51 दिन बाद केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिल गई और 1 जून तक बाहर रहेंगे। इस समय यह चुनावी भाषण भी दे सकते हैं और अपने पार्टी का प्रचार भी कर सकते हैं। चुनावी भाषण करके जनता के सामने अपनी बात रखेंगे, इसके साथ ही बीजेपी को बहुत बड़ा नुकसान भी हो सकता है।
मजेदार बात है कि जिन मुद्दों को भारतीय जनता पार्टी चुनावी मुद्दा नहीं मानती थी जैसे बेरोजगारी, गरीबी और महंगाई के मुद्दे पर चुनाव टिकता जा रहा है। लोकसभा चुनाव रोचक दौर में गुजर रहा है। चुनावी रणनीति में बीजेपी कई मोर्चे पर फेल साबित हो रही है। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतिम जमानत मिल गई है।
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मायावती पर कसा जा रहा है शिकंजा
इधर मायावती के कैंडिडेट पिछले चुनावों से ही बीजेपी को फायदा पहुंचाते हुए नजर आ रहे हैं। बीजेपी के इशारे पर बसपा सुप्रीमो तय करती है अपनी प्रत्याशी। जो बीजेपी को फायदा अन्य पार्टियों का कर सके नुकसान। अभी कुछ दिन पहले अपने कई कैंडिडेट मायावती बदली हैं, मीडिया के गलियारों और सूत्रों के हवाले से खबर आ भी रही है कि भाजपा के दबाव में कई कैंडिडेट को मायावती ने बदल दिया है।
असल में मायावती के फाइलों की रिमोट कंट्रोल भाजपा के हाथ में है। उन्हें कहीं अपने तमाम अनियमितता वाले मामलों में जेल जाने की नौबत ना आ जाए, ऐसे में मायावती लंबे समय से चुप्पी साध बैठी है। मायावती अब निकृष्ट व निष्क्रिय राजनीति की तरफ़ रुख कर चुकी है और भाजपा के लिए वोट कटवा मशीन के रूप में काम आ रही है। हालांकि इस तरह की खबरें गोदी मीडिया में प्रसारित नहीं की जाती है। बरहाल राजनीतिक गलियारों और यूट्यूब वेबसाइट में इन बातों पर कई तरह के रिपोर्ट आप आसानी से देख सकते हैं।
मायावती के कैंडिडेट को बदलाव कर बीजेपी के ब्रेन पावर कहे जाने वाले अमित शाह उत्तर प्रदेश में सीटों की डैमेज को भरने की कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन इस बार मतदाता भारतीय जनता पार्टी से नाराज है, क्योंकि? पिछले किए गए कई वादे पूरी नहीं हुई जिसके परिणाम स्वरुप महंगाई, बेरोजगारी और लोगों की इनकम घटी है।
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में मोदी का वर्चस्व हुआ कम
उत्तर प्रदेश भाजपा का गढ़ माना जाता है लेकिन यहां पर भी मोदी का जन आधार घटना हुआ नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश और दूसरे प्रदेशों की जनता केंद्र सरकार की कामकाज के आधार पर वोटिंग करती जा रही है।
इसके साथ ही मतदाताओं के मन में महंगाई, बेरोजगारी और विकास पर भी कई तरह के सवाल हैं, जिनका जवाब गोदी मीडिया में हिंदू मुस्लिम बहस के अंतर्गत भुला दिया जाता था, ऐसे में गोदी मीडिया जहां तक भाजपा की छवि बना सकती थी बना चुकी है।
अब भाजपा की छवि बिगड़ रही है क्योंकि लगातार गोदी मीडिया में कई तरह के झूठे बोल बोले जा रहे हैं। ऐसे में जनता अब समझदार हो चुकी है।
2014 के उन मुद्दों की तुलना आज 2024 से कर रही है। महंगाई, बेरोजगारी और विकास के नाम पर इधर-उधर की बातें करने वाली बीजेपी की बातों से जनता हैरान है। ऐसे में मोदी सरकार को तीसरी बार दिल्ली की सत्ता देने के मूड में नजर नहीं आ रही है। सर्वे और मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने निकल कर आ रही है। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू है कि इस बार चुनाव भाजपा के लिए मुश्किल है इसलिए डैमेज कंट्रोल करने की कई तरीके के बारे में भी बीजेपी की तरफ से सोचा जा रहा है। जिसमें कई तरह की कूट नीतियां शामिल हैं। इस कारण से कहीं न कहीं जनता के आक्रोश को दबा पाने में भी वे सफल हो सकते हैं, लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि उनकी सीट पिछले बार से कम हो सकती है।
अरविंद केजरीवाल का पलटवार
