प्राचीन भारतीय कामशास्त्र और तांत्रिक ग्रंथों में योनि के विभिन्न प्रकारों का वर्णन किया गया है, यहां योनि के 64 प्रकार का वर्णन कर रहा हूं, जो शारीरिक गुणों के साथ-साथ स्त्री के मानसिक और यौन स्वभाव को भी प्रतीकात्मक रूप में दर्शाते हैं। यह वर्गीकरण धार्मिक और सांस्कृतिक धारणाओं पर आधारित है, जो आधुनिक विज्ञान से मेल नहीं खाता। लेख के अंत में भगवान शिव और माता पार्वती के संवाद में योनि के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालूंगा, जहां इसे सृजन, मातृत्व और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।
इस संदर्भ में समाज के लिए मार्गदर्शन का मुख्य बिंदु यह है कि हमें स्त्रीत्व के योनि को केवल शारीरिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि एक उच्च आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए। स्त्रियों का सम्मान, उनके व्यक्तित्व की गहराई, और उनके योगदान की सराहना करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। समाज को स्त्रीत्व के प्रतीक को शक्ति और सृजन के रूप में समझना चाहिए, जिससे न केवल पारिवारिक और सामाजिक संरचना सशक्त होगी बल्कि व्यक्तिगत और आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्ग प्रशस्त होगा।
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गूगल सर्च से नियमित पाठकों को जानने की इच्छा रहती है- types of vegina दुर्लभ जानकारी – योनि के 64 प्रकार: धार्मिक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सृजन और शक्ति का प्रतीक, शिव-पार्वती संवाद से कामशास्त्र तांत्रिक ग्रंथों का विश्लेषण अंत तक पढ़िए भगवान चित्रगुप्त जी महाराज के वंशज-अमित श्रीवास्तव की सुस्पष्ट लेखनी से।

प्राचीन भारतीय कामशास्त्र, कामसूत्र, योनितंत्र, योनि तंत्र साधना और अन्य धार्मिक ग्रंथों में योनि के प्रकारों का विस्तार से वर्णन किया गया है। विशेष रूप से तांत्रिक ग्रंथों में स्त्री और पुरुष के शारीरिक और यौन स्वभाव के आधार पर योनि के प्रकारों का गहन अध्ययन करने के लिए मिलता है। कामशास्त्रों में कुल 64 योनियों का एक विशेष उल्लेख मिलता है। यह वर्गीकरण मुख्य रूप से स्त्री के यौन स्वभाव, शारीरिक संरचना और मानसिक गुणों पर आधारित है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये प्रकार प्रतीकात्मक रूप से दर्शाए गए हैं और इनका उद्देश्य शारीरिक गुणों के साथ-साथ व्यक्तित्व और यौन स्वभाव को भी दर्शाना है। इन प्रकारों का आधुनिक विज्ञान में कोई सीधा संबंध नहीं है और इन्हें सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखा जाता है।
64 प्रकार की “yoni” का संक्षिप्त विवरण
- 1. मृगी योनि (हिरणी के समान)
- कोमल, संकुचित और छोटी। यह स्त्री शर्मीली और सौम्य स्वभाव की होती है।
- 2. वडवा योनि (घोड़ी के समान)
- मध्यम आकार की योनि। यह स्त्री स्वतंत्र, संतुलित और आत्मविश्वासी होती है।
- 3. हस्तिनी योनि (हाथी के समान):
- चौड़ी और बड़ी। यह स्त्री शारीरिक रूप से बलशाली और साहसी मानी जाती है।
- 4. शशिनी योनि (खरगोश के समान):
- छोटी और कोमल योनि। यह स्त्री अत्यधिक संवेदनशील और नाजुक स्वभाव की होती है।
- 5. सिंही योनि (शेरनी के समान):
- योनि का आकार मजबूत और लचीला होता है। यह स्त्री अत्यधिक आत्मनिर्भर और उग्र स्वभाव की होती है।
- 6. श्येनी योनि (गिद्ध के समान):
