तांत्रिकों की देवी लोना चमारिन-आपबीती

Amit Srivastav

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जस कामरू चमारी लोना, कोउ न छरा पाढ़ित ओ टोना।

तांत्रिकों की देवी लोना चमारिन-आपबीती

लोना चमारी कौन थी।

तंत्र-मंत्र की दुनिया में बहुत ही चर्चित एक नाम है लोना चमारिन। लोना एक गरीब परिवार की लड़की कैसे बनी इतनी बड़ी तांत्रिक। विश्व भर में विख्यात लोना चमारिन का क्या है इतिहास ? 11वी शताब्दी की एक सुन्दर लड़की लोना चमारिन कैसे बनी देवी या योगन ? बहुत बड़ी रहस्य को उजागर करता आज चित्रगुप्त वंशज संपादक अमित श्रीवास्तव कि कलम। यह एक कहानी मात्र नही, अपनी इज्जत के लूटेरो को कैसे सिखाई सबक ? 11 ठाकुरों के परिवार को अबला लोना चमारिन कैसे उतारी मौत के घाट ? लोना नाम कि लड़की औरत और भी हैं, लेकिन आज उस लोना चमारिन के इतिहास को बता रहे हैं, जो चमारी गांव में जन्मीं लेकिन जादूई नगरी त्रिया राज या कामरू देश कामाख्या की बताई जाती है जिसके नाम से चलता है- शाबर मंत्र।

तांत्रिकों की देवी लोना चमारिन-आपबीती

लोना चमारी कौन थी? जी हां तंत्र-मंत्र की दुनिया में बहुत ही चर्चित देवी या योगन लोना चमारिन। भारत देश के पंजाब प्रांत के अमृतसर में एक चमार परिवार में जन्मीं, परियों समान सुन्दर लड़की थी। बालपन से ही उसकी सुन्दरता पर मोहित हर किसी कि गंदी नज़र पड़ने लगी थी। आज इसी लोना चमारिन की इतिहास को उजागर कर रहा हूं। लोना चमारिन के नाम से बहुत सारे शाबर मंत्रों की सिद्धि की जाती है। ऐसा मानना है, लोना चमारिन द्वारा अपने नाम से बधित ये सभी शाबर मंत्र अचूक फलदायी होता है। लोना चमारिन का शाबर मंत्र क्या है ? सभी तांत्रिकों को ज्ञात है। अनभिज्ञ लोगों के लिए थोड़ा अंत में बता देंगे।

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लोना चमारी का इतिहास

फिलहाल आते हैं लोना चमारिन के इतिहास पर। यह लोना चमारिन पंजाब राज्य के अमृतसर जिले में चमरी गांव की रहने वाली थी। असम राज्य के कामरू जिला कामाख्या में जाकर अपनी सिद्धी प्राप्त कर एक विश्व विख्यात योगिनी बनती है। तो आखिर एक पंजाब की लड़की असम राज्य के कामरुप जिले में कामाख्या शक्तिपीठ पर कैसे पहुंची और वो भी 11वीं शताब्दी में। इसकी पूरी कहानी बहुत ही रोचक और रहस्यमयी है। सारे रहस्यों का पर्दाफाश करने के लिए कलम अग्रसर है। अमृतसर के छोटा सा चमरी गांव, से शुरू कामाख्या शक्तिपीठ तक का सफ़र वो भी क्यों और कैसे ? चमरी गांव में एक चमार जाती का छोटा परिवार रहता था। आपको इतना तो पता ही है उस समय इन छोटी जातियों के प्रति बड़ी जातियों के लोगों का क्या व्यवहार था ? उस समय उस चमार परिवार की भी दशा वही थी। उस चमार परिवार में एक बहुत सुंदर लड़की का जन्म हुआ इतना सुंदर थी कि बालपन से ही सभी मोहित थे। उसकी सुन्दरता के साथ उस लड़की का नाम पड़ा लोना। लोना लावण्य का प्रतिरूप बन गयी। यानी कि लोग अब किसी सुन्दरी को लोना के ही नाम से जानने लगे हैं।

