नैंसी शर्मा का अंगदान: एक बेटी का समाज को अमूल्य उपहार

Amit Srivastav

फरीदाबाद की एक युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर नैंसी शर्मा की कहानी हम सबके लिए एक प्रेरणा बन गई है। उनकी असामयिक मृत्यु के बावजूद, उनका अंगदान नौ लोगों को एक नई जिंदगी देने का कारण बना। नैंसी के पिता अशोक शर्मा ने इस कठिन समय में अपनी बेटी के अंगदान का निर्णय लिया, जिससे उनकी बेटी का सपना, ऐसा कुछ करने का जो लोग हमेशा याद रखें, सच हो गया। यह कहानी न केवल एक बेटी के महान कार्य की गवाही देती है, बल्कि समाज को अंगदान के महत्व को भी बताती है।

नैंसी शर्मा का जीवन और पेशा

नैंसी पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थीं और उनके पति अनुदीप शर्मा भी इसी पेशे से जुड़े हैं। नैंसी का लगभग दस साल का बेटा है और उनके परिवार में सभी एक खुशहाल जीवन जी रहे थे। परंतु, एक असामयिक बीमारी ने नैंसी को ब्रेन डेड घोषित कर दिया, और यहीं से शुरू हुआ नैंसी के परिवार की ओर से लिया गया एक साहसिक और प्रेरणादायक निर्णय।

दुर्घटना और परिवार का कठिन निर्णय

12 मार्च को नैंसी अपने पिता से मिलने अंबाला गई थीं, जहां अचानक उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो गई। जब नैंसी को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया, लेकिन वहां भी उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने कहा कि उनके बाकी अंग अभी भी सक्रिय थे, जिससे उनकी अंगों का दान करके अन्य लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।
इस कठिन घड़ी में, नैंसी के पिता अशोक शर्मा और उनके पति अनुदीप शर्मा ने साहसिक निर्णय लेते हुए नैंसी के अंगदान का फैसला किया। हालांकि, जब अंतिम सिग्नेचर करने का समय आया, तो परिवार के हाथ कांप रहे थे, लेकिन उन्होंने यह जानते हुए हस्ताक्षर किए कि उनकी बेटी का यह बलिदान कई लोगों की जिंदगी बदल सकता है।

नैंसी शर्मा का अंगदान: एक बेटी का समाज को अमूल्य उपहार

नैंसी का दिल, किडनी, लीवर, और आंखें नौ जरूरतमंद लोगों को दी गईं। उनके हार्ट का प्रत्यारोपण 13 साल की एक बच्ची में किया गया, जिससे वह एक बार फिर से जीवन का आनंद ले सकी। नैंसी की किडनी दो व्यक्तियों को दी गई, लीवर के चार हिस्सों का प्रत्यारोपण चार अलग-अलग लोगों में किया गया, और उनकी आंखों ने दो लोगों को रोशनी दी। इस प्रकार, नैंसी ने एक बार फिर जीवन की सार्थकता को साबित किया, भले ही वह अब इस दुनिया में नहीं हैं।

ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण और त्वरित अंग प्रत्यारोपण

नैंसी के अंगों को जल्दी से जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए मोहाली एयरपोर्ट से एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जिससे अंगों को नोएडा, दिल्ली और चंडीगढ़ के विभिन्न अस्पतालों तक सुरक्षित पहुंचाया गया। इस प्रक्रिया में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने महत्वपूर्ण योगदान दिया और नैंसी के परिवार का भी सहयोग सराहनीय रहा।

Click on the link 64 योयोगिनियों की कहानी जानिए कौन सी योगिनी साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करती हैं और उच्च सिद्धियों वाली होती है व कौन सी योगिनी सम्पूर्ण सुख प्रदान करती है योगिनियों से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक किजिये।

बेटी का सपना: एक स्थायी विरासत

नैंसी के पिता अशोक शर्मा कहते हैं, नैंसी हमेशा कहती थी कि वह ऐसा काम करना चाहती है जिससे लोग उसे याद रखें। उनकी यह इच्छा सचमुच पूरी हो गई। नैंसी ने जाते-जाते समाज को एक बहुत बड़ा संदेश दिया कि बेटियां किसी वरदान से कम नहीं हैं। उन्होंने समाज को यह भी सिखाया कि एक बेटी का बलिदान कैसे परिवार और समाज को गर्व और प्रेरणा दे सकता है।

नैंसी शर्मा की याद में श्रद्धांजलि

फरीदाबाद में नैंसी की तेरहवीं का आयोजन किया गया, जिसमें हर एक व्यक्ति ने उन्हें सलाम किया। उनके परिवार और समाज के लोगों ने उनकी इस अमूल्य विरासत को सराहा और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

नैंसी शर्मा के जीवन और बलिदान से सीख

नैंसी शर्मा का जीवन और उनका बलिदान हमारे समाज के लिए एक प्रेरणा है। उनके अंगदान ने कई जिंदगियों को नया जीवन दिया और उनके सपने को एक स्थायी विरासत बना दिया। नैंसी की कहानी हमें यह सिखाती है कि असल मायने में जीवन की सार्थकता क्या होती है। आज नैंसी का दिल, उनकी आंखें और उनके अन्य अंग उन लोगों में धड़कते हैं जिन्हें उन्होंने जिंदगी दी। नैंसी ने साबित कर दिया कि एक बेटी न केवल परिवार का गौरव बन सकती है, बल्कि समाज के लिए भी एक अमूल्य उपहार हो सकती है।

Click on the link तांत्रिकों की देवी लोना चमारिन की आपबीती ऐतिहासिक इतिहास पढ़ने के लिए यहां ब्लू लाइन पर क्लिक किजिये।

Click on the link योनि का गूढ़ रहस्य, कामशास्त्र तांत्रिक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से- आत्मज्ञान मोंक्ष मार्ग का सफर, शिव-पार्वती संवाद योनि के 64 प्रकार में जानिये कौन सी योनि सबसे अच्छी होती है।

Leave a Comment