जवाहर नवोदय विद्यालय: मऊ के प्रतिभागी प्रदेश स्तरीय कला प्रतियोगिता में शामिल, हरिद्वार में पक्षपात के आरोप

Amit Srivastav

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मऊ, उत्तर प्रदेश/हरिद्वार, उत्तराखंड। जवाहर नवोदय विद्यालय मऊ में संपन्न हुए दो दिवसीय कला उत्सव 2024 का समापन हर्षोल्लास के साथ हुआ, जहां वाराणसी संभाग के 24 विद्यालयों से आए 236 छात्र-छात्राओं ने विभिन्न कला विधाओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। संगीत, नृत्य, नाट्य मंचन, दृश्य कला, और पारंपरिक कहानी कथन जैसी श्रेणियों में प्रतिभागियों ने भाग लिया। विजेता प्रतिभागी 14-15 अक्टूबर 2024 को उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजितग लखनऊ संभागीय प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किए। लेकिन हरिद्वार की इस प्रतियोगिता पर चिःटिंग के आरोपों के बाद आयोजन की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

मऊ कला उत्सव 2024 की झलक

कला उत्सव 2024 में मऊ, वाराणसी, आजमगढ़, गोरखपुर, और देवरिया समेत 24 जवाहर नवोदय विद्यालयों के प्रतिभागियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।

प्रमुख विजेता

जवाहर नवोदय विद्यालय: मऊ के प्रतिभागी प्रदेश स्तरीय कला प्रतियोगिता में शामिल, हरिद्वार में पक्षपात के आरोप

संगीत वादन: जवाहर नवोदय विद्यालय आजमगढ़ ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
नृत्य: मऊ विद्यालय ने नृत्य श्रेणी में जीत हासिल की।
नाट्य मंचन: गोरखपुर विद्यालय विजयी रहा।
दृश्य कला: देवरिया की छात्रा प्रियांशी श्रीवास्तव ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
पारंपरिक कहानी कथन: मऊ विद्यालय ने श्रेष्ठता सिद्ध की।

समापन समारोह में मऊ विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य मनीष कुमार जायसवाल ने विजेताओं को प्रमाण पत्र वितरित किए और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। अब चयनित प्रतिभागी लखनऊ संभागीय प्रतियोगिता में भाग लेने हरिद्वार पहुंच प्रतियोगिता में अपना परचम लहराया है।

हरिद्वार में पक्षपात के आरोप

हरिद्वार में आयोजित लखनऊ संभागीय कला प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विभिन्न विद्यालयों से प्रतिभागी शामिल हुए। लेकिन प्रतियोगिता पर उस समय सवाल उठ गए जब प्रतियोगियों और दर्शकों के बीच पक्षपात के आरोप सामने आए।

देवरिया की छात्रा प्रियांशी श्रीवास्तव ने निर्धारित समय अवधि में प्रतियोगिता स्थल पर कला आकृति बनाकर अपनी दृश्य कला आकृति को समय पर प्रस्तुत किया था, लेकिन निर्णायक मंडल ने हरिद्वार के प्रतिभागी की आकृति को अधिक प्राथमिकता दी, जिस पर पक्षपात के आरोप लगे। कहा जा रहा है कि हरिद्वार के प्रतिभागी ने पहले से तैयार आकृति को प्रतियोगिता के दौरान निर्णायक मंडल के सामने प्रस्तुत किया, कईयों विद्यालयों के बच्चों ने प्रतियोगिता में शामिल होने आए पहले से ही कला आकृति बनाकर लाएं हुए थे, वहां स्थानीय कक्ष निरिक्षको की लापरवाही से अदल-बदल कर निर्णायक मंडल के सामने प्रस्तुत किया। जिससे प्रतियोगिता स्थल जवाहर नवोदय विद्यालय हरिद्वार अपने विद्यालय को निर्णायक मंडल ने प्रथम स्थान दिया, जबकि देवरिया नवोदय विद्यालय की प्रियांशी श्रीवास्तव को तीसरे स्थान पर रखा गया।
प्रतिभागियों और उनके शिक्षकों ने इस निर्णय पर कड़ा विरोध जताया, लेकिन उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया। प्रियांशी के शिक्षकों ने बताया कि निर्णायकों ने हरिद्वार के प्रतिभागी की ओर झुकाव दिखाया, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे।

निष्पक्षता पर सवाल

प्रतियोगिता की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाते हुए उत्तर प्रदेश के कई प्रतिभागी निर्णायक मंडल के निर्णय पर असंतोष व्यक्त किया। प्रतिभागियों का कहना है कि यह कला के साथ अन्याय है और छात्रों के मेहनत और प्रतिभा को दरकिनार करने का एक कुत्सित प्रयास। इस घटना से न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतियोगिताओं की निष्पक्षता पर बहस छिड़ गई है।

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