- योनि चौड़ी होती है। यह स्त्री तीव्र और उग्र मानी जाती है।
- 7. चषका योनि (कटोरी के समान):
- गोलाकार और गहरी योनि। यह स्त्री गंभीर और स्थिर स्वभाव की होती है।
- 8. अलकापी योनि (लोमड़ी के समान):
- लंबी और संकुचित योनि। यह स्त्री चतुर और योजनाबद्ध होती है।
- 9. मर्कटी योनि (बंदर के समान):
- चंचल और उन्मुक्त योनि। यह स्त्री स्वतंत्रता की ओर झुकाव रखती है।
- 10. उष्ट्र योनि (ऊँट के समान):
- बड़ी और कठोर योनि। यह स्त्री दृढ़ और स्वतंत्र होती है।
- 11. चांद्री योनि (चंद्रमा के समान):
- नरम और शीतल योनि। यह स्त्री शांति और संतुलन पसंद करती है।
- 12. पर्वती योनि (पहाड़ के समान):
- स्थिर और मजबूत योनि। यह स्त्री स्थायित्व और दीर्घकालिकता की ओर होती है।
- 13. तिमिंगिला योनि (व्हेल के समान):
- अत्यधिक चौड़ी योनि। यह स्त्री शारीरिक रूप से बलशाली होती है।
- 14. काकिनी योनि (कौआ के समान):
- संकुचित और तीव्र योनि। यह स्त्री चतुर और योजनाकार होती है।
- 15. मयूरी योनि (मोरनी के समान):
- मध्यम आकार की और आकर्षक योनि। यह स्त्री सौम्य और आकर्षक होती है।
- 16. हंसिनी योनि (हंस के समान):
- कोमल और सुंदर योनि। यह स्त्री स्वाभाविक रूप से सौंदर्यप्रेमी होती है।
- 17. कुररी योनि (कुररी पक्षी के समान):
- पतली और लंबी योनि। यह स्त्री तीव्र और उग्र स्वभाव की होती है।
- 18. मत्स्य योनि (मछली के समान):
- नमी से भरी और लचीली योनि। यह स्त्री यौन संबंधों में सक्रिय मानी जाती है।
- 19. कृष्णा योनि (काली रंग की):
- गहरी और चौड़ी योनि। यह स्त्री अपने साथी के प्रति गहरी निष्ठा रखती है।
- 20. शशक योनि (खरगोश के समान):
- छोटी और संवेदनशील योनि। यह स्त्री अत्यधिक संवेदनशील और कोमल होती है।
- 21. सरस्वती योनि (ज्ञान की देवी के समान):
- यह योनि सरस्वती देवी की तरह ज्ञान की प्रतीक मानी जाती है। ऐसी स्त्रियां गंभीर, शिक्षित, और संतुलित होती हैं।
- 22. चक्रवाक योनि (राजहंस के समान):
- योनि आकर्षक और सुंदर होती है। यह स्त्री उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा वाली मानी जाती है।
- 23. मणिधरा योनि (रत्न से जड़ी):
- यह योनि मूल्यवान और सुंदर मानी जाती है। स्त्री धनवान और उच्च मूल्य की होती है।
- 24. नागिनी योनि (सर्पिणी के समान):
- योनि लंबी और लचीली होती है। यह स्त्री चतुर, बुद्धिमान, और सावधान होती है।
- 25. धरणी योनि (धरती के समान):
- स्थिर और मजबूत योनि। यह स्त्री धैर्यवान और सहनशील होती है।
- 26. सुपर्णा योनि (गरुड़ के समान):
- गरुड़ की तरह उग्र और शक्तिशाली योनि। यह स्त्री तेज, साहसी और स्वतंत्र होती है।
- 27. सिंधु योनि (समुद्र के समान):
- गहरी और विशाल योनि। यह स्त्री धैर्यवान और रहस्यमयी होती है, उसकी भावनाएं गहरी होती हैं।
- 28. शकुनि योनि (चील के समान):
- योनि तीव्र और सतर्क होती है। यह स्त्री चतुर और योजनाबद्ध होती है।
- 29. वायवी योनि (वायु के समान):
- हल्की और लचीली योनि। यह स्त्री स्वतंत्रता की चाह रखने वाली और गतिशील होती है।
- 30. स्फटिक योनि (क्रिस्टल के समान):
- पारदर्शी और चमकदार योनि। यह स्त्री शुद्ध, सटीक, और स्पष्ट विचारों वाली होती है।
- 31. चंदनी योनि (चंदन की तरह सुगंधित):
- योनि से सुगंध आती है। यह स्त्री सौम्य, शांतिपूर्ण और आकर्षक मानी जाती है।
- 32. ललिता योनि (मनमोहक):