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लोना बहुत सुन्दर थी लेकिन गरीब घर में सुन्दरता वरदान नही अभिशाप होती है। लोना के लिए सुन्दरता अभिशाप ही बन गयी थी। जैसे जैसे वह बड़ी होती जा रही थी। गांव के लोगों कि नजरें उसपर गलत रुप से पड़ने लगी थी। लोना के माता-पिता सहित दो भाई थे। एक भाई का नाम था इलय दूसरे का नाम था गेंदा। ये दोनों भाई अपनी बहन लोना के प्रति गांव वालों की बिगड़ती नज़र को लेकर बहुत चिंतित रहा करते थे। गांव वालों से लोना की आबरू बचाने के लिए बालपन में ही विवाह करा दिया गया। गांव में कुछ सालों रही फिर गौना के साथ अपने पति घर चली गई। लोना का विवाह सफल नही रहा ससुराल में कलह होने लगा। लोना का अपने पति से झगड़ा हुआ वापस अपने मायके चली आई। अब लोना लगभग 12-14 साल की युवती हो गई थी। विवाहिता तो थी लेकिन पति को छोड़कर अपने गांव में रह रही थी। एक कथाकथित छोटी जाती की थी, गरीबी में पल-बढ़ रही थी। यौवन भी थोड़ा आ चुका था। ऐसे में गांव वालों की नज़र खराब हो जाए तो उस समय के हिसाब से कोई संदेह वाली बात नहीं है। और हुआ भी वही उस चमरी गांव के लोगों ने लोना के ऊपर अपनी-अपनी गंदी नज़र डालना शुरू कर दिया।

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उसी गांव में एक दबंग 11 ठाकुरों का परिवार रहता था। जिस परिवार में 11 पुरुष थे इसलिये वह 11 ठाकुरों का परिवार कहा जाता था। उसी 11 ठाकुर खानदान से एक लड़का लोना के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने का निमंत्रण दिया। लेकिन लोना ने इन्कार कर दी। लोना के मना करने से क्रोधित ठाकुर लड़के का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया, कि हमें यह लड़की मना कैसे कर रही है? बात ठाकुर घराने की इज्जत की थी, फिर ठाकुर खानदान के सभी लोगों ने बारी-बारी से उस लड़की को अपने दरवाज़े पर नंगा कर बलात्कार किया।

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लोना अभी अधयुवा थी, अभी उसका यौवन पूरी तरह परिपक्त भी नहीं था, तभी उसके साथ इतनी बड़ी दरिन्दगी भरी घटना घट गई। तब न ही कोई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट था, न संविधान, न ही राजा के पास ऐसी घटनाओं की सुनवाई के लिए समय। उस समय ज्यादातर राजा महाराजा भी तो छोटी जातियों की लड़की औरतों का शोषण ही करते थे। राजा ऐसी मामलों की सुनवाई करता भी था तो जीत बड़ी जातियों की ही होती थी। लोना की दुर्दशा पर पूरा गांव हंसता रहा किसी ने उन 11 ठाकुरों के तरफ़ ऊगली उठाने की सोच भी नहीं रखी। युवा अवस्था का जोश ऐसा होता ही है, कि आदमी कुछ भी कर गुजरता है।

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लोना चमारी तांत्रिक क्यूँ कैसे बनी