अरविंद केजरीवाल जब जेल से निकले तो उन्होंने अपने संबोधन में नरेंद्र मोदी को तानाशाह कहा। उन्होंने कहा कि मैं तन मन धन से तानाशाही के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा हूं। उन्होंने इस बात को भी कहा कि 140 करोड लोगों को तानाशाही से लड़ना होगा। अरविंद केजरीवाल पिछले 51 दिनों से जेल में थे। उन पर कई घोटालों का आरोप लगाया गया था। अंतरिम जमानत पर वह 1 जून तक बाहर रहेंगे। भाजपा के लिए कड़ी टक्कर देने वाले अरविंद केजरीवाल के भाषण चुनाव के मायने भी बदल सकते हैं।
जेल से बाहर आते ही अरविंद केजरीवाल ने जोरदार भाषण देकर अपनी बात जनता के सामने रखी, हालांकि पूंजीपतियों द्वारा संचालित गोदी मीडिया में उनको उतना कवरेज नहीं दिया जा रहा लेकिन यूट्यूब और दूसरे सोशल नेटवर्क साइड से भरपूर जानकारी लोगों को हासिल हो रही है।
केजरीवाल को मिला अंतरिम बेल बीजेपी के लिए मुसीबत बन सकता है। मीडिया विशेषज्ञों का मानना है कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली में हरा पाना बीजेपी के लिए मुश्किल रहा है, पिछले 10 साल से आम आदमी पार्टी भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी रही है।
दरअसल आम आदमी पार्टी के धुरंधर समझे जाने वाले नेता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के आगे दिल्ली में मनोज तिवारी भी फीके पड़ रहे हैं। हालांकि ईडी का शिकंजा लोकसभा चुनाव 2024 एक नए रंग में नजर आ रही है। जिससे भारतीय जनता पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। क्योंकि यह नेताओं को जेल भेजने का टाइम पीरियड यानी चुनावी समय कहीं ना कहीं बीजेपी की सोची समझी चाल जनता के सामने प्रस्तुत हो रही है।
अब अरविंद केजरीवाल अपने चुनावी भाषण में इस बात को प्रमुखता से रखेंगे ऐसे में जनता भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी से बेहाल है तो पूरा समर्थन आम आदमी पार्टी और इंडिया गठबंधन की तरफ जाता हुआ नजर आ रहा है।
अरविंद केजरीवाल का अंतरिम बेल के बाद, उनका दिया गया भाषण और इसके बाद लगातार उनका चुनावी भाषण भी होने जा रहा है। इस कारण से कई ऐसे मुद्दे अरविंद केजरीवाल द्वारा आम आदमी पार्टी के तरफ से रखे जाएंगे जिसका जवाब भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किल का सबब बन सकता है।
बीजेपी के लिए राहुल और अरविंद केजरीवाल एक बड़ी चुनौती
इंडिया गठबंधन की तरफ से जहां राहुल गांधी नरेंद्र मोदी के लिए चुनौती बन गए हैं। वहीं अब नरेंद्र मोदी भी सीधे-सीधे शहजादे शब्द का प्रयोग करके राहुल गांधी को चुनौती दे रहे हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है, इस चुनाव में कहीं ना कहीं राहुल गांधी का वर्चस्व बढ़ रहा है।
अरविंद केजरीवाल का अंतिम जमानत पर छूटना और फिर चुनावी भाषण नरेंद्र मोदी के लिए मुसीबत बनती जा रही है। महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी विकास के मुद्दे बहुत तेजी से ऊपर उठाए जा रहे हैं।
इधर कांग्रेस की गारंटी योजना और युवाओं को 30 लाख सरकारी नौकरी, अप्रेंटिसशिप का अधिकार के साथ ही महिलाओं को 1 लाख सालाना इनकम जैसी तमाम स्कीम मोदी पर भारी पड़ रहा है।
एक रिपोर्ट की माने तो हर तीसरा मतदाता पूरी तरह से बेरोजगार है। ऐसे में इन मतदाताओं पर किस तरीके से नरेंद्र मोदी अपने शासनकाल के अच्छे दिनों को बता पाएंगे, यह एक बड़ा सवाल बीजेपी के लिए है? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुनावी भाषण में इनका जवाब दे पाएंगे? क्या गोदी मीडिया इसकी सही रिपोर्टिंग कर पाएगी? इन्हीं सभी बातों पर चुनावी माहौल टिका हुआ है।

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नरेंद्र मोदी की खिजलाहट
इसका जीता जागता सबूत पिछले भाषणों में आपने देखा और सुना होगा। जिसमें मंगलसूत्र, मुस्लिम और अडानी अंबानी पर लगाए गए आरोप में कहा गया कि कांग्रेस को टेंपो में भर भर के पैसा ये पूंजीपति भेज रहे हैं।
नरेंद्र मोदी के भाषण पर पलटवार करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि आखिरकार नरेंद्र मोदी अपने दोस्तों के खिलाफ क्यों बोल रहे हैं? क्या वह अपने अनुभव को बता रहे हैं!