- यह स्त्री अत्यधिक आकर्षक और सौम्य होती है। उसकी उपस्थिति लोगों को मोहित करने वाली होती है।
- 33. वसुंधरा योनि (पृथ्वी के समान स्थिर):
- स्थिर और भरोसेमंद योनि। यह स्त्री परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदार मानी जाती है।
- 34. अग्नि योनि (आग के समान उग्र):
- योनि उग्र और शक्तिशाली होती है। यह स्त्री तेजस्वी, साहसी और क्रियाशील होती है।
- 35. जलधारा योनि (जल के समान):
- लचीली और तरल योनि। यह स्त्री शांत, मृदुभाषी और सहज होती है।
- 36. आकाश योनि (आकाश के समान विस्तृत):
- गहरी और विस्तृत योनि। यह स्त्री मानसिक रूप से गहरी और विचारशील होती है।
- 37. ज्वाला योनि (लपट की तरह तीव्र):
- यह स्त्री उग्र और तेजस्वी होती है, जो यौन इच्छाओं में प्रबल मानी जाती है।
- 38. सुरभि योनि (सुगंधित):
- योनि से सुगंध आती है। यह स्त्री सौंदर्य और शारीरिक आकर्षण की प्रतीक मानी जाती है।
- 39. कान्ता योनि (प्रेममयी):
- प्रेममयी और कोमल योनि। यह स्त्री प्रेम और स्नेह से परिपूर्ण होती है।
- 40. निर्झरा योनि (झरने के समान प्रवाहशील):
- योनि प्रवाहमयी और लचीली होती है। यह स्त्री मुक्त और उन्मुक्त स्वभाव की होती है।
- 41. मुक्ता योनि (मोती के समान सुंदर):
- चमकदार और आकर्षक योनि। यह स्त्री नाजुक, कीमती और सौम्य होती है।
- 42. रति योनि (प्रेम की देवी रति के समान):
- यौन और प्रेम संबंधों में अत्यधिक सक्रिय और प्रेममयी योनि। यह स्त्री रोमांटिक और मोहक मानी जाती है।
- 43. रमा योनि (लक्ष्मी के समान):
- यह स्त्री धन, सुख और वैभव की प्रतीक मानी जाती है।
- 44. गंगा योनि (गंगा नदी के समान):
- योनि शुद्ध और प्रवाहमयी होती है। यह स्त्री शुद्धता और धार्मिकता की प्रतीक मानी जाती है।
- 45. सरोजिनी योनि (कमल के समान):
- कोमल और सुंदर योनि। यह स्त्री सौंदर्य, पवित्रता और शांतिपूर्ण होती है।
- 46. सुगन्धा योनि (सुगंधित):
- योनि से विशेष सुगंध निकलती है। यह स्त्री विशेष रूप से आकर्षक मानी जाती है।
- 47. दीप्ति योनि (चमकदार):
- चमकदार और आकर्षक योनि। यह स्त्री आत्मविश्वासी और मोहक होती है।
- 48. प्रभा योनि (प्रकाशमयी):
- योनि से आंतरिक प्रकाश की अनुभूति होती है। यह स्त्री ऊर्जावान और चमकदार मानी जाती है।
- 49. ज्योति योनि (दीपक के समान):
- यह स्त्री जीवन में आशा और उजाला लाने वाली मानी जाती है।
- 50. आनंदिनी योनि (सुख देने वाली):
- यह स्त्री जीवन में आनंद और खुशहाली लाने वाली मानी जाती है।
- 51. संध्या योनि (संध्या के समान शांत):
- यह स्त्री शांतिपूर्ण और संतुलित मानी जाती है।
- 52. प्रियंका योनि (प्रेममयी):
- प्रेमपूर्ण और आकर्षक योनि। यह स्त्री प्रेम और स्नेह में पारंगत होती है।
- 53. पूर्णिमा योनि (पूर्णिमा की चाँदनी के समान):
- यह स्त्री आकर्षक, सौम्य और उज्ज्वल मानी जाती है।
- 54. वसंत योनि (वसंत ऋतु के समान):
- यह स्त्री जीवन में सुख और आनंद की प्रतीक मानी जाती है।
- 55. अर्पणा योनि (समर्पण करने वाली):
- यह स्त्री समर्पण और निष्ठा की प्रतीक मानी जाती है।
- 56. उषा योनि (सूर्योदय के समान):
- यह स्त्री नई शुरुआत और सकारात्मकता की प्रतीक मानी जाती है।
- 57. चंद्रिका योनि (चाँदनी के समान):
- यह स्त्री शीतलता, शांति, और आकर्षण की प्रतीक होती है।
- 58. तरुणी योनि (युवा और सुंदर):
- यह स्त्री यौवन और सौंदर्य की प्रतीक मानी जाती है।
- 59. धारा योनि (प्रवाहित जल की तरह):