लोना चाहती थी, अपने ऊपर हुए अत्याचार का बदला लेना। लेकिन लोना के सामने बदला लेने का कोई रास्ता दिख नहीं रहा था। तभी लोना दिल्ली की योगिनीयों के बारे में सुनी, लोना शुरू से ही तरह-तरह की कहानियां सुना करती थी। उस समय तंत्र-मंत्र का प्रचार-प्रसार जोरों पर था। योगियों एवं योगिनीयों ने अपने प्रचार-प्रसार का बहुत सारे माध्यम भी फैला दिए थे। वे योगीजन बाबा गोरखनाथ के परंपरा से आते थे। इन योगिनीयों और योगियों के चलते ही संस्कृत मंत्रोच्चार की जगह शाबर मंत्रोच्चार का प्रचलन बढ़ने लगा था। तंत्र-मंत्र में शाबर मंत्रोच्चार का प्रयोग होता था। यह वही समय था, जब भारत में इस्लाम के सूफ़ी मत को मानने वाले लोग अपना पैर पसार चुके थे। ये सूफ़ी संत भी भारतीय पद्धति से मिलजुलकर एक नयी पद्धति का निर्माण कर रहे थे। इसी पद्धति में आता है शाबर मंत्रोच्चार। एक तो शावर मंत्र वो है जो पारंपरिक योग भाषा संस्कृत के अलावा स्थानीय ग्रामीण भाषाओं में लिखा पढ़ा जाता है। सनातन धर्म में मंत्रोच्चार संस्कृत भाषा में है, लेकिन इसके विपरीत शाबर मंत्र का उच्चारण स्थानीय भाषाओं में किया जाता है। अधिकतर संस्कृत मंत्रो का सीधा अनुबाद नही होता। किन्तु उसका एक पूर्व निर्धारित अर्थ हो सकता है। शाबर मंत्रों में संस्कृत के शब्दों का प्रयोग कम, स्थानीय भाषा सहित हिन्दी, उर्दू, फारसी के शब्दों का प्रयोग ज्यादा इस्तेमाल होता है। संस्कृत के मंत्र बहुत ही शुद्ध और पवित्र होते हैं। संस्कृत के मंत्र पवित्र ह्दय से सिद्ध किए जाते हैं। शाबर मंत्रों की सिद्धि कोई भी मनुष्य एक बार सिद्ध कर अपने नाम से बांध दे तो उसे सिद्ध तांत्रिक कहा जाता है और उसके सिद्ध मंत्रों की सिद्धि अन्य कोई व्यक्ति बहुत ही आसानी से उसके नाम मात्र का स्मरण कर प्राप्त कर लेता है।

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उस समय शाबर मंत्रों की प्रसिद्धि बढ़ने लगी थी। शावर मंत्रों के तांत्रिकों का प्रचार-प्रसार जोरों से था। लोना चमारिन दिल्ली की योगिनियों के बारे में सूनी की वो तंत्र विद्या में अभूतपूर्व गति रखती हैं। लोना को दिल्ली की योगिनीयों की कहानी दिमाग में बैठ रही थी। एक दिन लोना उन योगिनियों से मिलने के लिए बिना किसी को बताए घर से दिल्ली के लिए निकल पड़ी। लोना चमारी गांव पंजाब से पैदल ही दिल्ली अपने को बचतें-बचाते पहुंच उन योगिनियों की तलाश पूरी कर मिली। लोना उन योगिनियों से पूछी शबर मंत्र कैसे सिद्ध होती है, मुझे भी शबर मंत्रों को सिद्ध कर योगिनी बनना है, इतनी कम उम्र में यह लड़की इतना कठिन साधना की बात कर रही है। योगिनियों को अपने ऊपर अहंकार था। बाल्यावस्था को देखकर उन योगिनियों को लोना की पीड़ा का अनुमान नहीं था। लोना का बालपन देख योगिनियों ने कहा तुम अभी इस लायक नहीं हो, इसलिए हम लोग तुम्हें इन मंत्रों के बारे में नही बता सकती। तब लोना ने कहा मुझे अपने ऊपर हुए अत्याचार का बदला लेने के लिए तांत्रिक विद्या की सिद्धि प्राप्त करनी ही है। फिर भी योगिनियों ने तंत्र विद्या देने से मना कर दी, तब लोना उन योगिनियों से पूछी, ठीक है आप लोग मुझे तंत्र विद्या नही दे सकती, तो आप लोग को यह तंत्र विद्या कहाँ से प्राप्त हुआ, आपके गुरु कौन है? लोना जिद्द पर अड़ी रही, तब योगिनियों को लगा मुश्किल राह बता देने के बाद हार मानकर लोना अपने घर लौट जायेगी। लोना के पास हारने के लिए बचा भी कुछ नहीं था। उन योगिनियों ने बताया यहां से बहुत दूर असम राज्य के कामरुप जिले में ब्रह्मपुत्र नदी तट पर स्थित निलांचल पर्वत पर योनि रुपा कामाख्या शक्तिपीठ है, वहीं से तंत्र विद्या की प्राप्ति होती है। हम सब वहीं से तंत्र विद्या सीखीं और तांत्रिक बनीं हूं, तुम अभी नादान हो वहां तक पहुंच नही सकती, अपने घर लौट जाओ।