इसके साथ ही चुनौती देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अगर ऐसा है तो ईडी से कार्रवाई कराएं। इसके साथ ही राहुल गांधी ने एक वक्तव्य में नरेंद्र मोदी से किसी भी तरह की आमने-सामने बहस करने की भी चुनौती दे डाली है। जैसा कि मीडिया में अक्सर खबरें आती रहती है कि नरेंद्र मोदी आमने-सामने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के सामने उपस्थित नहीं होते हैं।
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फर्स्ट टाइम युवा वोटर भी नाराज
ऐसे में जनता की तरफ से भी सवाल उठ रहा है कि आखिरकार चुनिंदा पत्रकारों को ही क्यों इंटरव्यू देते हैं यहां तक की एक बार उन्होंने आम कैसे खाया जाए इस पर अक्षय कुमार को इंटरव्यू दे दिया था। हालांकि उस समय जनता इन सब चीजों को इतना सीरियस नहीं लेती थी लेकिन अब नरेंद्र मोदी जी के झूठ और बचकानी बातों पर जनता ध्यान देने लगी है।
वहीं गोदी मीडिया में राहुल गांधी की छवि पप्पू के रूप में गाड़ने वाली गोदी मीडिया के पत्रकार मालिकों के दबाव में भारत जोड़ो यात्रा करने वाले गंभीर और सही मुद्दा उठाने वाले राहुल गांधी के नए सोच को अपने टीवी चैनल में उतना कवरेज नहीं दे पा रहे हैं। खाने का अर्थ यह है कि पप्पू अब सीरियस हो गए हैं तो वही लंबी-लंबी बात करने वाले और भ्रष्टाचार मुक्त बेरोजगारी मुक्त महंगाई मुक्त भारत का वादा करने वाले प्रधानमंत्री अब भाषणों में मंगलसूत्र अडानी अंबानी के द्वारा दिया गया पैसा जैसे मुद्दों पर बचकारी बातें करने लगे हैं।
मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री को इस बार फर्स्ट टाइम वोटर भी वोट देने से कतरा रहे हैं क्योंकि इनके 10 साल के शासनकाल में सरकारी नौकरी का अकाल और उत्तर प्रदेश सहित सभी खासकर भाजपा शासित राज्यों में पेपर लीक होने की समस्या इन नए वोटरों के भविष्य के लिए खतरा नजर आ रहा है। ऐसे में क्या यह फर्स्ट टाइम युवा वोटर भाजपा को वोट करेंगे? यह एक बड़ा सवाल सामने आ रहा है।
खान की आप और सब लोग जानते हैं कि चुनावी स्टंट में इस तरह की बातें कही जाती है ताकि मतदाता भावुक होकर वोट पक्ष में दे दे। लेकिन मतदाता भी पिछले 10 साल के शासनकाल में अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है, क्योंकि पेट्रोल डीजल ईंधन और रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। इस पर गोदी मीडिया में किसी तरह की डिबेट नहीं होती है, तो इससे जनता अंदाजा लगाने लगी है कि यह सरकार पूंजी पतियों की ही सरकार है। इसमें आम जनता को कोई फायदा होने वाला नहीं है। पिछले 10 साल से जिन्होंने बीजेपी को जिताया है, वह स्वयं को अब ठगा महसूस कर रहे हैं।
इधर चुनाव होते-होते नरेंद्र मोदी के भाषणों में भी कई तरह का झूठ और अविश्वास नजर आ रही है। उनके भाषणों में आसानी से देखा और समझा जा सकता है। याद कीजिए कि जब 2014 के दौर में मीडिया सेल द्वारा प्रोपेगेंडा करके चुनाव जीतने का जो माहौल बनाया जाता था, वह अब लगभग उल्टा पड़ गया है, ऐसे में बीजेपी खुद भी अपने चक्रव्यूह में घिरती हुई नजर आ रही है।
आर्टिकल सारांश election 2024 analysis
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के अंतिम जमानत के बाद चुनावी माहौल कैसा हो जाएगा इस बारे में इस लेख में बताया गया है। इस रिपोर्ट में अलग-अलग लोगों से की गई बातचीत और राजनेताओं द्वारा दिए गए भाषणों के आधार पर विश्लेषण किया गया है।
जिसमें मुद्दा सामने यह निकाल कर आया है कि बेरोजगारी महंगाई और गरीबी जैसे मुद्दे चुनाव (election 2024) में धीरे-धीरे हावी हो रहे हैं। इसके अलावा नरेंद्र मोदी के भाषणों में अब राहुल गांधी को डायरेक्ट संबोधित करके किया जा रहा है तो इससे अंदाजा निश्चित ही लगाया जा सकता है कि अब उनके खिलाफ में राहुल गांधी सशक्त नेता के रूप में खड़े हो गए हैं।
वहीं अरविंद केजरीवाल के अंतिम जमानत के बाद दिए गए भाषणों और उसके बाद भाजपा के भाषणों के पलटवार से बहुत छिपी चीज जनता के सामने आने वाली है। उन सभी बातों को जानने के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहे पल-पल की एक-एक न्यूज़ की विश्लेषण निष्पक्षता से यहां पर आपको दी जाएगी। हमारी निस्पक्ष लेखनी पढ़ने के लिए आप किसी भी सर्च इंजन में सर्च कर सकते हैं। हमारी साइड गूगल माइक्रोसॉफ्ट वींग आदि सभी सर्च इंजन में मौजूद है। amitsrivastav.in साइड के होम पेज पर जाकर अपनी पसंदीदा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक भी कर सकते हैं। दूसरी साइड ब्लोगर amit-srivastav-author.blogspot.com
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