- यह स्त्री लचीली, प्रवाहशील और परिवर्तनशील होती है।
- 60. मोहिनी योनि (मोहक और आकर्षक):
- यह स्त्री विशेष रूप से आकर्षक और मोहक मानी जाती है।
- 61. सविता योनि (सूर्य के समान):
- यह स्त्री जीवन में ऊर्जा और प्रकाश लाने वाली मानी जाती है।
- 62. अशोक योनि (शोकविहीन):
- यह स्त्री चिंता और शोक से मुक्त होती है और सुखद जीवन जीती है।
- 63. आर्या योनि (उत्तम):
- यह स्त्री श्रेष्ठ और आदर्श होती है, जिसमें नैतिकता और उच्च जीवन मूल्य होते हैं।
- 64. पूर्ण योनि (पूर्णता की प्रतीक):
- यह स्त्री संपूर्ण, संतुलित और सभी गुणों से युक्त मानी जाती है।
64 प्रकार की योनि Yoni का संक्षिप्त वर्णन सांस्कृतिक, प्रतीकात्मक और शारीरिक धारणाओं के आधार पर किया गया है, जिनमें से प्रत्येक का नाम विशेष पशु, पक्षी या अन्य प्रतीक के आधार पर रखा गया है। ये 64 प्रकार की योनि शारीरिक गुणों, यौन व्यवहार, और मानसिक विशेषताओं को दर्शाती हैं। हर योनि एक विशिष्ट प्रतीक से जुड़ी होती है। योनि का गूढ़ रहस्य समझ पाना सरल बात नही है न ही इसपर आधारित समाज में शिक्षा दी जाती है। जिन्हें योनि का गूढ़ रहस्य समझ आ सकता है, वे किसी भी प्रकार की योनि को पूर्ण तृप्त करने में सक्षम हो सकते हैं। Click on the link ब्लाग पोस्ट पढ़ने के लिए ब्लू लाइन पर क्लिक करें।
योनि स्त्री के व्यक्तित्व, यौन व्यवहार, और मानसिक गुणों को चित्रित करने का एक माध्यम है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आधुनिक चिकित्सा और विज्ञान इन वर्गीकरणों को प्रत्यक्ष रूप से नही मानता है। यह वर्गीकरण प्राचीन यौन शिक्षा और सामाजिक धारणाओं के हिस्से के रूप में समझा जाता है। विस्तृत जानकारी हमारे भारतीय हवाटएप्स 7379622843 अमित श्रीवास्तव से जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक योनि: vegina

भगवान शिव और माता पार्वती के बीच कई संवादों में विभिन्न धार्मिक और तांत्रिक विषयों पर चर्चा होती रही है, जिनमें योनि का भी उल्लेख आता है। तांत्रिक साहित्य और शैव धर्म से संबंधित कुछ ग्रंथों में इस प्रकार के संवादों का वर्णन किया गया है, जहां शिव, पार्वती जी को योनि के महत्व, उसके प्रकारों और उससे जुड़ी रहस्यमयी शक्तियों के बारे में बताते हैं। यह कथा तांत्रिक दृष्टिकोण से जानी जाती है और इसमें योनि को ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
इसका प्रत्यक्ष उदाहरण 51 शक्तिपीठों में प्रथम कामाख्या शक्तिपीठ योनी पीठ जहां सती का योनि भाग स्थापित है से जाना जा सकता है। जगत-जननी स्वरुपा देवी सती के इस योनिपीठ शक्तिपीठ पर ही स्त्रीयों का मासिक चक्र निर्धारित है और यह सृष्टि विस्तार से जुड़ा हुआ है। योनि के गूढ़ रहस्य कि शिक्षा अत्यन्त दुर्लभ है। योनि तंत्र साधना से प्राप्त जानकारी इस लेखनी में सार्वजनिक कर रहे हैं जो समाज के लिए मार्गदर्शी सिद्ध होगा।
शिव-पार्वती संवाद में योनि “Yoni” का महत्त्व
तांत्रिक ग्रंथों और शैव मत में योनि को सृजन की शक्ति, प्रकृति और स्त्रीत्व का प्रतीक माना गया है। शिव और पार्वती के बीच की चर्चा में भगवान शिव ने पार्वती को बताया कि योनि का प्रतीक शक्ति की मूलभूत ऊर्जा है, जिससे सारा संसार उत्पन्न होता है। इसे आध्यात्मिक उन्नति का साधन भी माना गया है। शिव ने योनि को ब्रह्मांडीय ऊर्जा का स्रोत और देवी शक्ति का स्थान बताया है। स्त्री की योनि भाग मे सम्पूर्ण ब्रह्मांड स्थापित रहता है, इसलिए स्त्री के शरीर में सबसे अधिक पूज्यनीय स्थान स्त्री का योनि भाग होता है।