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लोना के मन में बदले की आग धधक रही थी, वहीं से लोना असम कामाख्या शक्तिपीठ के लिए निकल पड़ी। लोना का एक ही जीद्द था बदला, अपने ऊपर हुए अत्याचार 11 ठाकुरों द्वारा सामूहिक बलात्कार का बदला। बलात्कारियों से बदला लेने का कोई और मार्ग था भी नहीं, और अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए किसी भी तरह अब असम जाना ही था। दिल्ली से पैदल उत्तर प्रदेश, विहार, बंगाल राज्य होते हुए आखिर लोना असम राज्य के कामाख्या शक्तिपीठ पर पहुंच ही गई। दुश्वार दुर्गम रास्ता अलग-अलग जगहों की अलग-अलग बोली भाषा, रहन-सहन सबका अनुभव करते, अपने को बचाते हुए जंगल-झाड़, नदी-नाले पार करते, कभी-कभी भूख-प्यास से ब्याकुल रहते, पैरों में पड़े छालों की पीड़ा सहते, थकान को नजरअंदाज करते तमाम कठिनाइयों को पार करते अपनी जद्दोजहद रास्तें की कठिन परीक्षा देते लोना कामरू कामाख्या शक्तिपीठ पहुंच एक योग्य गुरु की तलाश प्रारंभ कर दी।

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लोना चमारी के गुरु कौन थे

अंततः लोना की मुलाकात नाथपंथ के एक योगी इस्माइल जोगी से हुई। इस्माइल जोगी सूफ़ी व नाथपंथ के मेलजोल से बने जोगी थे। वे शबर मंत्र में अच्छी सिद्धियां प्राप्त कर चुके थे। जब लोना इस्माइल से मिली तो इस्माइल जोगी लोना के सुन्दर रुप पर मोहित हो गये। योगियों में पंचकर्म की पद्धति पहले से ही चली आ रही थी। यानी साधना के दौरान निद्रा, मदमांस, मैथुन, दुराचार आदि से परहेज नही करते तब भी शबर मंत्रो की सिद्धियां प्राप्त हो जाती थी। इस्माइल अपने साथ मैथुन के लिए लोना पर आसक्त हो गए। लोना के पास अपने गुरु को गुरुदक्षिणा में इसके अलावा कुछ और देने के लिए था ही क्या? लोना तंत्र विद्या प्राप्ति के लिए अपने गुरु इस्माइल जोगी को अपना शरीर मैथुन के लिए सौंप दी। इस्माइल जोगी लोना के शरीर का भोग करते तंत्र विद्या देना प्रारंभ किया। इस्माइल जोगी बहुत बड़े सिद्ध तांत्रिक थे, लेकिन उनके पास कोई ऐसा मोटिवेशन नही था, जिससे वे तंत्र साधना में उस गति को प्राप्त कर सकें, जिस गति को लोना अपने गुरु को गुरुदक्षिणा में यौन सुख से तृप्त कर धीरे-धीरे सम्पूर्ण तंत्र विद्या प्राप्त कर ली। गुरु गुड़ ही रह गया चेलीन चीनी हो गई। लोना चमारिन अपने गुरु इस्माइल जोगी से अधिक तांत्रिक सिद्ध हो गई। फिर अपने गुरु को गुरु दक्षिणा से संतुष्ट कर आशिर्वाद ले गई पंजाब।

