात्रि जैसे पर्वों पर भीड़ और बढ़ सकती है। क्या प्रशासन अब बेहतर योजना बनाएगा, या फिर श्रद्धालु दोबारा इसी तरह जान गंवाएंगे? आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों से ब्लाक और तहसील स्तर के कर्मचारी अधिकारियों की ड्यूटी मेला क्षेत्र में लगाई जा रही है।
सोचने वाली बात है कि क्या वो कर्मी अगर अचानक भीड़ बढ़ती है तो उसे सही मार्ग से सुरक्षित कर सकेंगे जिन्हें संगम क्षेत्र के मार्गों का कोई अंदाजा ही नहीं होगा। कहीं अन्य जनपदों से ब्लाक तहसील स्तर के अधिकारियों को मेला में ड्यूटी लगाकर पूनः दोबारा घटना का खेल तो नहीं खेला जाने का प्लानिंग है। मेला क्षेत्र में बाहरी सुरक्षा बल जैसे पैरा मिलिट्री सुरक्षा बल पीएससी तो भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कारगर साबित हो सकती है ब्लाक तहसील स्तर के अधिकारियों कि क्या आवश्यकता है? जो अन्य जिलों से ड्यूटी पर तैनात किए जा रहे हैं। Click on the link गूगल ब्लाग पर अपनी पसंदीदा लेख पढ़ने के लिए ब्लू लाइन पर क्लिक किजिये।
महाकुंभ हादसा जिम्मेदार कौन?
✅ प्रशासन, जिसने भीड़ को नियंत्रित करने में विफलता दिखाई?
✅ वीआईपी कल्चर, जिसने यातायात व्यवस्था को चरमराने दिया?
✅ पुलिस बल, जिसने भगदड़ के समय कर्तव्य नहीं निभाया?
✅ नियोजन में चूक, जिसने लाखों श्रद्धालुओं की जान जोखिम में डाल दी?
2025 महाकुंभ मौनी अमावस्या के इस भगदड़ से क्या इस हादसे से कोई सबक लिया जाएगा, या फिर यह त्रासदी भी सरकारी आंकड़ों में दबकर रह जाएगी?
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