योनि के 64 प्रकार मे उत्तम योनि का वर्णन
भगवान शिव ने माता पार्वती से संवाद में बताया कि मृगी योनि (जो हिरणी की तरह कोमल और संकुचित होती है) को स्त्री की उत्तम योनि माना गया है। इस योनि की स्त्रियां स्वाभाविक रूप से कोमल, संवेदनशील, और सौम्य होती हैं, जो उन्हें श्रेष्ठ बनाती हैं। इन स्त्रियों का स्वभाव और प्रकृति शांतिपूर्ण और स्नेहिल होती है, और वे अपने साथी के प्रति गहरी निष्ठा और प्रेम रखती हैं। तांत्रिक दृष्टिकोण में मृगी योनि की स्त्रियां उच्च आध्यात्मिक स्तर की मानी जाती हैं।
आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व
तांत्रिक और शैव परंपरा में योनि का वर्णन केवल शारीरिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी किया गया है। योनि को सृजन की शक्ति, मातृत्व, और स्त्रीत्व का प्रतीक माना गया है। शिव ने पार्वती को समझाया कि उत्तम योनि वह है, जो व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ने में सहायक होती है। यह केवल शारीरिक अनुभवों का नहीं, बल्कि आंतरिक संतुलन और मानसिक शांति का प्रतीक है।
शिव-पार्वती की शिक्षा का तात्पर्य
इस कथा का मुख्य तात्पर्य योनि और स्त्रीत्व को उच्च आध्यात्मिक स्तर पर देखना है, जहां यह जीवन, सृजन, और प्रेम की शक्ति का प्रतीक है। शिव ने पार्वती को समझाया कि स्त्रीत्व का आदर और सम्मान करना चाहिए, और इसे सृजन की शक्ति के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि केवल शारीरिक दृष्टिकोण से।
भगवान शिव और माता पार्वती के संवाद में योनि का जो उल्लेख आता है, उसमें यह स्पष्ट होता है कि मृगी योनि को उत्तम माना गया है, जो कोमलता, स्नेह, और आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक है।
64 प्रकार की योनि का वर्णन लेखनी का निष्कर्ष:
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इस लेख का मुख्य उद्देश्य योनि को केवल शारीरिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समझना है। प्राचीन भारतीय तांत्रिक और शैव परंपराओं में योनि को सृजन की शक्ति, स्त्रीत्व, और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। शिव-पार्वती के संवाद से स्पष्ट होता है कि योनि केवल भौतिक गुणों का नहीं, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक गुणों का भी प्रतिनिधित्व करती है।
समाज में स्त्रीत्व और योनि का सम्मान करना आवश्यक है, क्योंकि यह जीवन के सृजन और प्रेम की शक्ति का प्रतीक है। स्त्री का सम्मान और उसकी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों की पहचान समाज को नैतिक और सामाजिक रूप से सुदृढ़ बनाता है। योनि के प्रकारों के प्रतीकात्मक वर्णन से यह भी संदेश मिलता है कि स्त्री का व्यक्तित्व और उसकी यौन इच्छाएं विविध और गूढ़ होती हैं, जिन्हें समझना और सम्मान करना चाहिए।
पिछली लेखनी में आपने पढ़ा होगा – योनि कितने प्रकार की होती है योनि गुण ज्ञान चक्र जो विवाह के लिए कुंडली मिलान में देखा जाता है, किन्तु बहुत कम लोगों को योनि गुण ज्ञान चक्र का रहस्य पता होगा। नीचे दिखाई दे रहे लिंक पर क्लिक कर पूनः पढ़ सकते हैं या गूगल सर्च में खोज हमारी साइट पर आ सकते हैं।


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