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लोना चमारी बदला कैसे ली

लेकिन इस बार वापसी अपने पूर्ण शरीर नही बल्कि सुक्ष्म शरीर से गयी। फिर आपको एक बार बता दें। यह लोना चमारिन की कहानी 11 वी शताब्दी की है। पंजाब अमृतसर का चमारी गांव ठंड के कोहरे में लिपटा हुआ अपनी दांते किटकिटा रहा था। सुबह के लगभग 5 बजने वाला था। कुहासे की मोटी चादर थी और अंधकार सर्वत्र व्याप्त था। ऐसे में उस गांव के 11 ठाकुरों के खानदान का वो बेटा जो पहले लोना के साथ बलात्कार किया था, अपने कमरे में चारपाई पर सोया अपनी नीद पूरी कर रहा था। नीद में ही अचानक उसे एहसास हुआ कमरे में कोई है। उसने करवटें बदली फिर सोचा कोई नहीं बस भ्रम है। आंखें मूंद झपकी लेते सोना चाहा फिर ऐसा लगा जरुर कोई है, तब अपने रजाई में से अपनी गर्दन बाहर किया और सामने जो देखा देख कर भय के मारे उसकी आंखें खुली की खुली रह गयी। दांते किटकिटाने वाली ठंड में उसके शरीर पसीने से लथपथ होने लगी।

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सामने सुसज्जित आभुषणों में वही लड़की खड़ी थी, जिसका अपने परिवार वालों के साथ मिलकर कुछ सालों पहले, सबसे पहले बलात्कार किया था। वह लड़की मुस्कुरा रही थी। आभूषणों से सुसज्जित सुन्दरता की प्रतिमूर्ति लग रही थी। लेकिन उस लड़की में कुछ ऐसा भी दिख रहा था, जो उस लड़के के तन-मन में सिहरन पैदा कर रहा था। उस लड़के के मन में डर की एक लहर रीढ़ की हड्डी में बैठती जा रही थी। ठाकुर का वो लड़का अचानक रजाई से बाहर निकलकर गर्मी के मारे अपनी कपड़े खोलकर फेकने लगा। कपड़ा खोलते-खोलते पूरी तरह से नग्न हो गया। नग्न होकर बहुत तेज बार-बार चिल्लाना शुरू किया मुझे छमा करो मुझे छमा करो। फिर ऐसा कहते हुए वो लड़का अपने घर से निकल गांव की गलियों में सर पटक भागने लगा। पंजाब का वो चमारी गांव कृषि प्रधान था। भले ही जाडे़ की वो प्रातः काल का समय था, लेकिन लोग अपने-अपने घरों में जग चुके थे और अपने कार्य में लग रहे थे। जैसे ही उस लड़के की चिल्लाने का आवाज उस गांव की गलियों में भागते हुए गूंजने लगी थी लोग उसकी आवाज़ सुनकर अपनी अपनी घरों से निकल उसके पीछे दौड़ने लगे थे।

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वो लड़का बेतहाशा दौड़ता जा रहा था और चिल्ला रहा था। मुझे माफ कर दो मुझे मत मारों। भागते-भागते गांव के बाहर एक मैदान में जा खड़ा हो गया। जहां गांव के लोगों की भीड़ उसके पीछे उमड़ पड़ी। लड़का फिर चिल्लाना शुरू किया मुझे माफ कर दो मुझे मत मारों मुझसे हुईं गलतियों को छमा कर दो लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि वहां उस लड़के के पास कोई किसी को दिखाई नहीं दे रही थी। सिर्फ उस लड़के को लोना दिखाई दे रही थी जो बहुत भयानक रूप ले उसे जान से मारने पर तूली थी। लड़का अब एक जगह खड़ा हो गिड़गिड़ा रहा था। लोना मुझे माफी दे दो उस लड़के का पूरा शरीर उतनी ठंड में पसीने से लथपथ था और लोगों का ठंड के कारण दांत किटकिटाना थम भी नहीं रहा था। धीरे-धीरे सभी का मन भय से व्याप्त हो गया।

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क्योंकि अब जिस लोना का नाम ले रहा था वो उसी गांव की लड़की थी। किन्तु कुछ सालों से उसका कोई अता-पता नही था। माफी मांगते मांगते उस लड़के की आवाज अचानक से बंद हो गई वो शांत खड़ा हो गया। फिर गांव वालों के देखते ही देखते वो लड़का जमीन से चार फिट ऊपर हवा में उठा और उसकी गर्दन ऐंठने लगी वैसे जैसे फांसी की सजा दी गई हो लेकिन वहां न कोई रस्सी दिखाई दे रहा था न कोई सहारा फिर कुछ समय वैसे ही वो लड़का ऊपर हवा में झूलता रहा और कुछ समय बाद जमीन पर धड़ाम से गिरा जिसका प्राण पखेरु उड़ चुका था। वहां इकठ्ठे घर व गांव के लोगों में डर की लहर दौड़ने लगी थी। सभी अपने-अपने घरों की तरफ़ तेज-तेज कदमों से वापस भागने लगे। उन सभी के जुबान पर एक फुसफुसाहट थी उन सभी के फुसफुसाहट में बस एक ही नाम था लोना चमारिन का। वहां पीछे-पीछे पहुंचे घर वाले लड़के को उठा घर लायें और उसकी अंतिम संस्कार कर दिया। अब धीरे धीरे लोना ने अदृश्य रहकर दबंग उस 11 ठाकुरों का जो परिवार कहा जाता था को ऐसे ही मौत की घाट उतार दी उन ठाकुरों के खानदान से कोई घर में दीपक जलाने वाला भी नहीं बचा। अपनी तंत्र विद्या से लोना अपने पर हुए अत्याचार सामुहिक बलात्कार का बदला ले शांत हो गई। 11 ठाकुरों के खानदान को मारकर अपनी प्रतिशोध पूरी कर ली उसके बाद लोना बहुत सारे शाबर मंत्रों की रचना की जिसे अपने नामों से बांध दी। उन शाबर मंत्रों को आज भी लोना चमारिन नाम आसानी से सिद्ध हो जाते हैं। गांवों में तांत्रिक इन्हीं के मंत्रों का ज्यादातर उपयोग कर खटकर्म झाड़-फूंक करते हैं। आप सभी भक्त संस्कृत के मंत्रों से अनभिज्ञ नही हैं।

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लोना चमारी के सिद्ध मंत्र

किन्तु शाबर मंत्र से तांत्रिकों को छोड़ सामान्य लोग अनभिज्ञ होगें तो लोना चमारिन का शाबर मंत्र चित्र लेखन में प्रस्तुत किया हूं। जिसमें एक लोना चमारिन नाम से वशीकरण मंत्र जो तत्कालिन लाभकारी सिद्धिदायक है। शबर मंत्र जो लोना चमारिन के नाम से बंधा वशीकरण के लिए उपयोग में लाया जाता है को बता रहे हैं।

कामरू देश कामाख्या देवी, जहां बसे इस्माइल जोगी। इस्माइल जोगी की लगी फूलवारी, फूल चूनैं लोना चमारिन। जो लेई यहु फूल की बास, वहिकी जान हमारे पास। घर छोडै़ घर-आंगन छोडै़, छोडै़ कुटुम्ब की मोह लाज। दुहाई लोना चमारिन की।

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Click me राजा सलवान की पत्नी अपने सौतेले बेटे पूरणमल जो बाद में बना चौरंगीनाथ के प्रति हुईं हवसी पढ़िए त्रियाचरित्र रानी लोना चमारिन की यहां क्लिक किजिये।

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27 thoughts on “तांत्रिकों की देवी लोना चमारिन-आपबीती”

  1. आगे जल्द ही आ रही है दूसरी रानी लोना चमारिन की तिरिया चरित्र कहानी जो अपने सौतेले पुत्र पूरणमल से शारीरिक संबंध बनाना चाहती थी वो राजा सलवान की दूसरी पत्नी थी।

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    • सादर धन्यवाद लेखनी को प्रोत्साहित करने के लिए आप सब पाठकों के विचारों को पढ़कर खुशी होती है और कलम अग्रसर होता रहता है।

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    • लेख पसंद आता है इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। ऐसे ही मनोबल बढ़ाने से कलम आगे अग्रसर होने के लिए सदैव तत्पर रहती है। जो भी लेख आप पाठकों को बहुत पसंद आये उसे अधिक से अधिक शेयर कर दिया किजिये। इससे हम लेखक का मनोबल बढ़ाने वाले पाठक मिलते रहेंगे। पुनः धन्यवाद 🙏

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  4. Bhut Sundar hai aapka lekh mai aapko aapni Guru banana chahti hu.aap mujhe aapni sisya bana lijiye aapko maysej ki riplay nhi diye hai.

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